मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा सागर में "सिलसिला एवं तलाशे जौहर" के तहत अख़लाक़ सागरी एवं सलाम सागरी की याद में व्याख्यान एवं रचना पाठ

मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा सागर में "सिलसिला एवं तलाशे जौहर" के तहत अख़लाक़ सागरी एवं सलाम सागरी की याद में व्याख्यान एवं रचना पाठ

तीनबत्ती न्यूज : 21जनवरी,2024
सागर : मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्वावधान में ज़िला अदब गोशा सागर के द्वारा सिलसिला एवं तलाशे जौहर के तहत सागर के प्रसिद्घ  शायरों अख़लाक़ सागरी एवं सलाम सागरी की याद में व्याख्यान एवं रचना पाठ का आयोजन रविवार को सरस्वती वाचनालय, सागर में ज़िला समन्वयक आदर्श दुबे के सहयोग से किया गया। 

उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों का उद्देश्य स्थानीय विभूतियों के योगदान को नई पीढ़ी के समक्ष लाना है। सागर में अख़लाक़ सागरी एवं सलाम सागरी दोनों ऐसे ही शायर व साहित्यकार थे जिनकर व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों से हमें प्रेरणा लेने की ज़रूरत है।" सरस्वती वाचनालय ट्रस्ट के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने कार्यक्रम को सागर में एक नई और स्वागतेय शुरुआत बताते हुए ट्रस्ट की ओर से हमेशा सहयोग देने की घोषणा की।
सागर ज़िले के समन्वयक आदर्श दुबे ने बताया कि व्याख्यान एवं रचना पाठ दो सत्रों पर आधारित था। प्रथम सत्र में दोपहर 1:00 बजे तलाशे जौहर प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें ज़िले के नये रचनाकारों ने तात्कालिक लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। निर्णायक मंडल के रूप में जबलपूर के वरिष्ठ शायर इरफ़ान झांसवी एवं दमोह के वरिष्ठ शायर अफज़ल दमोही मौजूद रहे जिन्होंने प्रतिभागियों को शेर कहने के लिए दो तरही मिसरे दिये। उपरोक्त मिसरों पर नए रचनाकारों द्वारा कही गई ग़ज़लों पर एवं उनकी प्रस्तुति के आधार पर निर्णायक मंडल के संयुक्त निर्णय से पुष्पेंद्र दुबे ने प्रथम, क्रांति जबलपुरी ने द्वितीय एवं सुल्तान खान ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। तीनों विजेता रचनाकारों को उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कार राशि क्रमशः 3000/-, 2000/- और 1000/- एवं प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। 

दूसरे सत्र में सिलसिला के तहत व्याख्यान एवं रचना पाठ का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ शायर मायूस सागरी ने की। वहीं विशिष्ट अतिथियों के रूप में इरफ़ान झांसवी एवं अफज़ल दमोही उपस्थित रहे। इस सत्र के प्रारंभ में सागर के शायरों एवं साहित्यकारों अशोक मिज़ाज बद्र और आशीष ज्योतिषी ने  सागर के प्रसिद्घ  शायरों अख़लाक़ सागरी एवं सलाम सागरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
अशोक मिज़ाज बद्र ने अख़लाक़ सागरी के व्यक्तित्व एवं शायरी के हवाले से बात करते हुए कहा कि वो ग़रीब थे मगर बड़े ख़ुद्दार थे, आत्मसम्मान को ज़रा भी आंच नहीं आने देते थे और सीना तान के पूरे जोश के साथ शेर पढ़ते थे और दाद के लिए कभी हाथ नहीं फैलाते थे। उनकी ग़रीबी और ख़ुद्दारी उनकी शायरी में दिखाई देती है।मौलिक सोच और मौलिक  अभिव्यक्ति उनके लेखन की विशेषता है।यही वजह है कि उनके शेर सुनते ही सब की ज़ुबान पे चढ़ जाते थे।वो अपने इन्हीं शेरों की बदौलत अमर रहेंगे। 

आशीष ज्योतिषी ने कहा सलाम साहब और अख़लाक़ साहब वे ज़रूरी लेखक और शायर हैं जिन्हे ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए और ये हमारी साहित्यिक धरोहर है जिसे सहेजना हमारा फ़र्ज़ है। वहीं डॉ वसीम अनवर ने कहा कि सलाम सागरी साहब  पिछले जमानों की याद दिलाते हैं बेहतरीन अल्फ़ाज़ का संकलन उनके यहाँ मिलता है। 
 रचना पाठ में जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनमें मायूस सागरी ने "प्यार करता हूं हर इक मज़हब से मेरा दिल मेरा वतन हो जैसे।" इरफ़ान झांस्वी ने "तुम्हें यक़ीन नहीं पर मुझे भरोसा है दूसरों की हिफ़ाज़त में मारा जाऊंगा", अफ़ज़ल दमोही ने "मये मुहब्बत में हो सके तो करें इज़ाफ़ा,कि इतनी कम में मेरा गुज़ारा नहीं चलेगा",डॉ गजाधर सागर ने "जाने क्या है उसकी अपनी मजबूरी, बेटी जब निकली है करने मज़दूरी",वृंदावन राय सरल ने "मुश्किलों में मुस्कुराना चाहिए, ये हुनर हम सबको आना चाहिए", असगर पयाम ने "मुल्क पर कुर्बान जब बेटा हुआ,फ़ख्र से फिर सर मिरा ऊंचा हुआ", शफीक़ अनवर ने "ज़िंदगी में खु़लूस ले आएं इसमें कुछ मालो -ज़र नहीं लगता" अबरार अहमद ने "बेटी को बोझ कहते हैं वो जानते नहीं,बरकत इन्हीं के दम से हमारे घरों में है",अरुण कुमार दुबे ने "दोस्त इसको मरे जमाना हुआ, ढूंढ़ता क्यों है आदमी मुझमें", मुकेश  सोनी रहबर ने "हाथ लगते ही हवा का जो बिगड़ जाते हैं,शाख से टूट के पत्ते वो बिछड़ जाते हैं" और नईम माहिर ने "अपनी हिम्मत को हम आज़माते रहे,चोट खाते रहे मुस्कुराते रहे" कलाम सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी।
कार्यक्रम का संचालन आदर्श दुबे द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में अयाज़ सागरी ने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र, प्रलेस अध्यक्ष टीकाराम त्रिपाठी, डॉ नलिन जैन,पी आर मलैया, मुकेश तिवारी, डॉ मनोज श्रीवास्तव,डी एन चौबे,राजू चौबे सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
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