INDORE : हेराफेरी करने वाले समिति प्रबंधक को 10 साल की सजा और 24 लाख के जुर्माने की सजा
▪️भ्रष्ट लोक सेवक न्यायिक उदारता का अधिकारी नहीं : न्यायाधीश गंगाचरण दुबे
तीनबत्ती न्यूज : 05 फरवरी,2024
इंदौर : सेवा सहकारी समिति मर्यादित, बरलई, सांवेर जिला इंदौर में समिति प्रबंधक के रूप में रासायनिक खाद विक्रय कर 24,15,048/- रूपये की विकय धनराशि को समिति के बैंक खाते में जमा न कराते हुये अपनी वैश्वासिक स्थिति का दुरूपयोग कर आपराधिक न्यासभंग करने के आरोप में श्री गंगाचरण दुवे, दशम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, इंदौर द्वारा आरोपी नवलसिंह को धारा 409 भादसं के अपराध में 10 वर्ष का कारावास एवं 24,25,048 /- रूपये के अर्थदण्ड से एवं धारा 420 भादसं. में 7 वर्ष का कारावास एवं 10 हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किया तथा जुर्माने की उक्त राशि में से प्रतिफल के रूप में सेवा सहकारी संस्था मर्यादित, बरलई को आरोपी द्व ारा आपराधिक न्यासभंग की धनराशि 24,15,048/- रूपये प्रदान करने के आदेश दिये हैं।
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अतिरिक्त लोक अभियोजक, अभियोजन कार्यालय, इंदौर श्री लीलाधर पाटीदार, ने जानकारी दी कि अभियोजन प्रकरण अनुसार दिनॉक 01.04.2018 से दिनॉक 31.03.2019 के मध्य की घटना के संबंध में इंदौर प्रीमियर कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, इंदौर के शाखा प्रबंधक ओमप्रकाश चौहान ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस के खरे द्वारा दिये गये निर्देशानुसार दिनांक 05.02.2021 को पुलिस थाना क्षिप्रा में लेखी आवेदन प्रस्तुत किया कि संस्था से सम्बद्ध सेवा सहकारी संस्था मर्यादित, बरलई में वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंकेक्षण प्रतिवेदन अनुसार संस्था के रासायनिक खाद स्टाक में 24,15,048/- रूपये की कमी तथा आर्थिक अनियमिततायें प्रकाश में आई है, जिसके लिये आरोपी नवलसिंह जिम्मेदार पाया गया है।
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निरीक्षक विजय बहादुर मिश्रा ने जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, पुलिस अधीक्षक के आदेश पर निरीक्षक आर.के. सिंह ने आरोपी के विरूद्ध थाना क्षिप्रा के अपराध कमांक 234/21 पर प्राथमिकी लेख कर धारा 409, 420 भादसं पंजीबद्ध किया तथा अनुसंधानकर्ता निरीक्षक जी.एस. महोबिया ने अन्वेषण उपरांत अभियोग पत्र प्रस्तुत किया।
लोक अभियोजक श्री पाटीदार ने जानकारी दी कि अभियोजन ने प्रकरण में 11 साक्षियों का परीक्षण कराया। न्यायालय ने अभियोजन साक्षियों की साक्ष्य को विश्वसनीय और असंदेहित पाते हुये निर्णित किया कि आरोपी ने ही दिनांक 01.04.18 से दिनांक 31.03.2019 के मध्य सेवा सहकारी संस्था मर्यादित बरलई, तहसील सांवेर, जिला इंदौर में सहायक समिति प्रबंधक के रूप में लोक सेवक के नाते अपने कारोबार के सामान्य अनुकम में न्यस्त यूरिया 1084 बैग राशि 2,89,428/-, इफको 12:32:16, 1222 बैग राशि 15,76,380/-, डीपीए 55 बैग, राशि 70,950/-, सुपर फास्फेट 717 बैग, राशि 2,00,043/-,. पोटाश 124 बैग, रराशि 72,292/-, आईपीएल 13:13:06; 26 बैग, राशि 22,880/-, एडमोर प्रोमा देवपुत्र 215 बैग, राशि 1,77,805/-, 19:19:0 (पैकेट) 62 बैग, राशि 5,270/- कुल कीमती 24,15,048/-रूपये की रासायनिक खाद स्वयं के अख्त्यार में न्यस्त होते हुए उक्त खाद को बेचकर अभिप्राप्त राशि को समिति के कार्यालय या समिति के बैंक खाते में जमा न कर स्वयं के उपयोग में सम्परिवर्तित कर उक्त सम्पत्ति का आपराधिक न्यासभंग कारित करने समिति के साथ छल करते हुए उक्त रासायनिक खाद विकय की सम्पत्ति 24,15,048/- रूपये को परिदत्त करने के लिये बेईमानी से उत्प्रेरित कर आरोपित कृत्य कारित किया, जिससे न्यायालय ने उसे अंतर्गत धारा 409, 420 भादसं के अपराध में दोषी पाकर दण्डित किया।
आरोपी की ओर से विद्वान अधिवक्ता ने तर्क किया कि आरोपी प्रथम अपराधी होकर 65 वर्षीय नागरिक है। वह विगत 02 वर्षों से न्यायिक अभिरक्षा में होकर विचारण का सामना कर रहा है। उसकी पूर्व की कोई भी दोषसिद्धि अभियोजन द्वारा साबित नहीं की गयी है, इसलिये उसे न्यूनतम दंड से दंडित किया जावे।
वही अभियोजन की ओर से विद्वान अतिरिक्त लोक अभियोजक श्री लीलाधर पाटीदार ने अभियुक्त द्वारा सेवा सहकारी समिति मर्यादित, बरलई के साथ छल करते हुए सम्पत्ति परिदत्त करने के लिये बेईमानी से उत्प्रेरित कर, समिति की रासायनिक खाद विकय की 24,15,048/- रूपये की विकय धनराशि का आपराधिक न्यासभंग के सिद्ध पाये गये साम्पत्तिक अपराध हेतु कठोर दंड से दंडित किये जाने का निवेदन किया है।
लोक सेवक को राहत नही
न्यायालय श्री गंगाचरण दुबे, दशम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, इंदौर ने आरोपी नवलसिंह द्वारा सेवा सहकारी संस्था मर्यादित, बरलई, तहसील सांवेर, जिला इंदौर में समिति प्रबंधक के रूप में लोकसेवक के नाते अपने कारोबार के सामान्य अनुकम में न्यस्त रासायनिक खाद को बेचकर समिति के कार्यालय अथवा बैंक खाते में 24,15,048/- रूपये की विकय धनराशि जमा न कराते हुए अपनी वैश्वासिक स्थिति का दुरूपयोग कर उसे स्वयं के उपयोग में समपरिवर्तित कर आपराधिक न्यासभंग करना प्रमाणित पाते हुये अभिलिखित किया कि लोकसेवकों से सामान्य से अधिक उच्च कोटि की नैतिकता और ईमानदारी की आवश्यकता अपेक्षित होती है आरोपी द्वारा न्यस्त लोक सम्पत्तियों का आपराधिक दुर्विनियोग कर समिति के खातों में जमा न कराते हुए स्वयं के उपयोग में समपरिवर्तन के आपराधिक न्यासभंग के आपराधिक कृत्य किया है, जिससे भ्रष्ट आचरण वाला लोकसेवक किसी भी न्यायिक उदारता का पात्र नहीं है।
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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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