गणित के नवाचारी शोध कर रहे हैं दुनिया की जटिल समस्याओं का समाधान: कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता
▪️गणित और सांख्यिकी विभाग में पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला
तीनबत्ती न्यूज: 26अप्रैल,2024
सागर : डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के गणित एवं सांख्यिकी विभाग के रामानुजन संगोष्ठी कक्ष में ‘एप्रॉक्सीमेशन टेक्निक टू सॉल्व प्रॉब्लम इन कंप्यूटेशनल फाइनेंस’ विषय पर पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ देवी सरस्वती एवं डॉ. गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ. डॉ. शैलेश चौबे के निर्देशन में विद्यार्थियों ने सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति दी. उदघाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्टर्न केप साउथ अफ्रीका के प्रो. के. पाटीदार, विशिष्ट अतिथि आईआईटी इंदौर की डॉ. देवोप्रिया मुखर्जी, अधिष्ठाता प्रो. आर. के. गंगेले, भौतिक शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष वर्मा, गणित एवं सांख्यिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. दिवाकर शुक्ला मंचासीन थे.
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि हम सब अपनी जिन्दगी में एप्रॉक्सीमेशन पद्धति का उपयोग करते हैं. गणित एक ऐसा विषय है जिसके आधारभूत सिद्धांत से हर व्यक्ति परिचित होता है. किसी भी गणितीय सूत्र में जाने के पहले हमें सबसे पहले खुद का एप्रॉक्सीमेशन करना होता है. यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें हम अपनी क्षमता, कार्यकुशलता, ऊर्जा का आंकलन करते हुए कार्य की सफलता के बारे में अनुमान लगाते हैं. इसी की गणितीय पद्धति एप्रॉक्सीमेशन है. यह आज के समय का ज्वलंत और उभरता हुआ विषय क्षेत्र है जिस पर दुनिया के बहुत सारे विशेषज्ञ कार्य कर रहे हैं क्योंकि यह भविष्य में क्या घटित होगा, इसका आंकलन है. इसमें गणित, भौतिक शास्त्र, कम्प्यूटर साइंस, सांख्यिकी, डाटा साइंस जैसे ज्ञान-विज्ञान के कई अनुशासनों का समावेश है. इस पद्धति से कई सॉफ्टवेयर भी विकसित किये जा रहे हैं. आज गणित के नवाचारी शोध दुनिया की कई जटिल समस्याओं का समाधान कर रहे हैं. इस कार्यशाला में सम्मिलित होने विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे इस क्षेत्र में कार्य करते हुए अपना बेहतर योगदान दें.
मुख्य अतिथि प्रो. पाटीदार ने कहा कि किसी भी समस्या के समाधान और परिणाम का आंकलन करते हुए उसकी पद्धति विकसित करना सबसे कठिन एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है. दुनिया के कई वैज्ञानिक एप्रॉक्सीमेशन के विषय पर कार्य करते हुए इस सिद्धांत को आगे बढ़ाया है. यह एक ऐसा विषय है जिसमें कई तरह के विषयों का समावेश है. इस सिद्धांत में डाटा कलेक्शन, डाटा सेट्स, सांख्यिकी जैसे चीजों का उपयोग किया जाता है तब जाकर हम इसके अनुप्रयोग पर कार्य कर सकते हैं. यह कार्यशाला एक अवसर है जिसमें विद्यार्थी अपने आइडिया को साझा करते हुए शोध की दिशा को तय कर सकते हैं.
विशिष्ट अतिथि डॉ. देवोप्रिया मुखर्जी ने कहा कि इस विषय पर चर्चा 1950 के दशक से ही शुरू हो गई थी लेकिन कम्प्यूटर विज्ञान के आगमन के बाद 2014 और 2020 में इस विषय पर गहराई से अध्ययन किया गया. आज यह सबसे आवश्यक विषय बन गया है. उन्होंने कहा कि गणित में महिलाओं की भूमिका और योगदान पर भी चर्चा आवश्यक है और उनकी सशक्त भूमिका और योगदान के लिए भी वे कार्य कर रही हैं.
प्रो. आशीष वर्मा ने विषय के महत्त्व को रेखांकित किया और मौजूदा समय में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि इस सिद्धांत को आगे बधान एमें कई भौतिक शास्त्रियों का भी योगदान है. आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जमाने में इस विषय का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है. स्वागत वक्तव्य में प्रो. दिवाकर शुक्ला ने पांच दिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की और विषय को मनुष्य की दैनंदिन जरूरतों के उदाहरण के माध्यम से प्रस्तुत किया. स्टॉक एक्सचेंज, वित्त प्रबंधन, इंश्योरेंश, म्यूचुअल फंड इत्यादि ऐसे क्षेत्र हैं जहां इस पद्धति का प्रयोग किया जा रहा है.
वैदिक अध्ययन विभाग की शिवानी खरे ने कार्यक्रम का संचालन किया. प्रो. आर. के गंगेले ने आभार वक्तव्य देते हुए बताया कि इस कार्यशाला में देश-विदेश के लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया है जिसमें मुख्य रूप से मलेशिया, स्कॉटलैंड, वेस्ट-इंडीज आईआईटी इंदौर, आईआईटी धनबाद, मुंबई यूनिवर्सिटी, मेरठ कानपुर, अमेठी, पटना, बिलासपुर, पूना, बैंगलोर, कोयंबटूर इत्यादि प्रमुख संस्थानों से प्रतिभागी हिस्सा लेंगे. यह कार्यशाला हाइब्रिड मोड मे आयोजित की जा रही है. कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं शिक्षकों में मैथमेटिकल फाइनेंशियल मॉडलिंग की विशेष ट्रेनिंग दी जानी है जिससे उनके शोध में विशेष दिशा के नए आयाम खुलेंगे एवं उनको किसी विशिष्ट फाइनेंशियल रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे. इससे कॉरपोरेट जगत में फंड मैनेजर, इक्विटी एनालिस्ट, टेक्निकल एनालिस्ट इत्यादि जगहों में बेहतर रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी.
इस अवसर पर प्रो. पी. के. कठल, प्रो. ए.पी. मिश्रा, प्रो. रणवीर कुमार, प्रो. राजेश गौतम, प्रो. अजीत जायसवाल, डॉ. अभिषेक बंसल, डॉ. आर. के. पाण्डेय सहित कई शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.
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एडिटर: विनोद आर्य
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