स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की मौत 27 साल बाद जिंदा होने के फर्जी दस्तावेजों के सहारे कराया मकान आवंटित : प्राधिकरण का क्लर्क और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का नाती गिरफ्तार
▪️ सागर जिले के है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
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तीनबत्ती न्यूज : 29 अप्रैल,2024
उज्जैन : उज्जैन में स्वतंत्रता सेनानी की मृत्यु के 27 साल बाद उनके कोटे में मकान आवंटन का कारनामा करने वाले यूडीए के बाबू और सेनानी के नाती को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह फर्जीवाड़ा 2012 में किया गया था। तभी खुलासा होने के बाद आवंटन तो निरस्त हो गया था लेकिन आरोपी बचे रहे। मृत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को फर्जी दस्तावेज के जरिए जीवित दर्शाते हुए इन्होंने भार्गव नगर में मकान आवंटित करवाया था। दोनों आरोपियों को 1 मई तक पुलिस रिमांड पर सौंपा है। मामले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के संभागीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य संजय चौबे ने शिकायत की थी।
सागर जिले के है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
स्व सुदामा प्रसाद अग्रवालदैनिक भास्कर डिजिटल के मुताबिक खुरई जिला सागर निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुदामाप्रसाद अग्रवाल के नाम पर 13 फरवरी 2012 से 15 अप्रैल 2013 के बीच कूटरचित दस्तावेज तैयार कर यूडीए के बाबू प्रवीण पिता कैलाशचंद्र गेहलोत निवासी फव्वारा चौक और सर्विस प्रोवाइडर आशीष पिता सत्यनारायण अग्रवाल ने एलपी भार्गवनगर में स्वतंत्रता सेनानी के कोटे में आशीष ने ही मकान का आवंटन कराया था। जबकि सेनानी सुदामाप्रसाद अग्रवाल की वर्ष 1985 में मृत्यु हो चुकी है। सर्विस प्रोवाइडर आशीष रिश्ते में सुदामाप्रसाद अग्रवाल का नाती है।
उज्जैन विकास प्राधिकरण की स्कीम में कराया मकान आवंटित
वर्ष 2012 में जब स्वतंत्रता सेनानी कोटे में एलपी भार्गवनगर में एक मकान खाली होने की यूडीए की विज्ञप्ति जारी हुई तो सर्विस प्रोवाइडर आशीष ने यूडीए के बाबू गेहलोत के साथ मिलकर सेनानी सुदामाप्रसाद अग्रवाल को फर्जी दस्तावेज तैयार कर जीवित दर्शाते हुए उनका आय प्रमाण पत्र, शपथ पत्र आदि तैयार कर उक्त मकान आवंटित करवा लिया। शिकायत पर पुलिस ने यूडीए के बाबू गेहलोत को थाने पर तलब कर पांच घंटे पूछताछ के बाद छोड़ दिया था।
जांच के बाद गेहलोत और अग्रवाल गिरफ्तार
जांच के बाद बाबू गेहलोत और सर्विस प्रोवाइडर अग्रवाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर इनके खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 एवं 34 भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया है। मामले में अन्य अज्ञात आरोपी भी बनाए हैं। माधवनगर के एसआई पवन वास्केल ने बताया दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से दोनों को 1 मई तक पुलिस रिमांड पर सौंपा गया है।
मृत्यु प्रमाणपत्र |
उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) भरतपुरी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों की फाइल तैयार कर संपदा शाखा के बाबू प्रवीण गेहलोत ने यूडीए में पेश की थी। इसमें तत्कालीन सहायक अधीक्षक सीके बुखारिया ने फाइल का परीक्षण किया था और फिर आगे बढ़ा दी थी।
यूडीए अधीक्षक ने भी नहीं पकड़ी गड़बड़ी
यूडीए अधीक्षक सुल्तान खान ने भी गड़बड़ी पकड़ने की बजाए फाइल में लगाए दस्तावेजों को सही मानते हुए आगे बढ़ा दी। संपदा अधिकारी डीके नीमा ने भी दस्तावेजों को लेकर कोई आपत्ति तक दर्ज नहीं करवाई। कूटरचित दस्तावेजों को ही सही मानते हुए फाइल को यूडीए के तत्कालीन सीईओ शिवेंद्र सिंह के समक्ष पेश कर दी। इसके बाद आवंटन के आदेश जारी हो गए। इसमें सर्विस प्रोवाइडर आशीष पिता सत्यनारायण अग्रवाल ने करीब 8 लाख रुपए यूडीए में जमा करवा दिए। इसके बाद भार्गवनगर योजना में वर्ष 2012 में मकान नंबर 8-9 का आवंटन कर दिया गया। मकान आवंटन की पड़ताल की तो पाया कि यूडीए की आवासीय योजना एलपी भार्गवनगर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटे में मकान होने से मृत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाती आशीष अग्रवाल निवासी सुभाषनगर उज्जैन ने यूडीए के बाबू गेहलोत के साथ में मृत सुदामाप्रसाद अग्रवाल निवासी खुरई जिला सागर के नाम से दस्तावेज तैयार कर पंजीयन फार्म जमा कर दिया। इसकी फाइल बाबू गेहलोत ने तैयार कर यूडीए में पेश की थी, जिसे सहायक अधीक्षक और अन्य ने बगैर जांच किए फाइल आगे बड़ा दी।
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आरोपी को 12 साल से बचाता रहा प्राधिकरण प्रशासन
मामले में 12 साल में यूडीए प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करवाने की प्रॉपर पहल नहीं की। इसका फायदा उठा गेहलोत पूरी व्यवस्था में खुले तौर पर हस्तक्षेप करता रहा। उसे पीआरओ व सहायक संपदा अधिकारी के पद से नवाजा गया।
तहसीलदार से आय का प्रमाण पत्र भी फर्जी बनवा लिया
2014 में प्राधिकरण कि जांच समिति ने भी बाबू गहलोत की लापरवाही मानते हुए दोषी ठहराया और बाद में एफआईआर के लिए सिफारिश भी की गई। उसकी रसूख के चलते मामला पुलिस में नहीं गया।
तहसीलदार से आय का प्रमाण पत्र भी फर्जी बनवा लिया
2014 में प्राधिकरण कि जांच समिति ने भी बाबू गहलोत की लापरवाही मानते हुए दोषी ठहराया और बाद में एफआईआर के लिए सिफारिश भी की गई। उसकी रसूख के चलते मामला पुलिस में नहीं गया। जबकि फर्जीवाड़े के खेल में जमा राशि किसी अन्य के खाते से बने डीडी से यूडीए में जमा हुई। मृत हो चुके व्यक्ति के नाम पर शपथ पत्र, उनका फोटो, हस्ताक्षर कर भवन कब्जाने का मामला धारा 420 का बन रहा था। इस मामला करीब 12 वर्ष पहले ही एफआइआर दर्ज की जानी चाहिए थी। लेकिन अब जाकर हुई।आश्चर्य की बात यह है कि इन लोगों ने दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी श्री अग्रवाल के नाम का फर्जी आय प्रमाण पत्र दिनांक 19-02-2012 को तहसीलदार सुंदरसिंह चैहान के हस्ताक्षर से बनवाकर प्रस्तुत कर दिया। जांच समिति के समक्ष यह भी प्रमाण उपलब्ध था, लेकिन इन अहम तथ्यों को बाद में दरकिनार कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया था।
सीएम को शिकायत के बाद FIR
14 जनवरी 2024 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के उत्तराधिकारी संगठन के पदाधिकारी संजय चौबे ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को मामले की शिकायत की, तब मामला एक बार फिर सुर्खियों में आया 12 वर्ष बाद एक बार फिर हुई शिकायत के बाद तत्कालीन बाबू प्रवीण गहलोत से सारे दायित्व छीन लिए गए। उन्हें कमिश्नर कार्यालय अटैच कर जांच शुरू कर दी। दोबारा खुली जांच के करीब तीन माह बाद रविवार तड़के 2 बजे विकास प्राधिकरण के बाबू रहे प्रवीण गेहलोत और स्वतंत्रता सेनानी के नाती आशीष अग्रवाल के खिलाफ थाना माधव नगर में धारा 420, 467, 468, 471, और 34 में मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। जहां दोनों को रविवार को कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगा है।
गेहलोत पर निलंबन की कार्रवाई होगी
यूडीए सीईओ संदीप सोनी का कहना है कि भार्गवनगर के मकान आवंटन में बाबू प्रवीण गेहलोत की गिरफ्तारी तथा पुलिस रिमांड पर लिए जाने के चलते कार्रवाई की जा रही है। उसके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
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