एक तरफ कन्या पूजन,दूसरी तरफ अबोध बच्चियों से दुष्कृत्य..:
▪️पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव का सवाल : क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं ? और क्या हम इसके अधिकारी हैं ?
तीनबत्ती न्यूज : 07 अक्टूबर,2024
सागर : मध्यप्रदेश में मासूम बच्चियों के साथ रेप की बढ़ती घटनाओं पर प्रदेश के सबसे वरिष्ठ और 9 दफा से विधायक पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने गहरी चिंता जताते हुए दशहरा होने वाले रावण दहन से जोड़कर सवाल उठाए है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आफिशियल फेसबुक एकाउंट से एक पोस्ट शेयर की है।यह पोस्ट अब चर्चा का विषय बनी है। वर्तमान में कांग्रेस इसको लेकर बेटी बचाओ अभियान चलाकर बीजेपी सरकार को घेरने में लगी है। पूर्व मंत्री भार्गव की सोशल मीडिया पर आई पोस्ट ने हड़कंप मचा दिया है।
क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं ? और क्या हम इसके अधिकारी हैं ?
पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने लिखा कि नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है, गांव से लेकर शहर तक जगह जगह देवी जी सहित कन्याओं का पूजन हो रहा है। पांच दिन बाद दशहरा आयेगा देश भर में गांव से लेकर शहरों तक लोग रावण का पुतला दहन करेंगे। आजकल जहाँ अखबारों में एक तरफ दुर्गा पूजन और कन्या पूजन की खबरे छपती हैं उसी पेज के दूसरी तरफ 3 वर्ष और 5 वर्ष की अबोध बालिकाओं के साथ दुष्कृत्य तथा उनकी हत्या करने की खबरे भी निरंतर पढ़ने और देखने मे आती हैं। मैंने यह भी गौर किया है कि दुनियां के किसी भी देश में मुझे ऐसे समाचार पढ़ने या देखने नहीं मिले। नवरात्रि के महापर्व में हमे अब यह विचार करना होगा कि क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं ? और क्या हम इसके अधिकारी हैं ?
विजयादशमी को हम बुराई पर अच्छाई की विजय का त्यौहार मानते हैं। रावण ने सीता माता का हरण किया लेकिन सीता जी की असहाय स्थिति में भी उनका स्पर्श करने का प्रयास नहीं किया । तुलसीदास जी रामचरित मानस के सुंदर कांड में लिखते हैं-
""तेहि अवसर रावनु तहं आवा।संग नारि बहु किएं बनावा ""
अर्थात- रावण जब सीता माता के दर्शन करने जाता था तब लोक लाज के कारण अपनी पत्नी और परिवार को भी साथ ले जाता था।
रावण महान था
उन्होंने लिखा कि सभी प्रकार की रामायणों में उल्लेख है कि रावण से बड़ा महाज्ञानी, महा तपस्वी , महान साधक और शिवभक्त भू लोक में नहीं हुआ जिसने अपने शीश काट काटकर भगवान के श्री चरणों मे अर्पित किए ऐसे में आजकल ऐसे लोगों के द्वारा जिन्हें न किसी विद्या का ज्ञान है , जिन्हें शिव स्तुति की एक लाइन और रुद्राष्टक, शिवतांडव स्तोत्र का एक श्लोक तक नहीं आता, जिनका चरित्र उनका मुहल्ला ही नहीं बल्कि पूरा गांव जानता है, उनके रावण दहन करने का क्या औचित्य है ??
यह तो सिर्फ बच्चों के मनोरंजन के लिए आतिशबाजी दिखाने का मनोरंजन बनकर रह गया है।
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मन में बैठे रावण को मारे
हम सबसे पहले इस बात का प्रण ले कि हमें अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा जो तीन और पांच वर्ष तक की अबोध बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने को प्रेरित करता है।
एक और बात गौर करने लायक है कि जबसे ऐसे दुष्कृत्य करने वालों को मृत्युदंड और कड़ी सजाओं के कानून बने हैं तब से ऐसी घटनाएं और अधिक देखने मे आ रहीं हैं। नवरात्रि में हम सभी भारतीयों को यह आत्ममंथन का विषय है।
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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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