पद्मश्री रामसहाय पांडे का निधन : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलाई राई नृत्य को पहचान
तीनबत्ती न्यूज : 08 अप्रैल ,2025
सागर. मध्यप्रदेश के सागर में प्रसिद्ध नर्तक लोक कलाकार पद्मश्री रामसहाय पांडे का आज मंगलवार की सुबह निधन हो गया है करीब 93 साल के रामसहाय पांडे कुछ दिन से काफी बीमार थे. उनका एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. बुंदेलखंड की प्रसिद्ध राई नृत्य में योगदान के चलते साल 2022 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया था. रामसहाय पांडे ने देश दुनिया में राई नृत्य की प्रस्तुतियां दी । उनका आज दोपहर में पूरे सम्मान के साथ कनेरा में अंतिम संस्कार होगा। सीएम डा मोहन यादव सहित अनेक राजनीतिकों ने श्रद्धांजलि दी है।
राई नर्तक के रूप में मशहूर हुए रामसहाय
राम सहाय पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 में हुआ। मध्य प्रदेश के सागर के एक राई नर्तक हैं । राई ( जिसे राई भी कहा जाता है) नृत्य पारंपरिक रूप से बेड़ियां समुदाय से जुड़ा हुआ था । जो खुद देह व्यापार से जुड़ा हुआ था। इस तथ्य के बावजूद कि वे समुदाय के सदस्य नहीं थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन राई नृत्य के अभ्यास और प्रदर्शन के लिए और नृत्य शैली को स्वीकृति और सम्मान दिलाने के लिए समर्पित कर दिया। उनके अथक प्रयासों से इस नृत्य शैली को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने में मदद मिली।
"राई (या राई) नृत्य शैली मूल रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र का एक लोक नृत्य है।
वर्ष 2022 में भारत सरकार ने कला में उनके योगदान के लिए राम सहाय पांडे को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मध्यप्रदेश सरकार ने नवाजा कई अवार्ड से
राम सहाय पांडे को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित आदिवासी लोककला परिषद के सदस्य चुने गए (1980),मध्य प्रदेश सरकार द्वारा "नृत्य शिरोमणि" की उपाधि से सम्मानित (1980) मध्य प्रदेश सरकार द्वारा "शिखर सम्मान" से सम्मानित (1984) आदि से सम्मानित किया गया।
पुरानी बाते : उम्मीद थी कि सम्मान मिलेगा...
पद्मश्री सम्मान के समय रामसहाय पांडे ने मैया को बताया था कि उन्हें उम्मीद थी कि उनकी लगन व मेहनत को देखते हुए कभी न कभी इसके लिए उन्हें यह सम्मान दिया जाएगा. 17-18 साल की उम्र से राई नृत्य करते आ रहे हैं. इसके लिए उन्होंने सामाजिक बहिष्कार झेला, लेकिन उन्होंने हार नहींं मानी.वे लगातार राई नृत्य के अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का काम करते रहे.
आज बुंदेलखंड का यह नृत्य अपनी अलग पहचान बना चुका है, उसमें श्रीराम सहाय पांडे का बहुत बड़ा श्रेय जाता है। पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 को मडधार पठा में हुआ था. इनके पिता का नाम लालजू पांडे व माता का नाम करैयाबाली था. इनके पिता खेती व गांव के ही मालगुजार के यहां काम करते थे. पांडे अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे. इनकी बड़ी बहन कनेदादेव में ब्याही थी. जहां आकर वे बाद में रहने लगे.
बचपन में सीखा मृदंग बजाना : शादी में आई अड़चन
श्रीराम सहाय पांडे ने बचपन में ही मृदंग बजाना सीखा.इसके बाद वर्ष 17-18 साल की उम्र से धीरे-धीरे राई नृत्य के प्रति लगाव हुआ. वहीं से वह राई नृत्य करने के लिए जाने लगे. इससे वे पूरे क्षेत्र में ख्यात हो गए.
राई नृत्य के कारण शादी में भी हुई दिक्कत
पांडे जब शादी योग्य यानी 20-21 साल के हुए तो राई नृत्य करने की वजह से ब्राह्मण समाज में उन्हें कोई लड़की देने तैयार नहीं था.उन्होंने एक तरह से सामाजिक प्रतिबंध झेला. बड़ी मुश्किश्ल से उनकी शादी हुई।
श्रीराम सहाय पांडे ने इन सभी परेशानियों के बीच अपना राई नृत्य जारी रखा. इस दौरान 1964 में आकाशवाणी भोपाल द्वारा भोपाल के रवींद भवन में रंगवार असव में कहें राई नृत्य के लिए बुलाया गया. यहां पांडे ने तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद्र नारायण की उपस्थिति में राई की प्रस्तुति दी.यहां सराहना व प्रोत्साहन मिलने के बाद वे लगातार आकाशवाणी एवं पंचायत तथा समाज सेवा विभाग के कार्यक्रमों में जाने लगे.
1980 में मप्र शासन द्वारा स्थापित आदिवासी लोककला परिषद सदस्य चुने गए. 1980 में ही मध्यप्रदेश शासन के पंचायत सेवा विभाग द्वारा रायगढ़ में मप्र शासन द्वारा नित्य शिरोमणि की उपाधि से सम्मानित किया गया. इसके बाद सन 1984 में म.प्र शासन द्वारा शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके बाद सन 1984 में ही जापान कान के आमंत्रण पर एक माह के लिए जापान भेजा गया. इसके बाद निरन्तर पांडेय ने देश-विदेशों में प्रस्तुति दी.
(पद्मश्री मिलने पर पूरा सागर में था उत्साह)
प्रशिक्षण दे रहे थे राम सहाय
उम्र के आखिरी पड़ाव में रामसहाय पांडे सक्रिय बने रहे । कई साल से युवक-युवतियाें को राई नृत्य का प्रशिक्षण भी दे रहे थे।.यहां के राई नर्तकों ने देश-विदेश में इसकी अलग पहचान बनाई. पांडे के नेतृत्व में वर्ष 2006 में मप्र शासन द्वारा दुबई में राई नृत्य की प्रस्तुति दी गई. इसके अलावा कई देशों में इस लोक कला का प्रदर्शन हुआ और व नृत्य को सराहना मिली. वर्ष 2000 में बुंदेली लोक नृत्य व नाट्य कला परिषद् के नाम से एक संस्था की स्थापना की गई, जहां छात्र- छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पद्मश्री राई लोक नृतक श्री राम सहाय पांडे के निधन पर शोक व्यक्त किया
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सागर जिला निवासी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोकनृत्य कलाकार पद्मश्री रामसहाय पांडे के निधन पर दुख व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्री राम सहाय पांडे जी ने विपरीत परिस्थितियों में कला क्षेत्र को अपनाया और धारा के विपरीत बहते हुए इस क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां अर्जित कीं ।भारत के साथ अन्य देशों में भी उन्होंने बुंदेलखंड के राई लोक नृत्य को पहचान दिलवाई। उनके योगदान को रेखांकित करते हुए भारत सरकार द्वारा श्री पांडे को पद्मश्री से अलंकृत किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री रामसहाय पांडे जी का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित उनका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वर्गीय पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति और शोकाकुल पांडे परिवार को यह दुख सहने करने की सामर्थ्य देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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Editor: Vinod Arya
संपादक :विनोद आर्य
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