मनुष्य को अपनी भाषा से प्रेम करना चाहिए : साहित्यकार काजल ओझा
सागर। संजीवनी बाल विद्यालय स्कूल मॉल गोदाम रोड में आयोजित कार्यक्रम में गुजरात की साहित्यकार काजल बेन ओझा आईं। काजल बेन ओझा साहित्यकार, वक्ता, पटकथा, पत्रकार, अभिनेता है । काजल बेन ने छप्पन किताबें लिखी हैं । इन्होंने हिंदी व गुजराती सिनेमा में भी काम किया है। काजल बेन ओझा अहमदाबाद की रहने वाली हैं।
काजल बेन ओझा ने कहा कि स्वागत पुस्तक से होना चाहिए। पुस्तक को पढ़ने से ज्ञान बढ़ता है। गुजराती भाषा से मीठी और कोई भाषा नहीं होती। काजल ओझा ने कहा कि हिंदी भाषा रोमांटिक भाषा है। गुजराती भाषा में लड़ने में भी बहुत आनंद हैं। मनुष्य को अपनी भाषा से प्रेम करना चाहिए। आज कल अंग्रेजी भाषा को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। रीजनल भाषाओं को भी उतना ही महत्व देना चाहिए। उन्होंने कहा किआज के समय में साधु झूठा हो सकता है लेकिन वृद्ध जन झूठे नहीं हो सकतें । वृद्ध जन के पास अनुभव है। आज के समय में इंसान हंसना भूल गया है। मनुष्य पहले के समय में सुखी था। आज के समय का पुरुष अहंकार में जीवन व्यतीत कर रहा है। अहंकार के आ जाने से मनुष्य सारे रिश्ते खराब कर देता है।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में शादी होने के बाद महिलाएं बात को सुलझाने की जगह और बढ़ा देती है। घर पर हाउस हेल्प रखने के बाद भी आज के समय पर लड़ाई होती रहती हैं। इसका कारण है दो लोगों के बीच में विपरीत सोच का होना । एक स्त्री को पत्नी बनने की जगह मित्र बनना चाहिए।
स्वागत धनु बेन पटेल अध्यक्ष कच्छ कड़वा पाटीदार समाज महिला मंडल ने स्वागत किया। अबजी भाई पटेल अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पोपट भाई पटेल गुजराती समाज ने पुष्पों से स्वागत किया।
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स्मार्ट फोन के आ जाने से आज के युवा पीढ़ी के स्वभाव में बदलाव आ गया है। छोटे से लेकर बड़े हर उम्र के व्यक्ति को प्राइवेसी चाहिए । जब एक पिता अपना व्यवसाय अपने आगे आने वाली पीढ़ी के लिए सौंपता है तब पिता को अपने पुत्र पर विश्वास करना चाहिए। व्यवसाय की जिम्मेदारी पूरे तरीके से पुत्र को संभालने देनी चाहिए। पुत्र ने अपने पिता को संघर्ष करते देखा है। सुखी रहने का सरल रास्ता है पिछले खराब पल भूल जाना। संघर्ष करने से तकलीफ बढ़ती हैं । यही संघर्ष मनुष्य को जीवन में आगे ले जाता है।
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उन्होंने कहा कि माता पिता ने अपने बच्चों को गीत, श्लोक, कहानी याद करने पर सदैव जोर डाला है। ऐसे में बच्चे केवल याद करना सीख रहे है। बच्चों के मन का विकास नहीं हो रहा है। बच्चों के लिए अपमान, संघर्ष करना जरूरी है। ऐसे करने से बच्चे गलती करके सीखेंगे । जीवन में गलती करने से ही सीख मिलती है। बच्चों को संस्कार सिखाना माता–पिता का काम है। काजल ओझा ने बताया कि मनुष्य को श्रमा करना सीखना चाहिए। श्रमा करने से मनुष्य अपने विनम्र स्वभाव का परिचय देता है। मेहनत करने से ही जीवन में सफलता मिलती है।
कार्यक्रम का संचालन गुजराती समाज के महामंत्री चंद्रकांत भाई पटेल ने किया। पाटीदार समाज के अध्यक्ष श्री अबजी भाई पटेल भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन कच्छ कड़वा पाटीदार समाज द्वारा किया गया। नैना बेन पटेल के प्रयासों से काजल ओझा कार्यक्रम में आई। महिमा बेन पटेल भी उपस्थित रहे। अंत में श्रीमती राधा बेन अमीन ने काजल बेन ओझा को सम्मान पत्र भेंट किया। आयोजन में बड़ी संख्या में गुजराती समाज के पुरुष , महिलाएं एवं परिवार जन मौजूद थे ।
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Editor: Vinod Arya
संपादक :विनोद आर्य
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