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Sagar: रिश्वत लेने वाले बाबू को चार साल की सजा : लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा था रिश्वत लेते

Sagar: रिश्वत लेने वाले बाबू को चार साल की सजा : लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा था रिश्वत लेते

तीनबत्ती न्यूज :30 सितम्बर,2023
सागर
। वेतनवृद्धि के एरियर एवं सातवें वेतनमान के निर्धारण करने के ऐवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी सहायक ग्रेड-तीन सुरेन्द्र सिंह को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7, 12,13(1)(बी) सहपठित धारा 13(2)  के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।

ये रहा घटनाक्रम

घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 06.05.2019 को आवेदक सतीश गोलंदाज, छात्रावास अधीक्षक, बीना ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक लिखित  शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि उसकी वार्षिक वेतनवृद्धि दिनांक 01.07.2018 को लगनी थी, जो कि 09 माह बाद मार्च, 2019 में लगाई गई। उक्त वेतनवृद्धि के एरियर और सातवें वेतनमान का निर्धारण करने हेतु अभियुक्त सुरेंद्र सिंह ने 10,000/-रु. की मांग की, वiह अभियक्ुत को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। अतः कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु निरीक्षक मंजू सिंह को अधिकृत किया गया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और निरीक्षक मंजू सिंह ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, आवेदक से रिश्वत राशि के संबंध में पूछे जाने पर आवेदक ने बताया कि अभियुक्त सुरेंद्र सिंह ने 10,000/-रु. की रिश्वत राशि अपने हाथ में लेकर पहने हुये फुलपेंट की जेब में रख ली है, तब मौके पर कार्यवाही प्रारम्भ की गई। उक्त आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया।विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा- 7, 12, 13(1)(बी) सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।

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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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