डॉ गौर विश्वविद्यालय: म्यूज़ियोलॉजी में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम शुरू होंगे

डॉ गौर विश्वविद्यालय: म्यूज़ियोलॉजी में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम शुरू होंगे


तीनबत्ती न्यूज : 18 फरवरी ,2025

सागर. डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग द्वारा रंगनाथन भवन में म्यूज़ियोलॉजी कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिष्ठित अतिथियों, शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया और संग्रहालय विज्ञान के विविध पहलुओं पर चर्चा की.

इस कार्यशाला में वाह्य विशेषज्ञ राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (एनएमएनएच), नई दिल्ली की निदेशक डॉ. नाज़ रिज़वी, डॉ. शक्ति कुमार सिंह (एनएमएनएच, नई दिल्ली) और डॉ. बीनिश रफ़त (क्षेत्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, भोपाल) ने भाग लिया जिसमें विभिन्न सत्रों में इतिहास, संस्कृति, फोरेंसिक विज्ञान और पर्यावरणीय स्थिरता में संग्रहालयों की भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया.

कार्यशाला के दौरान प्रो. सुबोध जैन, डॉ. पंकज सिंह, प्रो. अथोक्पम कृष्णकांता सिंह और प्रो. देवाशीष बोस ने महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए. उन्होंने विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक विकास, भूवैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, और संग्रहालयों में फोरेंसिक तकनीकों के उपयोग पर चर्चा की. विशेष रूप से, डॉ. शक्ति कुमार सिंह ने ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट- एलआईएफई’ पहल पर व्याख्यान दिया, जिसमें पर्यावरणीय स्थिरता और ईको-फ्रेंडली जीवनशैली को बढ़ावा देने पर बल दिया गया.

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समापन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. उन्होंने विश्वविद्यालय के संग्रहालयों को राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता दोहराई और इन्हें विश्वविद्यालय की ‘पांच अनमोल धरोहरें’ बताया. उन्होंने एनएमएनएच और ईएमआरसी के सहयोग से विश्वविद्यालय संग्रहालयों पर एक दस्तावेज़ी फिल्म (डॉक्यूमेंट्री) बनाने का सुझाव दिया और म्यूज़ियोलॉजी में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की, जिससे छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोज़गार के अवसर मिल सकें. इस अवसर पर डॉ. नाज़ रिज़वी ने संग्रहालयों की शैक्षिक भूमिका पर प्रकाश डाला और संग्रहालयों में प्रदर्शनी प्रबंधन के लिए ‘80/20 नियम’ की व्याख्या की. धन्यवाद ज्ञापन और अतिथियों के सम्मान के साथ कार्यशाला का समापन हुआ.

यह कार्यशाला वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में संग्रहालयों की भूमिका को रेखांकित  करने के साथ-साथ अंतरविषयक (इंटरडिसिप्लिनरी) सहयोग और शैक्षणिक संवाद को भी प्रोत्साहित करने में सफल रही. इस दौरान एनएमएनएच के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) स्थापित करने की योजना पर भी चर्चा की गई, जिससे संग्रहालय विज्ञान में दीर्घकालिक अकादमिक और शोध सहयोग को मजबूती मिलेगी.

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