Editor: Vinod Arya | 94244 37885

SAGAR: पीएम सम्मान निधि और बैनामा पास कराने के एवज में रिश्वत लेने वाले पटवारी को 4 साल की सजा


SAGAR: पीएम सम्मान निधि और बैनामा पास कराने के एवज में रिश्वत लेने वाले पटवारी को 4 साल की सजा

फाइल फोटो :लोकायुक्त पुलिस की कार्यवाही



तीनबत्ती न्यूज :11 अगस्त ,2023
सागर । बैनामा पास कराने एवं प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राषि का भुगतान कराने की ऐवज में  रिश्वत लेने वाले पटवारी रामराज चौधरी को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी श्री श्याम नेमा सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने की।


ये है मामला

घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 09.09.19 को आवेदक धर्मेंद्र चौरसिया ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक हस्तलिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि हल्का सहजपुर मौजा समनापुर में उसकी पत्नी बबीता चौरसिया के नाम पर भूमि दर्ज है। उक्त भूमि का बैनामा/विक्रय पत्र पास करवाने, बंदी (भू-अधिकार एवं ऋण अधिकार(भू-अधिकार एवं ऋण अधिकार पुस्तिका) बनवाने तथा उसकी व उसके पिता हीरालाल की भूमि की प्रधानमंत्री  किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि डलवाने (भुगतान करवाने) के ऐवज् में अभियुक्त पटवारी रामराज चौधरी ने प्रत्येक कार्य के करवाने के 2,000/-रू. के मान से कुल 6,000/-रू. रिश्वत की मांग की है, उसने घर आकर जब अपने पिता व पत्नी को बताया तो उन्होंने पटवारी को रिश्वत देने से से मना किया व लोकायुक्त कार्यालय, सागर में लिखित शिकायत करने को लिखित सहमति दी है। वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है, अतः कार्यवाही की जाए। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु निरीक्षक अभिषेक वर्मा को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत,उससे रिश्वत राशि के संबंध में पूछा, तो अभियुक्त ने 6,000/-रू. रिश्वत राशि आवेदक से अपने हाथ में लेकर अपने साथ में ली हुई पालिथीन मेें रख लेना बताया। 


तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त  सजा से दंडित किया है ।                                                                  
                                                                 

Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Archive