तार्किक दृष्टि ही विद्यार्थी का सर्वश्रेष्ठ गुण : प्रो. के. के. अग्रवाल
▪️गौर विश्वविद्यालय का 32वाँ दीक्षांत समारोह संपन्न
तीनबत्ती न्यूज : 13 मार्च, 2024
सागर. डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर का 32वां दीक्षांत समारोह बुधवार को विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में सुबह 10.30 बजे से आयोजित हुआ. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सार्क देशों द्वारा स्थापित दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. के. के. अग्रवाल, गौर अतिथि प्रख्यात शिक्षाविद्, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ तथा बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. आर. सी. सोबती उपस्थित रहे. विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कन्हैया लाल बेरवाल, आईपीएस (से.नि.) ने समारोह की अध्यक्षता की. देवी सरस्वती एवं डॉ. गौर के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ समारोह की शुरुआत हुई. विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने स्वागत वक्तव्य के साथ विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति का आख्या प्रस्तुत की .अतिथियों द्वारा स्मारिका का विमोचन किया गया. दीक्षांत समारोह का लाइव प्रसारण अभिमंच सभागार में भी किया गया.
समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. के. के. अग्रवाल ने दीक्षांत भाषण देते हुए कहा कि शिक्षा का काम ज्ञात समस्या का समाधान करना है जबकि दीक्षा अज्ञात समस्याओं के समाधान के लिए दी जाती है. दीक्षा प्राप्त करने के बाद अब आप जीवन और समाज में कार्य करने के लिए तैयार हो चुके हैं. डॉ. सर हरीसिंह गौर का इस विश्वविद्यालय की स्थापना में महती योगदान है. विद्यार्थी उनके जैसा महान बनने का संकल्प लें. उन्होंने कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुअनुशासनिकता की बात की जा रही है. दुनिया के महान वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ताओं की चित्तवृत्ति बहुअनुशासनिक रही है तभी उनके अनुसंधान परिणाम नवोन्मेषी एवं जनकल्याणकारी रहे हैं. उन्होंने कहा कि जीवन में उद्देश्य का होना बहुत आवश्यक है तभी आप सफल हो सकते हैं. आज शिक्षा में आउटकम बेस्ड लर्निंग की बात की जा रही है. विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा की बात की जा रही है. हम सभी को ऐसा वातावरण बनाना है कि हम लगातार डॉ. हरीसिंह गौर जैसे व्यक्तित्व पैदा कर सकें. यही हमारी सफलता एवं उत्कृष्टता का मानक होगा. विद्यार्थियों में प्रश्नाकुलता पैदा करें, उन्हें प्रेरित करें, उनमें आलोचनात्मक दृष्टि विकसित करें. यही नवाचारी शोधकर्ता के गुण हैं. उन्होंने पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को जीवन में सदैव बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देते हुए शुभकामनाएं दीं.
जीवन में ज्ञान और कौशल का विवेकसम्मत उपयोग करें विद्यार्थी- कुलाधिपति कन्हैया लाल बेरवाल
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कन्हैयालाल बेरवाल ने अध्याक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि उपाधि मिलना किसी भी विद्यार्थी के जीवन का सबसे सुखद क्षण होता है. सामान्यतयः सभी शैक्षणिक संस्थाओं में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जाता है लेकिन महान दानवीर, प्रतिभा के धनी, महान समाज सुधारक, दृढ प्रतिज्ञ डॉ. हरीसिंह गौर द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय में दीक्षांत का आयोजन कई मायनों में विलक्षण है. उन्होंने पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उपाधि लेने के बाद अब विद्यार्थी के जीवन में परीक्षाएं आरम्भ होंगी जिनमें उन्हें सफल होना है. जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हुए उन्हें ज्ञान और कौशल का उपयोग विवेकसम्मत उपयोग करना है. शिक्षा के साथ संस्कार एवं पात्रता अति आवश्यक है तभी व्यक्ति को सफलता मिलती है. उन्होंने विश्वविद्यालय के लगातार उन्नयन एवं प्रगति के लिए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को उनके सम्यक अकादमिक एवं प्रशासनिक नेतृत्व के लिए बधाई दी.
ज्ञान एवं संस्कृति के सह-आस्तित्व को शिक्षा में पोषित करने की आवश्यकता-पद्मश्री प्रो. आर. सी. सोबती
गौर अतिथि पद्मश्री प्रो. आर. सी. सोबती ने अपने उद्बोधन में भारतीय ज्ञान एवं संस्कृति के सह-आस्तित्व को शिक्षा में पोषित करने की क्षमता पर बल देने की बात की. उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति सबसे बड़ी शिक्षक है प्रकृति से सीखने की आवश्यकता ही शिक्षण पद्धति का महत्त्वपूर्ण अंग है भारतीय जीवन संस्कृति, पाश्चत्य संस्कृति से बहुत ही वैज्ञानिक एवं तार्किक है तथा भारतीय शिक्षा पद्धति प्रारम्भ से ही एकीकृत रही है. उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा की ज्ञान प्राप्त करने के साथ ही साथ संसार एवं समाज की सेवा मानवीय मूल्यों के पथ पर चल कर करने का संकल्प लें.
डॉ. गौर विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा का अकादमिक, सांस्कृतिक एवं साभ्यातिक केंद्र है- प्रो. नीलिमा गुप्ता, कुलपति
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने वार्षिक आख्या प्रस्तुत करते हुए शिक्षकों, विद्यार्थियों की उपलब्धियों को रेखांकित किया. उन्होंने विश्वविद्यालय के नवीन छात्रावासों, अकादमिक भवनों, प्रयोगशालाओं, होटल मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, शारीरिक-शिक्षा जैसे नवीन पाठ्यक्रमों और शैक्षणिक समझौतों का उल्लेख करते हुए विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं अधोसंरचनात्मक प्रगति को साझा करते हुए कहा कि आज विश्वविद्यालय राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर के शैक्षिणक मानकों पर अपनी प्राचीन विरासत को संजो का आगे बढ़ रहा है
साथ ही यहाँ के विद्यार्थियों का विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में चयन इस बात का प्रतीक है कि हम अपनी गौरवपूर्ण यात्रा को समय एवं समाज के तारतम्य के साथ-साथ आगे बढ़ा रहें है. विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुपालन में अपना श्रेष्ठ योगदान दे रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा एवं अनुसन्धान हेतु माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चलाये जा रहे विभिन्न नवोन्मेषी एवं गुणवत्तापूर्ण योजनाओं को विश्वविद्यालय में क्रियान्वित कर रहा है जिसके तहत एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना, डिग्रियों का डिजीलाकर में अपलोड, भारतीय ज्ञान परम्परा एवं भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों से सम्बंधित पाठ्यक्रमों का सञ्चालन, संगीत, ललितकला, और प्रदर्शनकारी कला में राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय प्रदर्शन, स्वच्छ भारत अभियान के
अंतर्गत विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रम, कौशल विकास और रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के संचालन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशुतोष ने किया. दीक्षांत की औपचारिक कार्यवाही प्रभारी कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने संचालित की और आभार व्यक्त किया. राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, उपाधि पाने वाले विद्यार्थी, पत्रकारगण, शहर के सम्माननीय नागरिक गण उपस्थित रहे.
भव्यता के साथ निकली विद्वत शोभायात्रा
कार्यक्रम में लोकवाद्य एवं मंगलाचरण के साथ अकादमिक विद्वत शोभायात्रा समारोह स्थल तक पहुँची. प्रभारी कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने विश्वविद्यालय ध्वज के साथ शोभायात्रा की आगवानी की. इसमें विश्वविद्यालय कुलाधिपति, मुख्य अतिथि, गौर अतिथि, कुलपति, कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद के सदस्य सम्मिलित हुए.
विभिन्न अध्ययनशालाओं के 56 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं प्रमाण पत्र
विश्वविद्यालय के विभिन्न अध्ययनशालाओं के 56 मेधावी विद्यार्थियों को अतिथियों ने स्वर्ण पदक और प्रमाण-पत्र प्रदान किया. दीक्षांत समारोह में सीबीसीएस प्रणाली के 11 अध्ययनशालाओं सहित 2 सम्बद्ध महाविद्यालयों के 1200 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान किया गया जिसमें स्नातक के 478 , पीजी 376 एवं पीएच.डी. के 97 छात्रों सहित कुल 951 छात्र उपस्थित होकर उपाधि प्राप्त किया. इसके अतिरिक्त शेष विद्यार्थियों को ‘इन अब्सेंशिया’ उपाधि प्रदान की गई.
यूट्यूब पर हुआ दीक्षांत समारोह का लाइव प्रसारण
दीक्षांत समारोह के सम्पूर्ण कार्यक्रम का लाइव प्रसारण विश्वविद्यालय के ईएमआरसी सागर के यूट्यूब चैनल से किया गया. देश के कई हिस्सों से जो विद्यार्थी सहभागिता नहीं कर सके साथ ही उनके अभिभावकों ने लाइव प्रसारण देखा.
गौर समाधि पर अतिथियों ने पुष्पांजलि दी
दीक्षांत समारोह के आरम्भ होने से पूर्व गणमान्य अतिथियों ने गौर समाधि पहुंचकर पर डॉ. गौर को पुष्पांजलि अर्पित की. दीक्षांत समारोह के आयोजन में विश्वविद्यालय के एनसीसी कैडेट्स और अनुशासन व्यवस्था समिति के सदस्यों ने सहयोग किया.
विश्वविद्यालय ने डिजिलॉकर पर जारी की वर्ष 2023 में पाठ्यक्रम पूर्ण करने वाले 2187 विद्यार्थियों की डिग्री
डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ने 32वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर वर्ष 2023 में पाठ्यक्रम पूर्ण करने वाले यूजी के 1391 पीजी के 674 एवं पीएचडी के 122 विद्यार्थियों सहित कुल 2187 डिग्री सर्टिफिकेट आज (13/03/2024) डिजिलॉकर पर जारी कर दी है। सम्बंधित विद्यार्थी अब अपनी डिजिटल डिग्री डिजिलॉकर से भी निकाल सकते हैं | परीक्षा नियंत्रक डॉ एस पी गादेवार ने बताया कि वर्ष 2023 पाठ्यक्रम पूर्ण करने वाले विद्यार्थियों के ग्रेड शीट एवं ट्रांसक्रिप्ट भी उपलब्ध कराने का कार्य भी प्रगति पर है जो जल्द ही विद्यार्थियों को डिजिलॉकर पर उपलब्ध हो जाएगा।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि विश्वविद्यालय ने रिकॉर्ड समय में विद्यार्थियों की डिग्री ऑनलाइन रूप में डिजिलॉकर पर उपलब्ध कराई है। एक तरफ वे आज दीक्षांत में डिग्री फाइल प्राप्त कर रहे हैं, दूसरी तरफ उनकी डिजिटल डिग्री भी आज से ही उपलब्ध है। यह विश्वविद्यालय की बड़ी उपलब्धि है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान में विश्वविद्यालय ने एक कीर्तिमान स्थापित करते हुए यह कार्य संभव किया है। भारत सरकार ने डिजिटल डिग्री की मान्यता मूल डिग्री के बराबर कर दी है अत: हमारे विद्यार्थी डीजीलाकर पर उपलब्ध डिजिटल अकादमिक सर्टिफिकेट का उपयोग कर देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने मे सहभागी बनें|
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