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विश्वविद्यालय की कीर्तियात्रा में सहभागी बन डॉ. गौर के प्रति कृतज्ञता के पुष्प अर्पित करें- कुलपति ▪️तीनबत्ती पर गौर प्रतिमा पर माल्यार्पण कार्यक्रम

विश्वविद्यालय की कीर्तियात्रा में सहभागी बन डॉ. गौर के प्रति कृतज्ञता के पुष्प अर्पित करें- कुलपति                            
▪️तीनबत्ती पर गौर प्रतिमा पर माल्यार्पण कार्यक्रम

तीनबत्ती न्यूज : 26 नवंबर,2023
सागर. महान दानवीर, विधिवेत्ता एवं डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक सर डॉ हरीसिंह गौर की 154वीं जयन्ती के अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने सागर शहर के तीनबत्ती पहुँचकर डॉ. गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और सभा को संबोधित किया. उन्होंने जागतिक पुरुषार्थ के कीर्ति स्तम्भ और बुन्देली संकल्प के अद्वितीय नायक डॉ. सर हरीसिंह गौर की जयंती पर सभी नगरवासियों का अभिनन्दन करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं दीं. इस अवसर पर प्रतिष्ठित नागरिकों,जनप्रतिनिधियों , विश्वविद्यालय परिवार ने माल्यार्पण किया।
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देखे : दानवीर, विधिवेत्ता एवं डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक सर डॉ हरीसिंह गौर की जयन्ती मनाई



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उन्होंने कहा कि आज का दिन बुन्देलखण्ड ही नहीं समूचे भारतवर्ष के लिए ज्ञान के संधान का दिन है। आज के ही दिन इस धरा-धाम पर डॉ. गौर के रूप में ज्ञान-दान का अप्रतिम सूर्योदय हुआ था। जो आगे चलकर पूरे बुन्देलखण्ड की उज्ज्वल पहचान बन गया। 
उन्होंने डॉ. गौर के जीवन-कर्म को रेखांकित करते हुए कहा कि डॉ. गौर का जीवन और कर्म हम सबके लिए एक सबक है। वे पढ़ना चाहते थे. एक महान संकल्प में बदलते हुए अपने सागर में विश्वविद्यालय के रूप में ज्ञान का एक महान स्थापत्य खड़ा कर दिया है। कहा जाता है कि उस समय सागर में स्याही तक नहीं मिलती थी। यहाँ के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाना पड़ता था। शैक्षिक दृष्टि से सागर अत्यंत पिछड़ा हुआ था। पर अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव और प्रेरणा के चलते डॉ. गौर ने अपनी समूची पूँजी का दान कर 1946 में विश्वविद्यालय की स्थापना कर अपने तरह का एक अभिनव कीर्तिमान रच दिया। 

 विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में मेरा प्रयास है कि मैं डॉ. हरीसिंह गौर के सपनों के अनुकूल इस अकादमिक संस्थान को प्रगति-पथ पर गतिमान कर सकूँ। आज हमारा विश्वविद्यालय योग्यतम शिक्षकों, प्रखरतम अधिकारियों, कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों और चेतनावान विद्यार्थियों के श्रेष्ठतम संयोजन के साथ विश्व-पटल पर अपनी पहचान बना रहा है। विश्वविद्यालय के इस आरोहण में हमारे संस्थापक डॉ. गौर का आशीर्वाद रौशनी की तरह हमेशा विद्यमान रहा है। उन्होंने समस्त नागरिकों से विश्वविद्यालय की कीर्तियात्रा में सहभागी बनने की अपील करते हुए कहा कि हम सभी अपने निजी हितों को सहयोग में और अपनी भावना को कर्म में रूपान्तरित कर अपने गौर साहब के प्रति अपनी कृतज्ञता के पुष्प अर्पित करें। 

तीनबत्ती पर किया माल्यार्पण
 गौर मूर्ति तीनबत्ती पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता, प्रो चंदा बेन, सुरेश आचार्य, दिवाकर सिंह राजपूत,  सांसद राजबहादुर सिंह, डा  पुनताबकर ,महापौर संगीता सुशील तिवारी, विधायक शैलेंद्र जैन, महापोर प्रतिनिधि सुशील तिवारी, पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव, पूर्व विधायक सुधा जैन,  निधि जैन, सुनील जैन, राजकुमार पचौरी, शुकदेव प्रसाद तिवारी, डा अशोक अहिरवार, राकेश शर्मा, कमलेश बघेल, पत्रकार  सुदेश तिवारी, विनोद आर्य, पंकज सिंघई,आनंद अहिरवार ,मुकेश जैन ढाना,संदीप तिवारी, लक्ष्मण सिंह,नेवी जैन, नवीन भट्ट,, दिनेश सिंघई, कपिल पचौरी, बब्बू यादव,पंकज सोनी,अमर जैन,आशीष ज्योतिषी, अन्नी दुबे, आर के त्रिवेदी,सिंटू कटारे, नीरज सोनी, दीपक दुबे, अरविंद जैन,  सहित वरिष्ठ नागरिकों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए
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तीनबत्ती से निकली डॉ. गौर की भव्य शोभायात्रा

परम्परानुसार शहर के तीनबत्ती से बैंड बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकली जो प्रमुख मार्गों से होती हुई विश्वविद्यालय पहुँची. इस दौरान शहर के नागरिक, जनप्रतिनिधि, विद्यार्थी और आमजन इस शोभायात्रा का हिस्सा बने. शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत हुआ. 

गौर प्रांगण में हुआ मुख्य समारोह

महान दानवीर, विधिवेत्ता एवं डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक सर डॉ. हरीसिंह गौर की 154वीं जयन्ती के अवसर पर विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा डॉ. गौर के तैल चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ मुख्या समारोह प्रारम्भ हुआ. संगीत विभाग के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं गौर गीत की प्रस्तुति दी. विशिष्ट अतिथियों के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. संतोष कुमार, पूर्व छात्र एवं  पूर्व निदेशक ए.एम.डी. हैदराबाद पी एस परिहार, पूर्व शिक्षक एवं मोतिहारी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव मंचासीन थे. सारस्वत उद्‌बोधन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं पूर्व आईपीएस कन्हैया लाल बेरवाल ने की. गौर उत्सव के समन्वयक प्रो. प्रदीप कुमार कठल ने गौर उत्सव-2023 का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.

डॉ गौर ने अविकसित क्षेत्र को शिक्षा का उपहार दिया - कुलाधिपति

 
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कन्हैया लाल बेरवाल अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. गौर की जीवन यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि डॉ. गौर शिक्षाविद के साथ-साथ एक महान समाज सुधारक भी थे। छुआछूत जैसी अमानवीय परंपराओं का विरोध किया. बुंदेलखंड जैसे अविकसित क्षेत्र को शिक्षा का उपहार दिया। आज देश के कोने-कोने से विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। हम शिक्षकों का दायित्व है कि हम विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करें। जिस प्रकार डॉ. गौर ने निजी संपत्ति से विश्वविद्यालय की स्थापना की उसी प्रकार यहां से शिक्षा प्राप्त छात्रों को उनका अनुसरण करना चाहिए। जीवन में आप जो भी सीखें उसे समाज के उत्थान के लिए प्रयोग करें। एक संस्कारवान विद्यार्थी के निर्माण के लिए उसे उत्कृष्ट शिक्षा दिया जाना अनिवार्य है। डॉ. गौर ने पढने के लिए सागर छोड़ा था. समाज के उत्थान और शिक्षा के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. भारतीय संविधान के निर्माण में उनका अप्रतिम योगदान है. उन्होंने बहुत से ऐसे कानूनों के निर्माण में सहयोग दिया जिनसे समाज के वंचित वर्गों का कल्याण हुआ.  

डॉ. गौर का जीवन और कर्म हम सभी के लिए प्रेरणा का अक्षय स्रोत है- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता
सारस्वत उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने शैक्षिक एवं सामाजिक क्रांति के अनन्य नायक एवं विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. सर हरीसिंह गौर जी की 154वीं जयंती पर शुभकामनाएँ दीं. उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे विश्वविद्यालय के लिए ही नहीं बल्कि पूरे बुन्देलखण्ड और समूचे देश के लिए चेतना का महोत्सव है। आज का यह दिन अज्ञान पर ज्ञान का, नकारात्मकता पर सकारात्मकता का और समस्याओं पर मनुष्य के पुरूषार्थ के विजय का प्रतीक है।
डॉ. गौर ने अपने अटल इरादों से उन्होंने अपनी अति सामान्य सी लगने वाली जिन्दगी को एक असाधारण अफसाने में बदल दिया। सबसे ऊपर मनुष्य का सत्य है, उससे ऊपर कुछ भी नहीं। गौर साहब ने अपने कर्म से यह सिद्ध कर दिया था। गौर साहब ने जीवन की मुश्किलों सामने कभी घुटने नहीं टेके। पढ़ाई के लिए अथक संघर्ष करते रहे। अपनी जय-यात्रा में उन्होंने अपने समय की सर्वाधिक प्रतिष्ठित डिग्री और उपाधियाँ प्राप्त कीं। सागर, जबलपुर, नागपुर से होते हुए वे कैम्ब्रीज विश्वविद्यालय को भी उन्होंने अपनी प्रतिभा से चकित किया। गौर साहब उन सबके लिए रोशन स्तम्भ की तरह हैं जिनकी आँखों में कोई ख्वाब पलता है, जिनके मन में मनुष्यता के अभिनव सौन्दर्य का स्वप्न पलता है। डॉ.गौर ने शिक्षा, दर्शन, साहित्य, विधि, राजनीति आदि क्षेत्रों में अपनी नवोन्मेषी चेतना के चलते अनेक विषिष्ट उपलब्धियों को प्राप्त किया और वैश्विक स्तर पर अपने समय के चर्चित महानुभावों की प्रशंसा और सम्मान प्राप्त किया। 
डॉ. गौर का सम्पूर्ण जीवन साधारण के असाधारण बनने की जय-गाथा है। बचपन में पढ़ाई-लिखाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें सागर छोड़ना पड़ा था। अपनी मातृभूमि और परिवार से बिछड़ने की पीड़ा लिये वे देश-विदेश फिरते रहे। अपने उन्हीं बेचैन दिनों में उन्होंने संकल्प लिया था कि सागर में एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय खोलेंगे। और फिर यश, समृद्धि और प्रतिष्ठा के शिखर पर विराजमान उस महामानव ने 18 जुलाई, 1946 को अपनी सम्पूर्ण निजी सम्पत्ति का दान कर सागर विश्वविद्यालय की स्थापना कर दिया।  
मैं अपने विद्यार्थियों से कहना चाहती हूँ कि वे गौर साहब के जीवन को देखें और सीखें कि एक अकेले व्यक्ति के दुःख से उपजा संकल्प कैसे मनुष्यता के महान स्वप्न में बदल जाता है। आप डॉ. हरीसिंह गौर जैसे आधुनिक युग के ज्ञान-ऋषि की तपस्या से सृजित संस्थान में अध्ययन कर रहे हैं। इसलिए आपकी जिम्मेदारी बड़ी है। आपका आचरण, आपकी सजगता, अनुषासन, अध्ययन, शोध और चिन्तन के क्षेत्र में आपकी उपलब्धियाँ हमारे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा का वाहक बनेंगे और डॉ. गौर के संकल्पों के प्रति कृतज्ञता होंगे। 
उन्होंने कहा कि आज हमारा विश्वविद्यालय अपने श्रेष्ठ शिक्षकों, योग्य अधिकारियों, कर्मठ कर्मचारियों तथा संस्कारी विद्यार्थियों के प्रेरक समन्वय साथ निरन्तर प्रगति की ओर उन्मुख है। हमें इस बात का गर्व है कि हम डॉ. गौर जैसे मसीहा के सपनों के सिपाही हैं। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वद्यिालय अपने विद्यार्थियों को रचनात्मक, नवोन्मेषी और गतिशील शैक्षणिक परिवेश देने के लिए अत्यंत सुव्यवस्थित ढंग से परम्परा और आधुनिकता के तार्किक समन्वय के साथ निरन्तर सक्रिय है। हम शैक्षिक नवाचार, प्रशासनिक दक्षता एवं अकादमिक दृढ़ता के साथ ज्ञान-विज्ञान की वैष्विक दुनिया और भविष्य की चुनौतियों के समक्ष स्वयं को एक सक्षम विकल्प के रूप में तैयार करने हेतु संकल्पित हैं। 
उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय में आज 25 राज्यों के विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं. हमारे शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन माननीय प्रधानमंत्री ने अभी हाल ही में किया. उन्होंने शिक्षकों को मिले सम्मान, पेटेंट और अनेकानेक उपलब्धियों को साझा किया. उन्होंने कहा कि इसी वर्ष नैक मूल्याकंन में हमारे विश्वविद्यालय ने ए + ग्रेड प्राप्त कर अपनी अकादमिक श्रेष्ठता की एक नई इबारत लिखा है। हमारा विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के चतुर्दिक विकास हेतु अपनी अकादमिक प्रतिबद्धता और अपने सामाजिक सरोकारों को नये सिरे से मूल्यांकित , सृजित और विस्तृत कर रहा है। 

अतिथियों ने किया पुस्तकों का विमोचन एवं पुरस्कार वितरण, मेधावी छात्रों को किया पुरस्कृत 
मंचासीन अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन किया गया. विभिन्न कक्षाओं के मेधावी छात्र-छात्राओं को भी मंचासीन अतिथियों ने पुरस्कृत किया. गौर उत्सव सप्ताह के विभिन्न आयोजनों के विजेताओं को मंचासीन अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया. समारोह के अंत में ललित कला एवं प्रदर्शनकारी कला विभाग के छात्र/छात्राओं द्वारा बधाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई. संचालन डॉ. ललित मोहन ने किया. धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय ने किया.
अतिथियों ने किया गौर मूर्ति पर माल्यार्पण, गौर समाधि पर हुआ पुष्पांजलि कार्यक्रम
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कन्हैया लाल बेरवाल, कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता एवं सभी अतिथियों ने गौर मूर्ति पर माल्यार्पण किया. एनसीसी विद्यार्थियों द्वारा गार्ड ऑफ़ आनर दिया गया. सभी अतिथियों ने गौर समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की.
*संविधान की उद्देशिका का हुआ वाचन*
संविधान दिवस के अवसर पर संविधान की उद्देशिका का वाचन करते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने संविधान के प्रति आस्थावान रहने की शपथ दिलाई.  
*कुलपति ने कुलाधिपति को सौंपा गौर धरोहर का मंगल कलश* 
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता द्वारा कुलाधिपति श्री बेरवाल को गौर धरोहर का मंगल कलश अभ्यर्पण किया गया. 
पूर्व छात्र, पूर्व शिक्षक एवं पूर्व कुलपति को गौर-गौरव, गौर रत्न, गौर मणि देकर किया सम्मानित
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने विशिष्ट अतिथि प्रो. संतोष कुमार को गौर-गौरव सम्मान, श्री पी.एस. परिहार को गौर रत्न एवं प्रो. संजय श्रीवास्तव को गौर मणि सम्मान से सम्मानित किया गया. 


डॉ. गौर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र का उद्घाटन, प्रत्येक बुधवार को शहर के निवासी ले सकेंगे स्वास्थ्य परामर्श
गौर जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय की तरफ से शहर वासियों के लिए डॉक्टर गौर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र का उद्घाटन कटरा बाजार स्थित गौर अध्ययन केंद्र पर माननीय कुलपति महोदय द्वारा किया गया. इस केंद्र के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी परामर्श परीक्षण स्वास्थ्य काउंसलिंग स्वास्थ्य जागरूकता संबंधी कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे जिसका लाभ सभी शहरवासी प्रत्येक बुधवार प्राप्त कर सकते हैं. विश्वविद्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अभिषेक जैन ने बताया इस केंद्र मे विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र की विशेषज्ञ चिकित्सा परामर्श देंगे. उद्घाटन के बाद डॉक्टर गौर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र में कुलपति महोदय ने स्वयं का स्वास्थ्य परीक्षण कराया. साथ ही लगभग 50 मरीजों की जांच डॉ अभिषेक जैन एवं डॉक्टर भूपेंद्र पटेल द्वारा की गई साथ ही निशुल्क परामर्श के साथ-साथ सिरम यूरिक एसिड एवं ब्लड ग्लूकोस की भी जांच की गई. माननीय कुलपति द्वारा इस केंद्र को और अधिक विकसित करने हेतु निर्देश दिए गए हैं. इस अवसर पर प्रभारी कुल सचिव सपा उपाध्याय, गौर जयंती के मुख्य समन्वयक डॉक्टर पीके कठल, अध्ययन केंद्र प्रभारी प्रदीप तिवारी, प्रो. जेके जैन श्री, सतीश कुमार, मुकेश साहू, डॉ. भूपेंद्र पटेल, भगत सिंह जयप्रकाश आदि के साथ-साथ सभी शहरवासी और विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे.
*विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केंद्र में परामर्शन सेवा केंद्र का शुभारंभ*
विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केंद्र में विश्वविद्यालयीन मनौवैज्ञानिक परामर्श केंद्र का उदघाटन कुलाधिपति श्री कन्हैया लाल बेरवाल एवं कुलपति प्रो.नीलम गुप्ता जी के कर कमलों के द्वारा किया गया। इस अवसर पर कुलाधिपति श्री कन्हैया लाल जी ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श हमेशा से मानवीय मूल्यों  को सवांरता रहा है, और आज का विषय जहाँ एक और तनाव को प्रबंधित करने पर बल देगा, साथ ही मनोविज्ञान विपरीत परिस्थितियों में कैसे प्राथमिक उपचार के रूप में कार्य केंद्रित करते हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन  देते हुए  कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने कहा कि हम जो कुछ भी अनुभव करते है , वह सब कुछ मनोविज्ञान के दायरे में है ,हम अपने मन और मस्तिष्क और सम्पूर्ण व्यक्तित्व को समझ पाते है तो समस्याएं स्वतः समयोजित की जा सकती है। तनाव जीवन की मांगों के लिए एक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रतिक्रिया है, हालांकि निरंतर चुनौतियों के कारण अत्यधिक तनाव आपको इससे निपटने की क्षमता को क्षीण कर सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर मनौवैज्ञानिक परामर्श केंद्र की स्थापना होने से,उन्हे अपनी समस्याओं और चुनौतियों से निकलने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर प्रभारी कुलसचिव सत्य प्रकाश उपाध्याय,प्रो उमेश पाटिल, प्रो.जे.के.जैन, कुलानुशासक प्रो.चंदा बैन,डॉ. किरण माहेश्वरी, डॉ. शारदा विश्वकर्मा, डॉ. देवकी नंदन शर्मा, शोधार्थी सुश्री अर्चना चौधरी, श्री अनुराग शुक्ला, श्री अमित कुमार एवं स्नातक और स्नातकोत्तर के कई विद्यार्थी उपस्थित थे.
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