राजगढ़ की 2485 शाला त्यागी बेटियों के बादल पर पांव,10वीं और 12वीं की परीक्षा देंगी बेटियां
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुई दुनियां की यह अनूठीपहल
भोपाल ।"बादल पर पांव है, भोपाल संभाग के राजगढ़ जिले में शाला त्यागी 2485 बेटियों और कामकाजी महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए जिला प्रशासन द्वारा की गई शानदार पहल को यूनाइटेड किंग्डम ने वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड में स्थान दिया है । इस रिकार्ड का सर्टिफिकेट कलेक्टर को प्राप्त हुआ ।
जिला प्रशासन के तमाम विभागों के समन्वय से शाला त्यागी बेटियों को पुन: शिक्षा से जोड़कर उनके पंखों को उड़ान देने के लिए अभियान को नाम दिया गया है "बादल पर पांव है" अभियान में समाज के सभी वर्गों ने भी भागीदारी की और शाला त्यागी बेटियों को फिर से शिक्षा से जोड़ने के लिए उनके अभिभावकों के साथ ही ससुराल वालों से संपर्क कर सुखद वातावरण तैयार किया गया । ऐसी 2485 बेटियों के पंजीयन के बाद कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के लिए उनकी तैयारी प्रारंभ की गई ।
सोमवार को जिला प्रशासन ने उनकी तैयारी के लिए मिड टर्म परीक्षा और संवाद कार्यक्रम स्थानीय स्टेडियम मैदान पर आयोजित किया । इस मौके पर आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती जयश्री कियावत भी राजगढ़ पहुंची और उन्होंने इस अभूतपूर्व पहल की सराहना की । उन्होंने बेटियों से संवाद कर परीक्षा की तैयारियों के टिप्स भी दिए । उन्होंने कहा कि आज का माहौल और बेटियों का उत्साह उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता । मिड टर्म समाप्त होने के बाद आज यूनाइटेड किंग्डम ने इस पहल को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड मानते हुए प्रमाण पत्र जारी किया है ।
30 साल बाद पढ़ने की रेखा की तमन्ना पूरी होगी
बादल पर पाँव योजना में महिलायें भी अपनी आगे पढ़ने की तमन्ना पूरी कर रही है ऐसा ही एक मामला सामने आया जब 30 वर्ष पूर्व पढ़ने की इच्छा जीरापुर निवासी रेखा मोहनसिंह की पूरी नही हो सकी। अब वे पहले 10 वीं और फिर 12वीं की पढ़ाई पूरी करेगी।
टेस्ट परीक्षा देने आई रेखा ने बताया कि उनका लडका आकाश 23 साल का है लडकी आकांक्षा 19 वर्ष की होकर पढ़ाई कर रही है जब वह बच्चों से अपने खुद के पढ़ने की बात करती तो बच्चे उस पर ध्यान न देते और अपनी पढ़ाई में व्यस्तता की बात करते हुए इधर-उधर निकल जाते।
जब बादल पर पॉव योजना आई तो उन्होंने इसमे फार्म भरा और पढ़ाई शुरू की । रेखा का कहना है कि अब वह आगे की पढ़ाई भी जारी रखेगी । हो सकता है कि मैं बच्चों को भी पीछे छोड दूं । म.प्र. सरकार को वह धन्यवाद देते नही थकती ।
खुद पढ़कर बच्चों को पढ़ायेगी – कौशल्या
जिले के पढ़ाना निवासी कौशल्या की 8 साल पहले शादी हुई तो उनकी पढ़ाई छूट गई। उनका सपना था बच्चों को अच्छा पढ़ा लिखाकर बढा अफसर बनाने का किन्तु वह स्वयं इतनी पढ़ी न थी कि वह अपने बच्चों को पढ़ा सके। अब वह इसी उम्मीद को लेकर हायरसेकेण्ड्री स्कूल पढ़ाना में 10वीं की परीक्षा दे रही है कि वे 10 साल बाद अपना सपना पूरा कर सकेंगी ।
शबीना को मिला 10 साल बाद पढ़ने का मौका
9वीं क्लास में 10 साल पूर्व सप्लमेंट्री क्या आयी कि नरसिंहगढ़ निवासी शबीना का दिल ही बैठ गया उन्हें लगता था कि अब वह आगे की पढ़ाई पूरी नही कर पायेगी। जब बादल पर पाँव है योजना शुरू हुई तो उनकी आगे तालीम हासिल करने की हसरत जाग गई। उन्होंने योजना के तहत फार्म भर दिया अब वह मेहनत से पढ़ रही है। और आगे भी पढ़ने का इरादा है ।
पांच साल बाद पुनः पढ़ना शुरू किया भूरी वर्मा ने
बरखेड़ी की सुश्री भूरी वर्मा कहती हैं कि अब 5 साल बाद उनकी पढ़ाई का सपना पूरा हो पाए । 10वीं परीक्षा में बादल पर पाँव योजना के तहत पढ़ाई कर रही बरखेडी निवासी भूरी वर्मा ने बताया कि वर्ष 2013 में वह 10वीं परीक्षा फेल हो गई थी जब उन्हें इस प्रोजेक्ट का पता चला तो उनके मन में आगे पढ़ने की इच्छा जाग गई अब वह पढ़ाई पूरी करके ही दम लेगी
लड़का तो नही पढ़ सका अब बहु को पढ़ा रहे ससुर
बादल पर पैर हैं अभियान में युवतियों को पढने और आगे बढने की प्रेरणा मिल रही है ग्राम मुकुन्दपुरा निवासी सुगन ने अभियान के तहत पढने की बात कही तो उनके ससुर देवीलाल सहर्ष तैयार हो गए । जब सुगन राजगढ़ टेस्ट पेपर देने आई तो देवीलाल ने पूरी मदद की और उन्होंने अपने पोते को सम्हाला। वह बताते है कि हमारा लड़का मदनलाल की पढ़ाई में रह गई कसर अब हम बहू को पढ़ाकर पूरी करेंगे ।