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"मानव जीवन और ध्यान" पुस्तक का लोकार्पण

"मानव जीवन और ध्यान"  पुस्तक का लोकार्पण


भोपाल। तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा स्वराज भवन भोपाल में सोमवार को सम्पन्न एक समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद्  श्रीराम माहेश्वरी की पुस्तक 'मानव जीवन और ध्यान' का प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकारों डाॅ. देवेन्द्र दीपक, डाॅ. प्रेम भारती, युगेश शर्मा, घनश्याम सक्सेना, डाॅ. मोहन तिवारी, ओमप्रकाश गुप्ता द्वारा लोकार्पण किया गया।

              इस अवसर पर लेखक श्री श्रीराम माहेश्वरी ने पुस्तक के अंशों का वाचन किया एवं पुस्तक का परिचय दिया।  ओमप्रकाश गुप्ता ने पुस्तक के प्रकाशन पर प्रकाश डाला। डाॅ. दीपक, डाॅ. पेे्रम भारती, युगेश शर्मा तथा घनश्याम सक्सेना ने पुस्तक की विषयवस्तु को प्रशंसनीय बताया। वरिष्ठ पत्रकार  सर्वदमन पाठक ने पुस्तक की उपादेयता पर अपने विचार व्यक्त किये।
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"मानव जीवन और ध्यान" पुस्तक का लोकार्पण

"मानव जीवन और ध्यान"  पुस्तक का लोकार्पण

भोपाल। तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा स्वराज भवन भोपाल में सोमवार को सम्पन्न एक समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद्  श्रीराम माहेश्वरी की पुस्तक 'मानव जीवन और ध्यान' का प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकारों डाॅ. देवेन्द्र दीपक, डाॅ. प्रेम भारती, युगेश शर्मा, घनश्याम सक्सेना, डाॅ. मोहन तिवारी, ओमप्रकाश गुप्ता द्वारा लोकार्पण किया गया।
              इस अवसर पर लेखक श्री श्रीराम माहेश्वरी ने पुस्तक के अंशों का वाचन किया एवं पुस्तक का परिचय दिया।  ओमप्रकाश गुप्ता ने पुस्तक के प्रकाशन पर प्रकाश डाला। डाॅ. दीपक, डाॅ. पेे्रम भारती, युगेश शर्मा तथा घनश्याम सक्सेना ने पुस्तक की विषयवस्तु को प्रशंसनीय बताया। वरिष्ठ पत्रकार  सर्वदमन पाठक ने पुस्तक की उपादेयता पर अपने विचार व्यक्त किये।

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भाषा विमर्श"।चर्चित अँग्रेजी लेखक हिमांशु राय के दो उपन्यासों पर चर्चा

"भाषा विमर्श"।चर्चित अँग्रेजी लेखक हिमांशु राय के दो उपन्यासों पर चर्चा

सागर।  श्यामलम् संस्था ने अपने नये  कार्यक्रम "भाषा विमर्श" की शुरुआत की। आदर्श संगीत महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में  सागर के युवा चर्चित अँग्रेजी लेखक हिमांशु राय के दो उपन्यासों पर चर्चा से की गई।
       इस अवसर पर कवि व लेखक डा.मनीष झा ने उपन्यास 'आई एम आलवेज़ हिअर विथ यू' पुस्तक की समीक्षा करते हुए पुस्तक का सार श्रोताओं को बताया तथा कहा कि यह पुस्तक एक प्रेम कहानी होते हुए भी प्रेम के एक अन्य पक्ष पिता और पुत्र के प्रेम को गहराई से उकेरती है। साथ ही जीवन के बाद के जीवन का विमर्श भी इस पुस्तक की खासियत है।
     डा. हरीसिंह गौर वि.वि.सागर में भाषा संकाय की डीन प्रो.निवेदिता मैत्रा ने पुस्तक "माई म्यूट गर्ल फ्रेंड" पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे उपन्यास रचे जाने चाहिए जिनमें प्रेम के इस निर्मल स्वरूप को वर्णित किया गया हो तथा मानसिक रूप से स्वस्थ तथा नैतिक रूप से श्रेष्ठ हो। उन्होंने भारत में अंग्रेजी उपन्यासों के इतिहास पर प्रकाश डाला।
          कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित पुस्तकों के लेखक  हिमांशु राय ने सागर में बिताए दिनों को सप्रेम याद किया। उन्होंने कहा कि उनका उपन्यास 'माय म्यूट गर्ल फ्रेंड' एक आत्मकथ्यात्मक उपन्यास है, तथा सागर की पृष्ठभूमि में घटित वास्तविक घटना पर आधारित है। उन्होंने अपने आगामी उपन्यासों के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि हिमांशु के 4 उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें से सर्वाधिक चर्चित उपन्यास माई म्यूट गर्लफ्रैंड का हिन्दी अनुवाद भी "प्यार तो होना ही था" नाम से प्रकाशित हो चुका है।
        कला समीक्षक तथा ललित कला मंडल सागर के अध्यक्ष  मुन्ना शुक्ला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रेम संसार की दिव्यतम अनुभूति है, जिसे त्याग की वृत्ति से ही पाया जा सकता है। इसमें लक्ष्य भी प्रेम है और प्राप्ति भी प्रेम है। इस अनुभूति को उपन्यासकार हिमांशु राय ने अद्वितीय अभिव्यक्ति देकर एक अप्रतिम उपन्यास रचा है।
           कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती व लेखक हिमांशु राय के माता-पिता स्व.प्रफुल्ल राय तथा स्व.मीरा राय के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।गायक शिवरतन यादव ने सरस्वती वंदना की।श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने स्वागत उद्बोधन व कार्यक्रम परिचय दिया।डा.अलका सिद्धार्थ शुक्ला ने प्रभावी संचालन किया।आभार श्यामलम् के कार्यकारिणी सदस्य रमाकांत मिश्र ने माना।
    लेखक से विमर्श में डा.जीवनलाल जैन, डा.चंचला दवे, प्रो.उदय जैन,डॉ.शरद सिंह, डा.अरविंद गोस्वामी,आशीष ज्योतिषी,डा. श्याममनोहर सीरोठिया, डा.आशुतोष गोस्वामी, टी.आर.त्रिपाठी ने भी अपनी बात रखी जिनका लेखक हिमांशु राय ने समुचित समाधान किया।
           इस अवसर पर शुकदेव प्रसाद तिवारी, के.के. सिलाकारी, डा.दिनेश अत्रि,डा.आशुतोष मिश्र, डा.आशीष द्विवेदी,डा.अभिषेक ऋषि, पी.आर. मलैया,डा.ऋषभ भारद्वाज,वीरेंद्र प्रधान, डा. रामरतन पाण्डेय,प्रदीप पाण्डेय, डा.कविता शुक्ला,सोना राय, सरोज तिवारी, दीपा भट्ट, वन्दना खरे, अर्चना श्रीवास्तव,हरी शुक्ला,कुंदन पाराशर, कपिल बैसाखिया, आर.के. तिवारी, गोवर्धन पटैरिया,डा.जी.आर. साक्षी,हरीसिंह ठाकुर, डा.विनोद तिवारी,मुकेश निराला, अशोक गोपीचंद रायकवार, रमेश दुबे, एम. शरीफ, दामोदर अग्निहोत्री,डा.दिनेश साहू, मितेन्द्रसिंह सेंगर,नवनीत धगट,अमित आठिया,दामोदर चतुर्वेदी, सिद्धार्थ शुक्ला, आर.के.चतुर्वेदी, मुकेश तिवारी,भगवान दास रायकवार, पुष्पदंत हितकर,राधाकृष्ण व्यास,अमीस साक्षी सहित बड़ी संख्या में बौद्धिक वर्ग की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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"श्राद्ध पक्ष की वैज्ञानिकता" पर हुई परिचर्चा



"श्राद्ध पक्ष की वैज्ञानिकता" पर हुई परिचर्चा

सागर । भारतीय शिक्षण मण्डल, महिला प्रकल्प सागर  की "श्राद्ध पक्ष की वैज्ञानिकता" पर परिचर्चा आयोजित की गई।विषय की  चर्चा प्रवर्तक श्रीमती हंसमुखी चतुर्वेदी ने कहा कि हिन्दू संस्कृति में प्रति आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की पहली तिथि से अमावस्या तक 15 दिनों तक श्राद्धपक्ष चलता है जो मानव द्वारा अपने मृत सम्बन्धियों के प्रति किया जाता है यह  'श्राद्ध' शब्द श्रद्धा से निर्मित रूप है । श्रद्धा का यह रूप श्रत् + धा धातु से बना है। श्रत्=सत्यम/ धा=दधाति अर्थात् -- सत्य को धारण करने वाली क्रिया का ही नाम श्रद्धा है।श्राद्ध का वेदों, स्मृतियों, पुराणों, उपनिषदों रामायण महाभारत सभी धर्म ग्रंथों में वर्णन है।परिचर्चा अदिति मण्डल की   संयोजक -श्रीमती  सुधा जैन जी के यहां  आयोजित की गयी।

        परिचर्चा में डॉ सरोज गुप्ता ने कहा कि स्वामी दयानंद जी ने भी अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में  श्राद्धपक्ष की वैज्ञानिकता का उल्लेख किया है।हमारी संस्कृति में  गतिविज्ञान, मृत्युविज्ञान , परलोक ,पुनर्जन्म एवं मोक्ष, जन्मान्तर रहस्य आदि पर कई पुस्तकें हैं जो हमें अपने ही स्वरुप, चितिशक्ति ,जन्म मृत्यु के रहस्यों की जानकारी देती हैं। आज हमारा ज्ञान अत्यन्त सीमित हो गया है। पढ़लिख कर हमने अपनी  भारतीय संस्कृति को दकियानूसी कहना शुरू कर दिया है जबकि हमारी संस्कृति वैज्ञानिक है ।  देवताओं की पूजा-आराधना के समान पितरों का स्मरण करना एक आवश्यक वैदिक नित्य कर्म माना गया है। देवों की तरह पितरों के तृप्त होने पर परिवार में खुशहाली, श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है।  पितरों के तृप्त होने पर अपने वंशजों का मंगलसाधन ,वृद्धि व  आशीर्वाद की परम्परा है।आज भी यह वैदिक परम्परा अधिकांश हिन्दू समाज में प्रचलित है कुछ परिवार पितृऋण से मुक्त होने के लिए, पितरों का श्राद्ध व उनके नाम का भोजन ग़रीबों को खिलाते हैं , दान पुण्य करते हैं। तिल,मधु,चावल,अन्न आदि से तर्पण करते हैं और गया- बिहार में ले जाकर उन्हें मोक्षधाम में छोड़ना आदि कार्य करते हैैं। मैक्समूलर तथा शाहजहां ने भी भारतीय श्राद्धपद्धति की भूरिभूरि प्रशंसा की है।
        डाक्टर क्लीन राय ने कहा कि पित्र पक्ष की जो १५ दिन की अवधि निर्धारित की गई है वह सूर्य के दक्षिणायन होने पर मनाई जाती है ,इस समय मौसम थोड़ा ठंडा हो जाता है जो पितरों के लिए उपयुक्त होता हैक्लीन जी ने आगे कहा कि आत्मा के प्रति श्रद्धा आत्मा से होनी चाहिए,इसके लिए पुरुष या स्त्री के शरीर का होना महत्वपूर्ण नहीं है।डाक्टर कृष्णा गुप्ता ने कहा कि आजकल दिखावा ज़्यादा होने लगा है,जो ठीक नहीं है श्राद्ध श्रद्धा से होना चाहिए।।                राजश्री दबे के अनुसार जब ब्राह्मण भोजन से तृप्त होता है तो उसकी सूक्छ्म तरंगे आत्मा को तृप्त करती हैं,राजश्री ने आगे कहा कि लड़कों द्वारा ही श्राद्ध कराने के पीछे वैज्ञानिक आधार यह है कि लड़का में xy क्रोमोजोंस होते हैं और लड़की में xx क्रोमोजोंस होते हैं ,लड़कियों में सात पीढ़ी के बाद यह क्रोमोजोंस समाप्त हो जाता है किंतु लड़को में बना रहता है। श्रीमती ज्योति राय ने कहा कि हर धर्म में लोग श्राद्ध करते हैं बस इसका स्वरूप भिन्न -भिन्न होता है।
           शशि भदोरिया ने कहा कि केवल पित्र पक्छ में नहीं वरन सामान्य स्थिति में भी अपने पूर्वजों को याद करना चाहिए।स्नेह जैन ने कहा कि श्राद्ध के द्वारा हम अपनी अगली पीढ़ी को पिछली पीढ़ी से परिचित कराते हैं।इस तरह से हमारे संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बहुत आसानी से हस्तांतरित हो जाते हैं।आराधना रावत के अनुसार ज़रूरत मंद को भोजन कराना चाहिए।शशि दीक्षित ने कहा कि अपने पूर्वजों का ध्यान जीते जी रखना चाहिए।तभी आत्म-संतुष्टि प्राप्त होती है।अंत में आभार प्रकट करते हुए डाक्टर सुधा जैन ने कहा कि पूर्वजों द्वारा किए गाए उपकार को याद करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है श्राद्ध।परिचर्चा में  श्रीमती पल्लवी सक्सेना,श्रीमती रमा पांडे,श्रीमती रूपा राज,श्रीमती ज्योति राय,श्रीमती अरूणा मिश्रा,श्रीमती साक्षी जैन,जयश्री अहिरवर,शशि भदोरिया आदि सदस्य उपस्थित रहे।समापन संगठन मंत्र से किया गया।
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पितृपक्ष ।कविता



पितृपक्ष ।कविता

पितृ मोक्ष के लिए 
पुरखों  को पानी देना
अपनी जड़ों को सींचना है 
तभी तो 
वंश वृक्ष फलीभूत होता है 
जल का अर्घ्य देने से 
जीवंत रहता जीवन 
हमारी पारंपरिक  सभ्यता 
और संस्कृति की जड़ें भी 
इसलिए गहरी है 
पीढियों की अनवरत बेल
हरी भरी रहेगी तो 
वंशवृक्ष की छाया 
घनीभूत  होगी 
पूर्वज थे इसलिए हम हैं 
स्मृतियों को  बनाए रखना 
हमारे  मनुष्य होने का संकेत है 
श्राद्ध पक्ष में श्रद्धा  से  सभी पुरखों को नमन

(डॉ महेश तिवारी,वरिष्ठ साहित्यकार )

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आदरांजलि। कविता मंच के धाकड़ कवि-माणिक वर्मा

आदरांजलि। कविता मंच के धाकड़   कवि-माणिक वर्मा

।अशोक मनवानी ।
कल समाचार मिला कि वरिष्ठ गीतकार , कवि सम्मेलनों की जान और शान रहे श्री माणिक वर्मा जी का  अवसान हो गया है। कुछ साल पहले अमेरिका गए थे, धूम मचा दी थी।उसके किस्से उत्साह से सुनाते थे।जो भी उनसे एक बार भी मिला उनसे आजीवन स्नेह पूर्ण  संबंध   रहे। आत्मीय व्यवहार था,वर्मा जी  का। उनके बड़े बेटे नीरज की कुछ बरस पहले लीवर कैंसर से मृत्यु हो गई थी।नीरज मेरा अभिन्न मित्र है।माणिक जी की कविता भारत बंद.. की अक्सर मैं मिमिक्री कर सुनाता तो माणिक जी बहुत प्रसन्न होते थे।25 दिसंबर 1939 को जन्मे माणिक जी की रचना आदमी और बिजली का खंभा काफी चर्चित कविता थी।हर मंच पर सुनाते।उनसेआखिरी भेंट में भोपाल के अशोक गार्डन के उनके घर मिलने गया तब एक  ऑडियो कैसेट भेंट की थी ,साल 2016 की बात है।माणिक जी बोले इसे रखो,अमेरिका वाला कवि सम्मेलन सुनना..फिर बेटे राजकुमार के पास इंदौर चले गए।फोन पर भी बतियाए थे साल भर पहले.तब उनका स्वर तल्ख था।आज के काव्य सृजन पर बात चली तो मंच के गिरते स्तर से दुखी दिखे।फिर चुटकुलेबाजी से उनको खास ऐतराज था ही,जिन सालों में मंच के शहंशाह थे,तब भी इस प्रवृत्ति का विरोध करते थे,ग़ज़ल लेखन में भी उनकी महारत थी।हालांकि मंच पर उनसे सिर्फ हास्य व्यंग्य  सुनाने की ही मांग की जाती थी।सरकार संस्कृति विभाग ने माणिक जी की साहित्य सेवा को देखते हुए उन्हें वर्ष 2012 में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान प्रदान किया  था।

       "मांगीलाल और मैंने"शीर्षक से उनकी बहुत चर्चित कविता भी है।जब वर्मा साहब शिक्षा विभाग  से रिटायर हुए तो उनके मन में ये भाव आया कि कवि समाज के लिए कुछ करूं।इसमें गीतकार भी शामिल हों,बाद में सहानुभूति की लहर खिलाड़ियों के लिए भी चली। उन्होंने प्रोविडेंट फंड की राशि से एक सम्मान स्थापित किया।माणिक वर्मा सम्मान।
              ये साल 2002,2003 और 2004 तक चला,पहले मशहूर शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान,फिर संगीतकार नौशाद और आखिरी में हॉकी खिलाड़ी पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै। बिस्मिल्लाह खान साहब के बेटे भोपाल आए थे सम्मान ग्रहण करने।नौशाद साहब भी अस्वस्थ थे,उन्हें मुंबई जाकर सम्मान दिया गया।धनराज पिल्लै जरूर भोपाल आकर सम्मान समारोह में शामिल हुए थे।उस साल हॉकी के एक मैच में भारत की हार से मायूस थे पिल्लै और अपमानजनक स्थिति में थे,ऐसे  में उनको सम्मान देने का निर्णय लिया गया।ये माणिक जी की दृष्टि थी।उन्होंने कस्तूरी नामक वार्षिक स्मारिका भी निकाली।ये श्रीमती वर्मा के नाम से थी।बात जुनून कि हो तो माणिक जी का नाम लिया जा सकता है।एक बार  अनूप जलोटा को बुलवा लिया।संस्था में कार्यकर्ता कम थे या बड़े गायकों की रुचि से वाकिफ न थे,कार्यक्रम के बाद सत्कार की वैसी व्यवस्था न थी।तब भोपाल के वरिष्ठ कवि महेंद्र गगन जी को उन्होंने आवश्यक व्यवस्था करने का संकेत किया। माणिक जी मित्रों से वार्तालाप बहुत पसंद करते थे।
 दुनिया के बहुत से व्यसनों से दूर माणिक जी बेटे नीरज के असामयिक निधन से बेहद दुखी हो गए थे। कोई मिलने आया,बिना चाय- नाश्ते के  वापस नहीं आता। रचना  सुनाने का अनुरोध भी टाल जाते थे।उनके उदासी में ही दिन कटते थे।मंच के कार्यक्रम तो छोड़ ही दिए थे।उनके समकालीन भी  सक्रिय नहीं रहे।ऐसे में स्वास्थ्य का बिगड़ना उन्हें हरदा के बाद भोपाल  रहना भी उतना नहीं भाया।अन्य नगरों का प्रवास भी कम होता।खंडवा में बेटे की पोस्टिंग थी,फिर इंदौर में इलाज कराते रहने के बाद वे टूट चुके थे।आखिर काव्य मंच के शिखर पुरुष ने    जीवन त्याग दिया।मध्यप्रदेश का नाम भी उन्होंने अपनी प्रतिभा से रोशन किया।सादर नमन दिवंगत विभूति माणिक जी को।
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हिन्दी दिवस पर लोक सम्मान पर्व । हिंदी का हाजमा दुरुस्त ,कई भाषाओंके शब्द अपनाए:आचार्य जी

हिन्दी दिवस पर लोक सम्मान पर्व । हिंदी का हाजमा दुरुस्त ,कई भाषाओंके शब्द अपनाए:आचार्य जी

सागर।कला,साहित्य,संस्कृति एवं भाषा के लिए समर्पित ,श्यामलम्  संस्था ने हिन्दी दिवस पर  श्यामलम् लोक सम्मान पर्व 2019 एवं व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।इसके अथिति और  भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन दिल्ली में ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ. मनोहर अगनानी. तथा कमिश्नर आनंद कुमार शर्मा थे।अध्यक्षता स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ.अजय तिवारी ने की। 
 ये हुए सम्मानित:
1कर्मशील जीवनसम्मान-श्री शिवशंकर केसरी
2संस्कृत सम्मान-पं.वासुदेवाचार्य द्विवेदी
3संस्कृति सम्मान-श्री जयंत विश्वकर्मा
4 चिकित्सा सम्मान-डॉ. अनिल खरे
5 निष्ठावान कर्मचारी सम्मान 
    - श्री धर्मेंद्र चौबे ,आरक्षक
6  आदर्श शिक्षक (शालेय ) सम्मान -श्रीआर.पी.अग्निहोत्री
7 रंगकर्मी सम्मान - श्रीआमजद खान 
8 ललित कला सम्मान - श्रीमती स्वाति हलवे 
9 श्रेष्ठ युवा सम्मान :कु. रजनी दुबे 
10 पत्रकारिता सम्मान- श्री गोविंद सरवैया 
11 उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान (उच्च शिक्षा)-
     डॉ. भावना यादव 
12 स्वामी विवेकानंद सम्मान-  श्री नीलरतन पात्रा
13 मानवता सम्मान- 
     श्रीमती  प्रतिभा अरजरिया ,बाल संजीवनी आश्रम रजाखेड़ी।
14 बुन्देली लोक सम्मान -श्री हरिशंकर हरि
15 अकादमिक एवं प्रशासनिक सम्मान- 
प्रो. जी. एल. पुणतांबेकर
    कार्यक्रम में   प्रो.सुरेश आचार्य ने कहा कि यह समय हिन्दी के अभ्युत्थान का है।हिन्दी का हाजमा बहुत दुरुस्त है।अंग्रेजी, अरबी,फारसी, उर्दू, संस्कृत के कई शब्द हिन्दी ने अपना लिए हैं।मुझे आश्चर्य नहीं कि निकट भविष्य में अंग्रेजी भी देवनागरी में लिखी जाने लगे।  कार्यक्रम  में . मनोहर अगनानी के लेख-संग्रह "एकांत की आहट" का विमोचन किया गया साथ ही.डा. अगनानी को "श्यामलम् हिन्दी सेवी सम्मान 2019" से विभूषित किया गया।
     कथाकार डा.सुश्री शरद सिंह ने विमोचित पुस्तक पर समीक्षा में  कहा कि डॉ. मनोहर अगनानी की पुस्तक  'एकांत की आहट' में संग्रहीत लेख संस्मरण एवं अनुभव के रूप में हैं जिनकी यह विशेषता है कि इन लेखों में राग-विराग, कटाक्ष, प्रसन्नता एवं दायित्वबोध आदि सब कुछ बड़े ही सहज ढंग से और सरल शब्दों में समाया हुआ है। 
    कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि वक्ता डा.मनोहर अगनानी ने हिन्दी दिवस व्याख्यानमाला के विषय"हिन्दी के विकास में अन्य भाषाओं की भूमिका" विषय पर प्रभावी  व्याख्यान देते हुए कहा कि हिंदी शब्द की उत्पत्ति सिंधी शब्द से हुई है। हिन्दी के नवजागरण काल में भारतीय संतों ने अपने अपने  क्रियाकलापों से हिन्दी के सम्बर्धन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। हिन्दी फिल्मों ने भी पूरे विश्व मे हिन्दी का प्रचार  प्रसार किया है ।यदि हिन्दी भाषा को राज भाषा से राष्ट्र भाषा की और ले जाना चाहते हैं तो हमें  विज्ञान,तकनीक ,विधि और प्रशासन की भाषाई क्लिष्टता को दूर कर आत्मसात करना होगा। तभी हिंदी अपने उच्चतम विकास तक पहुँच सकेंगी।
          मुख्य अतिथि कमिश्नर सागर  आनंद कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी भाषा को सशक्त एवं ताकतवान बनाने के लिए मेरी दृष्टि में तीन अति महत्त्वपूर्ण कार्य करना होंगे ।
प्रथम है -आपसी बोलचाल और व्यवहार की भाषा हिन्दी बनायें।
द्वितीय है - हम ज्यादा से ज्यादा हिन्दी में ही लिखें। हर भाषा को ,प्रत्येक विषय को हिन्दी में ही लिखें।
तृतीय है- साहित्य सृजन में सभी भाषाओं  के अनुवाद और लेखन हिन्दी में ही करें।
अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी ने हिन्दी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाए जाने की बात कही।
     अतिथियों द्वारा सरस्वती जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन् उपरांत लेखिका संघ की अध्यक्ष सुनीला सराफ ने सरस्वती वंदना की।बुंदेली गायक शिवरतन यादव ने ध्रुव शुक्ल द्वारा रचित प्रकृति वंदना का गायन किया।श्यामलम्  के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र व हरी शुक्ला, कपिल बैसाखिया ,कुंदन पाराशर ने पुस्तकें व श्रीफल भेंट तथा श्यामलम् बैज  लगाकर अतिथियों का स्वागत किया
     प्रथम सत्र का संचालन सहा.प्रा.डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी तथा द्वितीय सत्र का संचालन कवयित्री डॉ. चंचला दवे व रमाकान्त शास्त्री द्वारा किया गया।श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने आभार माना।
 डॉ महेश तिवारी, हरी सिंह ठाकुर,डा. शशि कुमार सिंह,आशीष ज्योतिषी,डा.श्याम मनोहर सीरोठिया,प्रदीप पाण्डेय, डा.सतीश पाण्डेय, सुमित दुबे, असरार अहमद,ऋषभ जैन, डा. आशीष द्विवेदी, डा.अमर जैन,डा. ऋषभ भारद्वाज, देवीसिंह राजपूत,डा.कविता शुक्ला,डा.छाया चौकसे व  राजेश पंडितने सम्मान पत्रों का वाचन किया
    कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजनों व नागरिकों, पत्रकारों की उपस्थिति रही जिनमें पंडित शम्भु दयाल पाण्डेय,डा.जीवनलाल जैन,पूर्व विधायक सुनील जैन,सुरेश सेठ,सुदेश तिवारी, के.के.सिलाकारी,संदीप तिवारी, जे.पी.पाण्डेय, गोवर्धन पटैरिया,मुन्ना शुक्ल,डॉ. छबील मेहेर,डॉ.नॉनिहाल गौतम,प्रो.उदय जैन, निर्मलचंद निर्मल,डॉ सुखदेव वाजपेयी, राजेन्द्र दुबे,डॉ रामरतन पाण्डेय,सिद्धार्थ शुक्ला, मणिकांत चौबे,डॉ.एन.पी.शर्मा,प्रभात कटारे, अम्बिका यादव ,के के तिवारी,गौरव राजपूत, डा.विनोद तिवारी,अभिषेक ऋषि, गोपीरंजन साक्षी,जी.एल.छत्रसाल,डा. प्रदीप चौहान, डा. ज्योति चौहान,हेमचंद जैन,के.एल.तिवारी, पूरन
सिंह राजपूत आदि शामिल हैं।


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नई परिवहन नीति एमपी में लागू नही होगी,कुछ संशोधनों के बाद होगी:परिवहन मंत्री

नई परिवहन नीति एमपी में लागू नही होगी,कुछ संशोधनों के बाद होगी:परिवहन मन्त्री


सागर । आज से देशभर में लागू  नई परिवहन  नीति एमपी में अभी  लागू नही होगी।  इस नीति में परिवहन की दरों और  जुर्मानों  कोलेकर कुछ केंद्र और राज्य सरकार में  मतभेद बने है। ।परिवहन मंत्री गोविन्द राजपूत ने आज सागर में मीडिया  से कहा कि  परिवहन विभाग के कमिश्नर को अन्य राज्यो में  प्रावधानों का अध्ययन कराने के लिए निःर्देश दिए है ।  उसकी रिपोर्ट के बाद लागू होगी ।एक हफ्ते में यह रिपोर्ट आ जायेगी । 
             परिवहन मंत्री के मुताबिक  कुछ जुर्माने अधिक है। शराब पीकर वाहन चलाने का जुर्माना ठीक है । लेकिन कुछ मामलों में छात्र छात्राओं को लेकर उचित नही है। प्रदेश की जनता पर अतिरिक्त बोझ नही पड़े इसका ध्यान रखा जा रहा है । जिसके लिए बदलाव जरूरी है । दरो और जुर्मानों को लेकर मन्त्री /विधायको सहित कई लोगो के फोन इस सम्बंध में  आये है । परिवहन मंत्री राजपूत ने साफ कहा कि  अभी एमपी में  जुर्मानों की पुरानी दरे ही लागू रहेंगी।
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मप्र में भाजपा से शिवसेना का गठबंधन नहीं :प्रदेश प्रमुख

सागर । प्रदेश प्रमुख ठाडेश्वर महावर का कहना है कि शिवसेना एमपी में भाजपा से कोई गठवन्धन नही करेगी। भले ही  महाराष्ट्र में समझौता हो। आने वाले नगरीय निकायों के चुनाव में पार्टी लड़ेगी।यदि भाजपा पहल करती है तो बात करेंगे। प्रदेश प्रमुख महावर ने संगठन की बैठकके पहले मीडिया से यह बात कही । उन्होंने कहा कि वर्तमान हालातो को देखते हुए एमपी में कमलनाथ सरकार ज्यादा दिन नही चलेगी।
      महावर ने पार्टी की बैठक में शिवसेनिकों को भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि अफसरों के खिलाफ शिवसैनिक डटकर आंदोलन करें। उन्होने कहा कि प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य व खनन एवं खाद्य माफिया की मिली भगत से प्रदेश सरकार चल रही है। जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार के दल दल में सराबोर है। 

 सम्भागीय कार्यकारणी गठित:
         इस मौके पर उपराज्य प्रमुख पप्पू तिवारी ने संभागीय कार्यकारिणी घेाषित की। जिसमें संभाग प्रमुख हरवंश गिरी गौस्वामी पर्यवेक्षक कृष्णबिहारी गुप्ता (छतरपुर), सहपर्यवेक्षक रवि गुप्ता, रामदास पटैल, संभागीय सलाहकार राजू उपाध्याय, विजय दरयानी  छतरपुर जिला प्रमुख मुन्ना तिवारी, टीकमगढ युवा जिला प्रमुख अभिषेक पाराशर, उप प्रमुख अंकित साहू, दमोह जिला प्रमुख मुन्ना रैकवार सागर जिला प्रमुख दीपक ठाकुर जिला संगठन प्रमुख हेमराज आलू जिला उप प्रमुख चुनमुन बडकुल जिला प्रभरी विकास यादव युवा शिवसेना जिला प्रमुख अनीकेत तिवारी उप प्रमुख विकास श्रीवास, युवा सेना सभाग प्रभारी नितिन तिवारी, विद्यार्थी शिव सेना सागर जिला प्रमुख अमन ठाकुर, संभाग प्रचार प्रमुख रामचरण सेन, सलाहकार देववृत शुक्ला, आई.टी सेना जिला प्रमुख अतीश जैन, धर्मजागरण जिला प्रमुख शेखर तिवारी, जिला उप प्रमुख मनोज तिवारी, पिछडा वर्ग जिला प्रमुख रिंकू साहू महेश साहू, संभाग उपप्रमुख सहित 71 सदस्यों को रखा।बैठक में डाॅ राहुल सिंघई, डाॅ सुमित भटटाचार्य सागर ने शिवसेना की सदस्यता ग्रहण की। 
इस मौके पर रोहित जैन पन्ना अखिलेश जैन नीलेश जैन, पवन श्रीवास्तव, बलराम मिश्रा, निक्की सेन, सन्नी शुक्ला, प्रशांत मिश्रा, अक्षय सेन लोधी, मनीष मिश्रा, गौरव राठौर, माही जैन, श्री कमल जैन, माखन सिंह परसोत्तम रजक, अनिल जैन, वीरेन्द्र वर्मा, भूपेन्द्र दुबे, रूपेश पचैरी, राकंेश पंथी, फूल सिंह आकाश सूर्यवंशी अंकित साहू, दीपक पटैल मुकेश शिकारी नारयण गुप्ता, सुनील रजक, सौरभ चैधरी,अभिेषक प्रजापति, नीलेश जैन, अनुराग वाजपेयी, शिवयांश ठाकुर, अनुज रावत, अविनाश चैधरी, हरि पटैल सोमू शुक्ला अंम्बिका यादव सहित संभाग के शिवसेनिक उपस्थित थे
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काव्यांजलि: ताली तो जोकर भी बजवा लेते हैं...

ताली तो जोकर भी बजवा लेते हैं :अशोक मिज़ाज

सागर । "शेर सुनाकर दाद बटोरो तो जाने,
ताली तो जोकर भी बजवा लेते हैं,"
ये शेर शायर अशोक मिज़ाज ने काव्य मंच द्वारा आयोजित गीतांजलि एवं कार्यशाला के अध्यक्षीय काव्यपाठ में पढ़ा।उन्होंने नए कवियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज कल सब जल्दी से सब लोग सफलता चाहते हैं लेकिन साहित्य साधना मांगता है।सस्ती लोकप्रियता के लिए किया गया लेखन ताली तो बजवा सकता है लेकिन आपको कवि या शायर के रूप में स्थापित नहीं कर सकता।आपको क्या बनना है ये आप सोच लें और उस दिशा में प्रयासरत रहें।।            
            कार्य क्रम में भोपाल, करेली, रायसेन,बड़ा मलहरा और सागर के कुल 25 नवोदित कवियों  ने काव्यपाठ किया । जिनके नाम हैं  भावना बड़ोनिया, शौर्य चौबे,प्रमोद पबैया, दीक्षा पटेल, बीपीएस ठाकुर, श्वेता जैन, राहुल चढ़ार, शुभी विश्वरी,राजेन्द्र विश्वकर्मा, दिशा साहू, अरिहंत जी, अमन जैन रितिक जैन, आयुष चतुर्वेदी, शशांक गुप्ता, तरुण कुमार सागर, अंशुल नादान, अमित जैन इनके अलावा,सागर के वरिष्ठ कवियों में श्बृंदावन राय सरल, मुकेश सोनी, राघव रामकरन, अक्षय मोदी, कपिल चौबे, प्रभात कटारे,प्रशांत सागर, आदर्श दुबे, अखिषेक जैन, आदि ने काव्यपाठ किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में ललितपुर से पधारे प्रसिद्ध गीतकार अंशुल आराध्यम ने गीत एवम कविता पर विस्तृत चर्चा की।
       इस मौके पर  वन्दना गुप्ता, शिखर चंद शिखर, डॉ अखिल जैन आनन्द, ईश्वर दयाल गोस्वामी, और डॉ अशोक तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने काव्यपाठ भी किया।संचालन  कवि अभिषेक जैन ने एवं आभार प्रदर्शन सृजन आईएएस अकादमी के  संस्थापक अक्षय जैन ने किया।
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