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डा गौर विवि : विदुषी सवित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धाजलि

डा गौर विवि : विदुषी सवित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धाजलि


तीनबत्ती न्यूज : 11 मार्च ,2025

सागर-डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, इतिहास विभाग शोधार्थी परिषद के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  दो दिवसीय अकादमिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें विश्व तथा भारतीय इतिहास में महिलाओं के योगदान को याद किया गया एवं विदुषी सवित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक अहिरवार, वक्ता डॉ आफरीन खान (राजनिति शास्त्र विभाग) एवं डॉ. संजय शर्मा (जीवन पर्यन्त शिक्षा विभाग) तथा इतिहास विभाग के अन्य विद्वान प्रो. बी.के श्रीवास्तव, डॉ. सजय बरोलिया. डॉ. पकज सिंह भी उपस्थित रहे।


डॉ आफरीन खान ने इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम 'ऐक्सलरेट ऐक्शन' पर ध्यान आकर्षित करते हुए महिला आदोलनों के विभिन्न चरणों, उनके मध्य समता, समानता एवं स्वतंत्रता की भावना को व्यक्त किया। साथ ही बताया कि समाज में महिलाओं के निम्न स्तर का जिम्मेदार पुरुष नहीं अपितु पित्रसत्ता है. जिसके शोषण के दायरे में महिलाओं के साथ पुरुष भी आते है। वक्ता डॉ संजय शर्मा ने महिलाओं पर होती घरेलु हिंसा की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयत्न किया तथा धरेलु कार्यों में पुरुषों के समान सहयोग का आग्रह किया साथ ही उन्होने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से परिवार में महिलाओं की स्थिति को उजागर किया और यह पहल की 'हम महिलाओं की समाज में समान अवस्था के लिए हम और 200 वर्ष इतजार नहीं कर सकते हमें तुरंत प्रयत्नों के द्वारा इसे प्राप्त करना होगा। इसके अलावा दूसरे दिवस के कार्यक्रम में भी उन्होने विदुषी सावित्रीबाई फुले के प्रयत्नों एवं योगदान का स्मरण कराया।


दूसरे दिवस के कार्यक्रम में प्रो बी के श्रीवास्तव ने स्थानिय महिला शक्ति से अवगत कराते हुऐ शोधार्थीयों से उन पर शोध करने की अपील की। डॉ सजय बरोलिया ने सवित्रीबाई फुले के संदर्भ में कहा कि 'उन्होनें शिक्षा को असमानता को पाटने का माध्यम बनाया। डॉ. पंकज सिंह ने महिलाओं की वर्तमान परिस्थितियों को देख कर पुरुषों के सवेदनशील होने पर जोर दिया।


कार्यक्रम के अत में विभागाध्यक्ष प्रो अशोक अहिरवार ने विषय की प्रासंगिकता को याद कराते हुए शोधार्थीयो में व्याप्त जिज्ञासा को शात कराते हुए कहा कि 'दुनिया में आदमी द्वारा फैलाये समस्त उपनिवेशों से मुक्ति प्राप्त हो गई है महिला आदमी का अतिम उपनिवेश है इससे भी शीघ्र मुक्ति मिलने वाली है। 21 वीं शताब्दी महिलाओं की शताब्दी है समग्र मानव जाति को बचाने और शांति स्थापना का हुनर मतृ शक्ति में ही निहित है। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी करुणा सिंह राजपूत एवं आशु अहिरवार ने किया. इसके अलावा कार्यक्रम में शोधार्थी परिषद इतिहास विभाग के अध्यक्ष विजय प्रकाश सिंह, सचिव प्रविण्या श्रीवास्तव एवं अन्य शोधर्थीयों ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रो अशोक अहिरवार द्वारा शोधार्थी परिषद के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित यह कार्यक्रम अत्यल सराहनीय है, यह शोधार्थीयो के मध्य जागरुकता एवं नारीवादी मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता को बड़ानें में मदद करेगा।



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