आंख खुली तो पूरा भारत नाखूनों से त्रस्त मिला, जिसको जिम्मेदारी दी, वह घर भरने में व्यस्त मिला
▪️गौर जयंती पर मकरोनिया में प्रवाह संस्था के साहित्यिक आयोजन में आए विख्यात कवि और शायर
तीनबत्ती न्यूज: 28 नवंबर,2023
सागर। गौर जयंती पर एक ओर शहर में सुबह से शाम तक विविध आयोजन होते रहे तो बीते रविवार इस पावन दिवस का समापन प्रवाह संस्था के सालाना कवि सम्मेलन/मुशायरा के आयोजन के साथ पूरी गरिमा और साहित्यिक छठा के बीच हुआ। उपनगर के पद्माकर नगर स्थित सामुदायिक भवन प्रांगण में साहित्यिक संध्या की शाम जैसे ढलने का नाम नहीं ले रही थी। देश के प्रख्यात कवि डॉ.हरिओम पंवार समेत अन्य हस्ताक्षरों ने जब रचना-पाठ शुरू किया तो श्रोता बस, सुनते ही चले गए। निर्धारित अवधि का कार्यक्रम रात की बेला तक पहुंच गया लेकिन प्रांगण में मौजूद सुधी साहित्य प्रेमी और भी सार्थक सुनने की जिद पर आमादा थे। मंच से देशभक्ति, करारे व्यंग्य, मन मस्तिष्क को झकझोरने वाले रचना पाठ से कवियों/शाइरों ने किसी को निराश भी नहीं किया।
सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक गतिविधियों को समर्पित प्रवाह संस्था के मंच पर साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ.हरिओम पंवार के साथ सुविख्यात डॉ.नुसरत मेहदीं मेरठ, अज्म शाकिरी ऐटा, सोनरूपा विशाल बदायूं, स्वयं श्रीवास्तव दिल्ली, संतोष सागर विदिशा, कुणाल दानिश तो थे ही, प्रवाह संस्था की परंपरानुसार स्थानीय कलमकारों में आदर्श दुबे और प्रभात कटारे भी थे। मुख्य अतिथि के रूप में सांसद राजबहादुर सिंह भी निर्धारित समय पर पहुंच गए थे। अतिथियों ने डॉ.गौर के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। स्वागत भाषण संस्था अध्यक्ष संतोष रोहित मित्र ने दिया। उन्होंने डॉ.हरीसिंह गौर को समर्पित पंक्तियों में कहा- *मेहरबानी शब्दों में करूं तेरी बयां कैसे, तेरे अहसान का कर्जा करेगा कोई अदा कैसे।
*तेरी रहमत के साये में, लाखों दीप रोशन हैं, इस मिट्टी पे आया था, बनके तूं ख़ुदा जैसे
औपचारिक सम्मान और स्वागत के बाद मंच अब उत्कृष्ट साहित्य के प्रवाह में बहने को जैसे तैयार था। मंच पर जब डॉ.हरिओम पंवार जैसी शख्सियत मौजूद हो तो साहित्यिक रसपान की अपेक्षा बढऩा स्वाभाविक ही था। डॉ.पवार ने सबसे पहले डॉ.गौर के मायने होने का जिक्र करते हुए कहा कि धन्य है सागर की धरा जिसे डॉ.गौर ने विवि दिया। यह तीर्थ ही है। इतना बड़ा तीर्थ है आपके यहां। जहां डॉ.गौर के नाम पत्थर भी लगा तो मैं उसकी पूजा करने के लिए तैयार हूं। बहरहाल, उनका रचना पाठ शुरू हुआ। उन्होंने तमाम तरह की सामजिक विद्रपूताओं को शब्दों में पिरोया। जिसकी बानगी देखिए- *कहां बनेंगे पूजा के घर, कहां बनेंगी रजधानी, मंडल और कमंडल ही है सबकी आंखों का पानी। सोनचिरैया सूली टंग गई, पंछी गाना भूल गए। आंख खुली तो पूरा भारत नाखूनों से त्रस्त मिला, जिसको जिम्मेदारी दी, वह घर भरने में व्यस्त मिला।* उन्होंने देश की व्यवस्था की ओर संकेत करते हुए कहा- क्या यही सपना देखा था भगत सिंह की फांसी ने, जागो राजघाट के गांधी तुम्हें जगाने आया हूं, घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने आया हूं। गांधीजी के सपनों का येकैसा देश बना डाला, चाकू चोरी चीरहरण वाला परिवेश बना डाला।
मशहूर शायर अज़्म शाकिरी ने फ़रमाया लाखों सदमे ढेरों गम, फिर भी नहीं है आंखें नम। एक मुद्दत से रोये नहीं, क्या पत्थर के हो गये हम।
वहीं सोनरूपा विशाल ने फरमाया- भीतर इक चिंगारी रख, जिंदा रहना जारी रख। आवाजें ही रस्ता हैं, खामोशी मत तारी रख। हक को मत एहसान समझ, खुद को मत आभारी रख। कतरे को दरिया मत बोल, ऐसी मत लाचारी रख। रस्ता रौशन करना है, जलने की तैयारी रख।* दिल्ली से आए कवि स्वयं श्रीवास्तव ने कहा- शर्तों पर तेरी टिकने से इंकार कर दिया, तब जाके अपने आप की कीमत पता चली।
मुझको न रोकिए, न ये नजराने दीजिए, मेरा सफर अलग है, मुझे जाने दीजिए, ज्यादा से ज्यादा होगा कि ये हार जाएंगे, किस्मत तो हमें अपनी आजमाने दीजिए। आयोजन में सागर के प्रतिभावान कवि आदर्श दुबे और प्रभात कटारे ने भी जोशीले अंदाज में काव्य पाठ कर श्रोताओं को उद्धेलित कर दिया।
साहित्यिक संध्या की छठा का छठवां वर्ष
गौरतलब है कि प्रवाह संस्था ने डॉ.हरीसिंह गौर जयंती पर कवि सम्मेलन/मुशायरा की शुरुआत वर्ष 2018 में की थी। इसके बाद से ही यह सिलसिला जारी है। देश के नामी-गिरामी कवि/शायर इन आयोजनों में शिरकत कर चुके हैं। डॉ.राहत इंदौरी, आलोक श्रीवास्तव, शबीना अदीब, अंजुम रहबर, अंकिता सिंह जैसे नाम तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों की श्रेणी में आते हैं। यह सागर आए और इन्हें प्रवाह के कार्यक्रम में शहरवासियों का भरपूर प्यार भी मिला। यही वजह है कि अब प्रवाह संस्था के इस आयोजन को देश-प्रदेश के साहित्यिक गलियारों में पहचाना जाने लगा है। प्रख्यात कलमकारों के लिए भी यहां के मंच से प्रस्तुति देना सुखद अनुभव महसूस होने लगा है। वहीं बात करें साहित्य प्रेमियों की तो हर वर्ष डॉ.गौर जयंती पर इस आयोजन को लेकर शहर में उत्सुकता रहती है।
प्रवाह संस्था ने कार्यक्रम की गरिमा को बरकरार रखा है। संस्था के अध्यक्ष संतोष रोहित ने कहा कि हम कार्यक्रम को लेकर लोगों की अपेक्षा और सागर के साहित्यिक गौरव को देखते हुए हर वर्ष योजना बनाते हैं। प्रयास रहता है कि ऐसे नामचीन रचनाकारों को इस मंच के लिए आमंत्रित किया जाए जिन्हें श्रोताओं ने टीवी पर देखा, रेडियो पर सुना और पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ा है। श्री रोहित ने बताया कि इस बात का हमें संतोष है कि अभी तक की यात्रा में हम इस पर खरे उतरे हैं और साहित्य-प्रेमियों का भरोसा हम पर बढ़ता ही जा रहा है।
वहीं प्रवाह संस्था ने साहित्यकारों, समाजसेवियों के योगदान को देखकर उन्हें भी सम्मानित करने की परंपरा कायम की है। इस कड़ी में लेखन एवं साहित्य के क्षेत्र में डॉ.सरोज गुप्ता और समाज सेवा एवं पर्यावरण के क्षेत्र में विचार संस्था के संचालक कपिल मलैया को सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन का संचालन संतोष सागर ने किया। कार्यक्रम संचालन डॉ.अरविंद जैन ने किया। वह आभार प्रख्यात शाइर अशोक मिजाज ने माना।
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