हमारी बहुलता में हो रहे क्षरण को रोकना रचनाकारों का नैतिक दायित्व: प्रो. परमार▪️श्यामलम् के लोक सम्मान पर्व का अष्टम वार्षिक कार्यक्रम: विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए हुआ सम्मान

हमारी बहुलता में हो रहे क्षरण को रोकना रचनाकारों का नैतिक दायित्व:  प्रो. परमार

▪️श्यामलम् के लोक सम्मान पर्व का अष्टम वार्षिक कार्यक्रम: विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए हुआ सम्मान

तीनबत्ती न्यूज : 27 नवंबर,2023
सागर : नगर की प्रतिष्ठित संस्था श्यामलम् द्वारा लोक सम्मान पर्व के अष्टम वार्षिक कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए विशिष्ट जनों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर बुंदेली गायक कवि देवीसिंह राजपूत के प्रथम काव्य संग्रह "बुंदेली बागेश्वरी" का विमोचन भी संपन्न हुआ। 

रवींद्र भवन सभागार में आयोजित हुए इस गरिमामय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. बहादुर सिंह परमार ने अपने बुंदेली मिश्रित आत्मीय उद्बोधन में कहा कि बहुलता ही हमारे राष्ट्र की ताकत रही है किंतु बाजारवाद ने उसका क्षरण करना शुरू कर दिया है। ‌यह बाजारवाद हमारे  खानपान में, वेशभूषा में, पर्वों में , संस्कारों में सभी जगह हावी हो गया है। उन्होंने कहा कि  पहले प्रत्येक क्षेत्र की  कोई न कोई  विशिष्टता होती थी वो उसकी संस्कृति, बोली, पहनावा, पकवान कुछ भी हो सकता था लेकिन अब पिज्जा, बर्गर का जो स्वाद बुंदेलखंड के किसी कस्बे में  होगा वैसा ही गुड़गांव,मुंबई में मिलेगा। यह एकरसता बाकी सभी चीजों में भी व्यापी है। भूमंडलीकरण और टेलीविजन की संस्कृति में परंपरागत पर्वों का स्वरूप भी परिवर्तनीय हो गया है। उनमें वैसा सौंधापन और देशजता नहीं रही। इस सबको रोकने की जिम्मेदारी हम सभी रचनाकारों की है। हमारे लोक की पोटली में जो  ज्ञान बिखरा पड़ा है उसे सहेजने की जरूरत है। इस लोक यज्ञ के संरक्षण में हमारी क्या आहुति होगी ?  यह यक्ष प्रश्न है।

 कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता श्यामलम् संस्था के संरक्षक डॉ. सुरेश आचार्य ने गौर दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि अगर गौर साहब जीवित होते तो वह 154 साल के होते और हम सब उनके पौत्रगण उनकी ऐसी सेवा करते जो न भूतो न भविष्यति होती। हम सबको विद्या का वरदान देने वाले डॉक्टर गौर देवता तुल्य ही हैं।

अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ.अजय तिवारी ने कहा कि श्यामलम् पर्व लोक हित में कार्य वाले सामाजिक लोगों को सम्मानित व पुरस्कृत करता है तथा लगातार कार्य करने प्रोत्साहित करता है यह प्रशंसनीय कार्य है। इसमें हरेक वर्ग व क्षेत्र के लोग हैं यह विशेष बात है। समाज को श्यामलम् का यह अवदान उस विनम्र भाव तरह है जिस तरह प्रकृति में सुंदर वृक्ष और लताएं फूल -फलों‌ से लद जाने पर विनम्र होकर देने के‌ लिए झुक जाती हैं।

विशिष्ट अतिथि गायक शिव रतन यादव ने  बुंदेली गीतों का गायन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इस अवसर पर गायक -कवि देवीसिंह राजपूत की कृति बुंदेली वागेश्वरी का विमोचन एवं उनका सम्मान भी किया गया। लेखकीय वक्तव्य के साथ उन्होंने विमोचित पुस्तक के एक गीत का मधुर गायन कर प्रभावित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी एवं सागर सपूत डॉ. हरीसिंह गौर के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुई। कवि पूरनसिंह राजपूत ने सरस्वती वंदना की। शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय सागर की छात्राओं द्वारा सरस्वती आराधना की बहुत सुंदर प्रस्तुति दी। कवि डॉ नलिन जैन ने डॉ.गौर पर स्वरचित कविता का पाठ कर उन्हें स्मृत किया। श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने स्वागत उद्बोधन दिया।

 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर बहादुर सिंह परमार को विशेष सम्मान के रूप में शाॅल, श्रीफल, पुष्पमाला, पुस्तकें और सम्मान निधि भेंट कर श्यामलम् साहित्य -संस्कृति अलंकरण से विभूषित किया गया। पाठक मंच संयोजक आर के तिवारी और पी आर एस वेलफेयर सोसायटी अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय ने क्रमशः जीवन परिचय और सम्मान पत्र का वाचन किया।

 कन्या महाविद्यालय सागर में प्राध्यापक डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने प्रभावी व व्यवस्थित संचालन किया। स्वर संगम समिति अध्यक्ष हरीसिंह ठाकुर ने आभार व्यक्त किया। 
सम्मान समारोह 

सम्मान कार्यक्रम की शुरुआत ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा स्वस्तिवाचन से हुई। श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया एवं सह सचिव संतोष पाठक ने सम्मानितों के जीवन परिचय व सम्मान पत्रों का वाचन किया। विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए सूची अनुसार कुल 12 सम्मान प्रदत्त किए गए।
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तीनबत्ती न्यूज .कॉम के एडिटर विनोद आर्य सम्मान प्राप्त करते हुए
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इस अवसर पर डॉ लक्ष्मी पांडेय ,डॉ सुश्री शरद सिंह, डॉ कविता शुक्ला, किरणप्रभा मिश्र,सुदेश तिवारी,पी एन मिश्रा,जे सी श्रीवास्तव,लक्ष्मी नारायण चौरसिया, बी के उपाध्याय, उमाशंकर शर्मा, ओ पी दुबे, रामकुमार दुबे, डॉ. गजाधर सागर, आशीष ज्योतिषी,डॉ.आशीष द्विवेदी, डॉ.नवनीत धगट, आनंद मंगल बोहरे, अंबिका यादव, रमेश दुबे, श्रवण

 श्रीवास्तव, व्ही पी मिश्रा, प्रदीप शुक्ला,  असरार अहमद, अंबर चतुर्वेदी, प्रभात कटारे, ध्रुव गौर, डॉ. विनोद तिवारी, बिहारी सागर, ज. ला. राठौर, डॉ.अमर जैन,डॉ ऋषभ भारद्वाज, पुरुषोत्तम उपाध्याय,ऋषभ जैन,मुकेश निराला, उमाशंकर रावत, अभिनंदन दीक्षित, सतीश पांडे, शैलेंद्र मलैया, रमाकांत मिश्रा, सी एल कंवल, दीपाली गुरु,मुकेश तिवारी, वीरेन्द्र प्रधान,मनोज जैन,मनीषा पटेरिया,डॉ अवधेश संडल, प्रफुल्ल हल्वे, वंदना मिश्रा,स्नेहलता मिश्रा,  रूपरेखा गौर,जयंत विश्वकर्मा,राजेन्द्र गर्ग और सम्मानितों के परिजनों सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

प्रदत्त किए गए सम्मान

1.पंडित गोविंद प्रसाद शास्त्री संस्कृत सम्मान - 
पंडित रामगोविंद शास्त्री, संस्कृत विद्वान एवं ज्योतिषाचार्य,सागर।

2. पंडित शादी लाल आचार्य संस्कृति सम्मान- 
डॉ.ओ.पी.चौबे,वरिष्ठ संस्कृतिविद्, सागर।

3.डॉ. रामदास तिवारी स्मृति चिकित्सा सम्मान
 - डॉ. बी.के.मिश्रा, वरिष्ठ चिकित्सक,
से. नि. संयुक्त संचालक चिकित्सा, सागर 

4.पं.व्ही.के.पाठक स्मृति निष्ठावान सेवाभावी कर्मचारी सम्मान

 - श्री ‌‌जागेश्वर प्रसाद शर्मा, कैशियर, मुख्य पोस्ट आफिस सागर।

5. आर.एन.शुक्ला स्मृति आदर्श शिक्षक सम्मान
 - श्री आर.डी.मिश्रा,से.नि.व्याख्याता, (स्कूल शिक्षा विभाग) सागर।

6.श्यामा कान्त मिश्र स्मृति रंगकर्मी सम्मान

 - श्री महेश दयाल दुबे, वरिष्ठ रंगकर्मी, सागर।(पूर्व व्यवस्थापक, श्री पीताम्बरा पीठ,दतिया)

7- मनोहर लाल जैन स्मृति श्रेष्ठ युवा सम्मान

 - डॉ .सिद्धार्थ शुक्ला,सितारवादक, संस्कृतिकर्मी सागर।

8- देवेंद्र सिंह गौर स्मृति पत्रकारिता (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) सम्मान

 - श्री विनोद आर्य, तीन बत्ती न्यूज चैनल, सागर।
9-स्वामी विवेकानंद सम्मान
(सौजन्य - SVN विश्वविद्यालय, सागर)

- डॉ.जी.एल.दुबे, (से.नि. प्राचार्य,उच्च शिक्षा)
सागर।

10-श्रीमती लीलावती देवी शुक्ला स्मृति मानवता सम्मान
 -डॉ.शशि ठाकुर,वरिष्ठ चिकित्सक व समाजसेवी, सागर।

11- श्यामलम् कर्मशील जीवन सम्मान

 -श्री हेमचंद जैन, वरिष्ठ समाजसेवी सागर।

12-विशिष्ट सम्मान
श्यामलम् साहित्य-संस्कृति अलंकरण*

डॉ. बहादुर सिंह परमार साहित्यकार
निदेशक, शोध व विकास
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय 
छतरपुर (म.प्र.)


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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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