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मातृभाषा से ही राष्ट्र की समृद्धि संभव है : प्रो. वृषभ प्रसाद जैन★ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजन

मातृभाषा से ही राष्ट्र की समृद्धि संभव है : प्रो. वृषभ प्रसाद जैन

★ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजन



सागर. 21 फरवरी. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के जवाहरलाल नेहरू ग्रंथालय सभागार में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर ‘हमारी मातृभाषाएं’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. प्रख्यात भाषाविद और चिन्तक प्रो. वृषभ प्रसाद जैन मुख्य वक्तव्य देते हुए कहा कि भाषा हमें पहचान देती है और पहचान बनाती है. व्यक्तित्व निर्माण में मातृभाषा भाषा एक महत्त्वपूर्ण कारक है. उन्होंने वर्तमान समय में मातृभाषा की स्थिति को देखते हुए चिंता व्यक्त की और कहा कि   आज़ादी के बाद के वर्षों में यह पहचान धूमिल होती जा रही है और भाषायी परतंत्रता बढ़ी है.  केवल हिन्दी ही नहीं बल्कि तमिल, मलयालम, तेलगू जैसी तमाम भाषाओं की स्थिति एक जैसी है. भारतीय भाषाओं का व्याकरणकोश अंग्रेजी भाषा से प्रभावित है. हम अभी तक भारतीय भाषाओं के व्याकरण और शब्दकोष निर्माण में पीछे हैं. आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में  मातृभाषा में शिक्षा देने की बात की जा रही है. भाषायी स्वतन्त्रता के साथ आर्थिक स्वतन्त्रता भी जुडी हुई है. इस बात को उन्होंने आंकड़ों और उदाहरणों के माध्यम से समझाया. उन्होंने कहा कि भारत में सबसे समृद्ध शहर मुंबई है. इसका एकमात्र कारण वहां की मातृभाषा है. भारतीय भाषा के फॉण्ट निर्माण का काम आज विदेशी कम्पनियां कर रही हैं. भाषायी रूप से समृद्ध होने के बावजूद हम भारतीय भाषाओं के फॉण्ट निर्माण में भी पीछे हैं. भाषाओं की समृद्धि से ही राष्ट्र की समृद्धि का सपना देखा जा सकता है. उन्होंने कई उदाहरणों के जरिये मातृभाषा की पहचान करने के तरीके भी बताये. उन्होंने कहा कि भाषा के बिना मनुष्यता अधूरी है.

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राष्ट्रीय अस्मिता का द्योतक: अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस,★प्रो. नीलिमा गुप्ता ,कुलपति ,डॉ गौर विवि सागर का विशेष आलेख


सांस्कृतिक मूल्य, परंपरा एवं इतिहास को एक सूत्र में बांधती है भाषा- प्रो. नीलिमा गुप्ता 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा ने कहा कि मनुष्य अपने जन्म से ही भाषा का प्रयोग शुरू कर देता है. पैदा होने के बाद सबसे पहला शब्द वह ‘माँ’ सीखता है. इसलिए इस शब्द से उसको अलग नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने मातृभाषा दिवस मनाने का प्रावधान किया. भारत 19500 भाषाओं से समृद्ध देश है जिसमें 121 भाषाएँ केवल दस हज़ार लोगों तक सीमित है, जिनके द्वारा वे बोली जाती हैं. इस तरह 22 प्रमुख भाषाएँ जो भारत के लोग बोलते हैं उन्हें संविधान में शामिल किया गया. मातृभाषा की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार से ज़्यादातर उन्हीं लोगों को सम्मानित किया गया है जिन्होंने अपना कार्य मातृभाषा में किया है. सांस्कृतिक मूल्य, परंपरा एवं इतिहास इन तीनों को भाषा ही बाँध कर रखती है. 

उन्होंने आकड़ों के माध्यम से विश्व में हिंदी भाषा की स्थिति पर बात रखते हुए कहा कि आज दो तिहाई आबादी हिंदी समाचार पत्र पढ़ रही है व विश्व भर के सिनेमाघरों में हिंदी सिनेमा प्रदर्शित होती है. कोविडकाल के दौरान जब सभी चीज़ों का डिजिटलीकरण हुआ उसके साथ हिंदी भाषा की भी तकनीक में सहभागिता बढ़ी है. गूगल के आकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 तक हिंदी में मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या अंग्रेज़ी से ज्यादा रहेगी. अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने हिंदी भाषा की विविधता को सरलता से समझाया और सभी को मातृभाषा के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए संकल्पित होने का संदेश दिया.

भाषा विज्ञान और हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रो. चन्दा बेन ने स्वागत वक्तव्य दिया और कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात एकीकरण के कारण भाषा के रूप में भारतेंदु युग के सभी भाषाविदों का अहम योगदान रहा है. उन्होंने त्रिभाषा सूत्र के माध्यम से बात रखते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षा हमारी मातृभाषा में होनी चाहिए. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भाषा संबंधों को अधिक प्रगाढ़ बनाने का प्रावधान किया है. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने विषय प्रवर्तन किया और कहा कि इस वर्ष मातृभाषा दिवस आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आया है. आज़ादी के तीन सोपान होते हैं जिन्हें पार करके आजादी पाई जा सकती है. पहला- राजनीतिक परतंत्रता से मुक्ति, दूसरा-वैचारिक स्वराज और तीसरा-भाषायी स्वराज की प्राप्ति. भाषायी स्वराज मातृभाषा को महत्त्व देकर ही प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर और बलवंत गार्गी के बीच वार्तालाप का उद्धरण देते हुए मातृभाषा के महत्त्व के रेखांकित किया.

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व्याख्यान के उपरांत मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित ‘आत्मनिर्भरता में मातृभाषा का योगदान’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता एवं ‘बहुभाषिकता भारत के लिए वरदान है’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को मुख्य समारोह में पुरस्कृत किया गया. कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ राजेंद्र यादव ने किया एवं आभार डॉ आशुतोष ने ज्ञापित किया. आयोजन में प्रो. बीआई. गुरु, प्रो. नवीन कांगो, प्रो. निवेदिता मैत्रा, प्रो. उमेश पाटिल, डॉ राकेश सोनी, डॉ अलीम खान, डॉ हिमांशु, विवेक विसारिया, डॉ  शशि सिंह, डॉ. अरविन्द, डॉ मुकेश साहू सहित कई शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.

 

 

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गीला कचरा कम्पोस्टिंग मशीन से तैयार खाद का वितरण निःशुल्क ,सनराइज मेगा सिटी में

गीला कचरा कम्पोस्टिंग मशीन से तैयार खाद का वितरण निःशुल्क ,सनराइज मेगा सिटी में
सागर, 21 फरवरी। सागर के स्वच्छता एम्बेसेडर प्रमोटर-डेवलपर और समाज -सेवी इंजी.प्रकाश चौबे द्वारा शहर की सन राइज मेगा सिटी में लगभग 5 लाख रुपयों की लागत से स्थापित गीला कचरा कम्पोस्टिंग मशीन से खाद उत्पादन प्रारंभ हो गया है ।
 इस नवीन प्रकल्प के लिए प्रारंभिक तौर पर शुभम बिल्डर्स द्वारा विकसित आवासीय कॉलोनियों से गीला कचरा संग्रहीत कराया जा रहा है ।  घरों से गीला कचरा संग्रहीत करने की पृथक  निःशुल्क व्यवस्था इंजी. प्रकाश चौबे ने अपने स्तर पर कराई है । इसमें रहवासियों के घरों के सामने से बचे हुए खाने, सब्जियों के छिलके जैसे कचरे का संग्रहण अलग से उपलब्ध कराए गए डिब्बों में से किया जा रहा है। 

इंजी. प्रकाश चौबे ने बताया है कि इसी संग्रहीत 100 किलो गीले कचरे से , स्थापित मशीन लगभग 20 किलो तक कम्पोस्ट खाद तैयार कर सकती है ।
नवाचार के इस प्रकल्प का सुखद आकर्षण यह रखा गया है कि कचरा संग्रहण में योगदान करने वाले परिवारों को तैयार खाद भी कागज़ के पैकेटों में उनके दरवाजों तक पहुंचाया जा रहा है । जिनसे वे अपने घर की  बगियों और गमलों में लगाये पौधों को बेहतर रख सकेंगे ।
इसी क्रम में आज शहर की सन राइज रेसीडेंसी के रहवासियों के घरों में कम्पोस्ट खाद के पैकेट पहुंचे । जिन्हें पाकर प्रकल्प का हिस्सा बने सदस्य   लाभार्थी परिवारों के चेहरों पर संतोष मिश्रित सुखद मुस्कान दिखाई दी । 
रहवासियों ने प्रकल्प प्रणेता इंजी. प्रकाश चौबे सहित सहयोगी श्री सतीश जाट और सहयोगी स्वच्छता मित्र आशीष डुमार का आभार व्यक्त किया । स्थानीय नागरिक  इस अभिनव शुरुआत का स्वागत के साथ प्रशंसा कर रहे हैं।

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चित्त की क्रिया है भाषा - प्रो0 सुरेन्द्र पाठक★ बीएचयू में अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन

चित्त की क्रिया है भाषा - प्रो0 सुरेन्द्र पाठक
★ बीएचयू में अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन

वाराणसी।  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के तत्वाधान में महामना व्याख्यान माला के तहत अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर बेविनार का आयोजन संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि मानव मूल्यों के विशेषज्ञ और गुजरात विद्यापीठ के विशिष्ट प्रोफेसर सुरेन्द्र पाठक ने भाषा का महत्व बताते हुए कहा कि भाषा चित्त की क्रिया है तथा भाषा क्रियाशीलता है। भाषा का अनुभव ही बुद्धि मंे स्वीकार होता है। आपने कहा कि भाषा के मूल में भाव है तथा भाव के मूल में मौलिकता है और इसी मौलिक गुण के कारण अपनी भाषा ही प्रभावी भूमिका अदा करती है। मातृभाषा में कार्य करने में सफलता की गारंटी ज्यादा रहती है, क्योंकि शिशु गर्भ  से ही मातृभाषा मंे सीखना प्रारंभ कर देता है।

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अध्यक्षता करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो0 आशाराम त्रिपाठी ने कहा कि मातृभाषा के सबसे बड़े पैरोकार महामना मालवीय जी थे। उन्होनें न्यायालय में मातृभाषा में कार्य करने के लिए जो आंदोलन किया वह अविस्मरणीय है। स्वागत भाषण डा0 रामकुमार दांगी ने दिया। संचालन डा0 संजीव सराफ तथा आभार डा0 उषा त्रिपाठी ने व्यक्त किया। 

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इस अवसर पर उपसमन्वयक प्रो0 गिरिजाशंकर शास्त्री, डा0 अभिषेक त्रिपाठी, डा0 प्रीति वर्मा, डा0 विवेकानंद उपाध्याय, डा0 रमेश निर्मेष, डा0 धर्मजंग, डा0 राजीव वर्मा, डा0 रमेश लाल का विशेष सहयोग रहा।
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खुरई में संत शिरोमणी रविदास जी की प्रतिमा का अनावरण★बांदरी, मालथौन और बरोदिया में संत रविदास पार्क बनेगे★अस्वस्थता के चलते मंत्री भूपेन्द्र सिंह के संदेश का वाचन

खुरई में संत शिरोमणी रविदास जी की प्रतिमा का अनावरण*
★बांदरी, मालथौन और बरोदिया में संत रविदास पार्क बनेगे
★अस्वस्थता के चलते मंत्री भूपेन्द्र सिंह के संदेश का वाचन

खुरई। संत शिरोमणि रविदास जी की प्रतिमा अनावरण एवं पार्क सौंदर्यीकरण कार्याें के लोकार्पण समारोह में प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह के संदेश में कहा गया है कि बांदरी, मालथौन और बरोदियाकलां में भी संत रविदास पार्क बनाये जाएंगे। मंत्री भूपेन्द्र सिंह अस्वस्थता के कारण इस कार्यक्रम में खुरई नहीं आ पाये। अतः उनके संदेश का वाचन मंत्री प्रतिनिधि लखन सिंह ने किया।_

     संत शिरोमणि रविदास जी की प्रतिमा का अनावरण, कार्यक्रम में पधारे संतो का सम्मान और पार्क सौंदर्यीकरण के निर्माण कार्याें का लोकार्पण मंत्री प्रतिनिधि लखन सिंह ने किया। इस समारोह में सामूहिक भोज भी किया गया। मध्यप्रदेश शासन के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह अस्वस्थ्य हो जाने के कारण समारोह में उपस्थित नहीं हो पाये। विशाल संख्या में समारोह में उपस्थित जन समुदाय के समक्ष मंत्री भूपेन्द्र सिंह के संदेश का वाचन किया गया। जिसमें मंत्री श्री सिंह ने उपस्थित संतों का नमन किया। 
     अपने संदेश में उन्होंने कहा कि संत शिरोमणि रविदास जी ने अपने आचरण और व्यवहार से यह प्रमाणित किया कि मनुष्य अपने जन्म और व्यवहार के कारण महान नहीं होता। विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं। आज भी संत रविदास जी के उपदेश समाज के कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। संत रविदास जी ने कहा था कि, दलित वंचित लोगों के सशक्तिकरण के लिए शिक्षा के जरिये सत्ता के दरवाजे खुल सकते हैं। 

अपने संदेश में मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि मैंने संत रविदास जी के मार्ग पर चलकर क्षेत्र में अनेक काॅलेज, स्कूल बनवाये हैं। जिससे समाज के बच्चे शिक्षित होकर आगे बढ़ सकें। मुझे आज बेहद प्रसन्नता है कि खुरई के जगजीवनराम वार्ड निवासी पुष्पेन्द्र अहिरवार और भारती अहिरवार ने नीट परीक्षा में क्वालीफाई किया है। दोनों भाई बहिन को बधाई देते हुए सम्मान स्वरूप उन्हें 25-25 हजार की राशि स्वीकृत करता हूं। 
     संत रविदास जी के बताये मार्ग अनुसार हम आगे बढ़ सकें, इसके लिए क्षेत्र में जगह-जगह संत रविदास जी के मंदिर, पार्क, सामुदायिक भवन बनाने का कार्य किया है। आज मैं इस अवसर पर घोषणा करता हूं कि शीघ्र ही बांदरी, मालथौन और बरोदियाकलां में संत रविदास पार्क बनाये जाएंगे। खुरई में डाॅ. अम्बेडकर संग्रहालय एवं पार्क निर्माण कार्य चल रहा है, जो शीघ्र ही पूर्ण होगा। जहां पर भी आवश्यकता होगी संत रविदास जी के मंदिर बनाये जाएंगे। स्वास्थ्य के कारण आज मैं आपके बीच नहीं आ सका, इसके लिए क्षमा चाहता हूं। 
समारोह में संबोधित करते हुए एडव्होकेट एस.सी. मेसन ने कहा कि संत रविदास जी की स्मृति में ऐसा भव्य आयोजन खुरई में इससे पहले कभी नहीं हुआ। ऐसे सराहनीय आयोजन के लिए मंत्री भूपेन्द्र भैया को हार्दिक धन्यवाद देता हूं। कार्यक्रम को पूर्व पार्षद प्रभु अहिरवार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर उपस्थित समाजजनों के साथ मंत्री प्रतिनिधि लखन सिंह सहित भाजपा कार्यकर्ताओं ने सामूहिक भोज किया। 


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कांग्रेस ने डिजिटल सदस्यता अभियान को लेकर आई टी सोशल मीडिया और जिला प्रभारियों को दी ट्रेनिंगप्रदेश ★कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया संबोधित

कांग्रेस ने डिजिटल सदस्यता अभियान को लेकर आई टी सोशल मीडिया और जिला प्रभारियों को दी ट्रेनिंग

★ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया संबोधित
भोपाल।  प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आज प्रदेश कांग्रेस के आईटी एवं सोशल मीडिया विभाग के पदाधिकारियों और जिला प्रभारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।  बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवम  पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने उपस्थित पदाधिकारियों को सोशल मीडिया,  डिजिटल मीडिया तथा कांग्रेस की सदस्यता अभियान पर विशेष फोकस करते हुए गांव गांव तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मजबूती प्रदान करने हेतु निर्देशित किया  । इस अवसर पर श्री नाथ ने कहा कि मंडलम, सेक्टर और बूथ में अधिक से अधिक कांग्रेस सदस्यता अभियान चलाएं। घर चलो,  घर घर चलो कार्यक्रम में तेजी लाएं, डिजिटल सदस्यता को ज्यादा महत्व दे।

बैठक में आईटी एवं सोशल मीडिया सेल के अध्यक्ष अभय तिवारी मंडलम सेक्टर के प्रभारी एनपी प्रजापति,  डिजिटल सदस्यता प्रभारी दीपक जॉन,  पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, विजय लक्ष्मी साधो, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर, उपाध्यक्ष प्रकाश जैन, महामंत्री राजीव सिंह, विधायक रवि जोशी सहित आईटी एवं सोशल मीडिया के पदाधिकारी और जिला प्रभारी उपस्थित थे।

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SAGAR : रेलवे फाटक बंद होते समय फंस गई कार और बाइक ..सामने से ट्रेन आ गयी, बड़ा हादसा टला★ खैरियत रही कि दूसरे ट्रेक से कोई ट्रेन नही निकली , वरना हादसा बड़ा होता #देखे वीडियो


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सागर। सागर - बीना रेल मार्ग पर एक बड़ा हादसा टल गया।  जिले के खुरई के खिमलासा रेलवे फाटक बंद होते समय एक कार व एक बाइक फाटक के एक ओर फस गई। धीरे धीरे फाटक बंद होने के कारण जल्दी निकलने कार और बाइक अंदर आ गयी और ट्रेन भी निकली। गनीमत रही की दूसरे रेलवे ट्रेक से कोई ट्रेन इस दौरान नही गुजरी वरना बड़ी घटना हो जाती। फाटक के पार खड़े लोगो की इस घटना को देख सांसे फूली रही। 

खुरई के खिमलासा रेलवे फाटक पर एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल शनिवार की रात रेलवे गेट नंबर 6 को पार करते समय एक कार और बाइक अंदर ही फस गई, सामने से ट्रेन आ गई। वहां खड़े लोग सकते में आ गए।



 प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के मुताबिक रात में खुरई के खिमलासा रेलवे गेट नंबर 6 बंद होने के लिए अलार्म दे रहा था और धीरे-धीरे बंद होता जा रहा था तभी कार वाले ने उसके नीचे से कार निकाल दी उसके साथ में एक बाइक चालक भी निकल गया लेकिन तब तक सामने वाला गेट लग गया और इस तरह से दोनों गेट बंद हो गए। एक सफेद रंग की कार और बाइक चालक रेलवे ट्रैक पर ही रुक गए। गेटमैन चाबी क्लियर कर चुका था। इसलिए वह गेट भी नहीं खोल सकता था। इस दौरान सामने से ट्रेन भी आ गई। 

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गनीमत यह रही कि ट्रेन दूसरे वाले ट्रेक पर आई नहीं तो किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था। इसमें गेटमैन और वाहन चालको दोनों को ही लापरवाही सामने आ रही हैं। लोगों का कहना है कि ऐसी भी क्या जल्दी थी कि जान को जोखिम में डाल कर रेलवे फाटक क्रॉस कर रहे हैं। इस तरह की लापरवाही आए दिन रेलवे फाटकों पर देखने को मिलती हैं। लेकिन सबकों जल्दी जाने की रहती है भले ही बड़ी घटना क्यों न हो जाएं।
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अभियोजन अधिकारी डॉ. रश्मि वैभव शर्मा ने सागर संभाग के पुलिस अधिकारियों को दिया प्रशिक्षण

अभियोजन अधिकारी डॉ. रश्मि वैभव शर्मा ने सागर संभाग के पुलिस अधिकारियों को दिया प्रशिक्षण

भोपाल। प्रशिक्षण निदेशालय पुलिस मुख्यालय भोपाल के निर्देशन में पुलिस अधीक्षक महोदय पी टी एस सागर द्वारा  किशोर न्याय अधिनियम पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम वेबीनार के माध्यम से आयोजित किया गया ।
 प्रशिक्षण कार्यक्रम  बेवीनार का आयोजन  वेबेक्स मीटिंग एप्स के माध्यम से ऑनलाईन आयोजित किया गया। जिसमें व्याख्याता के रूप में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी डॉ. रश्मि वैभव शर्मा ने सागर संभाग में पदस्थ पुलिस अधिकारीयो को किशोर न्याय अधिनियम   के संबंध  महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक जानकारी दी।
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राष्ट्रीय अस्मिता का द्योतक: अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस★प्रो. नीलिमा गुप्ता ,कुलपति

राष्ट्रीय अस्मिता का द्योतक: अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस,
★प्रो. नीलिमा गुप्ता ,कुलपति

पूरे विश्व में 21 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। किसी भी देश की राष्ट्रीय अस्मिता तथा सांस्कृतिक स्वाभिमान का प्रतीक मातृभाषा होती है। 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का संकल्प सर्वप्रथम बांग्लादेश द्वारा किया गया। यूनाइटेड नेशन्स एजूकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आॅर्गनाइजेशन ;न्छम्ैब्व्द्ध की आमसभा ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का संकल्प नवंबर 1999 में लिया जिसे यूनाइटेड नेशन्स की आमसभा ने 2002 में इसका स्वागत किया। 16 मई, 2007 को यूनाइटेड नेशन्स ने यह संकल्प लिया कि समस्त देशों कोमातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाये। आज 21 फरवरी एक अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को दूसरों से आदान-प्रदान कर सकते हैं और वह हमारी भौतिक और अभौतिक सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर इसे शक्तिशाली बनाये रखती है। मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए सभी कदम न केवल भाषा के विविध बहुभाषी शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए, बल्कि दुनिया भर को प्रोत्साहित कर जागरूकता विकसित करने और समझ और संवाद के आधार पर एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिए है।
          (कुलपति : प्रो नीलिमा गुप्ता)

पूरे विश्व में हर 14 दिन में कोई एक भाषा विलुप्त हो रही है, और अपने देश भारत में भी स्थिति अच्छी नहीं है। भारत में कुल 19,500 भाषायें बोली जाती हैं जिनमें से करीब 2,900 विलुप्त होने की कगार पर हैं। सत्य तो यह है कि इन भाषाओं को मात्र 100 या इससे कम लोग बोलते हैं। मात्र 121 भाषाएँ 10,000 से अधिक लोग बोलते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि 121 भाषाओं में 99 भाषायें भारत के 3.3 प्रतिशत लोग ही बोलते हैं और बाकी 22 भाषायें भारत के 96.7 प्रतिशत लोग बोलते हैं और यही 22 भाषायें हैं जिन्हें भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। यह आंकड़ें हमें स्पष्ट बताते हैं कि हमें अपनी मातृभाषा के विस्तार के लिए पूर्ण प्रयास करने होंगे और यदि हमने ऐसा नहीं किया तो हमारी भाषा भी उसी सूची में शामिल होगी जो हर 14 दिन में विलुप्त हो रही है।

मातृभाषा उसे कहते हैं जिस भाषा को बच्चा जिंदगी में पहली बार बोलता है। बच्चा बचपन में अधिकतर अपनी माँ के पास ही रहता है, और स्वाभाविक है कि माँ जो भाषा बोलती है, बच्चा भी उसी को सीखता है और बोलता है। हर मातृभाषा की कुछ खासियत होती है और मुख्यतः वह 3 चीजों को जोड़ती है: सांस्कृतिक मूल्य, परंपरा और इतिहास। 
ज्यादातर लोगों के लिए यह मात्र एक भाषा है लेकिन बहुभाषी परिवारों में बच्चा एक साथ दो भाषा सीख सकता है,परन्तु ऐसा होने पर राजनीतिक एवं सांस्कृतिक एकरूपता को प्राथमिकता दी जा सकती है। हम यह भी कह सकते हैं कि यह हमारी मूल भाषा है या हम इसे ऐसे भी परिभाषित कर सकते हैं कि एक भाषा जिससे दूसरी भाषा निकलती है उसे मातृभाषा कहा जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भाषा संबंधी और सांस्कृतिक विविधता में जागरूकता को बढ़ावा देने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए 21 फरवरी एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिससे कि भाषायी और सांस्कृतिक विविधता डनसजपसपदहनंसपेउ को बढ़ावा दे सके और उसका निरंतर विकास कर सकें। विश्व के किसी भी देश में प्राथमिक शिक्षा विदेशी भाषा में नहीं दी जाती। विश्व के परिप्रेक्ष्य में लगभग सभी उन्नत एवं विकसित देशों में वहाँ की शिक्षा, शोध कार्यों, शासन-प्रशासन की भाषा वहाँ की भाषा होती है और अपने देश में भी ऐसे ही भाव को प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे कि सभी कार्य मातृभाषा में हों। भारत के महापुरूषों, शिक्षाविदों जैसे विनोबा भावे, महात्मा गाँधी, पं. मदन मोहन मालवीय, डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के भी यहीं विचार थे। पूर्व में किए गए अध्ययन यहीं बताते हैं कि अपनी भाषा के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने से चिंतन एवं विचारों में मनोवैज्ञानिकता एवं सृजनात्मकता आती है और कठिन विषय भी सुगमता से समझ में आ जाते हैं।


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इस वर्ष अपना देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, इन सपनों को साकार करने में अन्य घटकों के साथ-साथ हिंदी की भी महती भूमिका रही है। भारत में अनेक भाषाओं का समागम है, अतः देश में एकरूपता लाने के लिए पूरे देश में एक भाषा को प्रयोग में लाना चाहिए। लोकमान्य तिलक ने हिंदी के संबंध में विचारों में लिखा है -”यह तो उस आंदोलन का अंग है जिसे मैं राष्ट्रीय आंदोलन कहूँगा और जिसका उद्देश्य समस्त भारतवर्ष के लिए एक राष्ट्रीय भाषा की स्थापना करना है क्योंकि सबके लिए समान भाषा राष्ट्रीयता का महत्वपूर्ण अंग है।“
कुछ इसी प्रकार के विचार भारतेन्दु हरिश्चंद्र के रहे हैं जिन्होंने लिखा हैः-
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
महात्मा गाँधी ने अपने पत्र हिंदी नवजीवन में लिखा है ”इस विदेशी भाषा (अंग्रेजी) के माध्यम ने बच्चों के दिमाग को शिथिल कर दिया है, उनके स्नायुओं पर अनावश्यक जोर डाला है उन्हें रट्टू और नकलची बना दिया है तथा मौलिक कार्यों और विचारों के लिए सर्वथा अयोग्य बना दिया है।“
एक तरफ जहाँ हिंदी सिनेमा खरबों रूपयों की इंडस्ट्री है तो दूसरी तरफ देश के सर्वाधिक पठित अखबार हिंदी के हैं। यदि हम टेलीविजन की बात करें तो 2 तिहाई चैनल हिंदी के हैं और सर्वाधिक देखे जाने वाले चैनलों में हिंदी आगे है। विज्ञापन में भी हिंदी का बोलबाला है और यह भी प्रसन्नता का विषय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भाषा नीति को प्रोत्साहित किया गया है और एक तरफ जहाँ हम भारत में हिन्दी और मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ पूरी दुनिया में 200 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। डिजिटल इंडिया के अंतर्गत मोबाइल एप्स आदि में भी हिंदी की अपार संभावनायें हैं। गूगल का अनुमान है कि वर्ष 2024 तक भारत में अंग्रेजी की तुलना में हिंदी माध्यम से इंटरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या कहीं अधिक होगी। पुस्तक प्रकाशक किताबों के प्रिंट वर्जन के साथ-साथ आडियो डिजिटल वर्जन भी हिंदी में प्रकाशित कर रहे हैं। आडियो किताबों का ई-वर्जन जैसी डिजिटल दुनिया ने हिंदी का एक नया संसार ही बना दिया है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में देश भर में प्रयास हो रहा है और इसे साकार करने में हिंदी की भी एक महती भूमिका होगी इसका हमें पूर्ण विश्वास है।
आज अन्य देशों में भी हिंदी सीखने की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है। हिंदी सिनेमा, हिंदी टेलीविजन के बढ़ते प्रसार ने हिंदी सीखने की चाहत को कई गुना बढ़ा दिया है। आज पूरे विश्व में कोई योग को समझने के लिए, कोई भारतीय अध्यात्म को समझने के लिए हिंदी को सीखने का प्रयास कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर यह आवश्यक है कि मातृभाषा में आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के साथ-साथ उच्च शिक्षा में भी हिंदी भाषा प्रयोग को बढ़ावा देने के प्रयास किये जायें तथा सभी संस्थानों मेंहिंदी को प्रोत्साहित किया जाये। हिंदी ज्ञान, विज्ञान, चिंतन, परंपरा की भाषा एवं उचित माध्यम बने।भाषा का ज्ञान, ज्ञान का द्वार है। इस अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर, आइए, हम सभी संकल्प लें कि हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करें क्योंकि:
मातृभाषा का सम्मान, देश का सम्मान है,
हमारी स्वतंत्रता वहाँ है, मातृभाषा जहाँ है।
इसी सम्मान से हम अपने देश, भारत का सम्मान बढ़ाने में और नए भारत की संरचना करने में सफल होंगे।

( लेखिका  प्रो. नीलिमा गुप्ता, 
डाॅक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की कुलपति है)

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