मासूम प्रयांशी जिला हॉस्पिटल सागर में आई थी बेहोशी की हालत : 5 दिन से थी बेहोश: निजी हॉस्पिटल में इलाज कराते कराते खर्च हो गई थी जमा पूंजी : अब स्वस्थ्य होकर गई घर प्रयांशी ▪️ छतरपुर, टीकमगढ़ से लेकर झांसी तक कराया था इलाज

मासूम प्रयांशी जिला हॉस्पिटल सागर में आई थी बेहोशी की हालत : 5 दिन से थी बेहोश:  निजी हॉस्पिटल में इलाज कराते कराते खर्च हो गई थी जमा पूंजी : अब स्वस्थ्य होकर गई घर प्रयांशी 

▪️ छतरपुर, टीकमगढ़ से लेकर झांसी तक कराया था इलाज



तीनबत्ती न्यूज : 20 अगस्त ,2024
सागर : जिला हॉस्पिटल सागर में 6 साल की मासूम प्रियांशी की मुस्कान  इलाज के 15  दिन बाद वापिस आ गई। मासूम प्रयांशी बुखार के चलाते बेहोशी की हालत हॉस्पिटल आई थी। उसका इलाज सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में चलता रहा ।लेकिन कोई फायदा नही हुआ। बल्कि पिता की जमा पूंजी खर्च हो गई।अब इलाज के बाद उसकी हालत बेहतर है चलने फिरने लगी है।


छतरपुर से आई सागर

छतरपुर के ग्राम धडोरा निवासी दिनेश अहिरवार की लगभग 6 वर्षीय बेटी प्रियांशी को 31 जुलाई की रात में उल्टी के साथ दस्त एवं तेज बुखार होने के बाद बेहोशी आ गई। उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घुवारा ले जाया गया। जहां से उसे 55 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।  टीकमगढ़ अस्पताल में 1 दिन रखने पर भी कोई आराम न आने पर उसे मेडिकल कालेज झांसी रेफर कर दिया गया।


झांसी तक कराया इलाज

झांसी में प्रियांशी की हालत और भी खराब होती जा रही थी और इससे घबराए दिनेश ने प्राइवेट में सिटी अस्पताल में प्रियांशी को भर्ती करवा दिया। पेशे से मजदूर दिनेश के पास जैसे तैसे इकट्ठे किए हुए लगभग 60 हजार रुपए कुल तीन दिनों में ही खत्म हो गए और बच्ची अभी भी पिछले कुल 5 दिन से बेहोश ही थी। उसकी उम्मीद कम होती जा रही थी। 


निराश होकर घर आ गया वापिस

झांसी में प्रयांधी की हालत में सुधार नहीं हुआ तो दिनेश नाउमीद होकर अस्पताल से वापस अपने गांव धधोरा ले आया। बच्ची को देखने आए गांव के ही कलू घोसी ने बताया कि जिला अस्पताल सागर में उसके किसी रिश्तेदार के बच्चे का ऐसी ही बीमारी का इलाज हुआ था और वो ठीक हो गया था। दिनेश ने देर न करते हुए सागर जिला चिकित्सालय का रुख किया और 6 अगस्त को जिला चिकित्सालय सागर के पी आई सी यू में भर्ती करवाया । बच्ची जब सागर लाई गई थी उस समय उसे बिलकुल होश नही था और उसके हाथ पैर भी काम करना बंद कर चुके थे।



जिला हॉस्पिटल सागर में मिला इलाज

जिला चिकित्सालय सागर के पी आई सी यू इंचार्ज डॉ. प्रशांत तिवारी ने उसको बताया कि हालत खराब है। डॉ बृजेश खरया, डॉ विजयेंद्र राजपूत एवं डॉ बृजेश यादव के साथ जिला चिकित्सालय के डी एन बी स्टूडेंट्स के साथ पी आई सी यू स्टाफ ने दिन रात मेहनत की और दो दिन बाद प्रियांशी ने हाथ पैर चलाना शुरू किया।तीसरे दिन से आंख खोलना शुरू किया तो उम्मीदें और बढ़ गई। प्राइवेट अस्पताल में लगभग अपनी सारी बचत खर्च कर चुके दिनेश को जब शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बृजेश यादव ने बताया कि बच्ची को मस्तिष्क बुखार है और इसमें समय लगेगा तो दिनेश ने केवल यही कहा कि समय की कोई चिंता नहीं है साहब बस मेरी एक ही बेटी है इसे ठीक कर दीजिए। इसके पहले दिनेश को उसकी बेटी को  दस्त और उल्टी की वजह से बेहोश होना ही बताया गया था और ईसका ही इलाज किया गया था। धीरे धीरे बच्ची ने चलना शुरू किया और आज 15 दिन के इलाज के बाद प्रियांशी चल फिर पा रही है साथ ही बात करती है। उसने छुट्टी के दिन सिविल सर्जन एवं बाल्य एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आर एस जयंत को नमस्ते कहकर विदा लिया तो सबके चेहरे पर मुस्कान आ गई।



पिता ने दिया धन्यवाद

इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ आर एस जयंत ने सभी पी आई सी यू डॉक्टरों एवं स्टाफ को बधाई दी और ऐसे ही कार्य करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। दिनेश अहिरवार ने भी सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके मन से अब सरकारी अस्पताल की खराब छवि बदल गई है और वो अब से अपने आसपास के सभी लोगों को जिला चिकित्सालय सागर में इलाज करवाने के लिए कहेंगे।

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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