Raksha Bandhan : दिव्यांग बच्चों ने 30 मिनट में सैनिकों के लिए बना दी 440 राखियां ▪️बार्डर पर राखी जाएगी सुनकर ही उत्साहित हुए बच्चे, खूब गाए देशभक्ति के नगमें

Raksha Bandhan  : दिव्यांग बच्चों ने 30 मिनट में सैनिकों के लिए बना दी 440 राखियां

▪️बार्डर पर राखी जाएगी सुनकर ही उत्साहित हुए बच्चे, खूब गाए देशभक्ति के नगमें


▪️ मयंक भार्गव, बैतूल

तीनबत्ती न्यूज : 03 अगस्त , 2024

बैतूल। किसी का हाथ मुड़ा हुआ था तो किसी उंगलियां थी ही नहीं, कोई बैसाखी के सहारे था तो कोई बोल नहीं पाया लेकिन अपनी इन कमियों को भूलकर इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे सामान्य बच्चों की तरह ही हर कार्य कर रहे है। शिक्षा के साथ-साथ कला के क्षेत्र में भी इन दिव्यांग बच्चों का कोई तोड़ नहीं है। इसकी बानगी अस्थि बाधित दिव्यांग छात्रावास में देखने मिली जब 30 मिनट में 27 दिव्यांग बच्चों ने सैनिकों के लिए 440 राखियां बना दी। इस अवसर पर छात्रावास की अधीक्षिका डॉ सीमा भदौरिया, सहायक शिक्षक सुरेन्द्र कुमार बोरबन, अतिथि शिक्षक रेखा पाल, वंदना राजपूत, शांति देशमुख, प्रीति देशमुख, रागिनी इवने, अनुरक्षक आरती देवहारे, दुर्गावती इवने आया, सुखदेव मसतकर रसोईयां एवं चौकीकाद विनोद सारवन भी मौजूद थे। जो बच्चों का उत्साहवर्धन कर जल्दी से जल्दी अधिक से अधिक राखियां बनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

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जिला मुख्यालय पर संचालित अस्थि बाधित दिव्यांग छात्रावास सह स्कूल में अध्ययनरत 27 दिव्यांग बच्चों ने सैनिकों के लिए उत्साहपूर्वक राखियां बनाई। जब बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की अध्यक्ष गौरी पदम ने बच्चों को बताया कि वह अपनी टीम के साथ वे राजस्थान के बाड़मेर स्थित भारत पाकिस्तान सीमा पर तैनात जवानों को राखी बांधने जा रही है तो सभी बच्चे रोमांचित हो उठे। इन बच्चों ने सेना के लिए तिरंगा राखियां बनाई। इस दौरान राखी बनाने के लिए एक प्रतिस्पर्धा का भी आयोजन किया गया और महज आधे घंटे में 27 अस्थि बाधित बच्चों ने 440 राखी बनाने का रिकार्ड बनाया। 



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छात्रावास की अधीक्षक सह प्राचार्य डॉ सीमा भदौरिया ने कहा कि इन बच्चों को आम तौर पर समाज से अलग-थलग माना जाता है, लेकिन जिस तरह सेना के लिए राखिया बनाने और सरहद पर राखी भेजने का अवसर इन्हें मिला इन्होनें पूरी तन्मयता से सामान्य लोगों की तरह ही कम समय में अपना बेस्ट दिया। प्रतियोगिता में प्रीतम धुर्वे ने 35 राखियां बनाकर ईनाम जीता, जिसे नगर पुरुस्कार दिया गया।


परिवार से दूर रहे बच्चों को प्रोत्साहन और स्नेह की जरुरत

डॉ सीमा भदौरिया ने बताया कि अस्थि बाधित बच्चों के लिए प्रदेश का एकमात्र छात्रावास सह स्कूल बैतूल जिले में है। यहां वर्तमान में 35 बच्चे दर्ज है, जिनमें बैतूल जिले के बाहर के भी बच्चे है। 45 प्रतिशत से अधिक अस्थि बाधित बच्चे छात्रावास में अध्ययनरत है। वे बताती है कि प्रोत्साहन से ये बच्चे उत्साहित होकर स्वयं को समाज की मुख्य धारा से जुड़ा हुआ महसूस करते है। इनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और स्कूल व छात्रावास में भी उनकी प्रतिभा को तमाम अवसर दिए जाते है। इस अवसर पर बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की सदस्य चेताली गौर ने भी बच्चों को गीत और कविताएं सुनाई। बच्चों ने भी देशभक्ति गीत गाते हुए राखियां बनाई।


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