अतिथि, विद्वान षिक्षकों के साथ शीघ्र ही न्याय होगा , उनके नियमतिकरण और अन्य मुद्दों को लेकर कमेटी बनाई :उच्च शिक्षा मन्त्री मोहन यादव
प्रारंभ में अतिरिक्त संचालक उच्च षिक्षा श्री एलएल कोरी ने स्वागत भाषण देते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। एमसीबीयू के कुलपति डा. टीआर थापक ने कहा कि, महाराजा छत्रसाल विष्वविद्यालय अपनी प्रगति के पंख लगा चुका है। इस सत्र से चार विषयों जिसमें अर्थषास्त्र, राजनीतिषास्त्र, हिन्दी एवं संस्कृत के विषय प्रारंभ होंगे। उन्होंने बताया कि, अभी विष्वविद्यालय में 55 शासकीय एवं 128 अषासकीय महाविद्यालय संबंद्धता प्राप्त हैं तथा इनमें एक लाख 60 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। उन्होंने बताया कि, विष्वविद्यालय के लिए शासन द्वारा 418 एकड़ भूमि प्रदान की गई है, जिसमें 148 करोड़ रूपये की राषि का भवन प्रस्तावित है। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य बीडी अहिरवार ने किया।
सागर 23 सितंबर । मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में लंबे समय से कार्यरत अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर शासन स्तर पर कमेटी बनाई गई है । जिससे कि लोक सेवा आयोग के माध्यम से भविष्य में होने वाली सहायक प्राध्यापकों की भर्ती में अतिथि विद्वानों को लाभ मिल सके । डॉ यादव आज बुधवार को संभागीय मुख्यालय सागर में महाविद्यालयों के प्रार्चायों की बैठक के पहले शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता महाविद्यालय सागर में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे । डॉ यादव ने कहा कि प्रदेश में 517 शासकीय महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं ,जिसमें 10 हजार प्राध्यापकों की जरूरत है । वर्तमान में 6 हजार 500 नियमित शिक्षक शिक्षिकाओं के माध्यम से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है । साथ ही विभाग द्वारा अतिथि विद्वानों और स्ववित्तीय पाठ्यक्रम में अध्यापन कार्य कराया जा रहा है ।इनको 30 हजार रुपये मिलना चाहिए। यह तय किया गया है।
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अतिथि विद्वानों के भविष्य को लेकर सरकार संवेदना रखती है । लोक सेवा आयोग से चयनित और स्थानांतरण के कारण फालेन आऊट 832 अतिथि विद्वान पुनः लिये गए हैं । डॉ यादव ने कहा कि प्रदेश में 20 एक्लीलैंस कालेजों को ए ग्रेड में लाने की तैयारी है । वर्तमान में एक मात्र एक्सीलैंस कॉलेज भोपाल को ए ग्रेड मिला है । आने वाले समय में 50 भवन विहीन महाविद्यालयों को अपने भवन में किया जायेगा । 200 महाविद्यालयों को सर्वसुविधायुक्त बनाया जायेगा । वैश्विक महामारी कोरोना के चलते विश्व विद्यालय स्तर की परीक्षायें समय पर नहीं कराई जा सकी । डिग्री का महत्व बनाये रखने के उद्देश्य से परीक्षा प्रणाली को बदलकर ओपन बुक प्रणाली के माध्यम से परीक्षायें संपन्न कराई हैं । जिसमें छत्रसाल विश्व विधालय छतरपुर सागर संभाग में आयोजित परीक्षा में 44 हजार परीक्षार्थी शामिल हुये । परीक्षा प्रणाली में बदलाव को लेकर परीक्षा रिफार्म कमेटी बनाई गई है । ओपन बुक प्रणाली में भी प्रश्न पत्रों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा गया । परम्परागत परीक्षा प्रणाली के विकल्प तलाशे जा रहे हैं । नई शिक्षा नीति को लेकर प्रदेश के 52 जिलों मे से 28 जिलों में शासकीय महाविद्यालयों के प्रार्चायों से सीधी बात कर संवाद कर चुके हैं ।
महाविद्यालयों के अधूरे निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण होंगे , प्राचार्य महाविद्यालयों में पढ़ाई का माहौल करें तैयार
अतिथि, विद्धान षिक्षकों के साथ शीघ्र ही न्याय होगा तथा महाविद्यालयों के अधूरे निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण होंगे। सभी प्राचार्य महाविद्यालयों में पढ़ाई का माहौल तैयार करें। यह निर्देष उच्च षिक्षा मंत्री डा0 मोहन यादव ने आज सागर के प्राचायों की संभागीय समीक्षा बैठक में स्वषासी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, में प्राचार्यों की संभागीय समीक्षा बैठक में दिए।
इस अवसर पर बीज निगम के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह यादव, पूर्व मण्डी अध्यक्ष सुधीर यादव, शैलेष केषरवानी, महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के कुलपति डा. टीआर थापक, संयुक्त संचालक उच्च षिक्षा एलएल कोरी, प्राचार्य जीएस रोहित, रामकुमार गोस्वामी सहित संभाग के 5 अग्रणी एवं जिले के 18 महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे।तीनबत्ती न्यूज़.कॉम
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उच्च षिक्षा मंत्री डा. यादव ने कहा कि, मध्यप्रदेष सरकार सबका साथ सबका विकास के साथ कार्य कर रही है। महाविद्यालयों में कार्य कर रहे अतिथि विद्वान षिक्षक जो शेष रह गए है, उनके साथ शीघ्र ही न्याय होगा। उन्होंने कहा कि, सरकार ने उनके लिए पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली है जो आने वाले समय में दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि, कोरोना संक्रमण काल में समस्त प्रकार की आर्थिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जा रहा। जो महाविद्यालय निर्माणाधीन है उनका निर्माण पूर्ण करवाकर शीघ्र ही शैक्षणिक कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि, नई षिक्षा नीति की गाईडलाईन के तहत अब हमें अपने-अपने महाविद्यालयों में व्यवस्था करना होगी, जिससे अब सभी महाविद्यालय विष्वविद्यालय के तर्ज पर कार्य कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि, नई षिक्षा नीति इसी सत्र से प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने समस्त प्राचार्यों को अपने-अपने महाविद्यालयों में नवीन कोर्स प्रारंभ करने की कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देष दिए। उन्होंने कहा कि, कॉलेजों में अब पढ़ाई का माहौल निर्मित किया जाए, क्योंकि कोरोना सक्रंमण के कारण पढ़ाई का माहौल पिछड़ा हुआ है। उन्हांने समस्त प्राचार्यों को निर्देष दिए कि, अपने-अपने महाविद्यालयों में सभी संवर्ग के साथ एक जैसा व्यवहार कर शैक्षणिक कार्य कराएं जाएं।
उन्होंने कहा कि, नई षिक्षा नीति की गाईडलाईन के तहत अब हमें अपने-अपने महाविद्यालयों में व्यवस्था करना होगी, जिससे अब सभी महाविद्यालय विष्वविद्यालय के तर्ज पर कार्य कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि, नई षिक्षा नीति इसी सत्र से प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने समस्त प्राचार्यों को अपने-अपने महाविद्यालयों में नवीन कोर्स प्रारंभ करने की कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देष दिए। उन्होंने कहा कि, कॉलेजों में अब पढ़ाई का माहौल निर्मित किया जाए, क्योंकि कोरोना सक्रंमण के कारण पढ़ाई का माहौल पिछड़ा हुआ है। उन्हांने समस्त प्राचार्यों को निर्देष दिए कि, अपने-अपने महाविद्यालयों में सभी संवर्ग के साथ एक जैसा व्यवहार कर शैक्षणिक कार्य कराएं जाएं।
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प्रारंभ में अतिरिक्त संचालक उच्च षिक्षा श्री एलएल कोरी ने स्वागत भाषण देते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। एमसीबीयू के कुलपति डा. टीआर थापक ने कहा कि, महाराजा छत्रसाल विष्वविद्यालय अपनी प्रगति के पंख लगा चुका है। इस सत्र से चार विषयों जिसमें अर्थषास्त्र, राजनीतिषास्त्र, हिन्दी एवं संस्कृत के विषय प्रारंभ होंगे। उन्होंने बताया कि, अभी विष्वविद्यालय में 55 शासकीय एवं 128 अषासकीय महाविद्यालय संबंद्धता प्राप्त हैं तथा इनमें एक लाख 60 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। उन्होंने बताया कि, विष्वविद्यालय के लिए शासन द्वारा 418 एकड़ भूमि प्रदान की गई है, जिसमें 148 करोड़ रूपये की राषि का भवन प्रस्तावित है। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य बीडी अहिरवार ने किया।
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