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गौर उत्सव 2024 : ‘काव्यांजलि’ में शिक्षकों और छात्रों ने दी रचनात्मक अभिव्यक्ति

गौर उत्सव 2024 : ‘काव्यांजलि’ में शिक्षकों और छात्रों ने दी रचनात्मक अभिव्यक्ति 


तीनबत्ती न्यूज 24 नवंबर,2024

सागर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर के 155वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में 24 नवंबर 2024 को काव्यांजलि का आयोजन अभिमंच सभागार में संपन्न हुआ। सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम आरम्भ हुआ. इस आयोजन में छात्रों, शिक्षकों, और साहित्यप्रेमियों ने अपनी रचनात्मक अभिव्यक्तियों से विश्वविद्यालय परिसर को साहित्यिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की उन्होंने विश्वविद्यालय के संस्थापक की सोच और आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. गौर ने सीमित संसाधनों में जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, वह आज देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुका है. हमें उनके बताए गए मूल्यों और संघर्षशील जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है। विश्वविद्यालय को डॉ. गौर के सपनों के अनुरूप विकसित करने के लिए शिक्षकों और छात्रों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। डॉ. गौर ने हमें संघर्ष और परिश्रम की जो शिक्षा दी उससे मार्गदर्शन लेते हुए हमें उनकी विरासत को आगे बढ़ाना है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री महेश कुमार शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सागर, ने अपने वक्तव्य में डॉ. हरीसिंह गौर की अद्वितीय विधि एवं साहित्यिक उपलब्धियों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि गौर साहब का जीवन परोपकार, शिक्षा, और संघर्ष की मिसाल है। उन्होंने युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने और कठिन परिश्रम द्वारा अपने सपनों को साकार करने का आह्वान किया। न्यायिक प्रक्रिया और साहित्य के आपसी संबंधों पर चर्चा की और कविताओं के माध्यम से न्यायालय में मानवीय संवेदनाओं की आवश्यकता पर बल दिया.

काव्यांजलि’ में विश्वविद्यालय शिक्षक और छात्र-छात्राओं ने कविताएं और ग़ज़लें प्रस्तुत कीं। बुंदेलखंड के रसखान के नाम से प्रसिद्ध मायूस सागरी (शेख अब्दुल रज्जाक) ने अपनी मधुर ग़ज़लों से समां बांध दिया। विश्वविद्यालय परिवार के कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को प्रभावित किया। मंच से डॉ. हरीसिंह गौर के जीवन, संघर्ष, और योगदान को रेखांकित करती कविताएं भी प्रस्तुत की गईं। छात्रों द्वारा तैयार की गई विशेष फिल्म और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को श्रोताओं ने सराहा। दुर्गेश कुमार (हिंदी शोधार्थी) ने "तुम्हारी उपेक्षा पर शिकायत नहीं करूंगा शीर्षक से कविता पढ़ी. प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने "मिट्टी का दिया, खेत-खलिहान के बिना बचपन", सिद्धांत शर्मा (हिंदी शोधार्थी) ने "हर सुबह अखबार झूठ बोलता है’, दिव्या राय ने "पिता और बेटी के रिश्ते की तरह", डॉ. हेमंत पाटीदार ने ‘जानता हूं सागर गहरा बहुत है’, डॉ. शशि कुमार सिंह ने ‘सागर और सागर के लोग शीर्षक से संस्कृत में कविता  पाठ किया. कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. हिमांशु कुमार थे. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रो. ए. डी. शर्मा, प्रो. अनिल कुमार जैन, प्रो. नवीन कांगगो, प्रो. राजेंद्र यादव, डॉ. रितु यादव, कुलसचिव डॉ. एस.पी. उपाध्याय, वित्ताधिकारी डॉ. कुलदीपक शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ सुरेन्द्र गाढेवार, सहित समस्त विभागों के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे. 



25 नंवबर को आयोजित कार्यक्रम

25 एवं 27  नवम्बर को प्रातः 10.00 बजे से गौर जयंती मेले का आयोजन आचार्य शंकर भवन में होगा.   25  से 26  नवम्बर को  प्रातः 11:00 बजे से शाम 05 बजे तक गौर साहित्य प्रदर्शनी का आयोजन जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय में होगा. 

सायं : 06:00 बजे से गौर मूर्ति पर दीप प्रज्जवलन, कुलपति प्रो.नीलिमा गुप्ता एवं विश्वविद्यालय परिवार द्वारा  सायं ; 06 :30 बजे डॉ गौर की जीवनी - रेडियो वार्ता का प्रसारण, माननीया कुलपति प्रो.नीलिमा गुप्ता द्वारा

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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