जिला शिक्षा अधिकारी ने किया अचानक निरीक्षण, प्रभारी प्राचार्य को हटाया

जिला शिक्षा अधिकारी ने किया  अचानक निरीक्षण, प्रभारी प्राचार्य  को हटाया
सागर । जिला षिक्षा अधिकारी डा. महेन्द्र प्रताप तिवारी ने प्राचार्य  अनिल मिश्रा के साथ विभिन्न शालाओं का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान शाउमावि सेमरागोपालमन के प्रभारी के कार्याें का संतोषजनक न पाये जाने पर तत्काल प्रभाव से हटाते हुए प्रधानाध्यपक शासकीय माध्यमिक शाला, तालचिरी, के  सीताराम सेन को प्रभारी नियुक्त किया है।
           डा. तिवारी ने शासकीय प्राथमिक/माध्यमिक एवं हाईस्कूल मेनपानी शाला का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कक्षा 10वीं में पहुंचकर गणित विषय का अध्ययन कार्य कराया और छात्र-छात्राओं से अन्य विषयांे की भी जानकारी ली। छात्र-छात्राओं द्वारा सही जानकारी देने पर उन्होंने छात्र-छात्रओं, प्राचार्य श्रीमती अंजु श्रीवास्तव और षिक्षकांे की प्रषंसा की। उन्होंने प्राचार्य को निर्देष दिए कि कक्षा 10वीं को दो वर्गों में विभाजित कर शैक्षणिक कार्य कराएं। उन्होंने शाला के समस्त शैक्षणिक अभिलेख एवं प्रयोगषाला पहुंचकर सघन जानकारी प्राप्त की । डा. तिवारी ने हाईस्कूल बरोदा सागर का भी निरीक्षण किया। जहां उन्होंने कक्षा 9 व 10 वीं के विभिन्न वर्गों की कक्षाओं में जाकर शैक्षणिक कार्य कराया एवं शैक्षणिक अभिलेख की जांच की। उन्होंने प्राचार्य डा. कल्पना शर्मा को निर्देष दिए कि शाउमावि सेमरागोपालमन की व्यवस्थाओं की प्रतिदिन मॉनीटरिंग कर सूचित करें साथ ही प्रभारी प्राचार्य अषोक प्रजापति को हटाकर प्रधानाध्यपक शासकीय माध्यमिक शाला, तालचिरी, के श्री सीताराम सेन को प्रभारी नियुक्त किया। उन्होंने शाला में पदस्थ अतिथि षिक्षकों को निर्देष दिए कि प्रतिदिन शाला समय के अतिरिक्त रेमेडियल कक्षाएं लगाएं एवं प्रतिदिन की जानकारी वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि जिले की समस्त शालाओं का निरीक्षण निरंतर जारी रहेगा और इसके साथ ही रेमेडियल कक्षाओं की जानकारी भी प्रतिदिन प्राप्त की जाएगी।   
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सागर संभाग में पीडब्ल्यूडी की 350 किमी सड़को में पेचवर्क का काम पूरा

सागर संभाग में पीडब्ल्यूडी की 350 किमी सड़को में  पेचवर्क का काम पूरा
सागर । कमिष्नर आनंद कुमार शर्मा ने  कमिष्नर कार्यालय के सभाकक्ष में लोक निर्माण विभाग, पीआईयू, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, महा प्रबंधक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के अधिकारियों की बैठक में विभागीय कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से विभागीय गतिविधियों की जानकारी ली। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता  आर एल वर्मा ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा सागर संभाग अंतर्गत कार्य योजना के अनुसार 350 किमी लंबाई में मार्गों के पेचवर्क किए जाने का लक्ष्य था। 
        जिसमें 345 किमी लंबाई को पेच रिपेयर का कार्य पूर्ण कर लिया गया। कार्य गुणवत्ता के साथ पूर्ण कराया गया है। साथ ही मुख्य अभियंता ने बताया कि पेच रिपेयर के बाद सभी मार्गाें के पुल-पुलिया की रंगाई पुताई व जंगल सफाई का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। विभाग द्वारा किए गए कार्यों की आयुक्त द्वारा सराहना की गई।
       ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मुख्य अभियंता ने बैठक में जानकारी दी कि बरसात में सागर दमोह और पन्ना जिले की जो सड़के क्षतिग्रस्त हुई थी और गारंटी पीरियड में थी। उन्हें दुरस्त करा दिया गया है। बैठक में सभी विभागीय अधिकारी मौजूद थे।  
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पार्षद पंकज सोनी का सिंधी पंचायत से निष्कासन हुआ खत्म, पूज्य पंचायत सिंधी समाज का निर्णय

पार्षद पंकज सोनी का सिंधी पंचायत से निष्कासन हुआ खत्म, पूज्य  पंचायत सिंधी समाज  का निर्णय
सागर । पूज्य  पंचायत सिंधी समाज सागर नगर निगम सागर के पार्षद पंकज सोनी का निष्कासन खत्म कर दिया है । पंचायत के अध्यक्ष भीष्म राजपूत ने बताया कि समाज की बैठक हुई थी । जिसमे दोनो भाईयों पार्षद पंकज सोनी और सुनील सोनी को बुलाया गया । सभी शिकवा शिकायते समाप्त करते हुए इनको समाज मे पुनः शामिल कर लिया गया है । बैठक में कनेहयालाल, दयाचंद, अशोक बुध्वानी, भीमन दास, सुदामा दरयानी, भागचंद नागवानी, कमलेश सुंदरानी ,चंद्रभान चांदवानी, ओम प्रकाश हसरेजा आदि शामिल हुए।
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पूर्व महापौर कमला बुआ के निधन पर श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन

पूर्व महापौर कमला बुआ  के निधन पर श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन

सागर ।पूर्व महापौर व सागर अधिकार मंच की संस्थापक सदस्य कमला बुआ के निधन के बाद मंच द्वारा रविवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । शहर के म्यूनिसिपल स्कूल के सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सागर अधिकार मंच के पदाधिकारियों, सदस्यों सहित नगर निगम के कर्मचारियों, गणमान्य नागरिकों सहित किन्नर समाज ने कमला बुआ के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
       शोकसभा में सागर अधिकार मंच के अध्यक्ष श्री श्याम सिपोल्या ने कमला बुआ से जुड़े संस्मरणों को याद करते हुए बताया की कमला बुआ लम्बे समय से जुडी रही है पहली बार जाति प्रमाणपत्र बनवाने गयी थी और उन्हें निराशा हाथ लगी तब वो मेरे पास आई उस दौरान वो थर्ड जेंडर की लड़ाई भी लड़ रही थी मैंने उनसे कहा की आप अब महापौर का चुनाव लड़िए और उन्होंने मेरी प्रस्ताव को स्वीकार किया और निर्दलीय महापौर का चुनाव लड़ा जिसे भारी मतों से जीता । इसके बाद सागर के अधिकारों की मांग को लेकर सागर अधिकार मंच की स्थापना उन्होंने मेरे साथ ही की कमला बुआ का असमय जाना मंच और मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। इसकी पूर्ति करना अब मुश्किल है।
       मंच के सचिव डॉ राकेश शर्मा ने भी 2009 में कमला बुआ से हुई पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि जब समलैंगिता पर बहस के लिए आमंत्रित किया तो उन्होंने सहज ही आमंत्रण स्वीकार कर विश्वविद्यालय के वाडिया हाल में बहस का हिस्सा बनी थी। और उनके व्यक्तव्य से बहुत प्रभावित हुआ था। महापौर का उनका कार्यकाल बहुत यादगार है जिसमे उन्होंने सागर विकास को नई गति दी थी।  
     मंच के कोषाध्यक्ष डॉ दिवाकर मिश्रा ने कहा कि कमला बुआ सरल सहज स्वाभाव की थी उनसे जब भी भेट होती थी वो खुले दिल से मिलती थी। श्री शिवा पुरोहित ने कहा की कमला बुआ से जब जो भी मिला वो उनकी का हो गया ऐसा उनका स्वाभाव था। अपने जीवन के अंतिम समय में भी वो सागर के विकास की चिंता करती रही ये उनकी सबसे बड़ी विशेषता है।
    इस श्रद्धांजलि सभा में सागर अधिकार मंच के अध्यक्ष श्री श्याम सिपोल्या, कोषाध्यक्ष डॉ दिवाकर मिश्रा, सचिव डॉ राकेश शर्मा, श्री एमपी तिवारी, श्री भानू प्रकश शुक्ला, श्री नंदन शुक्ला, श्री भोलेश्वर तिवारी,  राजू पंडा, श्मयंक दुबे, श्रीमती रिमझिम जैन, श्रीमति दीप्ति रैकवार, श्रीमति रंजीता राणा, श्री अभिषेक पुरोहित, श्री शिवा पुरोहित, श्री शोएब कुरैशी, श्री गौरव जैन श्री नारायण जैन श्री संदीप बाजपेयी, श्री हर्ष केसरवानी, श्री रज्जन ठाकुर, श्री अभिषेक अग्रवाल, श्री रोहित यादव, श्री राहुल गोस्वामी। श्री ज्योतिष सोनी, नगर निगम से श्री यशवंत कोष्टी श्री धर्मेंद्र भोहरे, वीरू कुदरेया शैलेश अकेला सहित किन्नर समाज से किरण नायक, सोनम किन्नर आदि उपस्थित रहे .
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शायर कैफ़ी आज़मी की जन्मशती पर याद-ए- कैफ़ी समारोह आयोजित

शायर कैफ़ी आज़मी की जन्मशती पर याद-ए- कैफ़ी समारोह आयोजित

सागर।  मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल और सागर इकाई द्वारा शासकीय कन्या महाविद्यालय सागर में प्रगतिशील शायर और मशहूर नग्मानिगार कैफ़ी आज़मी के जन्मशती वर्ष पर प्रदेश के पहले याद- ए-कैफ़ी समारोह का आयोजन दो सत्रों में किया गया।
  इस मौके पर  प्रो.सुरेश आचार्य ने सागर की विभूतियों महाकवि पद्माकर,डॉ. हरीसिंह गौर,विट्ठलभाई पटैल, शिवकुमार श्रीवास्तव, अख्ल़ाक सागरी का स्मरण करते हुए सभी का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर इकबाल मसूद  ने अपने उद्बोधन में कैफ़ी आज़मी की शायरी, फिल्मी गानों,पत्रकारिता और कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी बातें करते हुए उनके संस्मरणों को साझा किया। उन्होंने कहा कि कैफी आज़मी की शायरी को आज के समय में याद रखना बहुत ही इंपॉर्टेंट है।आज के समय में भले लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।आज आवाम फिर एक बार मुश्किल में है। ऐसे में फिर एक ऐसे इंसान की जरूरत है जो यह कह सके कि अंधेरा है, बहुत परेशानियां हैं, आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है, आज की रात तो फुटपाथ पर भी नींद ना आएगी। तुम भी हो मैं भी हूं। तुम भी हो तो कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जाएगी।
            अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रख्यात आलोचक एवं संपादक डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा ने  कैफ़ी आज़मी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि मशहूर तरक्की पसंद शायर कैफ़ी आज़मी का स्मरण हमारी भारतीय संस्कृति की सुदीर्घ परंपरा का स्मरण है। आज ऐसे समय में जबकि भाषा को धर्म से जोड़ने की संभावना भी हमें कहीं नजर नहीं आती है, कैफ़ी जैसे शायर को याद करने से एक बहुत बड़ी सांस्कृतिक सेवा हिंदी साहित्य सम्मेलन के मंच द्वारा संपन्न हुई है। एक साहसिक परिवर्तन की आकांक्षा और एक बेहतर मानवीय दुनिया का निर्माण यह कैफ़ी आज़मी का एक सपना था। उनकी शायरी यह ख्वाब देखने के लिए हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी।सामाजिक कार्यकर्ता की भी उनकी हैसियत थी। सबसे जरूरी बात कि यह समय हमारी संस्कृति के ताने-बाने को सुरक्षित बनाए रखने का है और कैफ़ी इस दिशा में अपने जीवन के माध्यम से भी और अपनी शायरी के माध्यम से भी प्रेरित करते रहे।
     कार्यक्रम में शिवपुरी के रचनाकार विनय प्रकाश जैन नीरव के नवगीत संग्रह 'यात्रा कितनी कठिन है'का विमोचन भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।प्रथम सत्र का संचालन महामंत्री मणिमोहन ने किया।
समारोह के द्वितीय सत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर की इकाई के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने स्वागत भाषण देते हुए सभी रचनाकारों का स्वागत किया।आमंत्रित कवियों व शायरों डॉ. सुश्री वर्षा सिंह,डॉ. नवीन कानगो सागर,अनुपमा रावत,शिवकुमार अर्चन भोपाल, केशव तिवारी केशु व मानव बजाज दमोह, दौलत राम प्रजापति शिवपुरी और अशोक मिजाज बद्र सागर नेअपनी शानदार रचनाओं से उपस्थित  सुधि श्रोताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
 कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के पूजन अर्चन से हुई।अतिथि स्वागत उमा कान्त मिश्र,आशीष ज्योतिषी,प्रदीप पाण्डेय,आर.के.तिवारी, डॉ. चंचला दवे,पुष्पेंद्र पुनीत दुबे,अमित आठिया ने किया।
       कवि सम्मेलन का संचालन अभिषेक वर्मा भोपाल ने किया आभार पुष्पेंद्र पुनीत दुबे सचिव जिला इकाई सागर ने माना।इस अवसर पर मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष पलाश सुरजन,शुकदेव प्रसाद तिवारी,प्रो.उदय जैन,के.के. सिलाकारी,डॉ.चंचला दवे,डॉ.कविता शुक्ला, सुनीला सराफ, डॉ.शरद सिंह,डॉ.सुजाता मिश्र,देवकी दीपा भट्ट नायक, हरगोबिंद विश्व, डॉ.गजाधर सागर,शिवरतन यादव,मुन्ना शुक्ला, राजेश शास्त्री,डॉ.आशुतोष,हरीसिंह ठाकुर,डॉ. मनीष झा,टी.आर.‌त्रिपाठी,पी.आर.मलैया, जावेद खान,राहुल सिलाकारी,असगर पयाम, एम.शरीफ,ऋषभ समैया जलज,डॉ.अमर जैन, कुंदन पाराशर,संतोष पाठक,रमाकांत मिश्र, अंबर चतुर्वेदी,रमेश दुबे,डॉ.एम. के.खरे, विश्वनाथ चौबे,माधव चंद्रा, डॉ.अनिल जैन, वृंदावन राय सरल,के.एल.तिवारी,डॉ. योगेश दत्त तिवारी,पुष्पदंत हितकर,मृगेंद्र सिंह सेंगर, अमित मिश्र,डॉ.आर.आर.पांडे,कपिल चौबे, संतोष कटारे,मुकेश निराला,राहुल पाठक, एम.डी.त्रिपाठी,डॉ.शशि कुमार सिंह, मुकेश टांक,अभिनव दत्त दुबे,संजय भाटे, रवींद्र दुबे कक्का,राघव रामकरण के अलावा दमोह, शिवपुरी, टीकमगढ़, अशोक नगर, भोपाल विदिशा की जिला इकाइयों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।
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नवाचार के प्रयोग से शिक्षा को आनंदमय बनाए :डाॅ. अशोक कडेल


नवाचार के प्रयोग से शिक्षा को आनंदमय बनाए :डाॅ. अशोक कडेल
 सागर स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के निमित्त महाकोशल प्रांत की बैठक  हुई। इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांतीय कार्यालय का उद्घाटन स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में डाॅ. अशोक कडेल क्षेत्रीय संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान के कर कमलो द्वारा  किया गया कार्यालय प्रभारी का दायित्व  नरेन्द्र दुबे को दिया गया। तदोपरांत प्रांतीय बैठक का शुभारंभ द्वीप प्रज्जवलन करके किया गया। स्वागत भाषण कुलाधिपति डाॅ. अजय तिवारी के द्वारा दिया गया। इस अवसर पर अमरमउ दमोह, टीकमगढ, पन्ना, नरसिंहपुर, शहडोल, राहतगढ, छतरपुर एवं जबलपुर से कार्यकताओं ने अपनी सहभागिता की। 
      प्रथम सत्र में अशोक कडेल ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्रमिक विकास पर अपने विचार रखे। आपने बताया कि देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा तथा शिक्षा के नए विकल्प हेतु कार्य करना होगा। माॅ, मातृभूमि एवं मातृभाषा का कोई विकल्प नही है इसलिए हमें मातृभाषा के प्रति जागृत रहना होगा।  
       द्वितीय सत्र में शिक्षण संस्थाओं द्वारा किए गए शैक्षिक प्रयोग पर विचार रखा गया। जिसमें राहतगढ के श्री रामेश्वर लोधी, डाॅ. हरीसिंह गौर विश्व विद्यालय के  विकास पाठक, स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के डाॅं सुखदेव वाजपेयी, श्री ऋिषि चैबे, छतरपुर के डाॅ. ब्रजेश तिवारी, जबलपुर के डाॅ. नीलेश ने अपने प्रयोग यथा कागज की लुगदी के गाॅधी की मूर्ति का निर्माण, पुराने वस्त्रों के थैली बनाकर प्लास्टिक निषेध का संदेश, पर्यावरण रक्षक दल, गोबर से दीपक एवं कागज के दोना पत्तल बनाने का प्रशिक्षण आदि का प्रस्तुती करण किया गया। राष्ट्रीय कार्यशाला 17-18 अगस्त से दिल्ली, राष्ट्रीय कार्यशाला कुरूक्षेत्र एवं चिंतन बैठक कोयम्बटूर का प्रस्तुतीकरण डाॅ. सुखदेव वाजपेयी,  प्रेमचंद खैमरिया एवं श्शोक कडेल द्वारा बताया गया। इसी सत्र में शिक्षा के ज्ञान रूपी आलोक और आध्यात्मिक शक्ति के श्रोत् ज्ञानोत्सव की तिथियाॅ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत अध्यक्ष डाॅ. अजय तिवारी द्वारा सुनिश्चित कराई गई। यथा 29 नबंवर अमरमउ, 7 दिसम्बर हटा, 14 दिसम्बर शहडोल, 22 दिसम्बर टीकमगढ, 29 दिसम्बर राहगढ एवं 11-12 जनवरी सागर के लिए निर्धारित की गई।
       न्यास के आयामों को गतिशीलता प्रदान करने के लिए डाॅ. आशीष यादव को संयोजक, पर्यावरण संयोजक डाॅ. दिनेश सिंह, तकनीकी शिक्षा संयोजक  ऋिषि चैबे एवं  अनुराग ताम्रकार, प्रबंधन संयोजक डाॅ. नीरज तोपखाने, शिक्षण शिक्षा संयोजक श्री कीर्ती शुक्ला, डाॅ. राजेश दुबे,  हरेन्द्र सारस्वत को दायित्व दिया गया। इस बैठक में आठ जिलों से 51 कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिसमें प्रांत अध्यक्ष डाॅ. अजय तिवारी, प्रांत संयोजक डाॅ. रामकुमार रजक जबलपुर, सह-संयोजक डाॅ. राजेन्द्र कुररिया एवं डाॅ. विवेकानंद उपाध्याय के साथ सभी जिलों के संयोजक एवं सह-संयोजक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डाॅ. सुखदेव वाजपेयी एवं  नरेन्द्र दुबे के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
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जब्बार जिसने कभी ना मानी हार

जब्बार जिसने कभी ना मानी हार

ब्रजेश राजपूत/सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 
वो इंडियन काफी हाउस की दोपहर ही थी जब दिग्विजय सिंह ने हम पत्रकार मित्रों के बीच फोन लगाकर प्रदेश के मुख्य सचिव को कहा था कि अब्दुल जब्बार के जल्दी भोपाल से बाहर देश के किसी अच्छे अस्पताल में आज ही ले जाने की व्यवस्था करो। उसके बाद उन्होंने दो बार चिरायु अस्पताल के डाक्टर अजय गोयनका से भी फोन पर बात की और हिदायत दी कि देर नहीं करो उसे जल्दी मुंबई या दिल्ली के किसी अस्पताल में एयर एंबुलेंस से भेजो और वो वहां से उठकर अस्पताल जब्बार को देखने भी गये तब भी हमें अहसास नहीं था कि जब्बार भाई के इतने चाहने वालों की कोशिशों के बाद भी उनके नहीं रहने की दुखद खबर आज रात को ही आ जायेगी। वैसे पिछले कुछ अर्से से उनकी और उनकी सेहत के बारे में अच्छी खबरें नहीं मिल रही थी। लंबे समय से वो बीमार चल रहे थे कुछ साल पहले उनकी आंख में दिखना कम हुआ फिर मधुमेह बहुत बढ गया और फिर स्कूटर से गिरे तो पैर में चोट लगी, फटे जूते पहने तो अंगुलियों में घाव हुआ और ये घाव गेंगरीन में बदल गया तो अंगुलियें कटने की नौबत आ गयी। दिल तो उनका कमजोर इतने लंबे अर्से से हजारों गैस पीडितों के दुख दर्द का बोझ उठाते उठाते हो ही गया था। यही वजह थी कि इस बार वो बिस्तर से लगे तो अपने सभी साथियो के प्रयासों के बाद भी उठ ना सके।
भई वो अपनी सेहत की परवाह कभी करता ही नहीं था, अनेक गैस पीडितों का अस्पतालों में ले जाकर इलाज कराने वाला जब्बार जब कभी अस्पताल में भर्ती हुआ तो डाक्टर उसे हफते भर रूकने को कहते मगर वो तो एक ‪दो दिन बाद‬ ही किसी को भी बिना बताये स्कूटर उठाकर निकल लेता था, जब तक लोग उसे अस्पताल देखने जाते वो अपने दफतर में तब तक पहुंचकर काम में जुट जाता था, उस तोते की जान तो अपने गैस पीडित साथियों के बीच ही बसती थी। ये वरिपट पत्रकार राजकुमार केसवानी थे जो उनके लंबे समय से साथी रहे। और भारी मन से जब्बार भाई की बातें जनाजा उठते वक्त बता रहे थे। पिछले कुछ सालों में भोपाल के पत्रकार जगत में शायद ही कोई ऐसा रिपोर्टर होगा जिसे जब्बार भाई जानते ना हों और जिसे उन्होंने कोई बढिया खबर करने में मदद ना की हो। हम टीवी पत्रकारों की हर गैसकांड की खबर बिना उनकी बाइट लिये बनती ही नहीं थी। मैं स्वयं याद करने बैठा कि जब्बार भाई भोपाल में वो शख्स होंगे जिनकी बाइट मैंने सबसे ज्यादा ली होंगी। यही हाल और दोस्तों का भी होगा मगर ये अलग बात है कि पिछले कुछ सालों में टीवी की खबरों के कंटेंट में बदलाव आया और गांव गरीब के साथ गैस पीडितों की खबरें टीवी चैनलों पर चलनी बंद हुयी तो हमारा जब्बार भाई से मिलना भी उतना ही कम हो गया। मगर इस सबके बावजूद वो उनका मीठी सी आवाज में फोन करना सुबह सबेरे में छपे मेरे लेख की तारीफ करना और गैस पीडितों की समस्याओं पर लंबी लंबी बातें करना कम नहीं हुआ। 
          कई दफा तो हम सब हैरान रह जाते थे कि इस आदमी को गैस पीडितों की समस्याओं के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है यदि वो किसी शादी ब्याह और दूसरे आयोजनों में मिलते भी तो हाथ मिलाने के बाद खाना पीना छोडकर अपने स्नेह भरे अंदाज में शुरू हो जाते थे अरे आपको बताना भूल ही गया कि एक नया केस फाइल कर दिया है कोर्ट में जिससे ऐसा हो जायेगा वगैरह वगैरह। दरअसल वजह वही थी कि वो तो देवास में नलों की बोरिंग का काम धंधा जमाये हुये थे और जब तीन दिसंबर 1984 को भोपाल में गैस रिसी तो गैस खायी और गैस पीडितों की दुख तकलीफ उठाने वाले बन गये। एनजीओ क्या होता है वो जानते भी नहीं थे ना ही समाज सेवा के लिये उन्होंने सोशल साइंस का कोई कोर्स किया था बस जो तकलीफ में दिखा उसकी आवाज उठायी और खासकर उन महिलाओं की जिनकी आवाज उनके घरों में ही नहीं सुनी जा रही थी उन औरतों के लिये       भोपाल गैस पीडित महिला उदयोग संगठन बनाया और बदनसीब औरतों को उनके पैरों पर खडा किया और बाकी पीडितों को उनका हक दिलवाया। गैस कांड का फैसला तो हत्यारी यूनियन कार्बाइड ने अपने पक्ष में तभी करवा लिया था जब कोर्ट के बाहर मुआवजा बंटवारे का समझौता सरकार और कंपनी के बीच हो गया मगर जब्बार अडे थे कि हजारों लोगो की मौत का जिम्मेदार कौन है साबित होना चाहिये और फिर बाद में कार्बाइड से जुडे लोगों पर चला आपराधिक मुकदमा जब्बार भाई की लंबी कानूनी लडाई की जीत था। गैस पीडितों के बीच भोपाल में सक्रिय अन्य संगठन दिसंबर की दो तीन तारीख को ही सालाना जलसा मनाते थे तो जब्बार इस सबसे जुदा पूरे साल पीडितों के पक्ष में कोर्ट और सरकार से जूझते रहते थे। अर्जुन सिहं से दिग्विजय सिंह और  कमलनाथ तक प्रदेश के आठ मुख्यमंत्री बदले मगर नहीं बदले तो अब्दुल जब्बार के तेवर। हां जिन गैस पीडितों के लिये उन्होंने रात दिन एक किया वो जरूर इतने सालों में पाले बदलते रहे कभी इस संगठन तो कभी उस संगठन मगर जब्बार ने कभी उनका सबका जिक्र करने पर भी गुस्सा नहीं दिखाया। यही उनकी ताकत थी कि अपने सीमित क्षमताओं के बाद भी जो संघर्प किया उसका नतीजा झेला उनकी सेहत ने। जब्बार पहचान थे भोपाल के हजारों गैस पीडितों की आवाज की मगर वो पहचान हम भोपाली सहेज ना सके जब वो बीमार पडे तो ये अस्पताल वो अस्पताल होते रहे और नतीजा ये हुआ कि जब उनके दोस्तों और शासन की नजर गयी तब तक वो भोपाल से रूखसत होने की तैयारी में आ गये। जब्बार भाई की ये जहां छोडने की उमर नहीं थी मगर वो जहां भी होंगे अपनी मीठी आवाज और तीखे तेवरों वाले अंदाज में गैस पीडितों के लिये संघर्प  करते दिखेंगे। अलविदा जब्बार भाई हम भोपाल के वाशिंदे शर्मिदा हैं जो आपको सहेज ना सके।
ब्रजेश राजपूत,एबीपी न्यूज,भोपाल
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सागर जिले के भाजपा के 34 मंडलों के अध्यक्ष निर्वाचित हुए । जिला निर्वाचन अधिकारी अरविंद भदौरिया ने सूची जारी की।

सागर जिले के भाजपा के 34 मंडलों के अध्यक्ष निर्वाचित हुए । जिला निर्वाचन अधिकारी अरविंद भदौरिया ने सूची जारी की।
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