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International Museum Day : सागर में मिले पुरातत्व अवशेष और साक्ष्य गौरवशाली समृद्ध संस्कृति व इतिहास के हैं साक्षी

International Museum Day : सागर में मिले पुरातत्व अवशेष और साक्ष्य गौरवशाली समृद्ध संस्कृति व इतिहास के हैं साक्षी



International Museum Day

तीनबत्ती न्यूज : 18 मई ,2024

सागरविश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल के तत्वाधान में आज जिला पुरातत्व संग्रहालय तीन मढ़िया सागर में अपर कलेक्टर रुपेश उपाध्याय एवं नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री की उपस्थिति में गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत के प्राचीन स्मारक नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में  बी के श्रीवास्तव, प्रोफेसर नागेश दुबे, डॉ मकसूद अहमद कादरी,  रजनीश जैन, श्री अतुल जैन,  दामोदर अग्निहोत्री सहित सागर के तमाम इतिहासकार, लेखक,  छात्र-छात्रायें एवं इतिहास में रूचि रखने वाले नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस दौरान भारत के प्राचीन इतिहास को प्रदर्शित करती तस्वीरों की गैलरी का अपर कलेक्टर एवं नगर निगम आयुक्त ने अन्य अतिथियों के साथ रिवीन काटकर उद्घाटन किया। उन्होंने भारत के प्रसिद्ध मोनोमेंट्स सहित सागर के मोनोमेंट्स के छायाचित्र की प्रदर्शित गैलरी का अवलोकन किया।

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अपर कलेक्टर एवं जिला नोडल पुरातत्त्व विभाग रुपेश उपाध्याय ने कहा की सागर जिले और इसके समृद्ध इतिहास को जानने के लिए एक परिचर्चा हेतु आयोजित इस कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में आप सब की उपस्थिति ने इसे सफल बनाया है। हम सब मिलकर सागर के गौरवशाली इतिहास से जुड़े पुरातत्त्व अवशेष और धरोहरों को सहेजने का कार्य करेंगे। सागर में पुरातत्व पर्यटन की अपार संभावना है और इसके लिए रुटमेप बनाने का कार्य किया जा रहा है। सागर के पुरातत्त्व स्थलों का ग्रामवार सर्वे आरकियोंलॉजी विभाग द्वारा किया गया है। इन स्थलों को व्यवस्थित विकसित करने की दिशा में कार्ययोजना बनाई जा रही है। साथ ही सागर में ऐसा कला केंद्र स्थापित करने हेतु प्रयास हो रहा है जहाँ मंचन और पपेट शो आदि माध्यम से नागरिकों को इतिहास से जोड़कर जागरूक बनाया जा सके। उन्होंने जिला पुरातत्त्व संग्रहालय में उपस्थित सभी से कहा की आपके घर पर रिश्तेदार या कोई भी गेस्ट आये तो आप उन्हें यह म्यूजियम अवश्य घुमाने लायें और सागर के समृद्ध इतिहास से परिचित करायें। 

डिजिटल बनाया गया संग्रहालय
नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने कहा की वर्तमान और भविष्य में अपने को दृढ़ता से स्थापित करने के लिए इतिहास को जानना समझना बहुत आवश्यक है। संस्कृति और संस्कार को आगे बढ़ाने में इतिहास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संग्रहालयों में आने के बाद लोग अपने को इतिहास से जोड़ पाते हैं और अधिक जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है। पुरातत्व अवशेष, शिलालेख, किताबें, लेखन और अन्य इतिहास को संग्रह करने का कार्य लोगों के जीवन की दशा और दिशा परिवर्तन में महत्वपूर्ण होते हैं। सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा जिला पुरातत्व संग्रहालय में पुनर्विकास कर इसे अत्याधुनिक और डिजिटल बनाया गया है। यहां उपलब्ध कराया गया डिजिटल कंटेंट विजिटर्स सहित अधिक से अधिक लोगों को सागर के इतिहास से जोड़ेगा। डियोरामा दीवार और अन्य इतिहास को उजागर करने वाली रोचक चीजें यहां उपलब्ध हैं आप सब अपने परिवार सहित यहां विजिट करें। इसके साथ ही सागर में कुआँ, बाबड़ी, ऐतिहासिक छतरी, बंजारा झील आदि को सुंदर बनाकर भविष्य के लिए सहेजने का कार्य किया जा रहा है। सागर नगर निगम क्षेत्र में पुरातत्व का संरक्षण हमारी प्रथमिकता है और इसके लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।

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इतिहासकार और पत्रकार रजनीश जैन ने कहा की स्मार्ट सिटी के द्वारा शहर के पुरातत्त्व स्थलों को सहेजने सवारने का सराहनीय कार्य किया गया है। जिला पुरातत्व संग्रहालय में बेहतर व्यवस्थायें हुई हैं। यहां बहुत प्राचीन शिव, विष्णु, बुद्ध एवं जैन प्रतिमाओं सहित नाग प्रतिमायें व्यवस्थित और सुरक्षित रखी गई हैं। सागर के पास ही सतगढ़ कढ़ान्द क्षेत्र में 1890 के मोनोमेंट्स मिले हैं उन्हें भी यहां सुरक्षित रखा जायें।
डॉ मकसूद अहमद कादरी ने कहा की सागर और आसपास मध्य पाषाण काल के पहले के पुरातत्व अवशेष साक्ष्य के रूप में मिले हैं। प्रगेतिहासिक काल के शीप और घोंघे के टूल्स भी मिले हैं इसका मतलब हैं की उस समय भी सागर में मनुष्य की गतिविधियां रहीं हैं। सागर में 400 ईशापूर्व के सिक्के, शंकरगढ व धमोनी के अभिलेख, एरण स्थल, आबचंद आदि अनेक उदाहरण हमारे समृद्ध इतिहास से परिचित कराते हैं।


सागर ट्रेकर ग्रुप से अतुल जैन ने कहा की स्मार्ट सिटी द्वारा पुरातत्त्व संरक्षण की दिशा में जबरजस्त कार्य किया जा रहा है इसका सबसे बड़ा उदाहरण लाखा बंजारा झील है। उन्होंने बताया लगभग हिमालय के निर्माण से भी पहले के वन सागर में हैं सागर का निर्माण ज्वालामुखी प्रवाह से हुआ है। और इसीकारण बंजारा झील का ऐसा आकार है। सागर के आस-पास रॉक पेंटिग से भी पुराने पत्थरों पर खुदाई कर बने चित्र और अन्य लेख आदि मिले हैं। इन सभी पुरातत्व अवशेष को संरक्षित कर हम भारत की ऐतिहासिक समृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं।
प्रोफेसर नागेश दुबे ने बताया की इन संग्रहालयों से इतिहास की प्रमाणित जानकारी मिलती है। सागर जिले में 32 किले खोजे गए हैं जिन्हें संरक्षित करना हम सब रहवासियों की जिम्मेदारी है। हमें अपने इतिहास पर गौरव होना चाहिए। क्योंकि गुलामी के लम्बे दौर के बाद भी भारत की समृद्ध संस्कृति जस के तस है कोई भी आक्रमणकारी इसे पूरी तरह समाप्त नहीं कर सका है।
वरिष्ठ लेखिका शरद सिंह ने कहा की लोगों में इतिहास के प्रति जागरूकता लाने के लिए डिजिटल कंटेंट के साथ अधिक से अधिक प्रचार होना चाहिए। जिला पुरातत्व संग्रहालय के गाइड श्री सुजीत गोस्वामी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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एडिटर: विनोद आर्य
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