कामरेड अतुल अंजान किसानों की लड़ाई लड़ने वाले इकलौते नेता : याद किया अतुल को
तीनबत्ती न्यूज : 13 मई ,2024
सागर: अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव, जाने माने क्रांतिकारी नेता का अभी हाल ही में 3 मई को एक लंबी बीमारी के बाद लखनऊ के एक अस्पताल में 70 बर्ष की आयु में असमयिक निधन हो गया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सागर द्वारा उनके निधन पर एक स्मरण और शोक सभा का आयोजन नमक मंडी स्थित कार्यालय में आयोजित किया गया। सभा को उपस्थित गणमान्यों द्वारा संबोधित करते हुए श्रधांजलि अर्पित की गयी। वरिष्ठ कम्युनिस्ट और मजदूर नेता काम. अजित जैन उनके सागर में हुए कार्यक्रमों में पधारने के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि उनके धारा प्रवाह भाषण विचार उत्तेजक होते हुए काफी प्रभावी होते थे। उनके द्वारा कही गयी बातें छात्रों, मजदूरों को दिशा देने का काम करती थीं। उनकी नेत्रत्व क्षमताओं का आंकलन इस बात से किया जा सकता है कि वे लखनऊ विश्वविद्यालय में लगातार चार बार आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन की ओर से छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। वे लगातार कई वर्षों से इसी तरह देश के कम्युनिस्ट आंदोलन का भी अपने जोशीले अंदाज़ में नेत्रत्व करते आ रहे थे। देश के वे एक ऐसे इकलोते नेता थे जब किसानो के हक में सरकार ने स्वामीनाथन समिति का गठन किया तो उन्हें उक्त समिति में रखा गया, और उनकी की गई अनुशंसायें स्वामीनाथन रिपोर्ट का मुख्य आधार बनी। आज अगर किसान आंदोलन को दिशा मिली है तो उनकी अनुशंसायों के आधार पर।
साथी अरविंद कोठा ने कहा कि वे पार्टी के युवा हिर्दयों की शान थे, उनका जाना एक अपूर्णीय क्षति है। सागर जिला किसान आंदोलन के सिपाही अभिनव सेन ने अपने पिछले सात माह चले किसान आंदोलन का स्मरण करते हुए कि जब आंदोलन कि योजना बन रही थी तब आंदोलन को विफल करने कि सरकारी साजिशों से बचा कर काम. अतुल अंजान ने एक ऐसा नुस्खा दिया कि किसान आंदोलन अपनी सफलताओं के लिए आगे बढ़ गया और सरकारी रुकावटें विफल हो गयी। जिला कांग्रेस सेवा दल के नेता रफीक गनी ने बतलाया कि जब हम सभी बुंदेलखंड में रेल विस्तार की समस्या को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलन के लिए डटे हुए थे तब अतुल अंजान जी ने आंदोलन में हिस्सेदारी करते हुए सरकार की बुंदेलखंड से रेल सुविधाओं की उपेक्षा के एक एक पहलू पर हमारा मार्गदर्शन तो किया ही था और सरकार को चेतावनी दे डाली थी, उनका वक्तव्य बेहद ओजस्वी पूर्ण था। अधिवक्ता और प्रलेस के जिला सचिव पेट्रिस फुसकेले ने अपने संस्मरण साझा करते हुए बतलाया कि ऐ.आई.एस.एफ के पचास वर्ष पूर्ण होने पर लखनऊ में स्थापना दिवस पर जमा हुए संगठन के छात्र समुदाय को अनुशासित रखते हुए साथी अतुल अंजान ने अपने नेत्रत्व में सफलता के साथ कार्यक्रम का आयोजन किया था, तभी उनसे भेंट हुई थी और उन्होंने मध्यप्रदेश में छात्रों को संगठित करने की अपार संभावानाओं पर चर्चा हुई थी, तब उन्होंने देश के छात्रों की समस्याओं पर काफी संवेदानशील होकर बात रखी थी।
आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राहुल भायजी ने अपने छः वर्ष दिल्ली प्रवास को याद करते हुए बतलाया कि तब किसान आंदोलन को संगठित कर रहे थे, पर जब भी उनसे मुलाकात होती तो वे देश के छात्रों की समस्या लार चर्चा करते हुए कहते कि तुम लोग मार्क्सवादी विज्ञान को ठीक से जानो, बगैर ज्ञान प्राप्त करे तुम लोग छात्रों का ठीक ढंग से मार्ग दर्शन नहीं कर सकते। काम. अतुल अंजान सर्जनशील नेता थे, सदा पढ़ने वाले, और सदा किसानों को लेकर चिंतित और उन्हें संगठित करने के सघन प्रयासों में लगे उत्साही नेता। शोक सभा में अधिवक्ता देवेंद्र सिंघई, चंद्र कुमार जैन, अंबर, राजेंद्र संकत् गोबर्धन पटेल आदि ने भी अपनी बात रखते हुए श्रधांजलि अर्पित की। शोक सभा के अंत में बिहार के कम्युनिस्ट नेता सत्यनारायण सिंह और काम. कमलेश जैन की असमयिक मृत्यु हो जाने पर दो मिनट का मौन धारण कर सभी को श्रधांजलि अर्पित की गयी।
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