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भारत और भारतीयता के स्वभाविक प्रतीक हैं राम : प्रो. चन्दा बैन

भारत और भारतीयता के स्वभाविक प्रतीक हैं राम : प्रो. चन्दा बैन

तीनबत्ती न्यूज : 19 जनवरी,2024
सागर. डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, मध्यप्रदेश की भाषा अध्ययनशाला में 'समय राम:साहित्यिक प्रसंग' विषय पर परिचर्चा हिंदी विभाग के आचार्य नंददुलारे वाजपेयी सभागार मेंआयोजित की गई, जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की संयोजक, भाषा अध्ययनशाला की डीन प्रोफेसर चंदा बेन ने कहा कि भारत और भारतीयता के स्वभाविक प्रतीक हैं राम उनके चरित्र में औदात्य है, जो सभी जीवों को समान भाव से सम्मान देता है। आज जब पूरा विश्व राममय हो रहा है तो साहित्यिक संदर्भ में भी राम पर चर्चा आवश्यक औऱ महत्वपूर्ण हो जाती है। 


व्याख्यान कार्यक्रम में डॉक्टर अवधेश कुमार ने तुलसी के राम विषय पर बात करते हुए कहा कि तुलसी के राम मानवतावादी है। डॉक्टर संजय कुमार ने वाल्मीकि रामायण में राम के चरित्र पर प्रकाश डाला। डॉक्टर अरविंद कुमार ने कबीर के राम, डॉक्टर रामहेत गौतम ने जातक कथाओं में राम पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉक्टर आशुतोष ने भवभूति के राम पर अपनी बात रखते हुए कहा कि भवभूति के राम: राम के राजत्त्व और राम के रामत्त्व के बीच के द्वंद्व में है जिसके अंत में रामत्व की विजय होती है। 

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देखे : भगवान रामलला की पूरी तस्वीर सामने आ गई है


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प्रोफेसर राजेन्द्र यादव ने निराला के राम को समझाते हुए बताया कि निराला ने अपनी कविता राम की शक्ति की पूजा में आजादी के संघर्ष के समाज को उत्साहित करने का कार्य किया है। अपने अध्यक्षीय भाषण में हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि राम सर्वव्यापी हैं। उनका चरित्र समाज का मार्गदर्शक है, जिसका अनुसरण करना चाहिए। वह संघर्ष में भी धैर्य नहीं खोते है। राम वंदना का गायन शोधार्थी सृष्टि सिंह ने किया।कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर हिमांशु कुमार ने किया तथा आभार हिंदी विभाग के शोध छात्र शैलेंद्र सिंह यादव ने माना। इस कार्यक्रम में भाषा अध्ययन शाला के सभी विभागों के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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