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Sagar : जनजातीय कार्य विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर संदीप जैन रिश्वत के मामले में सजा : 20 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा था लोकायुक्त पुलिस ने

Sagar : जनजातीय कार्य विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर संदीप जैन रिश्वत के मामले में सजा : 20 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा था लोकायुक्त पुलिस ने 


तीनबत्ती न्यूज : 19 जुलाई ,2024

सागर : विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर ने रिश्वत के एक मामले में जनजातीय कार्य विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर संदीप जैन की सजा सुनाई है। लोकायुक्त पुलिस ने संदीप जैन को 20 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा था ।

सजा और अर्थदंड भी लगाया अदालत ने

कर्तव्य पर अनुपस्थित रहने का नोटिस देकर, कार्यवाही के ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी संदीप जैन को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं  धारा-16 के आलोक में 20,000/-(बीस हजार रूपये) रूपये अर्थदण्ड तथा भा.द.वि की धारा-384 के अंतर्गत 02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी सहा. जिला अभियोजन अधिकारी ने की।


यह है मामला
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 27.12.18 को आवेदक वीरसिंह पुत्र स्व. जवाहर अहिरवार अधीक्षक शासकीय आदिवासी सीनियर बालक छात्रावास केसली जिला सागर ने अभियुक्त संदीप जैन सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग सागर के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि जब से अभियुक्त संदीप जैन सहायक आयुक्त सागर के पद पर पदस्थ हुआ है, तब से वह उससे प्रतिमाह 5,000/-रु. मांग रहा है, उसने अभियुक्त को  पैसे नहीं दिये तो अभियुक्त ने उसे अनुपस्थिति (कर्तव्य पर अनुपस्थित रहने) का नोटिस दिया और उससे कहा कि 5,000/-रु. नहीं देगा तो कार्यवाही कर देगा। वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। 




तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. लोकायुक्त कार्यालय, सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु निरीक्षक संतोष जामरा को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं ट्रैप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल के
लोकायुक्त इंस्पेक्टर सन्तोष जमरा और बी एम द्विवेदी ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। 
सदस्य मौके पर पहुॅचे और ट्रेप  दल अभियुक्त के मकान में प्रवेश कर गया और अभियुक्त को चारों ओर से घेर लिया। अभियुक्त को टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत रिश्वत राशि के बारे में पूछे जाने पर बताया कि उसने आवेदक से कहकर रिश्वत राशि अपने कमरे में रखे पलंग पर रखे अखबार के नीचे रखवा दी है। तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई।विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटनास्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं भा.द.वि. की धारा-384 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया ।

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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