पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी के मार्गदर्शन में आयोजित योग शिविर का समापन

पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी  के मार्गदर्शन में आयोजित योग शिविर का समापन

सागर ।योग निकेतन योग प्रशिक्षण संस्थान के चार दिवसीय योग शिविर और सत्संग कार्यक्रम का आज समापन हुआ । इस मौके पर  पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी   ने योग जिज्ञासुओ से चर्चा की और उनका समाधान भी किया ।दुनिया में  योग के क्षेत्र  पहले विवि बिहार स्कूल ऑफ योग के स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती ने सागर में योग की विभिन्न अंगों  के बारे में चर्चा की और उनसे होने वाले सुखद बदलाव के सम्बंध में बताया ।
        स्वामी  निरंजनानंद जी सरस्वती ने सुबह के योगाभ्यास के बाद कहा कि महज कुछ आसनों के अभ्यास से लाभ सम्भव नही है । यह क्षणिक है । जब हम योग विधा को पूरी तरह से निरन्तर अपनाएंगे तभी शारीरिक ,मॉनसिक और आधायात्मिक विकास होगा। यही हमारे समाज की उन्नति के लिए जरूरी है ।हमे अपने अंदर तमो गुणों को हटाकर सतोगुण की तरफ जाना होगा। बिहार यंग विधालय की पद्धति इसी धारणा को आगे बढ़ा रही है।  जहां योग साधना  सिखाई जा रही है ।योग साधक तैयार हो रहे है । सागर में योग की गतिविधियो की 
स्वामी जी ने  सराहना करते हुए कहा कि  यह सागर के लिए सौभाग्य है कि योग निकेतन के जरिये योग की ज्योति जल रही है । यहां मेरे गुरु स्वामी सत्यानद जी सरस्वती आये । आने वाले समय मे यह ज्योति और बढ़ी होगी ।उन्होंने सभी के उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद दिया।
              इस मौके पर संस्थान के संचालक योगाचार्य विष्णु आर्य ने इस सफल आयोजन के लिए सभी के प्रति कृतज्ञता जताते हुए कहा कि यह सागर का गौरव है कि स्वामी जी का आशीर्वाद इस कार्यक्रम के माध्यम से मिला ।उन्होंने पुनः पधारने का अनुरोध किया ।
शिविर में पूर्व विधायक सुनील जैन,डॉ अनिल तिवारी, देवी प्रसाद दुबे,डॉ मीना पिम्पलापुरे,डॉ एन आर भार्गव, डॉ सुधीर त्रिवेदी, धीरेंद्र अग्रवाल, रामनारायण यादव,रमेश ठाकुर,सुरेंद्र सुहाने,कपिल मलैया,अनिल नेनधरा, हरगोविन्द विश्व,महेश नेमा,सुशील तिवारी ,मधुकर शर्मा,पापु सोनी,सुबोध आर्य,मगन सराफ,आरती ताम्रकार,प्रमोद आर्य,ज्योति आर्य,संगीता सोनी,अलका सोनी,सरिता सराफ ,ज्योति भार्गव,सरोज सोनी,पुरषोत्तम सोनी ,प्रतीक आर्य,बद्री प्रसाद सोनी,गगन ठाकुर, प्रो गणेश शंकर,मनोहर सोनी, अनिल वारी सहित अनेक लोग इस आयोजन में शामिल हुए।
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हम दृढ संकल्पित है कि सागर को पालीथीन मुक्त करेंगेंः कुलाधिपति

हम दृढ संकल्पित है कि सागर को पालीथीन मुक्त करेंगेंः कुलाधिपति

सागर।स्वच्छता ही सेवा है अभियान एवं महात्मा गांधी की 150वीं  जयंती पर  स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय द्वारा 552 छात्र-छात्राएं एवं 172 शैक्षणिक व अषैक्षणिक कर्मचारियों के साथ पालिथीन मुक्त सागर बनाने के उद्देष्य से रैली का आयोजन किया गया । कुलाधिपति डाॅ. अजय तिवारी , प्रबंध निदेषक डाॅ. अनिल तिवारी के नेतृत्व में एवं आयुक्त नगर निगम श्री आर.के. अहिरवार के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम शुरू किया गया।
         इस अवसर पर सिटी आफिस सिविल लाईन से रैली सिविल लाईन चैराहा तक अपना संदेष देती एवं कपडे़ की थैली वितरित करती पुनः सिटी आफिस आ गई। उत्साहित छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुये डाॅ. अजय तिवारी ने कहा पालिथीन न केवल जन चेतना के लिये नुकसान देह है वरन् पषु पक्षियों के लिये भी हानिकारक है साथ ही हमारी की भूमि की उवर्रक शक्ति भी नष्ट हो रही है पषुआहार बनकर पालिथीन उनकी मृत्यु का कारण बनती है आपने अपने सभी छात्र-छात्राओं से संकल्प के लिये दृढ़ प्रतिज्ञा करवाई उनको ये संदेष दिया कि यदि हमें भावि पीढ़ि को पर्यावरण प्रदूषण से बचाना है तो पालिथीन हटाना है साथ ही स्वच्छता को ही अपना धर्म मानकर सामाजिक जीवन में अपने आस पास स्वच्छता का संदेष दें और समाज के दायित्व पूर्ण नागरिक बने डाॅ. अनिल तिवारी ने कहा कि आज आवष्यकता है कि पालिथीन से समाज को देष को मुक्त कराने की इसके लिये हमारी जागरूकता परम आवष्यक है हम जब घर से बाहर निकलें तो कपडे़ का थैला लेकर निकले जिससे पालिथीन स्वतः समाप्त हो जाए हमारे छोटे छोटे सहयोग सेवा कार्य न केवल अपना अस्तित्व बनायेंगें अपितु हमारे अंदर भी देष के प्रति राष्ट्रीयता का जागरण होगा। इस रैली का संयोजन  आषुतोष शर्मा विभागाध्यक्ष अंग्रेजी के द्वारा किया गया कुलसचिव  केके श्रीवास्तव,  मनीष मिश्र,  मनीष दुबे एवं समस्त विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठातागण के सहयोग से भव्य रैली का आयोजन सम्पूर्ण हुआ। ।
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योग मार्ग द्वारा निश्चित ही पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति एवं विश्व शान्ति संभव - स्वामी निरंजनानंद

 
योग मार्ग द्वारा निश्चित ही पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति एवं विश्व शान्ति संभव - स्वामी निरंजनानंद
योग विभाग के विकास के साथ नए पाठयक्रम प्रारम्भ होेगे-कुलपति
सागर । स्वामी निरंजनानंद सरस्वती  ने आज तीसरे दिन डॉ हरीसिंग गौर विवि के योग विभाग द्वारा हीरक जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि  योग एक विज्ञान सम्मत जीवन शैली है एवं तनाव जनित रोगों के कारण योग का अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रचार प्रसार हुआ है। उन्होने सागर को एक तीर्थ स्थान की संज्ञा दी जहां एक तो डा0हरीसिंह द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय का नाम विश्व में बडे सम्मान से लिया जाता है दूसरे उनके गुरू स्वामी सत्यानन्द जी का सागर में जनकल्याण हेतु बार बार सागर में पधारना है।  आज युवा किसी न किसी मानसिक रोग से ग्रस्त है स्वस्थ एवं सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए योग एक सरलतम विधा है। आज समाज में फैले भयानक रोग- मधुमेह, उच्च एवं निम्न रक्त चाप, अस्थमा एवं सर्वाइकल आदि रोगों पर योग के प्रभाव एवं उनके सरल ,समुचित आहार विहार , व्यायाम पर आधारित उपाय एवं विधियों के बारे में उन्होने विस्तृत चर्चा की।
योग द्वारा पूर्ण स्वास्थ्य एवं विश्व शान्ति संभव
स्वामी जी ने योग के चार आयामों-योगाभ्यास,योगसाधना,योगजीवन शैली, एवं योग स्ंास्कारों की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने योगसाधना के तीन उद्देश्यों- पूर्ण स्वास्थ्य, पूर्ण शांती एवं संयम के महत्व को समझाया तथा उन्होनें सेल्फी से सेल्फ को प्राप्त करने हेतु तीन उपाय बताए- बुद्धि, भावना एवं कमर््ंा में धर्माधारित ज्ञान। योग मार्ग द्वारा निश्चित ही पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति एवं विश्व शान्ति संभव है। 
विश्वविद्यालय स्तर पर विश्व में योग षिक्षा सर्वप्रथम प्रारम्भ सागर में।
स्वामी जी ने डा0हरिसिंह गौर विष्वविद्यालय का योग विभाग के बारे में कहा कि यह विष्व का एक मात्र विष्वविद्यालय है जहां सभी प्रकार के स्तर की योग षिक्षा सर्वप्रथम प्रारम्भ हुई और समय समय पर कार्यषाला, सेमिनार, कान्फ्रेंस एवं विषेष व्याख्यान आदि विभिन्न प्रकार के आयोजनो से नवयुवकों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आती है। भारत में एवं विश्व में सागर विश्वविद्यालय के योगविभाग का नाम बडे सम्मान से लिया जाता है।योग विभाग इस वर्ष हीरक जयन्ती वर्ष मना रहा है इसके लिए मेै कोटि कोटि शुभकानाएं देता हूं और योग को अधिक प्रभावषाली बनाने के प्रयत्नों की सराहना करता हूं। 
समाज कल्याण हेतु नए पाठयक्रम भी शुरू होगे-कुलपति
कुलपतिप्रो आर पी  तिवारी  द्वारा योगविभाग के विकास की सराहना करते हुए कहा कि इस विभाग में निकट भविष्य में तीन और षिक्षक नियुक्त होंगे और अपना एक अलग भवन होगा। यह विभाग दिनों दिन विकास कर रहा है और विभाग के विद्यार्थियों के अनेक कार्यक्रमों के लिए उनकों बधाई दी और आषा करते हुए कि ये वे विद्यार्थी जीवन में अपना तो भविष्य सुधारेगे इसके साथ साथ समाज में भी योग एवं स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करेगें।योगविभाग में विकास के साथ साथ नए पाठयक्रम भी शुरू होगे जो भविष्य में समाज कल्याण हेतु उपयोगी होंगे।
       इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि  योगाचार्य विष्णु आर्य, जबलपुर के योगाचार्य एन आर भार्गव एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल राकेश मोहन जोशी थे। 
योगविभागाध्यक्ष प्रो. गणेश शंकर गिरि ने सभी का स्वागत किया एवं कार्यक्र्रम की विस्तृत जानकारी  देते हुए बताया कि बिहार स्कूल आफ योग,मुंगेर के संचालक पदमभूषण स्वामी निरंजनानंद सरस्वती पहली बार डा0हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में पधारे हैं। बिहार स्कूल आफ योग, मुंगेर को पिछले माह ही खेल दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा अंतराष्ट्रीय योग सम्मान प्रदान किया गया था। 
घटयोग पर लधुनाटिका
     इस अवसर पर विभाग की शोध छात्रा मिस कोमल के निर्दंंेशन में विद्यार्र्थीयों द्वारा योगाभ्यास का प्रदर्शन किया गया जिसको सभी प्रतिभागियों ने तालियों से सराहा। दीपांशु के निर्देशन में घेरण्ड संहिता पर आधारित एक घटयोग पर लधुनाटिका का भी योग के छात्रों द्वारा मंचन किया गया। विश्वविद्यालय के पर्फामिंग आर्ट के विद्यार्थीयों ने बुन्देलखण्ड लोक नृत्य प्रस्तुत कर ढेर सारी तालीयां बटोरी। डाॅं. अरूण साव ने कार्यक्रम का संचालन एवं सभी का धन्यवाद कुलसचिव कर्नल जोशी ने ज्ञापन किया । कार्यक्रम में अधिक संख्या में शहर के बुद्धिजीवी, जनमानस, विश्वविद्यालय के छात्र, छात्राएं, कर्मचारी, षिक्षक, अधिकारी एवं अभिभावकगण  बडी संख्या में उपस्थित थे जिनमें दिनेश, प्रवेश, कोमल, ज्योति, मनीष, राहुल, नरेन्द्र, हेमकरण, राकेश, राजदीप, गगन, यश, महादेवी, सपना, राकेश, आदि बडी संख्यां में उपस्थित थे।
नकारात्मक तत्वों से सकारात्मक तत्वों की ओर जाना ही योग है। इसके लिए प्रयास की आवष्यकता है:स्वामी निरंजनानंद जी
                   स्वामी विवेकानंद विवि मेंआयोजितअध्यात्मिक संगोष्ठी मे  परमहंस स्वामी निरंजनान्द ने कहा कि जीवन के नकारात्मक तत्वों से सकारात्मक तत्वों की ओर जाना ही योग है। इसके लिए प्रयास की आवष्यकता है। चंचल वृत्ति की शांति अनुशासन से होती है और जब उसकी प्रबल इच्छा षक्ति मन को एकाग्र कर लेती है तो वह योग के नियमों पर चलने लगता है। आपने राजयोग के षुक्राचार्य, याज्ञवल्क आदि योग धर्मी साधुकों के उदाहरण द्वारा अपने विषय को स्पष्ट किया आपने बताया मोक्ष षब्द केवल षब्द बन गया है। व्यवहारिकता नहीं है इसलिए योग आत्मा परमात्मा का मिलन है यह एक दार्षनिक चिंतन है।-षारीरिक स्वास्थ्य लाभ, मानसिक षान्ति तथा आत्मिक अनुषासन। आज स्वास्थ्य, मन, वाणी सभी प्रदूषित हो रहे हैं आज स्वस्थ्य जीवन एक चुनौती हो गया है हम अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना तो करते हैं लेकिन अपनी आदत को बदलना आवष्यक नहीं समझते अपनी जीवन षैली को यदि हम सुधार लें और अपने को संयमित रखें यह आवष्यक है क्योंकि अनियमित जीवन मनुष्य का षत्रु है व्यवहार और भावना में अंकुष लगाना चाहिए ध्यान और मैं स्वस्थ्य रहूँ और भावना के विकार से दूर रहूँ, जातिवाद, रूढ़िवाद और आर्थिक विषमता मनुष्य का आभूषण न बनें जिस प्रकार षरीर के जिए भोजन के पोषक तत्वों को लेकर अपषिष्ट छोड़ देता है उसी तरह मनुष्य को योग के माध्यम से काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद्, मत्सर को त्याग देना चाहिए यद्यपि यह जन्मजात संवेग हैं और यदि इसे संयमित न किया जाये तो मन चंचल होता जाता है और इसे रोकना ही प्रत्याहार है। जीवन को संगठित करके चलना समय नियोजन और अपने दिनचर्या में भावानात्मक षान्ति और मानसिक षान्ति को यदि बनाया जाये तो जीवन नियंत्रित रहेगा।। 
 स्वागत भाषण एवं परिचय ।कुलाधिपति डाॅ. अजय तिवारी/प्रबंध निदेषक डाॅ. अनिल तिवारी ने कहा-मानव जीवन में सुख व षान्ति उपलब्ध हो सके तथा व्यक्ति अपनी समस्त क्षमता, प्रतिभा व षक्तिम को इस ढंग से प्रगट कर सके जिससे कि समाज को उत्थान व प्रगति उपलब्ध हो सके इसके लिये चार पुरूषार्थों-धर्म, अर्थ, काम, वे मोक्ष के साथ-साथ यज्ञमयी भाव को भारतीय संस्कृति का एक आधारभूत तत्व माना गया है। प्रारम्भ में व्यक्ति अपने षारीरिक सुखोपभोग के लिये अपनी सारी शक्ति लगाता है क्योंकि यह उसी को साध्य मानता है। आगे चलकर वह अनुभव करता है कि षरीर साध्य मानता है। आगे चलकर वह अनुभव करता है कि षरीर  साध्य नहीं लक्ष्य प्राप्ति का साधन है। दीप प्रज्जवलन के उपरांत परमहंस जी का स्वागत सम्मान स्वागत कुलाधिपति डाॅ. अजय तिवारी एवं प्रबंध निदेषक डाॅ. अनिल तिवारी जी ने किया। 
        स्वागत भाषण देते हुए डाॅ. अजय तिवारी जी ने कहा-यदि भले संस्कारों का प्राबल्य रहे, तो मनुष्य का चरित्र अच्छा होता है और यदि बुरे संस्करों का प्राबल्य हो, तो बुरा। यदि एक मनुष्य निरन्तर बुरे षब्द सुनता रहे, बुरे विचार सोचता रहे, बुरे कर्म करता रहे, तो उसका मन भी बुरे संस्कारों से पूर्ण हो जायेगा और बिना उसके जाने ही वे संस्कार उसके समस्त विचारों तथा कार्यों पर अपना प्रभाव डालते रहेंगे। वास्वत में ये बुरे संस्कार निरन्तर अपना कार्य करते रहते हैं। 
       कर्नल मुनीष गुप्ता ने कहा-संसार में हम जो सब कार्य-कलाप देखते हैं, मानव-समाज में जो सब गति हो रही है, हमारे चारों ओर जो कुछ हो रहा है, वह सब मन की ही अभिव्यक्ति है- मनुष्य की इच्छा-षक्ति का ही प्रकाष है। कलें, यंत्र, नगर, जहाज, युद्धपोत आदि सभी मनुष्य की इच्छाषक्ति के विकास मात्र हैं। मनुष्य की यह इच्छाषक्ति चरित्र से उत्पन्न होती है और वह चरित्र कर्मों से गठित होता है। 
        योगाचार्य विष्णु आर्य ने बताया-संसार में प्रबल इच्छाषक्ति-सम्पन्न जितने महापुरूष हुए हैं, वे सभी धुरन्धर कर्मी दिग्गज आत्मा थे। उनकी इच्छाषक्ति एसी जबरदस्त थी कि वे संसार को भी उलट-पलट सकते थे। और यह षक्ति उन्हें युग-युगान्तर तक निरन्तर कर्म करते रहने से प्राप्त हुई थी। और कहा आज मैं अपने गुरू के उद्बोधन का मननचिंतन करने के लिए यहाँ उपस्थित हूँ। रूद्राक्ष एवं तुलसी की माला देकर योगाचार्य ने आर्षीवाद दिया। डाॅ. अनिल तिवारी द्वारा आभार ज्ञापित किया गया। इस अवसर पर  नरेष नाथ घारू, डाॅ. मनीष मिश्र, डाॅ. राजेष दुबे, डाॅ. सचिन तिवारी, आपदा प्रबंधन विभाग के निदेषक श्री मनीष दुबे, डाॅ. प्रतिभा तिवारी डाॅ. सुनीता जैन एवं सभी प्राध्यापक गण अपने छात्र छात्राओं के साथ सभागार में उपस्थित थे। योग विभाग द्वारा छात्राओं ने योग नृत्य प्रस्तुत किया। इस समस्त सभा का आयोजन योग विज्ञान विभाग स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय के योग अध्यक्ष डाॅ. गगन ठाकुर के निर्देषन में सम्पन्न हुआ।

खुद कीक्षमता,जरूरत,कमजोरी और महत्व का आकलन कर फिर योग को अपनाए तभी लाभ होगा: स्वामी निरंजनानंद जी
         पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती जी का मानना है कि व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य,कमजोरी,जरूरत और महत्व का आकलन करना चाहिए ।इसके बाद इनके सकारात्मक विकास के लिए योग विधा को अंगीकार करना चाहिए ।
स्वामी निरंजनानंद जी योग निकेतन योग प्रशिक्षण संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह के तीसरे दिन सत्संग कार्यक्रम में चर्चा कर रहे थे ।
इस मौके पर कार्यकारी अध्यक्ष,जितेंद्र चावला,कांग्रेस के प्रदेश सचिवअमित रामजी दुबे, सेवादल काँग्रेस अध्यक्ष सिंटू कटारे ने उनका स्वागत कर आशीर्वाद लिया।
उन्होंने कहा कि अपने व्यक्तित्व को जाने बगैर योग को अपनाना लाभकारी नही है । इसको जानने के  बाद अपने लिए बेहतर बनाने योग को अपनाए। बिहार योग विधालय योग को अभ्यास के रूप ने नही  साधना के रूप में विकसित किया जा रहा है । योग विधा को वैज्ञानिक तरीको से  पढ़ाया जा रहा है । 
हमे भरोसा है  सागर में योग के नवीन आयामो को सामने लेकर हम  आएंगे। इस पवित्र योग विधा  को बिहार में निशुल्क सिखाया जाता है ।सन्यासी को  समाज के सेवक के रूप में काम करना चाहिए राजा के रूप में नही ।
सत्संग कार्यक्रम में योगाचार्य विष्णु आर्य ने कहा कि योग ही मानव के शारीरिक मानसिक और  आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है।
इस मौके हरगोविन्द  विश्व ,मनारायण यादव, अनिल वारी,डॉ आशुतोष गोस्वामी, डॉ अनिल जैन,दीपक पौराणिक, सुबोध आर्यअमित गुप्ता ,महेश नेमा ,सुशील तिवारी बद्रीप्रसाद सोनी ,रमेश सिंह  ठाकुर, आदि उपस्थित थे।

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किसानों की परेशानियों पर मजीरे बजवा रहे हैं शिवराजसिंह: भूपेन्द्र गुप्ता


किसानों की परेशानियों पर मजीरे 
बजवा रहे हैं शिवराजसिंह: भूपेन्द्र गुप्ता
भोपाल।प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने मंदसौर में शिवराजसिंह चौहान के धरने में दाल- बाटी प्रोग्राम करने, ढोल-मजीरे बजाये जाने और उसे इवेंट बनाये जाने को लेकर घोर आपत्ति दर्ज करायी है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे शिवराजसिंह किसानों के ऊपर मुसीबत आने की प्रतीक्षा कर रहे थे, ताकि वे सत्ता के लिए बिल्ली की तरह चूहे के सपने देख सकें। 
गुप्ता ने उनके द्वारा बिजली के बिल जलाये जाने का किसानों से किये आव्हान को घिनौनी राजनीति बताते हुए स्मरण दिलाया है कि जब उनकी खुद की सरकार थी, तब ही किसानों के बिजली के लाखों रूपयों के बिल आते थे तथा शिवराज सिंह इसी तरह के बयान देते थे, किंतु तत्कालीन मुख्यमंत्री होते हुए भी वे बिजली के बिलों को सुधरवा नहीं पाये थे। 
             गुप्ता ने आश्चर्य व्यक्त किया कि शिवराज सिंह ने विदिशा में कथित  लीलाबाई के मकान में बिजली कनेक्शन का सब-मीटर लेकर एक लाख से अधिक का बिजली का बिल नहीं पटाया था? जब यह खबर मीडिया में आयी तब ताबड़तोड़ बिल जमा करवा लिया गया। तब वे किस हैसियत से जनता को बिजली का बिल जलाने के लिए उकसा रहे हैं। उल्टा चोर-कोतवाल को धमका रहे है तथा शासन प्रणाली के वैधानिक ढांचे को तोड़ने की अवैधानिक कोशिश कर रहे हैं। 
गुप्ता ने कहा कि बिल्ली कितने ही मजीरे बजाए, किंतु जिस जनता ने उसे सौ चूहे खाते देखा है, वह जनता अब उसे हज नहीं करने देगी। 

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रिश्वतखोर ASI को 5 साल की सजा,अभियुक्त ASI सोहनलाल राठी, टीकमगढ़ में थे पदस्थ

रिश्वतखोर ASI को 5 साल की सजा,अभियुक्त ASI सोहनलाल राठी, टीकमगढ़ में थे पदस्थ

टीकमगढ़ । टीकमगढ़ विशेष न्यायाधीश  डी.के.मित्तल ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत टीकमगढ़ जिले के लिधौरा थाना के ASI  आरोपी सोहनलाल राठी को 5 साल की सजा सुनाई है ।अभियोजन के मुताबिक विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम टीकमगढ़ ने अभियुक्त सोहनलाल राठी, ए.एस.आई. थाना लिधोरा जिला टीकमगढ़ को भ्रष्टाचार निवारणअधिनियम की धारा 7 पीसी एक्ट में 04 वर्ष का कारावास और तीन हजार रूपए काअर्थदण्ड और रिश्वत ग्रहण करने के अपराध धारा 13(1) डी 13(2) पीसी एक्ट में5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं तीन हजार रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।
            इस मामले में  आर.सी. चतुर्वेदी जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने शासन की ओर
से पैरवी की। तथा लिखित एवं मौखिक तर्क प्रस्तुत किए। इस मामले में फरियादी विजय कुमार वाल्मिकी ने  लोकायुक्त कार्यालय सागर के समक्ष शिकायत की थी की 18 अप्रैल 2016को उसका  पड़ोसी राहुल बाल्मीकि से विवाद हो गया था ।राहुल ने फरियादी और उसके पिता के खिलाफ लिधौरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस प्रकरण में   फरियादी विजय कुमार वाल्मिक एवं उसके पिता को जमानत देने के संबंध में  एस.आई. सोहन लाल राठी  5000 रूपया के रिश्वत की मांग रहा था। उसकी शिकायत पर  अधीक्षक विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त ने 2 मई 16 को थाने में ASI सोहन राठी को दो हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा और मामला फर्ज किया।।इसी मामले में आज अदालत ने सजा सुनाई।
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शिक्षको को बीएलओ के दायित्व से मुक्त रखने के सबन्ध में राज्य शिक्षा केन्द्र ने समस्त जिले के कलेक्टरों को जारी किया पत्र।

 शिक्षको को बीएलओ के दायित्व से मुक्त रखने के सबन्ध में संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र ने समस्त जिले के कलेक्टरों को जारी किया पत्र
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कामना का सकारात्मक रूप धर्म और नकारात्मक रूप अधर्म,योग सात्विक बनाता है इसे अपनाए:पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद

 कामना का सकारात्मक रूप धर्म और नकारात्मक रूप अधर्म,योग सात्विक बनाता है इसे अपनाए:पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद 
सागर । पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती का कहना है कि  मानव जगत में कामना की प्रधानता है । यही हमारे उद्धार और पतन का कारण है । सकारात्कमक कामना धर्म और नकारातमक कामना अधर्म है ।कामनाओं का शरीर पर व्यापक असर पड़ता है । जो कई बीमारियों तक पहुचता है । हमे सात्विक कामनाओं के लिए योग विज्ञान को अपनाना चाहिए ।उन्होंने योग निकेतन योग प्रशिक्षण संस्थान सागर के स्वर्ण जयंती समारोह के दूसरे दिन  शाम को सत्संग समारोह में कही ।
       इस मौके पर पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ,महापौर अभय दरे,स्वामी विवेकानंद विवि के संस्थापक कुलपति डॉ अनिल तिवारी ,पूर्व विधायक सुनील जैन,सुखनदन जैन ने आशीर्वाद लिया। स्वामी जी ने स्मृति चिन्ह भेंट किया।
उन्होंने बताया कि बिहार यॉग विधालय में योग की विभिन्न अंगों पर केंद्रित शिक्षा दी जाती है ।यही पद्धति जीवन शैली को सुधरती है ।उन्होंने कहा कि पूजा पाठ ,मंदिरों में घण्टी बजाने सेधार्मिक नही बना जाता है । जब तकापजे मन मे बैचारिक और कार्यो में शुद्धता नही आएगी ।तब तक सब बेकार है ।तामसिक से सात्विक बनना ही योग है । सागर में शिविर के माध्यम से सम्पूर्ण योग से अवगत बनाने की कोशश की जा रही है 
          इस मौके पर योगाचार्य विष्णु आर्य ने कहा कि संयमित जीवन शैली ही हमारे समाज को बेहतर बनायगी। इसके लिए सम्पूर्ण योग को अपनाना होगा ।सत्संग कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रमो की प्रस्तुति हुई ।
        इस मौके पर डॉ एन  आर  भार्गव,मधु गुप्ता,दुर्गा प्रसाद कोष्टि, सुरेंद्र सुहाने,डॉ सुधीर त्रिवेदी, रामनारायण यादव,आरती ताम्रकार,विजय ताम्रकार,सुशील तिवारी,डॉ अवस्थी,बद्री प्रसाद सोनी ,मनोहर सोनी ,अमित गुप्ता,कपिल मलैया,अनिल नेनधरा सहित अनेक लोग उपस्थित थे ।
कल 24 सितम्बर के कार्यक्रम
कल 24 सितम्बर को सुबह 6 बजे आदर्श गार्डन,11:30 बजे सागर विवि और 2 बजे एसवीएन विवि सागर में और शाम चार बजे आदर्श गार्डन में सत्संग कार्यक्रम होगा।
 कमिश्नर आनंद शर्मा ने की चर्चा
सागर।पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती से योग निकेतन में सागर संभाग के कमिश्नर आनंद शर्मा ने आशीर्वाद लिया। इस मौके पर योग पर केंद्रित चर्चा की।उन्होंने योग के क्षेत्र में चल रहे कार्यो से अवगत कराया।
 
गर्ल्स डिग्री कालेज में की युवा और योग विषय पर चर्चा
''युवा और योग'' विषय पर रासेयो तथा व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजितकार्यक्रम मके  स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती ने अपने उद्बोधन में गुरू शिष्य परम्परा पर प्रकाश डालते हुए बताया किया किस प्रकार उनके गुरू ने सेवा परम्परा प्रारम्भ कर 1950 के दशक से योग का प्रचार-प्रसार प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि आज लोग जो मीडिया के माध्यम से योग के विषय में जानते है, उन्हें केवल आसनों की जानकारी है। 
       वास्तव में योग व्यापक क्रिया है जिसमें ध्यान, व्यायाम आसन सभी का समीश्रण है। उन्होंने छात्राओं को नियमित सूर्य नमस्कार एवं प्राणायाम करने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि नियमित योग से सकारात्मक ऊर्जा, प्रेरणाशक्ति का विकास तथा शारीरिक क्षमता का उत्तोस्तर विकास होता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक, रचनात्मक अभिव्यक्ति संस्कृति है जो जीवन के व्यवहार संतुलित करती है।
स्वामी जी का दिया परिचय 
योग गुरू विष्णु आर्य ने स्वामी जी का जीवन परिचय देते हुए योग का महत्व बताया। स्वामी गोरखनाथ जी ने छात्राओं को भ्रमरि प्राणायाम करते हुए उसके महत्व को बताया।
          कालेज के प्राचार्य ए के पटेरिया के मार्गदर्शन में कार्यक्रम हुआ।आयोजन प्रभारी डाॅ. भावना यादव ने संचालन करते हुए कहा कि अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य को महत्व देते हुए हमारे ऋषि मुनियों ने जीवनचर्या से जुड़े ऐसे नियम, संयम निर्धारित किए जो स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष लाभकारी थे। साथ ही अच्छे स्वास्थ्य का, न ही व्यक्तित्व जीवन में महत्व होता है बल्कि मजबूत राष्ट्र के लिए स्वस्थ नागरिकों की आवश्यकता होती है। स्वस्थ युवा ही सकारात्मक ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण अपनी प्रभावशाली भूमिका का निर्वाह करते हैं।
              वरिष्ठ प्राध्यापक, व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ प्रभारी डाॅ. इला तिवारी ने कहा कि स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मन रहता है, जिसमें उच्च सकारात्मक विचार आते हैं। इस हेतु योग माध्यम है जिसे युवा छात्राओं को अपनाना चाहिए। खेल अधिकारी डाॅ. मोनिका हर्डिकर ने आभार देते हुए महाविद्यालय में संचालित योग कक्षाओं की जानकारी दी।
         छात्राओं ने स्वामी जी से प्रश्न किए यथा जल्दी-जल्दी नींद आना, भूल जाना, ध्यान न लगना, योग हेतु उच्च समय, सामान्य रूप से किन योगासनों का नियमित करना चाहिए आदि प्रश्न किए।
        इस अवसर पर डाॅ. संजय खरे, डाॅ. प्रतिमा खरे, श्रीमति मंगला सूद, डाॅ. अंशु सोनी, स्वामी योग रक्षित, स्वामी भक्तिमूर्ति, स्वामी सत्यमूर्ति, स्वामी ध्यानेरवर, श्री रामनारायण यादव, अध्यक्ष योग निकेतन संस्थान, श्रीमति सुनीता श्रीवास्तव, श्री अक्षय दुबे तथा बड़ी संख्या में छात्राएँ उपस्थित थी
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महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में हई जिला स्तरीय प्रतियोगिताएं

महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में हई जिला स्तरीय प्रतियोगिताएं 
सागर । शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर में महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में जिला स्तरीय निबंध, पोस्टर एवं चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई।
 इस मौके पर  संयुक्त कलेक्टर राजेन्द्र सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक मात्र ऐसे महापुरुष थें जिन्होंने भारतीय सिद्धांतों का व्यवहारिक प्रयोग कर स्वतंत्रता दिलायी।
 कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें डॉ. जी.एस. रोहित ने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता के लिये अहिंसा जैसे प्रयोगों को व्यवहारिक धरातल पर लागू कर स्वतंत्रता आदोलन के लिये जब लागू किया तो विश्व के लिये वह आठवा अचंभा था।कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अमर कुमार जैन ने कहा कि 1915 में भारत आने पर गांधी जी ने पैदल यात्राएँ कर भारत के प्रत्येक व्यक्ति की दिशा व दशा को समझने का कार्य किया तत्पश्चात् अपने दर्शन एवं विचारों से स्वतंत्रता आंदोलन के लिये तैयार किया वास्तव में भारतीय जनमानस भी ऐसे ही किसी मनुष्य की प्रतीक्षा में थी जिसके कार्य महात्मा जैसे हो। निर्णायक डॉ. सर्वेश्वर उपाध्याय ने कहा कि महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप सिद्धांत ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया। इस सिद्धांत के अनुसार आवश्यकता से अधिक सम्पत्ति पर समाज का अधिकार होना चाहिए। चित्रकला, पोस्टर के निर्णायक असरार अहमद ने बताया कि निर्णय करते समय बहुत सी बारीकियों को देखा जाता है। महात्मा गांधी जी पर आधारित इस चित्रकला प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन परम्परा निर्वाह के लिये प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय का चयन किया गया।
प्रतियोगिता के विजेताओं में निबंध प्रतियोगिता में रोशनी अहिरवार, शास. कन्या महाविद्यालय बीना प्रथम, कृष्णा गौड़, शास. महाविद्यालय पी.जी. बीना. द्वितीय एवं राहुल अहिरवार, शास. महाविद्यालय रहली, तृप्ती शांडिल्य, शास. कन्या महाविद्यालय, सागर तृतीय चित्रकला प्रतियोगिता में ध्रुब कटारे, पी.जी. बीना प्रथम, प्रदीप प्रजापति, शास. महाविद्यालय राहतगढ़ द्वितीय एवं शिवानी विश्वकर्मा, शास. महाविद्यालय मकरोनिया तृतीय पोस्टर प्रतियोगिता में अभिषेक उपाध्याय, शास. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर प्रथम, विभु सक्सेना, शास. पी.जी. महाविद्यालय, सागर द्वितीय एवं जतिन गुप्ता, शास. महाविद्यालय पी.जी. बीना  तृतीय रही।
     कार्यक्रम में डॉ. इमराना सिद्दीकी, डॉ. उमाकांत स्वर्णकार, डॉ. संतोष उपाध्याय, डॉ. अर्चना यादव, डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. किरण जैन सहित सागर जिले के 80 प्रतिभागी उपस्थित थें
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