डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में दिव्यांगजन लर्निंग रिसोर्स सेंटर की स्थापना
तीनबत्ती न्यूज:22 मार्च,2024
सागर : डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के कुलपति सम्मेलन कक्ष में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा अपने परिपत्र के अंतर्गत जारी दिशा निर्देश - सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने हेतु दिशा निर्देश (एसईडीजी) को अंगीकृत करते हुये विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट शिक्षा, लैंगिक समानता, दिव्यांगजन के लिए सुविधायें, कोई गरीबी नहीं, अच्छे कार्य एवं आर्थिक विकास को हासिल करने के लिये तथा सामाजिक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के शैक्षणिक एवं सामाजिक उन्नयन के साथ-साथ अवसरो की समानता उपलब्ध कराने हेतु गठित समिति की बैठक विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में संपन्न हुई.
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर त्वरित कार्यवाही करते हुये इस दिशा में तय किये गये मानकों को हासिल करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार समिति का गठन करते हुये स्वयं इस समिति की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के प्रारंभ में इस समिति के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार जैन, विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग ने इस विषय की गंभीरता को समझते हुये एवं दिव्यांगजनों के लिए अतिआवश्यक सुविधाओं को अविलम्ब उपलब्ध कराने के लिए गठित समिति का अध्यक्ष मनोनीत किये जाने पर धन्यवाद ज्ञापित किया.
इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रो. अस्मिता गजभिये, प्रभारी आंतरिक शिकायत समिति, प्रो. श्वेता यादव, विभागाध्यक्ष, प्राणीशास्त्र विभाग, डॉ. बलवंत सिंह भदौरिया, अधिष्ठाता, कला एवं सूचना विज्ञान, डॉ. रजनीश अग्रहरि, सहायक प्राध्यापक, शिक्षा विभाग, डॉ. नवीन सिंह, सहायक प्राध्यापक, शिक्षा विभाग के साथ-साथ विद्यार्थी प्रतिनिधि दिव्यांगजन - सुश्री आकांक्षा नामदेव, शोध छात्रा, प्रौढ़ शिक्षा विभाग, विद्यार्थी प्रतिनिधि दिव्यांगजन - श्री दुष्यंत कुमार मार्को, शोध छात्र, प्रौढ़ शिक्षा विभाग, सदस्यों के रूप में तथा श्री आशीष तिवारी, सहायक कुलसचिव - सदस्य सचिव के रूप में इस बैठक में उपस्थित हुये.
बैठक की महत्ता को ध्यान में रखते हुये इस बैठक में विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव डॉ. एस.पी. उपाध्याय, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. मोहन टी.ए., सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. अनुराग श्रीवास्तव तथा सीनियर सिस्टम एनालिस्ट डॉ. रूपेन्द्र जे. चौरसिया भी इस बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित थे.
बैठक में आवश्यक बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गई तथा उन पर सारगर्भित निर्णय लिये गये. कुलपति ने निर्देशित किया कि रंगनाथन पुस्तकालय में दिव्यांगजन लर्निंग रिसोर्स सेंटर की स्थापना के साथ विश्वविद्यालय में दिव्यांगजनों की विश्वविद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं (7 कम्प्यूटर, 2 कीबो, आडियो सामग्री, यू रीड बुक) को त्वरित स्थानान्तरण किया जाये तथा दिव्यांगजन की शिक्षा के लिए जो भी आवश्यक उपकरण हैं, उनको क्रय कर इस सेंटर में संस्थापित किया जाये, जिससे दिव्यांगजन को सम्पूर्ण सुविधाएँ प्रदान की जा सकें. इसमे प्रथमतः ब्रेल प्रिंटर को क्रय किये जाने के संबंध में निर्णय लिया गया. विश्वविद्यालय में विधि एवं हिन्दी विभाग में अध्ययनरत् दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए पाठ्य सामग्री ब्रेल लिपि में प्रिंट कराकर अविलम्ब उपलब्ध कराने का भी निर्णय लिया गया.
बैठक में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए पाठ्य सामग्री सुगम्य पुस्तकालय जिसका केन्द्र भोपाल में है, की सदस्यता विश्वविद्यालय ने ले ली है जिससे सुगम्य पुस्तकालय में उपलब्ध लगभग 10 लाख ब्रेल पुस्तकें जो ई- लायब्रेरी में उपलब्ध हैं, का लाभ विश्वविद्यालय के समस्त दिव्यांग विद्यार्थियों के साथ-साथ संबद्ध महाविद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग छात्र-छात्राएँ लाभ ले सकते हैं.
जहाँ-जहाँ दिव्यांग छात्रों को आवश्यकता है, वहाँ-वहाँ रेम्प, टायलेट की सुविधा हेतु आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. दिव्यांग छात्र-छात्राओं की परेशानियों को दृष्टि में रखते हुये यह भी निर्णय लिया गया कि दिव्यांग छात्र-छात्राओं की कक्षायें भूतल पर लगाई जायें तथा अग्रिम पंक्ति में उनके बैठने की व्यवस्था की जाये. इस आशय के निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी किये जा रहे हैं.
दिव्यांग विद्यार्थी जो विश्वविद्यालय के छात्रावासों में रहते हैं, के लिए यह निर्णय लिया गया कि समस्त दिव्यांग विद्यार्थियों को एक ही छात्रावास में स्थान उपलब्ध कराया जाये, जिससे उन्हें नैसर्गिक सुविधायें आसानी से प्राप्त हो सकें. विश्वविद्यालय के टैगोर छात्रावास में दिव्यांग छात्रों के लिए रेम्प, वाटर कूलर एवं टायलेट की सुविधा पूर्व से ही उपलब्ध है. इसी प्रकार रानी लक्ष्मीबाई कन्या छात्रावास में भी दिव्यांग छात्राओं के लिए रेम्प, वाटर कूलर, टायलेट की सुविधा है. अतः दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए इन छात्रावासों में ही रहने की सुविधा दी जाये.
विश्वविद्यालय की बेबसाईट को दिव्यांग छात्र-छात्राओं हेतु यूजर फ्रेंडली बनाये जाने के लिये विश्वविद्यालय के सीनियर सिस्टम एनालिस्ट से सुझाव मांगे गये तथा निर्देशित किया गया कि विश्वविद्यालय की बेबसाईट पर स्क्रीन रीडर एसेस की सुविधा का विस्तार किया जाये. दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए खेल कूद की सुविधाओं प्रदान किये जाने हेतु निदेशक शारीरिक शिक्षा विभाग को निर्देशित किया गया है तथा दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों में सहभागिता हेतु सांस्कृतिक समन्वयक कार्य करेंगे. माननीय कुलपति महोदया ने प्रो. अनिल जैन, विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग को निर्देशित किया कि दिव्यांग विद्यार्थियों की जो भी समस्यायें हैं, उनके निराकरण हेतु प्रबंधन का कार्य करेंगे.
इस बैठक के माध्यम से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए नवोन्मेष योजनाओं के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा तैयार दिशा निर्देशों के अनुपालन में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ऐसा प्रथम विश्वविद्यालय है, जिसने दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए यूजीसी के कार्यादेश के अनुपालन में सार्थक पहल की है एवं अन्य अनुषांगिक कार्यों को प्रारंभ करने हेतु अपनी प्रतिबद्धिता ज्ञापित की है. कुलपति ने स्पष्ट रूप से यह भावना व्यक्त की है कि इन कार्यों की सतत् निगरानी हेतु वो स्वयं इस समिति की बैठकों में रहेंगी.
बैठक के अंत में कुलपति ने कहा कि दिव्यांग होना कोई कमजोरी की निशानी नहीं है, बल्कि दिव्यांगजन के पास स्वयं की एक पहचान होती है, प्रकृति उन्हें उस कमी से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है और वह कोई न कोई अतिरिक्त हुनर के धनी होते हैं. उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन समाज में अलग नहीं हैं, वे समाज का हिस्सा हैं. विश्वविद्यालय अपने दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए उनकी शिक्षा के साथ-साथ स्किल एज्यूकेशन प्रदान करने के लिए भी कार्य योजना तैयार करेगा, जिससे इस विश्वविद्यालय के दिव्यांग छात्र-छात्रायें शिक्षा के साथ-साथ स्किल में भी पारंगत होकर आत्मनिर्भर बनें. विश्वविद्यालय में दिव्यांग अध्ययन केन्द्र की स्थापना प्रक्रियाधीन है.
समिति के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार जैन ने महत्वपूर्ण सुझावों एवं कार्यों के त्वरित क्रियान्वयन के कुलपति का आभार माना.
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