MP: राष्ट्रीय लोक अदालत : फिल्म "टॉयलेट एक प्रेमकथा " की कहानी आई सामने : घर में टायलेट नही था अदालत ने लिखित में दिलाया भरोसा, बिखरे परिवार हुए इकठ्ठा

MP: राष्ट्रीय लोक अदालत : फिल्म "टॉयलेट एक प्रेमकथा " की कहानी आई सामने  : घर में टायलेट नही था अदालत ने लिखित में दिलाया भरोसा, बिखरे परिवार हुए इकठ्ठा



तीनबत्ती न्यूज : 14 सितम्बर ,2024

मंदसौर :  टायलेट को लेकर बेहद चर्चित और सराही गई फिल्म "टायलेट एक प्रेमकथा " (film "Toilet: Ek Prem Katha") जैसी हकीकत आज भी सामने आ रही है। जिनसे परिवार बिखर रहा है। मध्यप्रदेश में आज  14 सितम्बर को आयोजित की राष्ट्रीय लोक अदालत (National Lok Adalat )में भी ऐसा मामला सामने आया। प्रदेश में मंदसौर ( Mandsaur district ) जिले में आयोजित लोक अदालत में प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय गंगा चरण दुबे (Principal Judge, Family Court, Ganga Charan Dubey ) की खण्डपीठ क्र. 18 में चर्चित फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा की पुनरावृत्ति देखने को मिली। न्यायालय की मध्यस्थता से पति का पिता, बहु के लिए घर में शौचालय बनाने को तैयार हुआ और परिवार बिखरने से बच गया।

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पहले मामला था दहेज प्रताड़ना का,लेकिन निकला कुछ और

मामला यह था कि नसरीन का निकाह जुवेद अहमद (परिवर्तित नाम) के साथ दिनांक 26.04.2019 को दावतखेड़ी में 51,786/- रुपये मेहर के साथ तय हुआ, कुछ समय पश्चात् नसरीन ने अपने पति व उसके परिजनों पर आक्षेप किया कि वे उसे मारपीट कर प्रताड़ित करते है, एक लाख रुपये दहेज मांगते हैं, उसकी ससुराल में देखभाल नहीं होती है, डिलेवरी उपरांत उत्पन्न पुत्र की सही देखभाल न होने के कारण मृत्यु हो गई, पति की मां, ससुर, पांच नन्दों के द्वारा सामुहिक मारपीट कर प्रताड़ना की जाती है। इस क्रूरता के कारण उसने दिनांक 14 मई 2023 को घर छोड़ दिया। अनावेदक एवं उसके परिजनों ने कहा कि एक लाख रुपये लिए बिना मत आना, इस पर नसरीन ने अपने परिजनों के विरुद्ध मुकदमें संस्थित किए और स्वयं के भरण-पोषण दिलाए जाने की मांग की।

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न्यायाधीश ने समझी हकीकत तो टायलेट का मामला सामने आया

परिवार न्यायालय में प्रकरण पहुंचने पर जब  गंगाचरण दुबे, प्रधान न्यायाधीश ने पक्षकारों के मध्य समझौता कार्यवाही कराई गई, तो वस्तुस्थिति ज्ञात हुई कि विवाद कुछ और ही था। जुवैद की पांच बहनें, नसरीन के जेठ और उनकी पत्नी तथा माता-पिता संयुक्त परिवार में रहते हैं तथा उनके घर में शौचालय नहीं है। जिससे घर की महिलाओं को शौच हेतु लगभग एक किलोमीटर दूरी तक जाना होता है। समस्या ज्ञात होते ही न्यायालय द्वारा परामर्श दिए जाने पर जुवैद के पिता शौचालय निर्मित कराने को तैयार हो गए और दो माह के भीतर उन्होंने शौचालय निर्माण करने हेतु न्यायालय को लिखित आश्वासन दिया । 

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।इस पर वर्षों से रूठी नसरीन, जुवैद के साथ संयुक्त परिवार को वापस हुए। मामले में नसरीन की ओर से अनवर अहमद और जुवैद की ओर से शेरू मंसूरी अधिवक्ताओं ने न्यायमित्र के रूप में तथा शुभम जैन, अधिवक्ता ने खण्डपीठ के सुलहकर्ता के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। परिवार न्यायालय मंदसौर में कुल 60 प्रकरणों का निराकरण हुआ।


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एडिटर: विनोद आर्य
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