38वां मध्य क्षेत्र अंतरविश्वविद्यालयीन युवा उत्सव: दूसरा दिन ▪️अभिनय, वाद-विवाद, वादन, चित्रकारी में प्रतिभागियों ने दिखाई अपनी प्रतिभाएं

38वां मध्य क्षेत्र अंतरविश्वविद्यालयीन युवा उत्सव: दूसरा दिन

▪️अभिनय, वाद-विवाद, वादन, चित्रकारी में प्रतिभागियों ने दिखाई अपनी प्रतिभाएं

 



तीनबत्ती न्यूज : 27 नवंबर ,2024

सागर. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 155वें जन्म दिवस के अवसर पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में मध्य क्षेत्र अंतरविश्वविद्यालयीन युवा उत्सव 2024-25 ‘गौर-गौरव उत्सव’ 26 से 30 नवम्बर 2024 तक आयोजित किया जा रहा है. इस युवा उत्सव में कुल 955 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. मध्य क्षेत्र के रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय रायसेन, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, दयालबाग, आगरा, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा,विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय एवं टेक्नोलॉजी, अयोध्या, महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर, आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल, डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी, भोपाल, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ, ए.के.एस. विश्वविद्यालय, सतना, एकलव्य विश्वविद्यालय, दमोह, लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान ग्वालियर, स्वामी विवेकानन्द शुभार्ति विश्वविद्यालय, मेरठ, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, खंडवा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इसमें प्रतिभागिता कर रहे हैं.

 



आजादी के संघर्ष, सामाजिक कुरीतियों और बढ़ते आधुनिकीकरण जैसे मुद्दों पर प्रतिभागियों ने दी प्रभावी नाट्य प्रस्तुतियां

 

विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में प्रतिभागी विश्वविद्यालयों द्वारा ‘वन एक्ट प्ले’ की प्रस्तुतियां दी गईं. पहले दिन कुल दस प्रस्तुतियां हुईं. कार्यक्रम में शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी रविंद्र दुबे कक्का व राजेन्द्र दुबे अतिथि के रूप में शामिल हुए. प्रतियोगिता में एकेएस विश्वविद्यालय सतना के प्रतिभागियों ने भाष द्वारा लिखित संस्कृत नाटक ‘ऊरूभंगम’ के हिंदी रूपांतरण का मंचन किया जो सुप्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत पर आधारित है। जागरण लेक विश्वविद्यालय द्वारा विजयदान देथा द्वारा लिखित राजस्थानी लघुकथा ‘दुविधा’ की नाट्य प्रस्तुति दी.  देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर ने आधुनिक युग रोबोटिक्स पर आधारित नाट्य प्रस्तुति दी। यह प्रस्तुति मनुष्य और रोबोट के बीच प्रतिस्पर्धा और मानवीय मूल्यों व रोजगार की समस्या के साथ इंसान के धर्म को बतलाती है. बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल ने बेटियों पर आधारित नाटक का मंचन करते हुए समाज में व्याप्त नकारात्मक सोच को दर्शाया. बालिका अत्याचार, बेटियों की आजादी और सम्मान  पर केंद्रित इस नाटक ने दर्शकों को आकर्षित किया. 





राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय, ग्वालियर के प्रतिभागियों ने 1842 के बुंदेला विद्रोह और राजा मधुकरशाह बुंदेला की वीरता को बुंदेली भाषा में प्रस्तुत किया। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रतिभागियों ने साइबर अपराध की घटनाओं और साइबर सुरक्षा जागरूकता को केंद्र में रखकर प्रस्तुति दी। जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर ने नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से कर्ज के बदले महिलाओं के शोषण और उससे उत्पन्न सामाजिक समस्याओं को दर्शाया। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रतिभागियों ने मध्यम वर्गीय परिवार के मुखिया की प्रमोशन पाने की संघर्ष कथा को हास्यात्मक तरीके से प्रस्तुत किया। इसमें बुजुर्गों के प्रति दुर्व्यवहार पर भी प्रकाश डाला गया। दयालबाग विश्वविद्यालय, आगरा के प्रतिभागियों ने सती प्रथा और उसके दुष्प्रभावों पर आधारित नाट्य प्रस्तुति दी। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या ने ब्रिटिश राज की लगान व्यवस्था के किसानों पर बुरे प्रभाव और उससे उत्पन्न स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी का चित्रण किया।

प्रस्तुतियों के दौरान दर्शकों ने सभी टीमों प्रतिभागियों के अभिनय, ऊर्जा और नाटक के प्रभावी सन्देश की सराहना की। वन-एक्ट प्ले की शेष प्रतियोगिताएं कल स्वर्ण जयन्ती सभागार में संपन्न होंगी.






शास्त्रीय वादन (एकल) में कलाकारों ने दिखाई अपनी प्रतिभाएं


युवा उत्सव के दूसरे दिन क्लासिकल इंस्ट्रुमेंटल सोलो (नॉन-पर्कशन) प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी कला और प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन किया और दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया. वाद्य यंत्रों के धुनों ने कार्यक्रम को संगीतमय और उत्कृष्ट बना दिया। इस प्रतियोगिता में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय, ग्वालियर, आईटीएम विश्वविद्यालय, अवधेश प्रताप सिंह  विश्वविद्यालय, जीवाजी विश्वविद्यालय, भातखंडे विश्वविद्यालय, एकेएस विश्वविद्यालय, स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, विक्रम विश्वविद्यालय, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों ने भाग लिया. सभी विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने उच्च स्तर का प्रदर्शन करते हुए अपनी-अपनी सांस्कृतिक परंपराओं और संगीत कौशल का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में निर्णायक मंडल ने प्रतिभागियों की प्रस्तुति की सराहना की और परिणाम की घोषणा के लिए उत्साहपूर्ण माहौल बना रहा। यह युवा उत्सव युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।


युवाओं ने तबले की थाप से दिखाई अद्भुत कलाकारी

युवा उत्सव में शास्त्रीय ताल वाद्य प्रतियोगिता में 23 विश्वविद्यालयों के छात्रों ने प्रतिभागिता की जिसमें उन्होंने निर्धारित समय में ताल वाद्य की प्रस्तुति दी. प्रतिभागियों ने हिन्दुस्तानी और कर्नाटक संगीत की धुनों में शास्त्रीय ताल वाद्य की प्रस्तुति दी, जिससे पूरे गौर प्रांगण में एक अद्भुत संगीतात्मक माहौल बन गया। श्रोतागण ने इन युवा कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति को विस्मय और उत्साह के साथ सुना। कई प्रतिभागियों ने तबलावादन में पढ़ंत के साथ हारमोनियम और तबला वादन में पढ़ंत के साथ सारंगी की संगत भी दी, जिससे प्रस्तुति और भी आकर्षक बन गई। शास्त्रीय ताल वाद्य प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में प्रतिष्ठित संगीतज्ञ डॉ. आर.के. राठौर (जयपुर घराना), डॉ. आलोक शुक्ला (खैरागढ़ विश्वविद्यालय), और प्रसिद्ध गायक सोमवीर कथुरवाल शामिल थे। प्रतियोगिता में रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, रायसेन, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा, राजा मानसिंह तोमर संगीत और कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल; और भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय, लखनऊ सहित अन्य विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। युवा प्रतिभाओं ने इस मंच के माध्यम से अपना हुनर दिखाया और शास्त्रीय संगीत की परंपरा को जीवंत रखने का सन्देश दिया.

 




प्रतिभागियों ने विजुअल मीडिया के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव पर पक्ष और विपक्ष में रखे तर्क

 

विश्वविद्यालय के रंगनाथन भवन में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें 23 विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, राजा मान सिंह तोमर विश्वविद्यालय, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, दयालबाग एजुकेशनल विश्वविद्यालय, एकलव्य विश्वविद्यालय, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, जीवाजी विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों ने भाग लिया. प्रतियोगिता का विषय था: ‘सदन का मानना है कि विजुअल मीडिया का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है’. प्रतिभागियों ने इस विषय पर पक्ष और विपक्ष में अपने अपने तर्क प्रस्तुत किए और विजुअल मीडिया के फायदे और कमियों को बेहद प्रभावशाली ढंग से सामने रखा। छात्रों ने कई अनूठे और विचारोत्तेजक तर्क प्रस्तुत किए, जिसने सभागार में उपस्थित श्रोताओं और निर्णायकों पर गहरी छाप छोड़ी.

 युवा महोत्सव में प्रतिभागियों ने की अद्भुत चित्रकारी

 

विश्वविद्यालय के आचार्य शंकर भवन में पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन ग्वालियर, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, एकेस विश्वविद्यालय सतना, आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, राजीव गांधी  प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ, डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं तकनीक विश्वविद्यालय अयोध्या, एकलव्य यूनिवर्सिटी दमोह, दयालबाग एजुकेशन इंस्टीट्यूट दयालबाग आगरा, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के प्रतिभागियों ने पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया. प्रतियोगिता के समन्वयक डॉ. बलवंत सिंह भदौरिया व आकाश मालवीय थे. 


विकसित भारत’ और ‘भारत की विरासत’ थीम पर बनाए आकर्षक पोस्टर, मां-बच्चे और श्रम थीम पर बनाई मिट्टी से कलाकृतियाँ

  

विश्वविद्यालय के आचार्य शंकर भवन में ‘विकसित भारत’ एवं ‘भारत की विरासत’ थीम पर प्रतिभागियों ने पोस्टर बनाए. प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसके साथ ही क्ले मोडलिंग प्रतियोगिता में ‘माँ-बच्चे’ और ‘श्रम’ थीम पर प्रतिभागियों ने मिट्टी की आकर्षक कलाकृतियाँ बनाईं. इस प्रतियोगिता मंव बीस विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने भाग लिया. प्रतियोगिता के समन्वयक डॉ. बलवंत भदौरिया और आकाश मालवीय थे.

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एडिटर: विनोद आर्य
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