Sagar : बेटा खोया, दर्द सहा, गोद सूनी न हो किसी मॉ की , इसलिए सीखी ड्राईविंग ▪️विवाह के 25 वर्ष बाद अडेन्ड की क्लास और पहनी ड्रेस ▪️ड्राईविंग प्रशिक्षण में आयी ग्रामीण क्षेत्रों से 27 महिलाएं और युवतियां

Sagar : बेटा खोया, दर्द सहा, गोद सूनी न हो किसी मॉ की , इसलिए सीखी ड्राईविंग

▪️विवाह के 25 वर्ष बाद अडेन्ड की क्लास और पहनी ड्रेस

▪️ड्राईविंग प्रशिक्षण में आयी ग्रामीण क्षेत्रों से 27 महिलाएं और युवतियां


तीनबत्ती न्यूज : 03 जनवरी ,
सागर  महिलाओं का हौसला उनकी साहसिकता, सहनशीलता, और प्रतिबद्धता की पहचान है। हर दौर में महिलाओं ने अपने संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति से समाज को यह दिखाया है कि उनके हौसलों की उड़ान किसी सीमा में नहीं बंध सकती।

महिलाओं के हौसलों पर प्रेरणादायक उद्धरण बनी जिले की महिलाएं जिसमें केसली मुख्य मार्ग से 8 किमी. भीतर बसें ग्राम बम्होरी की श्रीमति वंदना राजपूत ड्राइविंग सीख कर जननी एक्सप्रेस की वाहन चालक बनना चाहती है। शादी के 19 वर्ष बाद वे इस प्रशिक्षण में इसलिए शामिल हुई। वे बताती है कि लगभग 18 वर्ष पहले कॉम्प्लिकेटेड डिलीवरी केस के कारण उन्हें सागर रेफर किया गया। वाहन चालक लेट पहुँचा रास्ते में भारी बारिश के कारण जाम लगा था गाँव के कच्चे मार्गो से गुजरते हुये जैसे तैसे सागर पहुंचे लेकिन अफसोस की बात थी कि महिला चिकित्सक ने ऑपरेशन थियेटर में पूरी कोशिश करने के बाद वन्दना की गोद को सूना होने से बचा नहीं पाई। बच्चा खोने का दर्द आज भी वंदना को है।

पढ़ाई भी कर रही है वंदना

श्रीमती वंदना जननी एक्सप्रेस का वाहन चालन बनकर वे हर मदद की दरकार लिए प्रत्येक माँ की गोद को सूना होने से रोकना चाहती है। वंदना बताती है कि गाँव में साधन की कमी के कारण 5 वीं के बाद की शिक्षा रूक गई विवाह हो गया समूह से जुड़ी तब उन्होंने शिक्षा के महत्व को जाना अब वे अपने 12 और 14 वर्षिय बच्चों के साथ बैठकर 12 कक्षा की तैयारी कर रहीं है।

27 महिलाए सीख रही है ड्राईविंग

म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन जिला सागर के द्वारा 27 ग्रामीण महिलाओं को 30 दिवसीय मोटर ड्राईविंग कोर्स कराया जा रहा है, जो 07 जनवरी को पूरा होगा। कुमारी शिवानी कोरी पिता और भाई के निधन के बाद परिवार की इकलौती बेटी है, जो अपनी माँ का भरण पोषण कर रही है। शिवानी ने बताया की घाना पठा खुर्द, पटना खुर्द आदि ग्रामों से स्कूली बच्चे और छात्राएं स्थानीय बसों में क्षमता से अधिक भर कर आते हैं छात्राओं को यात्रा में दिक्कत न हो इसलिए वे वाहन चालक बन स्वयं का वाहन खरीदेगी और इन छात्राओं की सवारी ढोने का काम करेगें।

शादी के 21 साल बाद ग्राम बरायठा शाहगढ विकासखण्ड की रामराजा समूह से जुड़ी श्रीमति रजनी पटैल इस प्रशिक्षण में शामिल होकर समूह की महिलाओं और स्कूल छात्राओं को परिवाहन में मदद करना चाहती है। ग्राम वांदरी से 15 किमी अन्दर स्थिति ग्राम कोलूआ की मीना पटैल कक्षा आठवीं के बाद पिता के निधन के कारण शिक्षा पूरी नहीं कर पाई, मन में कुछ करने का जज्बा था, इसलिए इस प्रशिक्षण में आई वे खुश है कि विवाह के 25 वर्ष बीत जाने के बाद उन्हें ड्रेस पहनना क्लास अडेन्ड करने का मौका मिला।

वनस्पति विज्ञान में स्नातकोतर कुमारी मधु लोधी अपना वाहन बीना रिफाईनरी के अधिकारियों को ढोने के काम में लगाना चाहती है। और इसे अपने स्वरोजगार का साधन बनाना चाहती है। ग्राम जोलनपुर की श्रीमति शमिना गौड़ एक नई पहचान की उम्मीद पाले इस प्रशिक्षण में आयी है।

कलेक्टर संदीप जी.आर की व्यक्तिगत पहल के कारण जिले में आजीविका मिशन के द्वारा महिलाओं को मोटर ड्राईविंग कोर्स सिखाने के लिए आरसेटी के माध्यम से 30 दिवसीय इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। कलेक्टर की मंशा थी कि ग्रामीण परिवाहन सेवा के क्षेत्र में महिलाओं की भी भागीदारी बढ़े।

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एडिटर: विनोद आर्य
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