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नियुक्ति घोटाले के सहायक प्राध्यापको और अशेक्षणिक कर्मचारियों को लेकर डा गौर विश्वविधालय का दोहरा रुख : कोर्ट के आदेश को लेकर

नियुक्ति घोटाले के सहायक प्राध्यापको और अशेक्षणिक कर्मचारियों को लेकर डा गौर विश्वविधालय का दोहरा रुख : कोर्ट के आदेश को लेकर

तीनबत्ती न्यूज : 27 फरवरी,2024
सागर :डाक्टर हरिसिंह गौर विश्विद्यालय सागर  सन 2013 के नियुक्ति घोटाले के सहायक प्राध्यापको को बिना नियमतीकरण के लाभ पहुंचाने और
और अधेक्षणिक कर्मचारियों को लेकर कोर्ट द्वारा दिए गए  कोर्ट के आदेशों के पालन को लेकर प्रशासन पर दोहरा रवैया और हठधर्मिता का आरोप  आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद भट्ट, डा अनिल पुरोहित, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी रहे कपिल पचौरी और गौरव राजपूत ने मीडिया के सामने लगाए है। 


पत्रकारिता विभाग के अलीम खान  की नियुक्ति पर उठाए सवाल

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् दिनांक 31.07.2023 ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्देश के विपरीत पक्षपात कर पत्रकारिता विभाग में बगैर वैधानिक पद पर नियुक्त सहायक प्राध्यापक डाॅ. अलीम अहमद खान को वरिष्ठ वेतनमान Stage -3 AGP 8000 देने का निर्णय से सभी हतप्रभ है और इसी को नजीर बनाकर विश्वविद्यालय के भौतिकी एवं गणित विभाग के अन्य सहायक प्राध्यापक न्यायालय चले गये। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पूर्व में डाॅ. अलीम अहमद खान की याचिका क्रमांक 3243/2017 में पारित दिशा निर्देश के आधार पर अपने पक्ष में आदेश पारित करा लिया।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में नियुक्त यह सभी सहायक प्राध्यापक आज भी परिवीक्षा अवधि में है। इनके नियमितीकरण के संदर्भ में दायर याचिका 2372/2017 माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा 8 मार्च 2018 को अस्वीकार एवं निरस्त की जा चुकी है। इसके बावजूद इन्हें नियमित करने के लिए कार्यपरिषद् में रखा गया था, जिसके विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा रिट पिटीशन नंबर 28692/2022 याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश पारित किया गया।
भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के नियमानुसार परिवीक्षा अवधि में कार्यरत शिक्षकों को किसी भी तरह की पदोन्नति और वित्तीय लाभ जब तक नहीं दिया जा सकता तब तक उनका नियमितीकरण ने हो जायें। 


 उन्होंने कहा कि डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में उन नियमों की सरे आम धज्जियां उड़ाई जाकर वर्ष 2013 में विवादित एवं अवैध रूप से नियुक्त सहायक प्राध्यापकों को पदोन्नति/वित्तीय लाभ देने की संभावित साजिश रची जा रही है। 
उन्होंने आरोप लगाया कि इससे विश्वविद्यालय का दोहरा रवैया से प्रतीत होता है कि कर्मचारियों के प्रकरण में उच्च न्यायालय, श्रम न्यायालय एवं अन्य न्यायालय द्वारा जो फैसले दिये जाते हैं उन्हें संबंधित न्यायालय से उच्च न्यायालय में उनके विरुद्ध पक्ष रखा जाता है जबकि सहायक प्राध्यापकों के मामलों में ऐसा न करते हुए संबंधितों को नियम विरुद्ध लाभ पहुंचाने की जल्दबाजी प्रतीत हो रही है। 


सर्वोच्च न्यायालय में रखे पक्ष विवि प्रशासन

उन्होंने कहा कि  हमारी और शहरवासियों की मांग है कि सहायक प्राध्यापकों को लाभ देने से पहले उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध उच्च न्यायालय की द्वितीय पीठ में या सर्वोच्च न्यायालय में विश्वविद्यालय अपना पक्ष रखे। जिन तथ्यों को छिपाने का हम अंदेशा जता रहे उनको संज्ञान में लेते हुए पूर्ण तथ्यों के साथ विश्वविद्यालय अपना पक्ष रखे ताकि गुमराह करके कोई अपात्र व्यक्ति लाभान्वित न हो सके। 
उन्होंने तर्क दिया कि डाॅ. अलीम खान की प्रकरण की याचिका क्र. 3243/2017 में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा दिये गये निर्देश को विश्वविद्यालय अपने स्तर से विचार करने को आधार मानकर, विश्वविद्यालय में भौतिकी एवं गणित विभाग के नियुक्त सहायक प्राध्यापकों ने रिट पिटीसन 24040/2023 में डाॅ. अलीम खान की याचिका क्र. रिट पिटीसन 3243/2017 में दिये गये दिशा-निर्देश के अनुसार आदेश पारित करा लिये गये, इसमें भी विश्वविद्यालय द्वारा अपना पक्ष न रखना याचिकाकर्ताओं के साथ स्पष्ट रूप से साठगांठ सिद्ध हो रही है।


दैनिक वेतन भोगियों ने रखा पक्ष 

मीडिया से चर्चा में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी रहे कपिल पचौरी और गौरव राजपूत ने बताया कि विश्वविद्यालय में कलेक्टर व कमिश्नर दर (दैनिक वेतन) पर समस्त कर्मचारी जो कि विगत कई वर्षों से विभिन्न विभागों में 17 कर्मचारी कार्यरत रहे थे सभी कर्मचारियों द्वारा पूर्ण ईमानदारी, निष्ठा के साथ अपने कार्यों का निर्वाहन कर रहे थे। समस्त कर्मचारियों की नियुक्ति विश्वविद्यालय प्रशासन के सक्षम अधिकारियों द्वारा की गई थी। विश्वविद्यालय में वर्ष 2017-18 में ऑउटसोर्स प्रक्रिया को अपनाया गया जिस कारण हमें आउटसोर्स बताकर हमारी सेवाएं समाप्त कर दी थी। उक्त प्रक्रिया के बाद हम सभी कर्मचारी आज दिनांक तक बेरोजगार है जिनसे संबंधित जानकारी निम्नानुसार हैः।
▪️सर्वप्रथम यह कि हम सभी विश्वविद्यालय के (कार्यालय सहायक, नृत्य, माली, लेब सहा. इत्यादि) पदों पर कर्मचारी थे न कि किसी आउटसोर्स ऐजेंसी के? फिर भी प्रशासन द्वारा हमें विना किसी कारण के जानबूझकर नौकरी से हटाया दिया गया।


▪️ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हम सभी 17 कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के उपरान्त लगभग 260 कर्मचारियों को ऑउटसोर्स ऐजेंसी के माध्यम से विश्वविद्यालय में रखा गया है। (हम सभी आज दिनांक तक बेरोजगार है?) 
▪️ सभी कर्मचारी विवि प्रशासन के दोषपूर्ण व्यवहार से पीड़ित होकर वर्ष 2017 में केन्द्रीय श्रम न्यायालय जबलपुर में हम सभी ने सेवासमाप्ति का प्रकरण दर्ज किया जिस पर केन्द्रीय श्रम न्यायालय ने दिनांक 09-11-2022 को आदेश देते हुये हम सभी कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया और विवि के सेवासमाप्ति के निर्णय को गलत माना उसके बाद भी विवि प्रशासन ने फैसले के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील कर दी जो आज दिनांक तक न्यायालय में विचाराधीन है। - यह कि विश्वविद्यालय प्रशासन एक तरफ विवि में बड़े पदो पर बैठे विवादित भ्रष्ट अधिकारियों और 4
प्राफेसरो का बचाव करते हुये उनके लिये जांच कमेटी बनाकर वर्षों तक मामले को जानबूझकर वर्षों तक लटका दिया जाता है और उनके मामलों को कार्यपरिषद की बैठक में ले जाकर विवि स्तर पर सुलझा दिया जाता है जबकि दूसरी तरफ विवि के छोटे कर्मचारियों के प्रकरण को जानबूझकर न्यायालय में घसीटा जाता है और जब न्यायालय का निर्णय कर्मचारी के पक्ष में आता है तो उसमे उच्च न्यायालय में अपील कर विश्वविद्यालय का पैसा और कमचारियों का जीवन बर्बाद कर दिया जाता है।


▪️ वर्तमान में विश्वविद्यालय में कार्यरत सैकड़ो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के विभिन्न प्रकरण न्यायालय में लम्बित है जिन्हे विवि प्रशासन जानबूझकर अपने स्तर पर नही सुलझा रही है। और दूसरी तरफ वर्तमान विवि प्रशासन कर्मचारियों के प्रकरण में दोषपूर्ण प्रक्रिया अपनाकर विवादित भ्रष्ट अधिकारियों और प्राफेसरो के विरूद्ध प्रकरणो पर लीपापोती कर उन्हे लाभ देकर संरक्षण दे रही है।
▪️ वर्तमान में विवि प्रशासन अपने चहेते अधिकारियों को लाभ देने में तुरंत निर्णय ले लेती है और जब कर्मचारियों को लाभ देना होता है तो उसमें न्यायालय का हवाला देकर बर्षों तक उलझाकर रखा जाता है।
 उन्होंने कहा कि सभी 17 दैनिक वेतन कर्मचारी पूर्ण रूप से विश्वविद्यालय के कार्य पर आश्रित थे, हम सभी कर्मचारियों के प्रकरण में भी विवि प्रशासन अपने स्तर पर सुलझाकर तुरंत लाभ देवे। 




एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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