"भाषा विमर्श"।चर्चित अँग्रेजी लेखक हिमांशु राय के दो उपन्यासों पर चर्चा
सागर। श्यामलम् संस्था ने अपने नये कार्यक्रम "भाषा विमर्श" की शुरुआत की। आदर्श संगीत महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सागर के युवा चर्चित अँग्रेजी लेखक हिमांशु राय के दो उपन्यासों पर चर्चा से की गई।
इस अवसर पर कवि व लेखक डा.मनीष झा ने उपन्यास 'आई एम आलवेज़ हिअर विथ यू' पुस्तक की समीक्षा करते हुए पुस्तक का सार श्रोताओं को बताया तथा कहा कि यह पुस्तक एक प्रेम कहानी होते हुए भी प्रेम के एक अन्य पक्ष पिता और पुत्र के प्रेम को गहराई से उकेरती है। साथ ही जीवन के बाद के जीवन का विमर्श भी इस पुस्तक की खासियत है।
डा. हरीसिंह गौर वि.वि.सागर में भाषा संकाय की डीन प्रो.निवेदिता मैत्रा ने पुस्तक "माई म्यूट गर्ल फ्रेंड" पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे उपन्यास रचे जाने चाहिए जिनमें प्रेम के इस निर्मल स्वरूप को वर्णित किया गया हो तथा मानसिक रूप से स्वस्थ तथा नैतिक रूप से श्रेष्ठ हो। उन्होंने भारत में अंग्रेजी उपन्यासों के इतिहास पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित पुस्तकों के लेखक हिमांशु राय ने सागर में बिताए दिनों को सप्रेम याद किया। उन्होंने कहा कि उनका उपन्यास 'माय म्यूट गर्ल फ्रेंड' एक आत्मकथ्यात्मक उपन्यास है, तथा सागर की पृष्ठभूमि में घटित वास्तविक घटना पर आधारित है। उन्होंने अपने आगामी उपन्यासों के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि हिमांशु के 4 उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें से सर्वाधिक चर्चित उपन्यास माई म्यूट गर्लफ्रैंड का हिन्दी अनुवाद भी "प्यार तो होना ही था" नाम से प्रकाशित हो चुका है।
कला समीक्षक तथा ललित कला मंडल सागर के अध्यक्ष मुन्ना शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रेम संसार की दिव्यतम अनुभूति है, जिसे त्याग की वृत्ति से ही पाया जा सकता है। इसमें लक्ष्य भी प्रेम है और प्राप्ति भी प्रेम है। इस अनुभूति को उपन्यासकार हिमांशु राय ने अद्वितीय अभिव्यक्ति देकर एक अप्रतिम उपन्यास रचा है।
कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती व लेखक हिमांशु राय के माता-पिता स्व.प्रफुल्ल राय तथा स्व.मीरा राय के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।गायक शिवरतन यादव ने सरस्वती वंदना की।श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने स्वागत उद्बोधन व कार्यक्रम परिचय दिया।डा.अलका सिद्धार्थ शुक्ला ने प्रभावी संचालन किया।आभार श्यामलम् के कार्यकारिणी सदस्य रमाकांत मिश्र ने माना।
लेखक से विमर्श में डा.जीवनलाल जैन, डा.चंचला दवे, प्रो.उदय जैन,डॉ.शरद सिंह, डा.अरविंद गोस्वामी,आशीष ज्योतिषी,डा. श्याममनोहर सीरोठिया, डा.आशुतोष गोस्वामी, टी.आर.त्रिपाठी ने भी अपनी बात रखी जिनका लेखक हिमांशु राय ने समुचित समाधान किया।
इस अवसर पर शुकदेव प्रसाद तिवारी, के.के. सिलाकारी, डा.दिनेश अत्रि,डा.आशुतोष मिश्र, डा.आशीष द्विवेदी,डा.अभिषेक ऋषि, पी.आर. मलैया,डा.ऋषभ भारद्वाज,वीरेंद्र प्रधान, डा. रामरतन पाण्डेय,प्रदीप पाण्डेय, डा.कविता शुक्ला,सोना राय, सरोज तिवारी, दीपा भट्ट, वन्दना खरे, अर्चना श्रीवास्तव,हरी शुक्ला,कुंदन पाराशर, कपिल बैसाखिया, आर.के. तिवारी, गोवर्धन पटैरिया,डा.जी.आर. साक्षी,हरीसिंह ठाकुर, डा.विनोद तिवारी,मुकेश निराला, अशोक गोपीचंद रायकवार, रमेश दुबे, एम. शरीफ, दामोदर अग्निहोत्री,डा.दिनेश साहू, मितेन्द्रसिंह सेंगर,नवनीत धगट,अमित आठिया,दामोदर चतुर्वेदी, सिद्धार्थ शुक्ला, आर.के.चतुर्वेदी, मुकेश तिवारी,भगवान दास रायकवार, पुष्पदंत हितकर,राधाकृष्ण व्यास,अमीस साक्षी सहित बड़ी संख्या में बौद्धिक वर्ग की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।