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डा कुमार विश्वास की काव्य धारा में बह गयी खुरई डोहेला की आडिएंस ▪️तुम्हारे नेता भूपेंद्र सिंह की मोहब्बत मुझे खुरई तक खींच लाई- डा कुमार विश्वास

डा कुमार विश्वास की काव्य धारा में बह गयी खुरई डोहेला की आडिएंस


▪️तुम्हारे नेता भूपेंद्र सिंह की मोहब्बत मुझे खुरई तक खींच लाई- डा कुमार विश्वास


तीनबत्ती न्यूज : 15 जनवरी ,2025
खुरई।
सुप्रसिद्ध कवि डा कुमार विश्वास ने खुरई डोहला महोत्सव-2025 के दूसरे दिन अपनी ऊर्जा से ओतप्रोत प्रस्तुति से वातावरण को तरंगित कर दिया। उनका लोगों ने एक घंटे तक इंतजार किया लेकिन यह प्रतीक्षा सार्थक हो गई। उनकी कविताओं, गजलों और गीतों से किला मैदान का माहौल कभी राष्ट्रप्रेम से भर गया, कभी भक्ति भाव से औश्र कभी वीरता और ओज से। पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह का उन्होंने पूरे कार्यक्रम में अनेक बार उल्लेख करते हुए उनकी विचारधारा नीत राजनीति की प्रशंसा की और कांग्रेस से भाजपा में आए लोगों पर तीखे व्यंग्य करते हुए कहा कि वे उनके नहीं हुए तो तुम्हारे क्या होंगे।


युवा भाजपा नेता  अविराज सिंह, सागर नगर निगम की महापौर श्रीमती संगीता सुशील तिवारी, नपा अध्यक्ष श्रीमती नन्हींबाई अहिरवार सहित गणमान्य लोगों ने दीपप्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कोहरे के कारण फ्लाइट लेंडिंग में देर होने से डॉ. कुमार विश्वास के आने में विलंब हुआ और दर्शकों को उनकी बेसब्री से प्रतीक्षा की। रंगारंग आतिशबाजी के साथ विश्वास के सहायक कुमार कुशलेंद्र ने उनके आगमन की सूचना दी।

डॉ. कुमार ने कहा कि तुम्हारा नेता भूपेंद्र सिंह इतना प्यारा है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि उसने यहां सबके लिए बहुत किया है। मुझे बुलाने में लोगों के खजाने खाली हो जाते हैं लेकिन तुम्हारे नेता की मोहब्बत में आया हूं यहां तक। यह उस एक आदमी की मोहब्बत का परिणाम है कि मुंबई के सारे कलाकार यहां आने को तरसते हैं। उन्होंने कहा कि 5 स्टारों में कविता पढ़ने में वह आनंद नहीं आता जो यहां खुरई के खुले मैदान में हजारों ऊर्जा से भरे लोगों के बीच आ रहा है।



उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि दिल्ली में चुनाव हैं और मैं कविता पढ़ रहा हूं वहां होता तो तिहाड़ में दारू का हिसाब दे रहा होता। उन्होंने कई टिप्पणियों में वामपंथियों की खिंचाई की।उन्होंने कहा खुरई, सागर, जबलपुर सुंदर जगह हैं यहां की भाषा में संगीत है। उन्होंने बुंदेली बोली। उन्होंने कहा कि मैं गुना, अशोक नगर बहुत आया हूं। उन्होंने डा विश्वास को आज का तुलसी, सूरदास, क्रांतिकारी, बागी और राष्ट्रवादी के रूप में उनका परिचय दिया। आते ही उन्होंने बताया कि मैं लगभग दिनभर से चल रहा हूं रायपुर से यहां पहुंचा हूं। उन्होंने कहा कि मैं बड़ी मुश्किल से इतनी दूर तक आया हूं। यहां की भीड़ देखकर लगता है कि हर साल यहां आना चाहिए। इतने हजार लोग इतनी दूर सुनने आ गये आश्चर्य की बात है।
उन्होंने डा विश्वास को आज का तुलसी, सूरदास, क्रांतिकारी, बागी और राष्ट्रवादी के रूप में उनका परिचय दिया। आते ही उन्होंने बताया कि मैं लगभग दिनभर से चल रहा हूं रायपुर से यहां पहुंचा हूं। उन्होंने कहा कि मैं बड़ी मुश्किल से इतनी दूर तक आया हूं। यहां की भीड़ देखकर लगता है कि हर साल यहां आना चाहिए। इतने हजार लोग इतनी दूर सुनने आ गये आश्चर्य की बात है।



डॉ. विष्वास ने पहली रचना सुनाई
-
तुझी से रात हो जाना
तुझी से भोर हो जाना
तेरी ख़ामोशियों से
जिंदगी में शोर हो जाना
तेरी ताकत है मेरे इश्क को कमजोर कर देना,
मेरी ताकत है तेरे सामने कमजोर हो जाना,
मैं अपने गीत गजलों से
उसे पैगाम करता हूं,
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं,
हवा का काम है चलना
दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है
मैं अपना काम करता हूं।
उन्होंने यह पंक्ति युवाओं को समर्पित कीं
किसी के दिल की मायूसी
जहां से हो के गुजरी है,
हमारी सारी चालाकी वहीं पर खो के गुजरी
तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है
तुम्हारी सो के गुजरी है
हमारी रो के गुजरी है,
मेरे जीने में मरने में तुम्हारा नाम आयेगा,
मैं सांसें रोक लूं फिर भी यही इल्जाम आएगा
हर एक धड़कन में झब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आएगा।

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है
तू मुझसे दूर कैसी है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं।
पुकारे आंख में चढ़ कर
तो खूं को खूं समझता है
अंधेरा किस को कहते हैं
ये बस जुगनू समझता है।


कांग्रेस से भाजपा में आए लोगों को डॉ. विष्वास ने यह पंक्तियां समर्पित कीं-
समंदर पीर का अंदर है  लेकिन रो नही सकता ये आंसू प्यार का मोती है इसे खो नहीं सकता
मेरी चाहत को अपना तू बना ले मगर सुन ले
जो मेरा हो नही सकता
वो तेरा हो नहीं सकता।

उन्होंने पूर्व मंत्री, खुरई भूपेन्द्र जी को समर्पित यह पंक्तियां कहीं -
बहुत बिखरा था टूटा
थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशारों पर
मैं बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया यूं प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नहीं पाए
कभी मैं कह नहीं पाया।
उन्होंने अपनी इन पंक्तियों से समां बांध दिया।
बस्ती बस्ती घोर उदासी
पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल लुट गया
घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अंबर तक
दो ही चीज गजब की हैं
एक तो तेरा भोलापन है
एक मेरा दीवानापन,
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे
दिल ऐसा इकतारा है
जो हमको भी प्यारा है और जो तुमको भी प्यारा है
झूम रही है सारी दुनिया
जबकि हमारे गीतों पर
तब कहती हो प्यार हुआ है
क्या एहसान तुम्हारा है।


उन्होनें बताया कि मैं चार दिन अयोध्या में था, भगवान राम का मंदिर बनने के बाद सबसे पहली कविता मैंने वहां सुनाई। उन्होंने कहा कि आज से दो चार सौ साल बाद इतिहास लिखा जाएगा तो मंदिर निर्माण की तिथि को भारत के पुनरुत्थान के रूप में लिखा जाएगा। जैसे ही विग्रह मेरे सामने आया तो मेरी अश्रु धारा बह निकली।

मैं सिर्फ इस बात पर रोया कि हजार साल पहले यह सोच कर तोड़ा था कि हीरे मिलेंगे, आज 400 करोड़ का हीरा राम के तिलक पर है, और उन अरब तुर्कों के हाथ में कटोरा। जिन्होंने राम को काल्पनिक होने का हलफनामा दिया, वो पार्टी ही काल्पनिक होने को आ गई।
उन्होंने कहा कि मां सीता की तीनों बहिनों के नाम याद नहीं तो करें, मैं कहता हूं सबको गीता रामायण पढ़ना चाहिए। चौदह वर्ष कष्ट सहन कर मां सीता अंबा भी अयोध्या आई थीं उनके लिए गीत लिखा, इसे दिल से सुनें, गाएं
चलो अब लौट चलें रघुराई
जन जन के हित इस निर्जन में हमने उमर खपाई,
सरयू के तट बिलख रहे हैं
रस्ते रस्ता निरख रहे हैं
सखसें देवर संग सहेली
उर्मिल मांडवी सखी अकेली
साथ तुम्हारे रस बरसा पर
अवधपुरी की यादें निस दिन बहुत सताई।
दुनिया का देवों का सपना
तुमने मान लिया था अपना
पर मेरी सांसों ने माना
केवल नाम तुम्हारा जपना
भाग्यहीन जग कुछ भी माने
मैं जानूं या बस तू जाने
सोने के माया मृग पीछे प्रभुता क्यों बौराई
चलो अब लौट चलें रघुराई।

उन्होंने मंदिर तोड़ने वालों पर प्रहार करते हुए कहा कि एक गुरुद्वारा किसी दूसरे के धर्म स्थान को तोड़ कर बनाया, कोई जिनालय नहीं मिलेगा जो किसी का धर्मस्थल तोड़ कर बनाएं, फिर ये बगदाद के पार वाले जबाब क्या देंगे।

उन्होंने मंदिर तोड़ने वालों पर प्रहार करते हुए कहा कि एक गुरुद्वारा किसी दूसरे के धर्म स्थान को तोड़ कर बनाया, कोई जिनालय नहीं मिलेगा जो किसी का धर्मस्थल तोड़ कर बनाएं, फिर ये बगदाद के पार वाले जबाब क्या देंगे। डॉ. कुमार ने कहा कि तुम्हारा नेता भूपेंद्र सिंह इतना प्यारा है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि उसने यहां सबके लिए बहुत किया है। मुझे बुलाने में लोगों के खजाने खाली हो जाते हैं लेकिन तुम्हारे नेता की मोहब्बत में आया हूं यहां तक। यह उस एक आदमी की मोहब्बत का परिणाम है कि मुंबई के सारे कलाकार यहां आने को तरसते हैं। उन्होंने कहा कि 5 स्टारों में कविता पढ़ने में वह आनंद नहीं आता जो यहां खुरई के खुले मैदान में हजारों ऊर्जा से भरे लोगों के बीच आ रहा है।

उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि दिल्ली में चुनाव हैं और मैं कविता पढ़ रहा हूं वहां होता तो तिहाड़ में दारू का हिसाब दे रहा होता। उन्होंने कई टिप्पणियों में वामपंथियों की खिंचाई की। उन्होंने कहा खुरई, सागर, जबलपुर सुंदर जगह हैं यहां की भाषा में संगीत है। उन्होंने बुंदेली बोली। उन्होंने कहा कि मैं गुना, अशोक नगर बहुत आया हूं।

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