आंगनवाड़ी ,स्कूल में अंडा वितरण ,अहिंसक समाज को करे विरोध:आचार्य निर्भय सागर
सागर। आहार जीने के लिए है खुद को कब्रिस्तान बनाने के लिए नहीं। मांसाहारी व्यक्ति चलता फिरता कब्रिस्तान है ।आज कुछ हिंसक ताकतें देश के बच्चों ,महिलाओं की रगों में अंडा परोस कर क्रूरता व बर्बरता की ओर धकेलने का दुस्साहस कर रही हैं ,जो बहुत ही गलत है ।अंडा मांसाहार है। स्कूलों ,आगनबाडी आदि में इसके वितरण का अहिंसक समाज पुरजोर विरोध करें ताकि हमारी बाल पीढ़ी के अंदर हिंसक तत्व प्रवेश ना कर सकें ।
उक्त उद्गार आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने बाहुबली कॉलोनी जैन धर्मशाला सभागार में व्यक्त किए।आचार्य श्री ने कहा मांगना सबसे बड़ी दरिद्रता है ,आज समाज में विवाह शादियों में दहेज मांगने की जो परंपरा बढ़ती जा रही है वह बेहद गलत है समाज के मध्यमवर्गीय परिवार इसमें पिस रहे हैं सोचिये जिसने अपनी बेटी तुम्हें दी है उसने अपना सबकुछ तुम्हे दे दिया है।आप भिखारी नहीं बने बल्कि जो कुछ बिना मांगे मिले सहर्ष स्वीकार करे और इस दहेज़ जैसी कुप्रथा को बढ़ावा नहीं दे।
आचार्य श्री ने बताया धर्म संस्कृति देश परिवार सब महिला नारी स्त्री के ऊपर टिका हुआ है यदि महिला का आचरण श्रेष्ठ होगा तो वह बच्चों को श्रेष्ठ संस्कृति अनुरूप संस्कार दे पाएगी और यदि महिला ही ब्यूटीपार्लर फैशन और नौकरी में व्यस्त हो जाएगी तो परिवार को कौन संभालेगा मात्र धन ही सब कुछ नहीं है नारी का व्यवहार खानपान मधुर वचन और कार्यकुशलता से ही उसके व्यक्तित्व का पता चलता है। श्रेष्ठ नारी वही है जो निम्न बताए गए 6 गुणों को धारण करती है।
(1) कार्य करने में मंत्री के समान (2)वचन बोलने में दासी के समान
(3)भोजन कराते समय माता के समान
(4)शयन करते समय देवांगनाके समान
(5)धर्म के अनुकूल आचरण करने वाली हो
(6)क्षमा मांगने वाली,क्षमा करने वाली हो।
इन 6 गुणों से युक्त नारी कुल को तारने वाली होती है।