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भक्ति का मूल उत्स और सूत्र वेदों में विद्यमान है- डॉ.गौतम पटेल ▪️भक्ति जीवन जीने का अविराम छंद है- नरेंद्र दुबे ▪️गुजराती से हिंदी में अनुवादित ग्रंथ "भक्ति का मर्म" विमोचित

भक्ति का मूल उत्स और सूत्र वेदों में विद्यमान है- डॉ.गौतम पटेल 

▪️भक्ति जीवन जीने का अविराम छंद है- नरेंद्र दुबे 

▪️गुजराती से हिंदी में अनुवादित ग्रंथ "भक्ति का मर्म" विमोचित

तीनबत्ती न्यूज : 04 सितम्बर ,2023
सागर।  भक्ति का मूल उत्स और सूत्र वेदों में विद्यमान है। भक्ति का स्वरूप त्रिविध है जो 'अहं तवास्मि', 'मम त्वमसि' और 'त्वं अहमस्मि' के रूप में विद्यमान है। अर्थात 'मै तुम्हारा हूँ ', 'तुम मेरे हो', 'तुम मैं ही हूँ ' के रूपों में प्रवाहमान है। यह बात महामहोपाध्याय, विद्यावाचस्पति, संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी और गुजराती भाषा पर समानाधिकार रखने वाले अहमदाबाद से पधारे देश के सुविख्यात प्रकांड विद्वान भारत रत्न डॉ.गौतम भाई पटेल ने  श्यामलम् द्वारा आयोजित भाषा विमर्श कार्यक्रम की श्रंखला में हिंदी - गुजराती भाषा पर केंद्रित गरिमामय समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से कही। उन्होंने सभागार में उपस्थित प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति पर श्यामलम् की प्रशंसा करते हुए कहा कि श्यामलम् ने आज सागर में प्रयाग ला दिया है।


उन्होंने इस पुस्तक लिखे जाने की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 'भक्ति नो मर्म ' पुस्तक की भूमिका मुख्यतः इंडियन इन्स्ट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी शिमला में मेरे व्याख्यानों पर आधारित है। भक्ति विषय पर मेरे द्वारा दिए गये उन्हीं व्याख्यानों को थोड़ा-बहुत परिष्कृत कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने कहा कि डाॅ चंचला दवे जी का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने मेरे द्वारा गुजराती किये गये इस कार्य को हिन्दी में अनुदित कर एक बड़ा पाठक वर्ग उपलब्ध कराया है।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष अम्बिका दत्त शर्मा ने कहा कि‌ गौतम भाई पटेल की सम्पूर्ण रचनाशीलता गुजरात की महान भक्ति परम्परा का उज्ज्वल और समसामयिक संस्मरण है। आपने गुजराती भाषा में लिखित अपनी पुस्तक 'भक्ति नो मर्म' में भक्ति की रसमय और बौद्धिक भावधारा का मनोरम संतुलन प्रस्तुत किया है। भक्ति के मूल उत्स से लेकर उसके शास्त्रीय और लोक स्वरूप का सांगोपांग वर्णन किया है। यह अत्यंत हर्ष और गर्व की बात है कि गुजराती और हिन्दी भाषा की विदुषी डाॅ चंचला दवे गौतम भाई पटेल की इस महत्वपूर्ण पुस्तक का हिन्दी में त्रुटिहीन अनुवाद किया है। इनके द्वारा  अनुवादित पुस्तक 'भक्ति का मर्म' एक तरह से 'अनुवाद का मर्म' के रूप में भी याद रखा  जायेगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दमोह से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार नरेंद्र दुबे ने कहा गौतम भाई पटेल जी अपने भावात्मक अधिष्ठान में गुजरात के महान संत नरसी मेहता जी के आधुनिक शब्दावतार हैं। आपने भक्ति को केवल विचार के स्तर पर नही बल्कि भावबोध के स्तर पर जीवन का अविरल लय बना लिया है। आपके लिए भक्ति जीवन जीने का अविराम छंद है। आपने भक्ति को मनुष्यों के लिए रसात्मक अनुभूति के रूप में प्रस्तावित किया है। 

विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना व कलाविद् डॉ शाम्भवी शुक्ला मिश्र दिल्ली ने  डॉ गौतम की पुस्तक की व्याख्या करते हुए मलिक मोहम्मद जायसी, सूर एवं तुलसी के साहित्य को महान भक्ति साहित्य बताया। डॉ शाम्भवी ने नाट्यशास्त्रीय  दृष्टिकोण से रस की व्याख्या करते हुए भक्ति को श्रेष्ठ रस निरूपित किया।  उन्होंने बताया जिस तरह अन्य रसों के आस्वाद हेतु पात्र को निर्मल चेतना तथा सहृदय का स्वामी होना पड़ता है उसी तरह भक्ति रस के आस्वाद हेतु पात्र को इन्हीं गुणों से संपन्न होना होता है। डॉ शाम्भवी  ने श्री हनुमान जी को श्रेष्ठतम भक्त निरूपित किया।


   अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण और बाल सरस्वती ऐश्वर्या दुबे द्वारा की गई मधुर सरस्वती वंदना के पश्चात् कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश का वाचन डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के सहा.प्राध्यापक डॉ.आशुतोष मिश्र एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो.बलवंतराव शांतिलाल‌ जानी के संदेश का  ख्यात लेखिका डॉ.सुश्री शरद सिंह द्वारा किए गए वाचन से हुई। 

अतिथि स्वागत डॉ चंचला दवे, कपिल बैसाखिया, डॉ विनोद तिवारी, श्रीमती सुनीला सराफ,आर.के. तिवारी ने किया।
 प्रो.गौतम पटेल द्वारा गुजराती में लिखे ग्रंथ "भक्ति नो मर्म" के विदुषी लेखिका डॉ.चंचला दवे द्वारा "भक्ति का मर्म" शीर्षक से हिंदी में अनुवादित कृति का मंच एवं आयोजक संस्था द्वारा विमोचन किया गया।


इस अवसर पर किए गए अभिनंदनों में मुख्य अतिथि डॉ .गौतम पटेल का संस्कृत में लिखे अभिनंदन पत्र का वाचन लेखक टीकाराम त्रिपाठी अध्यक्ष प्रलेस सागर ने, हिंदी अनुवादिका डॉ.चंचला दवे के अभिनंदन पत्र का वाचन लेखिका डॉ.संध्या टिकेकर, बीना ने और कार्यक्रम में स्नेहिल उपस्थित प्रख्यात ग़ज़ल व भजन गायक डॉ.बृजेश मिश्र, दिल्ली के अभिनंदन पत्र का वाचन श्यामलम् के रमाकांत शास्त्री ने किया। सभी अभिनंदितों को शाॅल,श्रीफल, पुष्पहार व अभिनन्दन पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने संस्था गठन के उद्देश्यों एवं कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का व्यवस्थित और गरिमामय संचालन डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में सहा.प्रा. डॉ.शशिकुमार‌ सिंह ने किया और श्यामलम् सह-सचिव संतोष पाठक ने आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर नगर एवं विश्वविद्यालय के प्रबुद्ध वर्ग की उपस्थिति उल्लेखनीय रही जिनमें एस के दवे, पूर्व विधायक सुनील जैन,निधि जैन, डॉ.दिवाकर मिश्र,मुन्ना शुक्ला,अशोक मिज़ाज,डॉ.गजाधर सागर, शिव रतन यादव,संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी, नवनीत धगट, डॉ संतोष शुक्ला, डॉ.आशीष द्विवेदी,अंबिका यादव, डॉ मनीष झा, कवि पुष्पेन्द्र दुबे,हरिसिंह ठाकुर, डॉ, डॉ ,आर आर पांडेय, ज ल राठौर, डॉ लक्ष्मी पांडेय, डॉ कविता शुक्ला, श्रीमती मधु दरे,उषा पाराशर , मनीषा पटेरिया, डॉ नौनिहाल गौतम, डॉ रामहेत गौतम, मुकेश तिवारी,डॉ अरुण दवे, पंकज शर्मा दमोह, डॉ.संजय यादव, अभिषेक ऋषि,एम डी त्रिपाठी, अभिनंदन दीक्षित, माधव चंद्रा, गोविंद सरवैया,अखिलेश शर्मा, डॉ.सर्वेश्वर उपाध्याय, शुभम उपाध्याय,एन एस पंड्या ,श्रीमती सुधा पंड्या जबलपुर,भिलाई से ललित, वसुधा पंड्या, दमोह से एडवोकेट अनिल धगट,सुदीप मेहता, सरिता सेलट, डॉ सुनील भट्ट,‌ जयश्री भट्ट, डॉ सचिन रेजा,आभा सेलट,दिव्या मेहता,अनीता पाली,संध्या दरे,वनीता केशरवानी सहित मध्य प्रदेश गुजराती समाज के लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।



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एडिटर: विनोद आर्य
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