अब 24 घंटे में पता चल सकेगी पूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग, बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने स्थापित किया अत्याधुनिक उपकरण ▪️ विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन

अब 24 घंटे में पता चल सकेगी पूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग, बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने स्थापित किया अत्याधुनिक उपकरण

▪️ विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन


तीनबत्ती न्यूज : 21 अक्टूबर ,2024

सागर. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (dr Gour University Sagar ) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology) (DBT) एवं सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ( Centre for Advanced Research ) द्वारा अत्याधुनिक जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों पर आधारित पांच दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन हुआ. विश्व प्रसिद्ध कंपनी थर्मो-फिशर साइंटिफिक के तकनीकी सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस), संगर सिक्वेंसिंग और आरटी-पीसीआर जैसी आधुनिक तकनीकों के प्रयोग विषय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह लेब विभाग में स्थापित किया गया है जिससे किसी भी जीव-जंतु का पूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing) पता किया जा सकेगा. अब तक मौजूद मशीनों से एक स्तरीय परीक्षण ही संभव था जिसका पूरा जीनोम पता करने के लिए महीनों या वर्षों लग जाते थे. 



जैव प्रौद्योगिकी विभाग में हाल ही में स्थापित किए गए एन.जी.एस उपकरण सहित तीन अत्याधुनिक उपकरणों पर होने वाले इस प्रशिक्षण में थर्मोफिशर साइंटिफिक के विषेशज्ञ डॉ. विशाल धर और डॉ नवीन मुख्य प्रशिक्षक हैं. इसके साथ ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग से पधारे प्रोफेसर डॉ. अरूप आर्चायजी रीयल-टाइम पीसीआर और प्रोटीओ-जीनोमिक्स विषय पर विषेश प्रशिक्षण प्रदान करेंगे.

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विश्वविद्यालय के रंगनाथन भवन में उद्धाटन समारोह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ जिसमें मुख्य अतिथि फार्मेसी विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक प्रो. एस.पी.व्यास रहे. उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला कृषि एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी, जिससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में होने वाली बीमारियों के कारणों को आसानी से समझा जा सकता है. साथ ही कृषि को प्रभावित करने वाले विभिन्न सूक्ष्म जीवों के सम्पूर्ण जिनोम सिक्वेंस का पता लगा कर उनसे लड़ने के तरीकों को खोजा जा सकता है. कार्यशाला के संयोजक डॉ. सी. पी. उपाध्याय (असिंटेन्ट प्रोफेसर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग) ने बताया कि यह कार्यशाला डीबीटी बिल्डर प्रोजेक्ट के अंतर्गत आयोजित की जा रही है, जिसमें सभी ऑफलाइन एवं ऑनलाइन विद्यार्थियों को एनजीएस और क्यूआरटीपीसीआर के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण दिया जा रहा है. कार्यशाला में आठ राज्यों से ऑफलाइन एवं ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं. कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ आर.के कोइरी (असिस्टेंट प्रोफेसर, प्राणीशास्त्र विभाग)हैं. विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की यह पहल भारत में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.

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कार्यशाला में स्वागत भाषण प्रो. हेरेल थॉमस एवं विभागाध्यक्ष एवं डीन प्रो. वर्षा शर्मा ने दिया. इस अवसर पर प्रो. सुशील काशव, प्रो. रत्नेश दास, प्रो. यू के पाटिल, डॉ. मोहन टी ए, डॉ. नीरज उपाध्याय, डॉ. योगेश भार्गव, डॉ. देवांशी एवं विभिन्न विज्ञान विभागों के शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित थे.

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एडिटर: विनोद आर्य
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