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डा गौर विश्वविद्यालय के विधि पाठ्यक्रम को मिली बार कॉन्सिल की मान्यता ▪️18 वर्षों से छात्र परेशान, न्यायालय में याचिका दर्ज होने के 3 महीनों के भीतर ही मिली मान्यता

डा गौर विश्वविद्यालय के विधि पाठ्यक्रम को मिली बार कॉन्सिल की मान्यता

▪️18 वर्षों से छात्र परेशान, न्यायालय में याचिका दर्ज होने के 3 महीनों के भीतर ही मिली मान्यता



तीनबत्ती न्यूज : 12 फरवरी ,2025

सागर : डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय में पिछले 18 वर्षों से विधि पाठ्यक्रम बिना बार काउंसिल की मान्यता के संचालित हो रहा था। इस दौरान छात्रों से शुल्क तो वसूला गया, परंतु उन्हें मात्र एक कागजी डिग्री ही सौंपी गई—जिसकी न तो कोई कानूनी मान्यता थी, न ही किसी व्यावसायिक क्षेत्र में उपयोगिता। न तो वे वकील बन सकते थे, न न्यायिक परीक्षाओं में बैठ सकते थे, और न ही बार काउंसिल में अपना पंजीकरण करा सकते थे। कई छात्रों ने पंजीयन की शुल्क भी जमा करी फिर भी नहीं मिला पंजीयन । इसको लेकर लगातार विश्विद्यालय में छात्रों से द्वारा आंदोलन भी किए जा रहे थे। 

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होटल क्राउन पैलेस की नई पेशकश स्विमिंग पूल

" क्राउन वेव "

शुभारंभ : 14 फरवरी,2025

शाम : 05 बजे

स्थान : होटल क्राउन पैलेस, मकरोनिया रोड ,सागर


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विश्वविद्यालय: तीन वर्षीय एवं पांच वर्षीय एकीकृत (ऑनर्स) विधि पाठ्यक्रमों को मिला विस्तार का अनुमोदन

 डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में संचालित तीन वर्षीय एवं पांच वर्षीय एकीकृत (ऑनर्स) विधि पाठ्यक्रमों को भारतीय विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल ऑफ़ इण्डिया) से वर्तमान और अगले सत्र में विस्तार का अनुमोदन मिल चुका है. बार काउंसिल से प्राप्त स्वीकृति पत्र के अनुसार प्रत्येक पाठ्यक्रम में 60 सीट पर प्रवेश हेतु सत्र 2024-2025 एवं सत्र 2025-26 के लिए विस्तार का अनुमोदन प्रदान किया गया है. इसी के साथ पांच वर्षीय एकीकृत(ऑनर्स) विधि पाठ्यक्रम को अकादमिक सत्र 2006-07 से 2023-24 तक एवं तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम को अकादमिक सत्र 2012-13 से 2023-24 तक का भी अनुमोदन प्राप्त हो चुका है. 

विवि के कुलसचिव डॉ एस पी उपाध्याय ने बताया कि विश्वविद्यालय में पांच वर्षीय बी.ए. एलएलबी (ऑनर्स) एवं तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम संचालित है जिसकी प्रत्येक नए सत्र में प्रवेश के विस्तार हेतु अनुमोदन का प्रावधान है. इसके लिए बार काउंसिल ऑफ़ इण्डिया द्वारा निर्धारित शुल्क जमा करना होता है. विश्वविद्यालय के स्वीकृति हेतु प्रस्ताव पर बार काउंसिल ऑफ़ इण्डिया की विधि शिक्षा समिति ने यह अनुमोदन प्रदान  किया है.

छात्रों ने लड़ी कानूनी लड़ाई, न्यायालय ने लिया संज्ञान

जब 18 वर्षों की प्रतीक्षा और अनगिनत प्रयास निष्फल रहे, तब अक्टूबर 2023 में छात्रों ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया । अदालत ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए, पहली ही सुनवाई में विश्वविद्यालय और बार काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। इतना ही नहीं, न्यायालय ने विश्वविद्यालय को भी ट्रायल में रखने की बात कही। जिससे यह साफ हो गया कि बिना मान्यता के कानून पाठ्यक्रम चलाना एक गंभीर मुद्दा है।

इसके बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया और बार काउंसिल भी। 18 वर्षों तक अनदेखी की जाने वाली इस मान्यता को केवल तीन महीनों में ही प्रदान करना पड़ा। 07 फरवरी 2024 को बार काउंसिल ने आखिरकार विश्वविद्यालय को मान्यता दे दी।

छात्रों को गुमराह किया गया, कोर्ट कार्यवाही से बचने के लिए आदेश जारी

हालांकि, मान्यता मिलने के बावजूद छात्रों को इसकी कोई सूचना नहीं दी गई। वे आंदोलनरत रहे, हड़ताल पर बैठे रहे, लेकिन प्रशासन चुप्पी साधे रहा। मान्यता 07 फ़रवरी 2024 को ही मिल गयी थी और छात्र उसके बाद ही हड़ताल पर बैठे । अंततः, जब मामला 13 फरवरी 2024 को न्यायालय में सूचीबद्ध हुआ, तो इससे ठीक एक दिन पहले, 12 फरवरी 2024 को, विश्वविद्यालय प्रशासन और बार काउंसिल ने आदेश सार्वजनिक किया।

अब आगे क्या?

अधिवक्ता प्रताप राज तिवारी का कहना है कि,“जो कार्य 18 वर्षों में नहीं हुआ, वह मात्र तीन माह में पूरा हुआ। यह हमारी न्यायिक व्यवस्था की शक्ति और प्रभाव को दर्शाता है। किंतु यह भी एक गंभीर प्रश्न है कि छात्रों को अदालत जाने और हड़ताल करने की नौबत ही क्यों आई?”

यह भी गौरतलब है कि मान्यता का आदेश 07 फरवरी 2024 को ही आ गया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने इसे छात्रों से छिपाए रखा, जिससे वे हड़ताल पर बैठे रहे। केवल न्यायालय में मामला सूचीबद्ध होने से एक दिन पहले ही आदेश जारी किया गया, ताकि न्यायिक कार्यवाही से बचा जा सके।

छात्रों के 18 वर्षों के नुकसान की भरपाई कैसे होगी?

हालांकि, इस निर्णय से छात्रों को उनका अधिकार मिला और यह न्याय की जीत मानी जाएगी, लेकिन क्या इससे उनकी वर्षों की मेहनत, समय और अवसरों की क्षति की भरपाई हो सकेगी?

अभी भी कई महत्वपूर्ण मुद्दे लंबित हैं—एनरोलमेंट फीस से संबंधित समस्याएँ, छात्रों के करियर पर पड़े प्रभाव और अन्य शैक्षिक असमानताएँ। इसके समाधान के लिए अगली सुनवाई में न्यायालय के समक्ष प्रार्थना प्रस्तुत की जाएगी।

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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