जी हाँ, यथासमय मिले तो अवार्ड और उसे पानेवाले धन्य होते हैं


जी हाँ, यथासमय मिले तो अवार्ड और उसे पानेवाले धन्य होते हैं
सिने विमर्श/ विनोद नागर
       इस हफ्ते भले ही कोई समीक्षा योग्य फिल्म रिलीज़ नहीं हुई, लेकिन मंगलवार की सांध्य बेला बॉलीवुड से जुड़ी साल की सबसे बड़ी खुश खबरी लेकर आई. केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शाम सात बजकर ग्यारह मिनट पर ज्योंही अपने ट्विटर अकाउंट पर अमिताभ बच्चन को सर्व सम्मति से वर्ष 2018 के दादा साहब फाल्के अवार्ड के लिये चुने जाने की सूचना दी तो देश भर में ख़ुशी की लहर दौड़ गई. देखते ही देखते बधाइयों का तांता लग गया. जी हाँ, यथासमय मिले तो अवार्ड और उसे पानेवाले दोनों धन्य होते हैं. हालाँकि अपनी फौरी प्रतिक्रिया में लताजी ने भी हौले से कह ही दिया कि अमिताभ बच्चन को यह पुरस्कार काफी पहले मिल जाना चाहिए था.   
अमिताभ 50 वे फिल्मी कलाकार,जिन्हें शिखर अलंकरण मिला
      बहरहाल भारतीय सिनेमा के विकास में असाधारण योगदान के लिये चिन्हित इस शिखर अलंकरण से विभूषित होने वाले अमिताभ पचासवें शख्स होंगे. प्रकारांतर से यह भारतीय सिनेमा को समृद्ध बनाने में विशिष्ट योगदान की खातिर दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड ही है जिसे गरिमामय समारोह में भारत के राष्ट्रपति अपने करकमलों से प्रदान करते हैं. ज्ञातव्य है पुरस्कार के रूप में दस लाख रुपये और स्वर्ण कमल भेंट किया जाता है. हालाँकि लोकसभा चुनाव की वजह से इस वर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा काफी विलम्ब से हुई है. इस बीच मध्यप्रदेश सरकार ने भी किशोर कुमार के नाम पर वर्ष 2017 और 2018 में दिये जाने वाले राष्ट्रीय सम्मान की विलंबित घोषणा अब जाकर की है जो क्रमशः वयोवृद्ध अभिनेत्री वहीदा रहमान (81) और चेन्नई निवासी अहिन्दीभाषी फिल्म निर्देशक प्रियदर्शन को मिलेगा.  
       चयन में पारदर्शिता का ढिंढोरा पीटे जाने के बावजूद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों पर जनसाधारण में  लोकप्रियता को दरकिनार कर कलात्मक बौद्धिकता हावी रहने के आरोप लगते रहे हैं. रेल की पटरियों की तरह सिनेमा को सामानांतर फिल्मों और बम्बइया फिल्मों में बाँटने की कोशिश भी हुईं. भारत की गरीबी और अभावग्रस्त जीवन को दर्शाती नई लहर की फिल्मों को विश्वस्तरीय सिनेमा मानने वाले बुद्धिजीवियों की बिरादरी, जो 'जंजीर' से लेकर 'अग्निपथ' के बीच आई अमिताभ की दर्जनों कामयाब मनोरंजक फिल्मों को चलताऊ फ़िल्में कहकर खारिज करती रहीं आज बौखलाई हुई है. दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिये चुने जाने की बेला में बिग बी और सदी के महानायक की आन, बान और शान में सोशल मीडिया पर पढ़े जा रहे कसीदों के सैलाब से वह भौंचक हैं.  
गुजिश्ता दौर में हिन्दी सिनेमा का नेतृत्व करनेवाले सक्षम और समर्थ लोगों की बिरादरी ने इसीलिये वर्षों तक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों और राष्ट्रीय फिल्म समारोहों से दूरी बनाए रखी. फ़िल्मी दुनिया में फिल्म फेयर पुरस्कारों का बोलबाला यूँ ही कायम नहीं रहा. इधर टेलीविजन की नई अवतरित दुनिया में ग्लैमर का तड़का लगते ही फिल्म फेयर सरीखे अनेक फिल्म अवार्ड देने का सिलसिला शुरू हुआ. कमोबेश सभी अवार्ड प्रदाताओं पर पक्षपात के आरोप लगते रहे और विश्वसनीयता पर उंगलियाँ उठती रहीं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय के नौकरशाहीभरे रवैये के चलते राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के नामांकन और चयन की प्रक्रिया तो आज भी सरकारी कायदे कानून की तरह जटिल बनी हुई है, जिसका सरलीकरण किया जाना चाहिए.
समय पर मिले संम्मान तो उसकीअनुभूति अलग
यदि लोकतंत्र में लोक रूचि और जन भावनाओं की कद्र न हो तो तंत्र किस काम का. सालों तक मुख्य धारा के हिंदी सिनेमा अर्थात आम फार्मूला फिल्मों को हेय दृष्टि से देखे जाने के इस तथाकथित बुद्धिजीवी नज़रिए ने ही आज तक मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, मुकेश और महेंद्र कपूर जैसे महान पार्श्व गायकों; सचिन देव बर्मन, राहुलदेव बर्मन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, कल्याणजी आनंदजी, शंकर जयकिशन, रोशन, रवि और रविन्द्र जैन सरीखे गुणी संगीतकारों; भरत व्यास, साहिर लुधियानवी, हसरत जयपुरी, शकील बदायूंनी, राजेंद्र कृष्ण, शैलेन्द्र, इंदीवर, अनजान और आनंद बक्षी जैसे दिलकश नगमा निगारों को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से वंचित रखा है. बीते 50 सालों में गीत संगीत और पार्श्व गायन के क्षेत्र से पंकज मलिक (1972), रायचंद बोराल (1978), नौशाद (1981), लता मंगेशकर (1989), भूपेन हजारिका (1992), मजरूह सुल्तानपुरी (1993), कवि प्रदीप (1997), आशा भोंसले (2000), मन्ना डे (2007) और गुलज़ार (2013) ही इसके हकदार बने. 
देविका रानी और अशोक कुमार ने 1936 में बॉम्बे टॉकीज से अपने कैरियर की शुरुआत एक साथ की थी. लेकिन 1969 में स्थापित दादा साहब फाल्के पुरस्कार सबसे पहले भारतीय सिनेमा की प्रथम महिला के बतौर  देविका रानी को मिला जबकि अशोक कुमार का नंबर उन्नीस साल बाद 1988 में आया. समकालीन सितारों की तिकड़ी में उम्र के लिहाज़ से दिलीप कुमार देव आनंद से एक वर्ष बड़े और राज कपूर देव आनंद से एक बरस छोटे थे. अदाकारी और लोकप्रियता में कोई किसी से कम न था पर दादा साहब फाल्के पुरस्कार पहले राज कपूर को, फिर दिलीप कुमार को और आखीर में देव आनंद को मिला. अगर देश की स्वतंत्रता के रजत जयंती वर्ष (1972) में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के धनी इन तीनो महानुभावों को एक साथ फाल्के अवार्ड प्रदान कर दिया जाता तो यह हिंदी फिल्मो के इतिहास की विलक्षण घटना होती. यही दलील दिवंगत मोहम्मद रफ़ी, मुकेश और किशोर कुमार की त्रयी को याद करते हुए दी जा सकती है, जिन्हें मरणोपरांत भी आज तक इस पुरस्कार के लायक नहीं समझा गया.
बड़ा देश, बड़ा वॉलीवुड पर सम्मान पाने वाले कम
दुनिया में सर्वाधिक फिल्मे बनाने वाला देश सिनेमा की शताब्दी मना चुका है लेकिन अब भी रुपहले परदे की चमक बढ़ाने वाली ऐसी अनेक हस्तियों के नाम ऊँगलियों पर गिनाये जा सकते हैं जिन्हें यह पुरस्कार जीते जी प्रदान करने से सरकार या मंत्रालय विशेष का मान नहीं घटता बल्कि अवार्ड की विश्वसनीयता ही बढ़ती. इनमे सबसे पहला नाम है राजेश खन्ना का जिन्हें सुपर स्टार का दर्जा फिल्मों की बेशुमार कामयाबी और करोड़ों प्रशंसकों के दिलों में घर कर जाने पर मिला था, मीडिया के उतावलेपन से नहीं. मगर जिसकी हर अदा पर ज़माना रहा फ़िदा उस हरदिल अजीज सितारे को जीते जी प्राण से भी गया गुजरा समझा गया. देशभक्ति के जज्बे से सराबोर भारत यानि मनोज कुमार के उपकार का ख्याल भी भारत सरकार को प्राण के महाप्रयाण के बाद ही याद आया.
अब भी वक़्त है फिल्म पुरस्कारों के चयन प्रक्रिया की खामियों को दुरुस्त करने का. काश कि धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र, शत्रुघ्न सिन्हा, डैनी डेन्जोंगपा, नसीरुद्दीन शाह, नाना पाटेकर, अनुपम खेर और अक्षय कुमार जैसे समर्थ कलाकारों, हेमा मालिनी, रेखा, माधुरी दीक्षित, जूही चावला, सुभाष घई, डेविड धवन, महेश भट्ट, संजय लीला भंसाली और राजकुमार हिरानी जैसे निर्देशकों, सोनू निगम, अलका याग्निक, उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति जैसे पार्श्व गायकों तथा गीतकार समीर और संगीतकार एआर रहमान को कभी यह सर्वोच्च अलंकरण अस्पताल में या व्हील चेयर पर बैठकर लेने का अवसर न आये.  
                                   
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वो वसुंधरा राजे जिनको हम जानते ना थे,,

वो वसुंधरा राजे जिनको हम जानते ना थे,,,,

सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट /ब्रजेश राजपूत

वैसे तो सुबह हम निकले थे सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह के घर की ओर मगर चौहत्तर बंगले के पास पहुंचते ही फालो गार्ड के साथ गाडियों का काफिला निकला। सोचा कौन हो सकता है तभी याद आया कि ये हो ना हो राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुधरा राजे सिंधिया होंगी जो बीजेपी के नेता कैलाश सारंग के घर जा रहीं हैं। बस फिर क्या था अपनी गाडी घुमायी और सारंग जी के घर पर पहुंचे। बाहर मीडिया के साथी इंतजार कर रहे थे वसुंधरा जी के बाहर आने का जो भोपाल आयीं हुयीं थी पार्टी की ओर से धारा 370 पर प्रबुदृध लोगों से मिलने। मेरे अंदर जाते ही दिख गये विश्वास सारंग जो कैलाश सारंग के बेटे और भोपाल के नरेला से विधायक हैं। उन्होंने मेरा हाथ पकडा और अंदर बैठा दिया उस डाइग रूम में जहां सामने के सोफे पर ग्रे और पिंक शिफान साडी पहने राजस्थान की दो बार की सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया बेहद घरेलू तरीके से बैठीं हुयीं थीं। उनके बायीं तरफ बैठे थे कैलाश सारंग जी और सामने बैठा था पूरा सारंग परिवार। जिनसे वसुंधरा एक एक कर परिचय ले रहीं थीं। वो विश्वास के बडे भाई विवेक के दोनों बेटों से मिलकर पूछ रहीं थीं कि पढाई के बाद क्या करने का सोचा है तो थोडी देर बाद विश्वास के परिवार के बच्चों को उनके दादा जी के बारे में बता रहीं थीं। 
            दरअसल वसुंधरा राजे की मां विजयाराजे सिंधिया और कैलाश सारंग जी जनसंघ के जमाने से साथ थे। वसुंधरा कह रहीं थीं कि जब हमारी मां प्रचार के लिये निकलती थीं तो हम सब उनके साथ उस शहर के सर्किट हाउस या होटल के बजाय किसी कार्यकर्ता के घर पर ही रूकते थे। रात में सभाएं खत्म कर ग्यारह बजे जब झिझकते हुये किसी के घर पहुंचते थे तो उस घर की बहुंए जागती हुयीं मिलती थीं। हमको बुरा लगता था कि अम्मा महाराज इतनी रात में किसी के घर परेशान करने क्यों जाते हैं मगर वो हमें प्यार से झिडकती और कहती अरे किसी दूसरे के घर नहीं अपने परिवार में ही तो जा रहे हैं। फिर उस घर में पहुंचने के बाद उतनी रात को ही सबका साथ में खाना होता था और होती थीं ढेर सारी बातें इस घर में कितनी बहुएं और कितने बच्चे हैं बहुएं कहां की हैं उनको क्या पसंद है वगैरह वगैरह। मगर अब ये सब वीआईपी कल्चर और खासकर हैलीकाप्टर आने के बाद खत्म हो गया है। अब प्रचार के लिये हम सुबह नौ बजे जयपुर से उडते हैं तो दोपहर की चार या पांच सभाएं कर पांच बजे तक हैलीकाप्टर से उडकर वापस आ जाते हैं। हैलीकाप्टर शाम के बाद उडता नहीं इसलिये उस मारामारी में किसी परिचित कार्यकर्ता के घर जा नहीं पाते और वो कार्यकर्ता भी उतनी सहुलियत से मिल नहीं पाता। इससे ये नेताओं के परिवार के बीच की बाउंडिंग खत्म हो गयी है मगर अब जब मुुझे भोपाल आने को मिला तो मैं उन जगह जरूर जा रहीं हूं जहां अपनी मां के साथ पुराने दिनों में जाती थीं। 
इन बातो के बीच मे ही सारंग परिवार के किसी सदस्य ने उनको मोबाइल पर उनकी पुरानी फोटो दिखा दी जिसमें वो विजयाराजे सिंधिया और सारंग जी के बीच खडी नजर आ रहीं थीं। बस फिर क्या था वसुंधरा बच्चों जैसे ऐसे प्रसन्न हो गयीं जैसे कोई बहुत पुरानी चीज मिल गयी हो। अरे देखो देखो मैं उन दिनों कैसे लगती थीं। फिर सारंगजी की तरफ मुखातिब होकर कहा आपसे मिलकर जनसंघ के दिनों के संघर्ष याद आने लगते हैं। फिर परिवार के सदस्यों की तरफ देख कहा उन दिनों हम अपनी मां और उनके साथ रहने वाले इन सब पर हंसते भी थे ऐसी राजनीति क्यों कर रहे हैं ये सब, क्या हासिल होगा इससे मगर मालुम नहीं चला कब हम भी वही करने लगे जो ये सब कर रहे थे आज देखो जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी और हमारी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार। इस बीच में वसुंधरा को नाश्ते के लिये हलवा और गुलाब जामुन लाया गया। देखते ही वो नो स्वीट नो स्वीट करने लगीं तो उनकी मनुहार करने विश्वास की पत्नी आगे आयीं और कहा खाइये ना तो वसुंधरा ने उलटकर जबाव दिया तुम खाती नहीं ओर मुझे खिला रहीं हो अच्छा चलो तुम एक खाओ तो मैं दो खाउंगी मगर मुझे मालुम है ऐसा नही होगा मगर तुम्हारा दिल रखने चलो हलवा टेस्ट करते हैं।                    
मैंने कहा आप बहुत दिनों के बाद भोपाल आयीं हैं तो वो अरे दिनों नहीं सालों अब मैंने भोपाल और ग्वालियर आना छोड दिया। क्यों। हंसकर कहा अरे यहां पहले ही सिंधिया कम हैं क्या। मैंने फिर छेडा यदि आप 1984 में भिंड का संसदीय चुनाव जीत जातीं तो एमपी से ही राजनीति करतीं ओर आज आप मध्यप्रदेश बीजेपी की बडी नेता होती। अरे नहीं वो चुनाव तो हमको हारना ही था। मेरी मां वहां से पिछला चुनाव लंबे मार्जिन से जीती थीं फिर वहंा से ज्यादा संपर्क रहा नहीं था इंदिरा जी की हत्या की सहानुभूति भी थी फिर भी अपनी मां की जिद के कारण मुझे वहां से लडना पडा। फिर हंस कर बोलीं राजनीतिक परिवार से होना हर वक्त फायदा नही देता। मगर मेरी मध्यप्रदेश से राजनीति करने की इच्छा कभी नहीं हुयीं। इस बीच में कमरे में और पत्रकार साथी आ गये थे और सभी कुछ ना कुछ पूछने लगे मगर वसुंधरा ने सारे सवालों के जबाव पूरे भरोसे और बिना डरे दिये। वरना आजकल तो नेता ऐसे मौंकों पर भी पहले ही चेता देते हैं देखो जो बोल रहा हूं कुछ छापना नहीं। करीब डेढ घंटे की इस मुलाकात में हमने उस वसुंधरा को देखा जिनको सिंधिया  राजघराने और दस साल तक राजस्थान का सीएम रहने का जरा भी गुमान नहीं था। वो बेहद गर्मजोशी और पारिवारिक तरीके से सब से ऐसे मिल रहीं थीं जैसे परिवार का कोई सदस्य बहुत दिनों के बाद मिलने आया है। सबके साथ फोटो खिंचवा रहीं थी और सारंग परिवार के बच्चों से कह रहीं थी देखो भूलना नहीं हम सब एक परिवार के लोग हैं मिलते रहना।

ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज, भोपाल
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मन्त्री के क्षेत्र में कर्मचारियों की गैरहाजरी, नाराज दिखाई मन्त्री हर्ष यादव ने फसल चौपट,भरपूर मिलेगा मुआवजा


मन्त्री के क्षेत्र में कर्मचारियों की गैरहाजरी, नाराज दिखाई मन्त्री हर्ष यादव ने
फसल चौपट,भरपूर मिलेगा मुआवजा
सागर।  नवकरणीय उर्जा विभाग मंत्री  हर्ष यादव ने अपने विधानसभा क्षेत्र जिले के देवरी तहसील के  अतिवर्षा से प्रभावित फसलों का जायजा लिया। इसके अलावा छात्रावास और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का अचानक निरीक्षण किया। इस दौरान सरकारी कर्मचारी नदारद भी मिले। मन्तरि ने नाराजगी भी जताई।
   फसलों के जायजे केदौरान उन्होंने गांव में सोयाबीन, उडद व मक्का की फसल का जायजा लिया। उन्होंने किसानों से बातचीत करते हुये उन्हें आश्वस्त किया कि अतिवृष्टि के कारण उनकी फसल को हुए नुकसान के लिए पात्रता अनुसार अधिकाधिक राहत दिलाई जायेगी। इस दौरान उन्होंने एसडीएम देवरी व तहसीलदार को निर्देश दिए कि राजस्व व कृषि विभाग का अमला खेतों में जाकर फसलों का सर्वे करें तथा फसलों की क्षति अनुसार किसानों के राहत प्रकरण तैयार किए जाये और यथाशीघ्र किसानों को हर संभव मदद दिलाई जाये।
अनुसूचित जाति कन्या/बालक छात्रावास का औचक निरीक्षण,अधीक्षक मिले गैरहाजिर
देवरी तहसील के सेमराखेडी में स्थित शासकीय अनुसूचित जाति पोस्ट मेट्रिक बालक छात्रावास का मंत्री हर्ष यादव ने औचक निरीक्षण किया। इस अवसर पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसीलदार देवरी भी मौजूद थे।
          निरीक्षण के दौरान उन्होंने महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों की छात्रावास में दर्ज पंजी की जानकारी ली। उन्होंने बालकों को प्रदाय होने वाले खाने व नास्ते की गुणवत्ता देखी। छात्रों ने परिसर में होने वाले नलकूप खनन एवं छात्रावास भवन की मरम्मत के लिए नगरपालिका में जमा राशि से शीघ्र कार्य कराने की बात कहीं। मंत्री श्री यादव के औचक निरीक्षण के दौरान छात्रावास अधीक्षक अनुपस्थित मिले। 
          अनुसूचित जाति प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास का निरीक्षण करने पर  बच्चियों द्वारा छात्रावास में व्याप्त अव्यवस्थाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि छात्रावास परिसर में वर्षा के कारण काई जमी हुई थी ।जिससे छात्राओं चलते समय गिर जाती है। मंत्री श्री यादव द्वारा उक्त परिसर की सफाई के लिए नगरपालिका को निर्देशित किया गया है। तत्पष्चात् उन्होंने पुराना वायपास स्थित शासकीय सीनियर अनुसूचित जाति बालक छात्रावास का भी निरीक्षण किया। मंत्री श्री यादव के औचक निरीक्षण के दौरान छात्रावास अधीक्षक अनुपस्थित पाये गये। औचक निरीक्षण के दौरान उपस्थित अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को छात्रावास में व्याप्त अव्यवस्थाओं को शीघ्र सुधार करने एवं जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारियों पर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दियेे।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गड़बड़िया मन्त्री ने लगाई फटकार
      देवरी तहसील में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का  हर्ष यादव ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व देवरी, तहसीलदार देवरी के साथ औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य केन्द्र के ओपीटी रजिस्ट्रर, टी.बी. मरीज रजिस्ट्रर, दवाई वितरण रजिस्ट्रर, लेब जॉच रजिस्ट्रर, एक्सरे रुम रजिस्ट्रर, सहित बच्चों एवं मरीजों को वितरण होने वाले पूरक पोषण आहार का मेन्यू कार्ड चेक किया। उन्होने स्वास्थ्य केन्द्र की सफाई व्यवस्था सहित विभिन्न अनियमितताओं को लेकर जमकर फटकार लगाई। साथ ही उन्होने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व देवरी को निर्देशित करते हुए कहा कि डयूटी के दौरान अनुपस्थित अधिकारी व कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही करे। स्वास्थ्य केन्द्र में व्याप्त अनियमितताओं के लिए जबावदेह अधिकारी व कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही हो। औचक निरीक्षक के समय खण्ड चिकित्सा अधिकारी मुकेश जैन अनुपस्थित मिले। जिस पर मंत्री श्री यादव ने नाराजगी व्यक्त करते हुए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दियें। मंत्री श्री यादव ने मरीजों का हाल चाल जाना एवं स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा प्रदाय की जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को स्वास्थ्य केन्द्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं को शीघ्र सुधार करने के निर्देश दियें है।
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योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे,इसके लिएआपकी सरकार आपके द्वार :कमिश्नर

योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे,इसके लिएआपकी सरकार आपके द्वार :कमिश्नर

सागर ।शासन की समस्त योजनाओ का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे इसी उददेष्य से शासन ने आपकी सरकार आपके द्वार योजना के द्वारा कार्यक्रम चलाकर लाभांवित करने हेतु प्रयास कर रही है उक्त विचार सागर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत आपचंद में आयोजित आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में कमिष्नर आनंद कुमार शर्मा ने व्यक्त किए। इस अवसर पर कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक, सीईओ जिला पंचायत  सीएस शुक्ला, जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि ंश्री राजीव हजारी, ग्राम सरपंच श्रीमती रष्मि श्रीवास्तव सहित समस्त विभागों के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में जनसमुदाय उपस्थित थे। 

           कमिष्नर श्री शर्मा ने कहा इस षिविर के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को सागर नहीं आना पडे़गा और उनकी सभी समस्याओं का हल इसी षिविर में मौके पर किया जाएगा। उन्हांेने  राजस्व के नामांकन, सीमांकन के विषयों पर चर्चा करते हुये कहा कि  बड़ी जोतों के कारण किसानों को शासकीय कृषक संबंधी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। ।
          कलेक्टर श्रीमती मैथिल ने कहा कि इस षिविर के माध्यम से प्रत्येक आवेदन का निराकरण किया जाएगा और उनकी स्थिति की जानकारी पंचायत स्तर पर पंचायत भवन पर चस्पा की जाएगी। उन्होंने बच्चों की षिक्षा, गुणवत्ता पर चर्चा करते हुये कहा कि बच्चों को अच्छी से अच्छी गणवेष प्रदान कर अभिभावक शाला में भेजें एवं शाला में आयोजित होने वाली पालक षिक्षक संघ की बैठक में उपस्थित रहे।              उन्होंने ग्राम की महिला सरपंच श्रीमती श्रीवास्तव से आग्रह किया कि ग्राम में महिलाओं के साथ-साथ किसी को कोई समस्या नहीं आनी चाहिए यदि आती है तो मुझे एवं संबंधित विभाग प्रमुख को बताएं। उन्होंने आव्हान किया कि जिले में कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे। साथ ही 30 साल से उपर महिला व पुरूष ब्लड प्रेषर, केंसर, हाईपर टेंषन की जांच कराकर नामांकित कराएं।  
फसलों का सर्वे कराकर जल्दी मुआवजा मिलेगा
       कलेक्टर ने कहा कि सर्वे उपरांत फसलों को जो भी नुकसान पहुंचा है, नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा जल्दी ही मुआवजा राशि किसानों को उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रभावित किसान की हर संभव मदद करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाए जायेगें।
इनको मिला योजनाओ का लाभ
षिविर में विभिन्न योजनाओं के तहत 57 हितग्राहियों को 67 लाख 82 हजार रूपये से लाभांवित किया गया। जिसमंे राष्ट्रीय परिवार सहायता के 24 प्रकरणों मंे 4 लाख 80 हजार रूपये की राषि के प्रमाण पत्र वितरित किये गए। संबल योजना नया सवेरा के तहत 4 प्रकरणों में 4-4 लाख और 10 प्रकरणों में 2-2 लाख रूपये के प्रमाण पत्र वितरित किये गए। लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत 14 प्रकरणों में 16 लाख 57 हजार रूपये, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के 2 प्रकरणों में 5-5 लाख रूपये, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के एक प्रकरण में 50 हजार रूपये के प्रमाण पत्र वितरित किये गए। सामाजिक न्याय विभाग द्वारा श्री किषोरी अहिरवार, श्री मलखान चढ़ार एवं श्रीमती हरिबाई लोधी को ट्राय साईकिल प्रदान की गई।
षिविर मंे षिक्षा विभाग का 1, खाद्य नागरिक आपूर्ति के 2, विद्युत विभाग की 2, वन विभाग के 1, महिला बाल विकास के 1 आवेदन पर मौके पर ही निराकरण किया गया। जबकि जनपद पंचायत के 50 में से 40 आवेदनांे का निराकरण किया गया। राजस्व विभाग के 58 प्रकरणों जिला स्तर पर जांच उपरांत हल होंगें।
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नगरीय निकायों के 23 सब इंजीनियरो के तबादले

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एमपी। पुलिस के 37 निरीक्षको/आरआई/ सूबेदारों के तबादला आदेश जारी

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