तपोवन जैन तीर्थ में पुस्तकों का संरक्षण विषय पर संगोष्ठी आयोजित
तीनबत्ती न्यूज : 28 अप्रैल,2024
सागर। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में तपोवन जैन तीर्थ (Tapovan Jain Tirth ) में पुस्तकों का संरक्षण विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 70 लाइब्रेरियन एवं साहित्यकार ने भाग लिया। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ संजीव जैन सर्राफ ने किया।
इस अवसर पर आचार्य श्री ने कहा किसी भी भाषा के वाचक द्वारा लिखे गए अपने विचारों सिद्धांतों और ऐतिहासिक घटनाओं के लिपिबद्ध किए गए ग्रंथ को साहित्य कहते हैं। जिसमें सब का हित छुपा हो उसे साहित्य कहते हैं। भारत का आध्यात्मिक साहित्य गाय के दूध की तरह है और राग रंग मोह से युक्त लिखा गया साहित्य आंकड़े के दूध की तरह है। जो गाय के दूध से गाढ़ा तो दिखता है लेकिन इसका सेवन करना लाभकारी ना होकर हानिकारक होता है।
लगभग 2200 वर्ष पूर्व प्राचीन हस्तलिखित ताड़पत्र के ग्रंथों का ग्रंथालय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला, मूडबद्री आदि अनेक जैन स्थानो पर आज भी विद्यमान है लेकिन इसकी चर्चा या रजिस्ट्रेशन नहीं होने से किसी को ज्ञात नहीं है। प्रत्येक जैन मंदिर में आज भी ग्रंथालय, पुस्तकालय या लाइब्रेरी है। पुस्तकालय बनाने की परंपरा जैन धर्म अनुयायियों में अति प्राचीन है। जैन धर्म में ग्रंथ परमात्मा की प्रतिमा की तरह पूज्य है क्योंकि जैन ग्रंथों को भगवान की वाणी माना जाता है। प्रत्येक जैनी देव शास्त्र गुरु की पूजा प्रतिदिन अनिवार्य रूप से करते है।
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