Sagar: श्रावण माह : श्री राधा.कृष्ण के आकर्षक झूले किए निःशुल्क वितरित
तीनबत्ती न्यूज : 04 अगस्त ,2024
सागर। धर्म सेवा केवल धार्मिक स्थलों पर जाकर ही नहीं होती बल्कि इसके लिये मन में अगाध श्रद्धा और दूसरों को देने का भाव होना चाहिए। सागर शहर के मुकेश प्रजापति पिछले बीस वर्षों से राधा-कृष्ण के झूले निःशुल्क बांटकर ऐसा ही पुनीत कार्य बेहद खामोशी से कर रहे हैं। उनकी कलाकारी इतनी शानदार है कि झूलों की डिमांड अब प्रदेश के कई शहरों से होने लगी है। मुकेश प्रजापति पेशे से मैकेनिक हैं और शहर में ही वर्कशॉप संचालित करते हैं। हर पुनीत कार्य की प्रेरणा के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है और मुकेश को सेवाभाव की प्रेरणा अपने परिजनों से ही मिली। झूले में लड्डू गोपाल की मूर्ति के साथ ही झूले वितरित किए गए।
सागर। धर्म सेवा केवल धार्मिक स्थलों पर जाकर ही नहीं होती बल्कि इसके लिये मन में अगाध श्रद्धा और दूसरों को देने का भाव होना चाहिए। सागर शहर के मुकेश प्रजापति पिछले बीस वर्षों से राधा-कृष्ण के झूले निःशुल्क बांटकर ऐसा ही पुनीत कार्य बेहद खामोशी से कर रहे हैं। उनकी कलाकारी इतनी शानदार है कि झूलों की डिमांड अब प्रदेश के कई शहरों से होने लगी है। मुकेश प्रजापति पेशे से मैकेनिक हैं और शहर में ही वर्कशॉप संचालित करते हैं। हर पुनीत कार्य की प्रेरणा के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है और मुकेश को सेवाभाव की प्रेरणा अपने परिजनों से ही मिली। झूले में लड्डू गोपाल की मूर्ति के साथ ही झूले वितरित किए गए।
रविवार को सावन के महीने में अनोखा प्रजापति परिवार भगवान कृष्ण और राधाजी की मूर्तियों के साथ झूलों का निःशुल्क वितरण किया गया। ये झूले प्रजापति परिवार पूरे एक साल तक बनाता है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की पहल के साथ झूले वितरित किये गये। इस बार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की तर्ज पर शासन की योजनाओं को कार्यक्रम में शामिल कर प्रजापति परिवार ने एक अनूठी पहल की।
कार्यक्रम का आयोजन 4 अगस्त को भूतेश्वर मंदिर के पास दोपहर 1 बजे से शुरू हुआ, जिसमें महिलाओंए पुरुषों सहित बच्चों की भीड़ रही। बच्चों ने मनमोहक झांकी सजाते हुए राधा.कृष्ण की वेशभूषा में आयोजन को चार चांद लगाए।
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मकर संक्रांति से शुरू होता है पंजीयन
मुकेश प्रजापति बताते हैं कि चूंकि झूले बनाने में समय और पैसा लगता है, इसलिये वे प्रतिवर्ष करीब 150 झूले ही बना पाते हैं। झूले प्राप्त करने के लिए मकर संक्रांति के पर्व पर माता जी के जन्मदिवस पर पंजीयन किया जाता है। इसके बाद सावन माह में राधा-कृष्ण के झूले पंजीयन कराने वाले लोगों तक पहुंचा दिये जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि श्री प्रजापति और उनकी पत्नी माया प्रजापति झूले निर्माण से जुड़ी सारी व्यवस्था करती हैं। मुकेश बताते हैं कि वे झूले के लिए अपने वर्कशॉप को ही निर्माण स्थल बना लेते हैं। इस दौरान उन्हें अपना काम रोकना पड़ता है, लेकिन झूले बनाकर लोगों में बांटने का आनंद अलग ही है।
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