MP : रेड जोन वाले क्षेत्रों में सत्ता-संगठन के खाली पदों पर होंगी नियुक्तियां
◾कमजोर सीटों पर रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने के जतन कर रही भाजपा
@ राजीव सोनी
मध्यप्रदेश में मिशन 2023 को लेकर मैदानी रणनीति बनाने में जुटी भाजपा को अब अपने कार्यकर्ताओं की चिंता भी सताने लगी है। खासतौर पर हारी हुई और कमजोर विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं को मनाने और उन्हें उपकृत करने का प्लान भी बनाया गया है । निगम-मंडल, प्राधिकरण और आयोगों के अलावा विभिन्न समितियों के साथ संगठन में खाली पड़े पदों पर ऐसे लोगों को नियुक्त किए जाने का प्रस्ताव है। सत्ता- संगठन ने इनके अलावा अन्य ऐसी सीटों का भी ब्योरा जुटाया है जो रेड जोन में मानी जा रही हैं।
प्रदेश के निगम मंडलों, प्राधिकरण और बोर्ड में सदस्यों से लेकर पदाधिकारियों के लेकर दीनदयाल अंत्योदय, जनभागीदारी समिति और संगठन में भी सभी खाली पदों पर नियुक्तियां जल्दी करने पर सहमति बनी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में इस मुद्दे पर पहले भी चर्चा हो चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष शर्मा और राव की मौजूदगी में शुक्रवार को हुई बैठक के बाद वरिष्ठ नेताओं के बीच भी कमजोर सीटों पर कमल खिलाने की रणनीति पर मंथन किया गया।
मंथन और फीडबैक में पता चला कार्यकर्ता नाराज हैं
हार के कारणों पर मंथन और क्षेत्रीय नेताओं के फीडबैक के बाद कार्यकर्ताओं की नाराजगी का मुद्दा भी मुख्य रूप से उभर कर सामने आया था। चुनाव के दौरान ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, महाकोशल, विध्य और मालवा के आदिवासी क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की नाराजगी भाजपा पर इतनी भारी पड़ी कि उसे सरकार बनाने के लिए कम हो गई थीं।
इन जिलों में लगा था धक्का
भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में विशेष रूप से मुरैना, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, राजगढ़, छिंदवाड़ा, बैतूल, ग्वालियर, जबलपुर और छतरपुर जिले में काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था। इनके अलावा आदिवासी बहुल मंडला डिडोरी, बुरहानपुर, खरगोन, बड़वानी, नरसिंहपुर, धार, झाबुआ और आलीराजपुर जिले की ज्यादातर सीटों पर भाजपा को निराशा ही हाथ लगी थी। इनमें से कई जिलों में तो पार्टी के मैदानी कार्यकर्ताओं की नाराजगी खुलकर सामने भी आई थी। हाल ही में महापौर चुनाव के दौरान भी कटनी, मुरैना, सिंगरौली, रीवा, जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा में सत्तापक्ष को हार का सामना करना पड़ा। इनके अलावा उज्जैन, सतना, रतलाम और बुरहानपुर में जीत के लिए भाजपा को ऐड़ी-चोटी का पसीना बहाना पड़ा।
जरूरी संख्या बल भी नहीं मिल पाया। पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को आश्चर्यजनक ढंग से कई जिलों में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। आदिवासी क्षेत्रों में भी उसकी सीटें एकदम से
बीजेपी की रेड जोन वाली सीटें
भाजपा की रेड जोन वाली सीटों में जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर दक्षिण, लहार, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, सेवढ़ा, राघौगढ़, देवरी, बंडा, मुंगावली, अशोकनगर, अमरवाड़ा, पांढुर्ना, चोरई, सौंसर, छिंदवाड़ा, परासिया, चुरहट, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, कसरावद, खरगोन, आलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर शामिल हैं। इनके अलावा श्योपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भिंड, करेरा, पोहरी, पिछोर, पोहरी, चाचौड़ा, चंदेरी, पृथ्वीपुर, राजनगर, महाराजपुर, छतरपुर, बिजावर, पथरिया, दमोह, गुनौर, सतना, सिंहावल, कोतमा, पुष्पराजगढ़, विजयराघवगढ़, बरगी, शहपुरा, डिंडौरी, मंडला, बिछिया, बैहर, लांजी, कटंगी, बरघाट, निवास, लखनादौन, तेंदूखेड़ा, गाडरवारा, जुन्नारदेव, गोटेगांव, उदयपुरा, विदिशा, भोपाल उत्तर, ब्यावरा, शाजापुर, सोनकच्छ, हाटपीपल्या, महेश्वर, मांधाता, बड़वानी, धरमपुरी और सैलाना सीट को लेकर भी पार्टी चिंतित है।
◾राजीव सोनी , पीपुल्स समाचार, भोपाल