मनुष्य जैसा विचार रखता हैवैसा ही बनता है : डाॅ0 अजय तिवारी ▪️स्वामी विवेकानंद विवि में मना युवा उत्सव

मनुष्य जैसा विचार रखता है
वैसा ही बनता है :  डाॅ0 अजय तिवारी 

▪️स्वामी विवेकानंद विवि में मना युवा उत्सव

तीनबत्ती न्यूज : 12 जनवरी ,2024
सागर : स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में ’’भारतीय ज्ञान परम्परा का षिक्षा में समावेषन’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ द्वीप प्रज्जवलन एवं स्वस्ति वाचन के साथ हुआ। भारतीय परम्परा के अनुसार अतिथियों के स्वागत सत्कार के उपरान्त वक्तव्य की श्रृखला में विषय का औचित्य वि0 वि0 के कुलाधिपति महामान्य डाॅ0 अजय कुमार तिवारी द्वारा दिया गया।उन्होंने  कहा कि - हमारी भारतीय ज्ञान परम्परा विद्यार्थियों के व्यवहार में परिवर्तन करती है एवं अहंकार से दूर रखती है। इस दुनिया में कोई येसा नही जिसमें दोष न हो। गुरू के अंदर जो गुण है केवल उन्हें ही ग्रहण कीजिए दोष को ग्रहण मत कीजिए क्योंकि कोई भी दोष रहित नही होता। व्यक्ति की उन्नती उसके माता-पिता एवं गुरू की देन है। ज्ञान देने की प्रक्रिया सम्प्रेषण से पूर्ण होती है ज्ञान को बाटना चाहिए केवल अपने तक ही सीमित नही रखना चाहिए। परा अपनी आत्मा, परमात्मा व प्रकृति को समझाते हुए छात्र जीवन में उसका महत्व बताया। 
अतिथियों का स्वागत परिचय संस्था के संस्थापक कुलपति, डाॅ0 अनिल तिवारी द्वारा किया गया।उन्होंने कहा कि  हमें स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन से प्रेरित होना चाहिए और सभी महानुभावी अतिथि उनके मार्गदर्षन व ज्ञानदीक्षा की परम्परा पर सभी को धन्यवाद देते हुए युवा वर्ग का प्रोत्साहित किया। स्वामी जी के सिद्धांतो पर चलते हुए कर्म को प्रधान बताया। कर्म आपका अधिकार है वही कर्म करो जो आपके जीवन की प्रधानता है। आज के युवाओं का चारित्रिक, मानसिक, आकलन करते हुए परिणामो का सुधार करना चाहिए। 

 जिला षिक्षा अधिकारी, सागर ,डाॅ0 अरविन्द्र जैन ने कहा कि - षिक्षा में ज्ञान, चरित्र और कौषल का समावेष किया जाना चाहिए। धार्मिक अनुष्ठान षिक्षा व ज्ञानदीक्षा का आयोजन केवल इस वि0 वि0 में किया जाता है। ज्ञानदीक्षा कार्यक्रम ज्ञान मार्ग का परिचय है। इससे विद्यार्थियों को मूलज्ञान प्राप्त होता है। जैसे- स्वयं का ज्ञान, एकता का ज्ञान, स्मृति का ज्ञान। आज के परिवेष में नई षिक्षा नीति के साथ-साथ हमें विद्यार्थियों नैतिकता का ज्ञान भी अवष्य कराना चाहिए। 
 ज्वाइन्ट रजिस्ट्रार डाॅ0 हरि सिंह गौर वि0वि0  संतोष सोहगौरा ने कहा कि - स्वामी विवेकानंद वि0वि0 की उपलब्धियो व युवाओं के चरित्र निर्माण में वि0 वि0 के योगदान के बारे मे व्याख्या देते हुए महापुरूषों का षिक्षा में योगदान बताया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की तीन बाते बतायी की हिन्दू धर्म को विषिष्टता प्रदान की, हिन्दू धर्म में सुधार और राष्ट्रवाद का सिद्धांत जो देष के लिए गौरव पूर्ण है। अधिक कार्य करने के लिए आयु का अधिक होना अनिवार्य नही है। 
वक्तव्य की अगली श्रंृखला में पूर्व अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष - भूगोल विभाग डाॅ0 हरि सिंह गौर वि0वि0 सागर (म0प्र0), प्रो0 आर0 पी0 मिश्रा जी ने कहा कि - भारतीय वेषभूषा व भारतीय षिक्षा पर उद्बोधन दिया। लगन श्रृम निष्ठा से कोई भी कार्य किया जाए तो वह पूर्ण होकर ही रहता है। मेहनत से ही कार्य को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होने इसी आधार पर सागर के छात्र-छात्राओं का अपने जीवन में आगे बढ़ने की बात कही। वक्तव्य की श्रृंखला में सम्पूर्णानंद संस्कृत वि0वि0 वाराणसी से पधारे प्रो0 रविषंकर पाण्डे जी ने आध्यात्मिक ज्ञान के द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा का षिक्षा में समावेषन पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि - भाषा विज्ञान का नया ग्रन्थ व चिन्तन इस पर अपने विचार व्यक्त किये और उन्होने अन्धकार में प्रकाष के अस्तित्व को अपनी भाषा में समझाया। उन्होने भारतीय ज्ञान परम्परा का महत्व व आज की पीढ़ी में उसकी आवष्यकता पर अपने विचार व्यक्त किया। गुरू परम्परा को भी उन्होंने श्रेष्ठ बताया। उन्होंने कहा विद्या केवल अपने पास रखना नही है उसका सम्मान पूर्वक दान दिया जाना चाहिए। स्वामी विवेकानंद जी नामकरण की कथा भी कही। 
इस कार्यक्रम के गणमान्य अतिथियों में श्री सिक्ख गुरू ज्ञानी जी, श्री आर.एल. शुक्ला जी, योग गुरू श्री विष्णु आर्य जी ,श्रीमती श्रीदेवी तिवारी जी (मम्मी जी), डाॅ0 रेनू तिवारी, डाॅ0 प्रतिभा तिवारी, मा0 श्री आदित्य प्रखर तिवारी, कु0 सौम्या तिवारी, श्रीमती शर्मिष्ठा दत्ता उपस्थित रहे। 
उत्कृष्ट कार्य करने वालो का सम्मान
स्वामी विवेेकानंद विष्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष अपने कर्मचारियों द्वारा विगत वर्ष किये गए उत्कृष्ट कार्यों की सराहना स्वरूप उन्हें पुरस्कृत करता है। जिसे स्वामी विवेकानंद रत्न पुरस्कार का नाम दिया जाता है। इस वर्ष यह उत्कृष्ट कार्यों के लिए श्री रामकुमार विष्वकर्मा, विभागाध्यक्ष मैकेनिकल विभाग (सर्वप्रथम षिक्षक आई0टी0), श्रेष्ठ षिक्षक का पुरस्कार डाॅ0 वर्षा कासव, उत्कृष्ट प्रषासनिक कार्य हेतु डाॅ0 शैलेन्द्र पाटिल, श्री जैकसन सालू श्री शषिकांत शषि, श्री सचिन मिश्रा, श्री संतोष चैधरी, उत्कृष्ट अकादमिक कार्य हेतु डाॅ0 उमेष मिश्रा, डाॅ0 सुनील विष्वकर्मा, उत्कृष्ट कार्य हेतु श्री रामनरेष सिंह, श्री रोहित तिवारी, एस0वी0एन0 युवा शक्ति श्रीमती जागृति पटैरिया, श्री राजकुमार कुर्मी, श्रीमती नेहा जैन सभी सम्माननीय सदस्यों को पुरस्कार दिया गया। युवा महोत्सव के अन्तर्गत वि0वि0 में आयोजित प्रतियोगिताओं के अन्तर्गत विद्यार्थियों द्वारा किये गए सृजनात्मक अभिव्यक्ति को  पुरस्कृत किया गया जिसमें निबंध - सृष्टि बैरागी, दीया वाल्मीकि, सौम्या ठाकुर, तात्कालिक भाषण - वैष्णवी पाण्डे, आदित्य राजपूत, चित्रकला - स्नेहा ठाकुर, वंषिका साहू, सृष्टि बैरागी, पूजा थाली सज्जा - वंषिका साहू, प्रियंका अहिरवार, निरंजनी पचैरी, रंगोली - आदित्य राजपूत, नैन्सी यादव, प्रीति अहिरवार, मेहंदी - भारती अहिरवार, खुषी मौर्य, निरंजनी पचैरी, योग - अजय सूर्यवंषी, आदित्य राजपूत, कीर्ति राजपूत, वंषिका साहू आदि प्रतियोगिताओं में उपस्थित रही। आभार ज्ञापित उपकुलपति, डाॅ0 नीरज तोपखाने जी, द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने में जिनका महत्वपूर्ण योगदान रहा यथा डाॅ0 सुनीता जैन, डाॅ0 बी0व्ही0 तिवारी, डाॅ0 ऋषि चैबे, श्री गोविंद सिंह राजपूत, रिट0 कैप्टन पी0 के0 दत्ता, श्री शरद समीह, श्री राम विष्वकर्मा, श्री मिथुन डाबर, डाॅ0 आषीष यादव, श्रीमती अंतिमा शर्मा, श्रीमती जाग्रति पटैरिया, श्रीमती शैलवाला बैरागी, श्री पारूल मिश्रा का सहयोग मिला कल्याण मंत्र के साथ सोहाद्रपूर्ण वातावरण में कार्यक्रम सफल हुआ। इस कार्यक्रम में सहभागिता करने वालों में वि0वि0 के डाॅ0 मनीष मिश्रा, डाॅ0 शैलेन्द्र पाटिल, प्रो0 आर0 नाथ, डाॅ0 सुकदेव वाजपेयी, डाॅ0 सुनीता दीक्षित, श्रीमती ज्योति गौतम, डाॅ0 मालिनी तिवारी, डाॅ0 राकेष राय, डाॅ0 रवीन्द्र चैरसिया, श्री राम विष्वकर्मा, डाॅ0 राकेष गौतम, डाॅ0 अनुजा श्रीवास्तव, श्रीमती विद्योत्तमा महोबिया, कु0 मोनिका शुक्ला, कु0 राधा मांझी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति देकर कार्यक्रम को सफल बनाया। मंच संचालन श्रीमती अंतिमा शर्मा एवं श्री अभिषेक जैन  द्वारा सम्पन्न किया गया। कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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