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समाज के वरिष्ठ नागरिक अनुभव एवं ज्ञान के अनमोल खजाने हैं, इनका प्रेमपूर्वक ख्याल रखें : कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता

समाज के वरिष्ठ नागरिक अनुभव एवं ज्ञान के अनमोल खजाने हैं, इनका प्रेमपूर्वक ख्याल रखें : कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता


तीनबत्ती न्यूज : 29 मार्च ,2025


सागर. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर एवं राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं  माल्यार्पण कर किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल, विशिष्ट अतिथि डीएवी विश्वविद्यालय जालंधर की पूर्व कुलसचिव डॉ. रेखा कालिया भारद्वाज एवं पूर्व सागर सांसद डॉ. लक्ष्मीनारायण यादव थे. अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम के संयोजक प्रो. विनोद भारद्वाज ने दिया. कार्यक्रम का परिचय एवं  रूप रेखा डॉ. शिवानी मीणा ने प्रस्तुत किया. 

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि समाज के वरिष्ठ नागरिक अनुभव एवं ज्ञान का खजाना होते हैं. उनके अनुभव एवं ज्ञान से नई पीढ़ी सीख सकती है. भारत इस मायने में समृद्ध रहा है कि आज भी यहाँ संयुक्त परिवार हैं. भारतीय समाज में वृद्धजन के प्रति सम्मान भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है. आज एकल परिवार का चलन बढ़ा है लेकिन हमें हमारी युवा पीढ़ी को इस बात के प्रेरित करना चाहिए कि वे अपने-माता पिता और घर के वरिष्ठ सदस्यों का प्रेम पूर्वक ख्याल रखें. ऐसे कई उदाहरण आज भी हमारे समाज में हैं जहाँ पुत्र अपने माता-पिता से अगाध स्नेह के साथ उनकी सेवा करते हैं और उनका पूरा ख्याल रखते हैं. हमें ऐसे उदाहरणों के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए. समाज में यह परिवर्तन लाना हम सभी का दायित्व है. वृद्ध जन और युवा के बीच की खाई को ख़त्म करना होगा. यह परस्पर संवादी वातावरण बनाने से संभव होगा. 

मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है- प्रो. चक्रवाल


मुख्य अतिथि प्रो. आलोक  चक्रवाल ने कहा कि हमें इतिहास से सीखना चाहिए. श्रवण कुमार जैसे उदाहरण हमारे समाज में प्रेरणा स्रोत हैं. उन्होंने महान संत गुरु घासीदास का उल्लेख करते हुए कहा कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. आज का युवा विदेशों की तरफ आकर्षित हो रहा है और अपने माता-पिता के सान्निध्य से वंचित होता जा रहा है. समाज में कई ऐसी घटनाएं देखने-सुनने में आती हैं जहाँ माता-पिता की स्थिति दयनीय हो जाती है लेकिन यह स्थिति बदल सकती है. समाज में सकारात्मक सोच के कार्य करने और वृद्ध जनों के लिए सांस्थानिक भागीदारी निभाते हुए शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका इसमें महत्त्वपूर्ण है. उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि हमें दीर्घकालिक बदलाव के लिए धीरे- धीरे छोटे-छोटे प्रयोग करते हुए धैर्य पूर्वक इस मानवतावादी कार्यक्रम और सन्देश का प्रसारण आम जनमानस में करना है.  

आज के युवाओं को वृद्धों से संवाद करना चाहिए- डॉ. लक्ष्मी नारायण यादव



सारस्वत अतिथि सागर के पूर्व सांसद डॉ. लक्ष्मी नारायण यादव ने कहा कि वरिष्ठ एवं वृद्ध जनों पर आयोजित कार्यक्रमों हेतु कई बार विदेशों में मेरा जाना हुआ है. दुनिया के कई देशों में वृद्ध जनसँख्या एक समस्या के रूप में देखा जाता है.  विदेशों की अपेक्षा भारत में आज भी वृद्धजनों की स्थिति काफी अच्छी है. उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को वृद्धों से संवाद करना चाहिए. उनसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए. उनसे ली गई सीख और उनकी समाज में सक्रिय भागीदारी देश को स्थायी दिशा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण साबित होगा. 



वरिष्ठ जनों को गरिमामयी जीवन प्रदान करना सामूहिक जिम्मेदारी- डॉ. भारद्वाज

सारस्वत अतिथि डॉ. रेखा कालिया भारद्वाज ने कहा कि छोटी-छोटी इकाइयों से समाज बनता है. समाज से राष्ट्र बनता है. समाज के वरिष्ठ नागरिकों के अनुभव राष्ट्र निर्माण की गति को तीव्र करने में महती भूमिका निभा सकते हैं, इसलिए उनकी गरिमामयी तरीके से देखभाल और सम्मानजनक जीवन प्रदान करना हम सभी सामूहिक जिम्मेदारी है. समाज को संवेदनशील बनाते हुए बुजुर्गों के साथ हो रहे अपमान, उनके प्रति लापरवाही, शारीरिक चोट, उन्हें बोझ समझा जाना जैसी प्रवृत्तियों को रोकने की आवश्यकता है. वरिष्ठ नागरिक समाज में कैसे अपनी भूमिका निभाएं इस पर मंथन करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जो सभी के जीवन में आता है इसलिए इस अवस्था को इस रूप में न समझा जाए कि यह किसी के लिए बोझ लगे. उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच, सकारात्मक कार्य और सकारात्मक बने रहने की सबसे ज्यादा जरूरत है. राष्ट्र के निर्माण में वृद्धजनों की भी आवश्यकता है. बिना उनके राष्ट्र निर्माण अधूरा है. उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी अपेक्षाओं का बोझ लेकर जीवन न जियें. दूसरों पर कम से कम निर्भर रहें. स्वयं के लिए आर्थिक बचत के प्रति सचेत रहें. सृजनशील बनें, स्वास्थ्य का ध्यान रखें, सकारात्मक सोच रखें आपका जीवन हमेशा सुखमय बना रहेगा.   

विश्वविद्यालय में स्थापित होगा वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ, कुलपति ने की औपचारिक घोषणा

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ स्थापित किया जाएगा. इसमें सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए समय-समय पर विभिन्न गतिविधियाँ, स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, व्याख्यान एवं उनकी आवश्यकता अनुरूप अन्य गतिविधियों का भी आयोजन किया जाएगा. उन्होंने सभी वरिष्ठ नागरिकों से अपील की कि आप में से बहुत से लोग विश्वविद्यालय के छात्र भी रहे होंगे, आपके बच्चों ने भी यहाँ से पढ़ाई की होगी. एक बार फिर आप सभी विश्वविद्यालय से वरिष्ठ नागरिक होने के नाते जुड़िये और हमारे विद्यार्थियों के बीच आकर अपने अनुभवों से उन्हें भी लाभान्वित करें. विश्वविद्यालय भी वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य, विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में सहयोग करेगा. उन्होंने कहा कि इस संवादपरक वातावरण से घर से दूर रह रहे विद्यार्थियों को स्थानीय संरक्षक मिलेंगे और जिन वरिष्ठ नागरिकों के बच्चे बाहर रहते हैं उनको छात्रों के रूप में उनको अपने बच्चों से दूरी का एहसास नहीं होगा.   


150 लोगो का परीक्षण 

कार्यक्रम में सागर शहर एवं आस-पास के 150 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों ने अपना निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण कराया और चिकित्सकों से परामर्श लिया. डॉ. अभिषेक जैन, डॉ. किरण माहेश्वरी एवं डॉ. भूपेंद्र पटेल  के निर्देशन में सभी वरिष्ठ नागरिकों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ. परीक्षण में अत्याधुनिक मशीनों द्वारा आँखों की जाँच, ब्लड प्रेशर, शुगर, ईसीजी, बीएमडी (हड्डी की जांच) सहित अन्य सामान्य परीक्षण किया गया. 


इस सम्मेलन में वृद्धावस्था देखभाल एवं उनकी सामाजिक भावनात्मक सुरक्षा, खानपान संबंधी व्यवहार, योग एवं ध्यान, शुरुआती स्वास्थ्य संबंधी देखभाल एवं सलाह, वरिष्ठ नागरिकों के अनुभवों को युवा पीढ़ी से जोड़ने, उनके एकाकीपन को दूर करते हुए समाज में उनकी सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए 30 मार्च को भी कई सत्रों में आयोजन किया गया है. योगाचार्य विष्णु आर्य ने योग से स्वास्थ्य रहने के उपाय बताए।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. हेमंत पाटीदार ने किया. आभार ज्ञापन डॉ. ऋतु यादव ने किया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारयों सहित सागर शहर एवं आस-पास के गाँवों के वरिष्ठ नागरिकों ने इस आयोजन में अपनी सहभागिता की.

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