Raisen Road Accident : रायसेन में खड़ी कार को डंपर ने टक्कर मारी, पूर्व BJP जिलाध्यक्ष की मौत : महाकाल के दर्शन कर लौटते समय हुआ हादसा
रायसेन: रायसेन में खड़ी कार को डंपर ने पीछे से टक्कर मार दी। हादसे में भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश किरार की मौत हो गई। घटना शनिवार-रविवार की दरमियानी रात करीब 2.30 बजे की है। किरार उज्जैन से विदिशा अपने घर जा रहे थे। रायसेन के सांची मार्ग पर खनपुरा के पास उनकी कार पंचर हो गई। वे सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर स्टेपनी निकाल रहे थे। इसी दौरान पीछे से आए डंपर ने टक्कर मार दी, जिससे कार रोड से नीचे खाई में गिर गई ।
महाकाल के दर्शन करके लौट रहे थे डा किरार
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जयप्रकाश किरार की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। देर रात वह महाकाल दर्शन कर विदिशा वापस जा रहे थे। इसी दौरान सांची रोड पर उनकी कार को ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी। इस हादसे में जयप्रकाश किरार गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हे उपचार के लिए जिला अस्पताल लाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। बताया जा रहा है हादसे के समय उनके साथ उनके बहनोई मोहनलाल साथ में थे। जो घायल हैं। उनका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है।
हादसा देर रात करीब 3 बजे का बताया जा रहा है। उज्जैन महाकाल से लौटते समय रायसेन से कुछ आगे सांची रोड पर ग्राम खानपुरा से पास उनकी गाड़ी पंचर हो गई। वे और उनके साथी गाड़ी की पीछे की डिग्गी खोलकर टायर बदलने का प्रयास के रहे थे, इसी दौरान एक ट्रक ने पीछे से उनकी गाड़ी में टक्कर मार दी। इस टक्कर से जयप्रकाश बुरी तरह से घायल हो गए। सूचना मिलने पर पुलिस और उनके रिश्तेदारों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस पूरी घटना की जांच कर रही है। सीसीटीवी फुटेजो को खंगाल रही है। घटना की खबर लगते ही क्षेत्र में शोक की लहर फेल गई।
प्रभावशाली परिवार है डा किरार का
उल्लेखनीय है कि जयप्रकाश किरार करीब 2 साल पहले तक रायसेन भाजपा के जिलाध्यक्ष थे, इससे पहले उनकी पत्नी अनीता किरार पांच साल जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। मूलत वह विदिशा के रहने वाले हैं, लेकिन उनकी पूरी राजनीतिक सक्रियता रायसेन में रही है। इसका कारण उनका रायसेन का दामाद होना है। उनकी पत्नी रायसेन के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे भंवरलाल पटेल की बहन हैं। उनके दो बेटे है।काफी सहज, मिलनसार और साफ स्वच्छ छवि के नेता के रूप में उनकी पहचान थी। राजनेता के साथ ही रायसेन में ज्यादातर लोगों उनके साथ दामाद का रिश्ता रखते थे। इसलिए राजनीति के अलावा शहर में उन्हें विशेष स्नेह मिलता रहा है।
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