MP : वोकेशनल ट्रेनर्स को हटाकर नई नियुक्तियां करना अनुचित : हाईकोर्ट ▪️ मप्र के व्यावसायिक प्रशिक्षकों की फिर बड़ी जीत

MP : वोकेशनल ट्रेनर्स को हटाकर नई नियुक्तियां करना अनुचित : हाईकोर्ट

▪️ मप्र के व्यावसायिक प्रशिक्षकों की फिर बड़ी जीत



तीनबत्ती न्यूज : 31 अगस्त ,2024

जबलपुर :  उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश के द्वारा पारित निर्णय से प्रदेश के 3386 व्यवसायिक प्रशिक्षकों ने राहत की सांस ली और अपने रोजगार पर आए संकट को दूर करने के लिए माननीय न्यायालय को अपना आभार व्यक्त किया।

क्या था मामला

लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा समग्र शिक्षा अभियान मध्यप्रदेश के अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में अनुबंध पर कार्यरत व्यवसायिक प्रशिक्षकों की सेवाएं अचानक 31 मई 2024 को एक आदेश के द्वारा स्थगित कर दी गई थी। इसके बाद पूर्व से अनुबंधित विभिन्न VTPs के अनुबंध को समय पूर्व समाप्त कर नए VTPs को अनुबंधित कर जुलाई में नये प्रशिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को आरम्भ कर दिया गया।

डीपीआई द्वारा ठीक इसी प्रकार की स्थिति 2021 में भी निर्मित की गई थी जिसके विरोध में व्यावसायिक प्रशिक्षकों द्वारा म. प्र. की माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा स्थापित नीति को आधार मानकर 2022 में आदेश पारित किया कि "एक अनुबंधित  कर्मचारी को दूसरे अनुबंधित  कर्मचारी से प्रतिस्थापित नही किया जा सकता।"

बाबजूद इसके,  लोक शिक्षण संचालनालय मध्य प्रदेश ने वर्तमान सत्र 2024 में, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी करते हुए पुनः 6 से 9 वर्ष की सेवाएं दे चुके पूर्व से कार्यरत प्रशिक्षकों की सेवाएं अचानक समाप्त कर दी और उन्हें सेवा में बने रहने के लिए पुनः नए सिरे से चयन प्रक्रिया द्वारा चयनित होकर आने के लिए बाध्य किया । जिसके विरुद्ध व्यवसायिक प्रशिक्षकों को पुनः माननीय न्यायालय की शरण में जाना पड़ा।

कोर्ट में क्या हुआ

नवीन व्यावसायिक शिक्षा - प्रशिक्षक महासंघ NVETA ने नेतृत्व करते हुए प्रदेश भर के  विभिन्न व्यवसायिक प्रशिक्षकों की समस्याओं को, वरिष्ठ अधिवक्ता  शशांक शेखर एवं उनकी टीम अधिवक्ता भूपेश तिवारी  अधिवक्ता समरेश कटारे के माध्यम से याचिका दायर करते हुए माननीय उच्च न्यायालय में रख लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश को चुनौती दी। व्यवसायिक प्रशिक्षकों के मामले को माननीय न्यायमूर्ति श्री संजय द्विवेदी जी की बेंच में अधिवक्ता श्री शशांक शेखर ने पैरवी की।

मामला कोर्ट में प्रस्तुत होते ही माननीय उच्च न्यायालय ने अपीलार्थियों को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए, नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। परंतु लोक शिक्षण संचालनालय ने स्टे ऑर्डर को गंभीरता से लेने के बजाय भर्ती प्रक्रिया जारी रखी, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता श्री शशांक शेखर ने न्यायालय की अवहेलना का नोटिस लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल आयुक श्रीमति शिल्पा गुप्ता को भेजा। तब कहीं जाकर उक्त कार्यालय को आनन-फानन में नई ज्वाइनिंग स्थगित करने के आदेश निकालने पड़े।

कोर्ट में लोक शिक्षण संचालनालय की तरफ से यह दलील रखी गई कि अभी कार्यरत प्रशिक्षक गुणवत्तापूर्ण नही है एवं शैक्षणिक योग्यता को पूर्ण नहीं करते।  जबकि उल्लेखनीय है कि कुल संचालित 15 ट्रेड्स में से केवल चार ट्रेड में ही शैक्षणिक योग्यता में आंशिक परिवर्तन हुआ था जिसको भी अधिकतम प्रशिक्षक पूर्ण करते थे। इसके चलते लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल ने प्रदेश के सभी व्यवसायिक प्रशिक्षकों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जो कि कहीं से भी तर्क संगत नहीं था।कुछ ट्रेडों में क्वालिफिकेशन को अपने से ही बदलाव कर दिया।जबकि पूरे भारत में PSSIVE भोपाल की गाइडलाइन को माना जाता है।कुछ ट्रेड और क्वालिफिकेशन में संबध ही नही बैठ रहा था।

उक्त समस्त परिस्थितियों को वरिष्ठ अधिवक्ता श्री शशांक शेखर ने माननीय न्यायालय के समक्ष रखा। अधिवक्ता महोदय की माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों के आलोक में  तर्कसंगत एवं  न्यायपूर्ण दलीलों को सुनने के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने व्यावसायिक प्रशिक्षकों के हित में, यह माना कि एक ही पद के लिए बार बार चयन प्रक्रिया से गुजारना अनीतिपूर्ण एवं अन्यायपूर्ण है।

 न्याय की मुहर

पुराने कार्यरत व्यावसायिक प्रशिक्षकों (विटी) को उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर बनाए रखना चाहिए, न कि उन्हें नए सिरे से चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़े। न्यायालय ने यह भी कहा है कि राज्य द्वारा कुछ ट्रेडों में योग्यता मानदंडों में अनावश्यक परिवर्तन किया गया है, और विटी के हितों की रक्षा के लिए राज्य ने 2022 में  वचन दिया था।

न्यायालय के निर्णय के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं जिसमें अधिवक्ता शशांक शेखर की दलीलें और न्यायालय का दृष्टिकोण समाहित है:-

1. प्रत्येक ट्रेड में नए सिरे से चयन करना आवश्यक नहीं है।

2. राज्य ने पूर्व में विटी के हितों की रक्षा का वचन दिया है।

3. कुछ ट्रेडों में योग्यता मानदंडों में अनावश्यक परिवर्तन किया गया है।

4. विटी के अनुभव को खारिज नहीं किया जा सकता।

5. नए स्कूलों में अधिक प्रशिक्षित और योग्य विटी की नियुक्ति की जा सकती है।

6. मौजूदा विटी के हितों की रक्षा के लिए राज्य द्वारा व्यवस्था की जा सकती है।

_फैसले में न्यायमूर्ति श्री संजय द्विवेदी जी ने कहा जो हाथ गाड़ी चला सकतें हैं वहीं हवाई जहाज भी उड़ा सकते हैं।_

मध्यप्रदेश मे व्यावसायिक प्रशिक्षकों का भविष्य

मध्यप्रदेश मे 2015 से संचालित नवीन  व्यावसायिक शिक्षा का संचालन VTP द्वारा नियुक्त प्रशिक्षकों द्वारा किया जा रहा है l लगातार 2 बार शैक्षणिक सत्र 2022 एवं 2024 में विभाग द्वारा कार्यरत प्रशिक्षकों को हटाकर नवीन नियुक्ति करने का प्रयास किया गया परन्तु दोनों बार माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा RMSA को यह करने से रोका गया l 

निश्चित ही यदी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रशिक्षकों के हितों को ध्यान में रखकर  योजना के क्रियान्वयन का कार्य किया जाता है तो  नई शिक्षा नीति 2020 मे व्यावसायिक शिक्षा को लेकर जो सपने देखें है उनको पुरा करने मे हमारे प्रशिक्षक साथी अपना शत प्रतिशत प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे l इसके साथ ही मप्र के व्यावसायिक प्रशिक्षकों के लिए जॉब पॉलिसी का निर्धारण शासन प्रशासन द्वारा किया जाए जिससे कि इनका भविष्य भी सुरक्षित हो सके।

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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