यह चार्टेड बसे हैं या चीटर्स बसें : समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर ने सुनाई व्यथा : परेशान हो रहे है चार्टेड बसों की लापरवाही से यात्री : येन वक्त पर की बस कैंसिल
तीनबत्ती न्यूज : 01 जून ,2024
सागर : बेहतर सुविधाएं देने का वादा करते वाली चार्टेड बसों को लेकर अब यात्री बढ़ती असुविधाओं से परेशान है .आए दिन शिकायते मिल रही है। आज भोपाल जाने वाली बस निर्धारित समय से एक घंटे तक यात्रियों को रोके रखने के बाद कैंसिल कर दी गई। इन्ही अव्यवस्थाओं संबंधी व्यथा समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने मीडिया को बताई।
उन्होंने बताया कि मुझे आज शनिवार की सुबह 10:30 की बस से सागर से भोपाल जाना था और टिकट के अनुसार रिपोर्टिंग टाइम प्रातः सुबह 10:015 का था ।हम लोग सुबह समय पर चेतन्य अस्पताल के पास के कंड्या परिसर में पहुंच गए।वहां पर बस खड़ी थी और बस के पीछे की तरफ एसी पर पानी डाला जा रहा था। लगभग 20-25 मिनिट खड़े रहने के बाद जब बस का छूटने समय हो गया और बस स्टार्ट नहीं हुई तब पूछने का प्रयास किया कि भाई बस क्यों नहीं जा रही है ।
बस की निरस्त नही बताया कारण
मालूम पड़ा कि एसी खराब हो गया है और उसे ठीक किया जा रहा है। कई बार व अनेकों यात्रियों के द्वारा पूछने के बाद भी कोई ठोस उत्तर नहीं था। सभी यात्री परेशान थे ।कई महिलाएं जिनके गोद में छोटे-छोटे बच्चे थे क्योंकि वहां छाया की कोई व्यवस्था नहीं है वे धूप में तप रहे थे । बेचारी माताएं और बेटियां अपने बच्चों के सिर पर अपने आंचल ढक रही थी और उन्हें तीखी धूप से बचाने प्रयास कर रही थी ।लगभग 11:15 बजे याने एक घंटे बाद कहा गया कि अब बस नहीं जाएगी और टिकट वापिसी का काम शुरू हुआ।
उन्होंने बताया कि यह घटना कोई पहली घटना नहीं है बल्कि पिछले कुछ समय से यह आम बात हो गई है कि जो चार्टर्ड बसे हैं वह अमूमन या तो रास्ते में बिगड़ जाती है या फिर बिगड़ी हुई हालत पर भेजी जाती है जिससे यात्रियों को अ सुविधा होती है। आखिर इसकी वजह क्या है ? ऐसी जानकारी मिली है कि चार्टर्ड बसो को चलाने वाली जो कंपनियां है उन में मध्य प्रदेश के बड़े-बड़े आईएएस अफसर यहां तक की कुछ पुराने मुख्य सचिव तक हिस्सेदार हैं । अतः कोई भी अधिकारी उनके बारे में कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता, बल्कि भयभीत रहता है ।दूसरी तरफ इन बसों के टिकिट में जहां एक तरफ लिखा जाता है कि क्या रिपोर्टिंग टाइम है । उसके पूर्व यात्री को पहुंचना जरूरी है। अगर यात्री पांच मिनिट भी लेट होता है तो बस चली जाती है, उसका पैसा बेकार जाता है। पर बस एक-एक घंटे लेट जाए या न जाए तो इसके बारे में कोई कानून या कोई प्रावधान नहीं है ।जो नंबर या ईमेल टिकिट में दिए गए हैं उन पर कई बार शिकायत करने का प्रयास किया परंतु वह ना उठाते हैं ना उन का कोई उत्तर आता है ।और ना उस पर कोई कार्रवाई होती है ।
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर एक बड़ा फर्जी बा ड़ा है ।हम सरकार से कहना चाहते हैं कि होनातो यह चाहिए कि बस का चलने का भी समय दिया जाए व बस के पहुंचने का भी समय दिया जाए ताकि निर्धारित समय के भीतर यात्री के लिए उसके गंतव्य पर पहुंचाया जाए ।अगर इसमें विलंब होता है तो फिर इसके लिए बस के मालिकों को दंड का यानी उनके ऊपर आर्थिक जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए।इसी प्रकार अगर कोई बस समय से नहीं जाती तो फिर उस पर भी कार्यवाई और दंड की व्यवस्था होना चाहिए।अगर मान लीजिए कि एक बस खराब है या खराब हो गई तो फिर उसका कोई विकल्प भी बस के मालिकों को रखना चाहिए। कोई दूसरी बस रखी जाना चाहिए। कुल मिला करके यात्रियों के लिए अब हर दिन परेशानी का काम हो रहा है ।यह यात्रियों के साथ धोखा है, यह चीटिंग है। मुझे लगता है कि अगर सुधार संभव नहीं है तो इतना तो काम किया ही जाए कि चार्टर्ड बस का नाम बदलकर के इसे चीटर्स बस कहा जाए ।
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भाईसाब से कहिए मौन रहने का परिणाम है ये, सरकार से आप इस संबंध में कह रहे हैं जब आप पर बीती उसके पहले आप चुप थे? ऐसेही कयी विषय हैं जहां आपकी ओर जनता देख रही थी जैसे स्टैंड का मुद्दा, टी बी मरीज 2 माह से दवा नहीं मिल रही? कोई आवाज उठी?
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