खुरई जैसा आस्था का सागर, ऐसा आस्था का महाकुंभ और कहीं नहीं देखाः बागेश्वर सरकार
▪️दर्शन देने निकले बागेश्वर सरकार, सड़कों पर जनसमुद्र उमड़ा
तीनबत्ती न्यूज : 8 सितम्बर ,2023
खुरई। बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं श्री धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री जी ने कथा के समापन दिवस का आरंभ खुरई की सड़कों पर मिले प्रेम और आत्मीयता का गुणगान करते हुए किया। उन्होंने रामचरितमानस की एक ही चौपाई पर तीसरे दिन भी कथा जारी रखी और कथा संगति के महत्व की व्याख्या करते हुए मर्म तक पहुंच गई।
बागेश्वर सरकार ने कहा कि कि कथा के मुख्य यजमान भूपेंद्र सिंह जी ने मुझसे एक दिन आग्रह किया था कि गुरु जी आपको एक दिन खुरई के बीच से निकलना है। और आज मैंने उनका आग्रह पूरा किया तो क्या आनंदपूर्ण अनुभव हुआ है कि मैं पूरे जीवन भूल नहीं सकता। ऐसा आत्मीय भाव, ऐसा अभिनंदन, ऐसी चमक मेरे पागलों के चेहरों पर, ऐसा आस्था का महाकुंभ खुरई में देखने को मिला कि मन पर छाप छूट गई। ऐसा पहले कभी देखने नहीं मिला।
उन्होंने बताया कि खुरई में आज मुझे इतने फूल घले,इतने फूल घले कि बता नहीं सकता। मैं खड़ा होकर यह अनुभव कर रहा था कि एक चौराहे पर एक बहिन ने केलों का गुच्छा दे मारा, पूरे एक दर्जन केले थे। सेवादार ने कहा यह क्या है महाराज जी चोट लग जाएगी, मैंने कहा ये स्वागत है! आगे बढ़े तो जगह जगह फूलों के साथ नारियल बरसने लगे। तब मुझे लगा कि ऐसे प्रेम में सिर न फूट जाए! तब मैं कुर्सी पर बैठा और फिर खड़ा नहीं हुआ।साधो जी सीताराम के जयघोष के साथ बागेश्वर सरकार ने कहा कि तुम सभी को वह चौपाई याद हो गई होगी जिसे मैं समझा रहा हूं तीन दिन से-
सो सब तव प्रताप रघुराई,
नाथ न खछु मोरी प्रभुताई।।
हनुमान जी का प्रताप क्या है जिसका श्रेय वे पूछने पर भी स्वयं नहीं लेते और कहते हैं कि प्रभु श्री राम के चरित्र को सुनने, गाने को इसका श्रेय देते हैं। हनुमान जी कहते हैं कि इसका परिणाम यह हुआ कि प्रभु अब हृदय में विराजमान हो गये हैं। भगवान राम उसी के हृदय में बैठते हैं जो प्रभु के चरणों में बैठता है। रावण लंका जलाना, विदेशी धरती पर प्रभु राम के नाम की पताका फहराना, माता सीता की खबर लाना सब प्रभु के चरित्र को अपने भीतर उतार लेने के कारण संभव हुआ।
बागेश्वर सरकार ने कहा कि कोई साधु की संगति आपके जीवन में हो जाए तो वह संत सीधे भगवंत से मिला देने का काम करता है। मूर्ख भी सद्संगत पाकर सुधर जाता है और सज्जन भी कुसंग से कुमार्ग पर उतर जाता है। जिनके माथे पर टीका और गले में प्रभु राम की माला हो उसकी संगत करो। माता कैकेयी प्रभु राम से बहुत प्रेम करती थीं पर मंथरा की संगति में बिगड़ गईं। और हनुमान जी की संगति में आकर विभीषण भी प्रभु को पा गये। जैसी संगत वैसी रंगत यह कहावत असत्य नहीं है। उन्होंने पुष्प उद्यान के भंवरे से गंदगी के कीड़े की मित्रता की सुंदर कथा सुनाते हुए बताया कि भंवरे की संगत में नाली का कीड़ा भी कमल की पंखुड़ी से भगवान शिव के शीश पर पहुंचा और वहां से गंगा के प्रवाह में तिर गया।
बागेश्वर सरकार ने कहा कि वाल्मीकि जी के जीवन में तो अंधेरा ही अंधेरा था। लेकिन संगति से क्या हुआ, उलटा नाभम जपहूं जग जाना, वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना। आदिकवि वाल्मीकि से नारद जी मिले तो उन्होंने कहा राम राम कहो। वाल्मीकि जी मरा मरा कह जप पाए तो भी भगवान राम को पा गये।
कथा के दौरान हुई भीषण बारिश को बागेश्वर सरकार ने कहा कि देखिए आज देवता भी नर्तन कर रहे हैं। झूम रहे हैं। बाहर इंद्रदेव भीतर बागेशवर सरकार बरस रहे हैं। बाहर की वर्षा तन को भिगा रही है और भीतर कथा मन को भिगा रही है। प्रकृति और संस्कृति दोनों यहां पोषित हो रही हैं।
लोग कहते हैं हम सनातन को मिटा देंगे,अरे तुम से अपना जुकाम तो मिटता नहीं तुम क्या मिटाओगे। बागेश्वर धाम ने अयोध्या के बाद काशी मथुरा बाकी है का भी उल्लेख किया। कथा में मुख्य यजमान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह, श्रीमती सरोज सिंह, अबिराज सिंह, लखन सिंह परिजनों सहित उपस्थित थे। कई जनप्रतिनिधि बाहर व नगर से कथा श्रवण हेतु पधारे।
अन्नपूर्णा खुरई की सड़कों पर दर्शन देने निकले बागेश्वर सरकार, सड़कों पर जनसमुद्र उमड़ा, सड़कें फूलों से पट गईं
यह खुरई के लिए एतिहासिक दिन था। बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं श्री धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री जी जब अपनी अन्नपूर्णा नगरी के उनके ही शब्दों में ’पागलों’ को दर्शन देने निकले तो जन समुद्र सड़कों पर उमड़ पड़ा। लोग घरों से निकल कर उनके वाहन की आरतियां कर रहे थे। फूलों की वर्षा कर रहे थे। सभी वार्डों की भजन मंडलियां झांझ मजीरों से बागेश्वर धाम की सवारी का स्वागत कर रहे थे।
अपने निवास केके पैलेस की टैरेस से जनसमुदाय को दर्शन देकर बागेश्वर सरकार बायपास से रेलवे स्टेशन चौराहे तक पहुंचे। यहां से वे छतरी वाले रथ में बैठे। उनके साथ नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह भी थे। यहां से जनज्वार उमड़ना आरंभ हुआ जो बढ़ता ही चला गया। परसा चौराहा, झंडा चौक, महाकाली शेड से सागर नाका तक की सड़क श्रद्धालुओं द्वारा बरसाए गए फूलों से पट गई। अपनी चिर-परिचित बाल सुलभ मुद्रा में बागेश्वर सरकार ने लोगों को आशीर्वाद दिया जनता का स्नेह और प्रेम स्वीकार किए।
ज्यादातर घरों से परिवार निकल कर पूजा की थालियां लेकर उनका पूजन कर रहे थे। यह खुरई के लिए एतिहासिक और अविस्मरणीय क्षण थे। लोग जिनके आकर्षण में बंधे उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते हैं वे स्वयं आज उनके द्वार पर उपस्थित हो रहे थे। लगभग एक घंटे तक की शोभायात्रा का समापन सागर नाका में हुआ जहां से बागेश्वर सरकार रथ से उतर कर अपने वाहन में बैठ कर सीधे कथास्थल की ओर रवाना हो गए।
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