भूरिया की जीत और कांग्रेस का लौटता आत्मविश्वास
ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट
बृहस्पतिवार की दोपहर ग्यारह बजे मध्यप्रदेश विधानसभा के विधानसपरिपद सभागार में जब कांतिलाल भूरिया को विधानसभाध्यक्ष नर्मदाप्रसाद प्रजापति विधायक पद की शपथ दिला रहे थे तो माहौल उर्जा से भरा हुआ था। इस मौके पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को छोड मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ, सहित कांग्रेस के तकरीबन सारे बडे नेता मौजूद थे। सिंधिया ने भूरिया के प्रचार से लेकर शपथ तक क्यों दूरी बनायी रखी हुयी थी इस पर लोग कयास ही लगा रहे थे। झाबुआ उपचुनाव में भूरिया की इस जीत की कांग्रेस को लंबे समय से तलाश थी। कांग्रेस के सारे नेताओं के चेहरे खिले हुये थे। विधानसभाध्यक्ष के कमरे मंे हो रहे हंसी ठहाकों से सरकार की सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता था। चाहे दिग्विजय सिंह हो विवेक तन्खा या फिर सुरेश पचौरी सभी की खुशी छिपाये नहीं छिप रही थी। सभी एक दूसरे को इस जीत की बधाई और श्रेय तो दे ही रहे थे और इस बात पर हंस रहे थे कि हमारे भूरिया जी को आजकल क्या हो गया है वो अब उपचुनाव में ही जीतकर सांसद और विधायक बनते हैं। भूरिया पांच बार के सांसद और पांच बार के विधायक हो गये हैं मगर वो पिछले दो चुनाव उपचुनाव में ही जीते। हैरानी भूरिया की जीत पर नहीं हंा जीत के अंतर पर सभी नेता जता रहे थे। तकरीबन सत्ताईस हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से कंाग्रेस की परंपरागत सीट को फिर से जीतने पर कांग्रेस खुशी से छलक रहे थे। उधर विधानसभा से दूर बीजेपी के दफतर में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह हम पत्रकारों को हताश स्वर में इस हार का गुणा भाग समझा रहे थे। उनका कहना था कि आदिवासी बहुल विधानसभा सीट झाबुआ बीजेपी अब तक दो दफा जीती है मगर तभी जब कांग्रेस का मजबूत बागी प्रत्याशी मैदान में उतरा हो और तीस हजार से ज्यादा वोट बटोरे हों ऐसा पहली बार 2013 में हुआ जब कांतिलाल भूरिया की भतीजी कलावती भूरिया कांग्रेस के उम्मीदवार जेवियर मेढा के खिलाफ बागी होकर लडी थी और दूसरी बार 2018 में जब जेवियर मीढा कांग्रेस से अलग होकर मैदान मे उतरे और तीस हजार से ज्यादा वोट बटोर कर कांग्रेस की हार तय कर दी। इस चुनाव में बीजेपी किसी कांग्रेस के बागी को नहीं साध पायी हां कांग्रेस ने जरूर बीजेपी के खिलाफ उनके बागी को मैदान में उतार कर माहौल बिगाड दिया और जीत की इबारत लिख दी।
विधानसभा में भूरिया की शपथ के साथ ही कांग्रेस पार्टी बहुमत के 116 के आंकडे के पास अपनी पार्टी के 115 विधायकों की संख्या के साथ पहुंच गयी हो मगर इस जीत ने सदन में कांग्रेस को मजबूती दे दी वरना झाबुआ चुनाव में ही बीजेपी के प्रचारक नेता सभाओं में झाबुआ जीतने के साथ ही कांग्रेस की सरकार गिराने के दावे कर रहे थे। ये नेता झाबुआ की सभाओं में कहते थे कि ये उपचुनाव जीतते ही पूर्व सीएम शिवराज फिर मुख्यमंत्री बनेंगे मगर इंदौर आते ही वो अपने बयान से पलट जाते थे और कहते थे कि ये तो प्रचार था पार्टी की ये अधिकृत लाइन ये नहीं है। मगर पार्टी की अधिकृत लाइन क्या है इस पर बीजेपी के कार्यकर्ता भ्रमित हैं। एक तरफ शिवराज सिंह कहते हैं कि वो कमलनाथ सरकार को नहीं गिरायेंगे ये तो अपने ही वजन से गिरेगी तो दूसरी और गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा इस सरकार की अल्प आयु की भविप्यवाणी करते रहेत है। उधर समीकरण कुछ ऐसे बन रहे हैं कि शिवराज सिंह की सक्रियता के चलते बीजेपी आलाकमान मध्यप्रदेश में दखल नहीं दे रहा क्योंकि सत्तापलट होने पर शिवराज स्वाभाविक दावेदार अब तक बने हुये हैं अपनी सक्रियता और समझ से वो मैदान खाली नहीं छोड रहे और दूसरी तरफ बीजेपी में वो नेता जो सरकार गिराकर सीएम बनने के सपने बुन रहे हैं उनके साथ पार्टी बदल कर आने वाले विधायक बेफ्रिक नहीं हैं। उनको फिर चुनाव जीतने के लिये शिवराज का चेहरा चाहिये होगा किसी और नये बने नेता का नहीं उधर हाल के उपचुनाव के नतीजों ने भी दलबलुओं को डरा दिया है। उपचुनाव के पहले कांग्रेस छोडकर बीजेपी में गये गुजरात के कल्पेश ठाकोर और धमन सिंह झाला अपनी सीट गंवा बैठे तो महाराष्ट्र के सतारा में शिवाज महाराज के वंशज उदयन राजे जो एनसीपी छोड बीजेपी में गये थे उनको भी जनता ने सबक सिखाकर ये सीट फिर एनसीपी की झोली में डाल दी। उपचुनाव के इन नतीजों का इशारा साफ है कि दलबदल हर बार फायदा नहीं देता अच्छी खासे पांच साल के लिये बने विधायक और सांसद मध्यावधि चुनाव में पैदल हो जाते हैं। इसलिये झाबुआ की जीत ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को मजबूती दी है और बीजेपी के नेता ही अंदरखाने की बैठक में मान रहे हैं कि फिलहाल कमलनाथ सरकार की सेहत को अब लंबे समय तक खतरा नहीं है। बीजेपी आलाकमान कश्मीर और अयोध्या से ही फुर्सत नहीं पा रहा ऐसे में मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाने की फाइल ठंडे बस्ते में पडी हुयी है और ये कांग्रेस और कमलनाथ के लिये तो अच्छी खबर है ही।
( छपते छपते - बीजेपी के पवई विधायक प्रहलाद लोधी का चुनाव कोर्ट की सजा के बाद शून्य घोषित कर दिया गया है..यानिकी पवई में उपचुनाव होगा और कांग्रेस को बहुमत का आंकडा छूने का मौका ..)
ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज़ भोपाल